हिंदी गद्य की प्रमुख विधाएँ निम्नलिखित हैं- निबंध, नाटक, एकांकी, उपन्यास, कहानी निबंध- निबंध वह गद्य रचना है, जिसमें सीमित आकार में किसी विषय का प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, संगति व संबद्धता के साथ किया जाता है। निबंध के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं- "निबंध को गद्य की कसौटी कहा गया है।" इस कथन का तात्पर्य है कि, पद्य की तुलना में गद्य रचना संपन्न करना दुष्कर कार्य है, क्योंकि अगर आठ पंक्तियों वाली कविता में यदि एक पंक्ति भी भावपूर्ण लिख जाती है तो कवि प्रशंसा का भागी होता है, परंतु गद्य के संदर्भ में ऐसा नहीं देखा जाता। गद्यकार को एक-एक वाक्य सुव्यवस्थित एवं सोच-विचारकर लिखना होता है। उसी स्थिति में गद्यकार प्रशंसनीय है। गद्य में निबंध लेखन बहुत ही दुष्कर कार्य है। निबंध को सुरुचिपूर्ण, आकर्षक एवं व्यवस्थित होना चाहिए। इसी हेतु निबंध की कसौटी कहा गया है। हिंदी साहित्य के प्रमुख निबंधकार एवं उनके द्वारा रचित निबंध निम्न लिखित हैं- हिंदी साहित्य के विकास को निम्न वर्गों में
विभाजित किया गया है- निबंध की प्रमुख शैलियाँ निम्न लिखित हैं- भारतेंदु युग- भारतेंदु युग हिंदी गद्य का शैसव काल है। भारतेंदु, आधुनिक काल के जन्मदाता हैं। उनके युग को 'भारतेंदु युग' के नाम से संबोधित किया जाता है। निबंध साहित्य का प्रारंभ भारतेंदु हरिश्चंद्र के समय से होता है। उस समय की पत्र-पत्रिकाओं में निबंध का प्रारंभिक रूप देखा जा सकता है। इस युग में अधिकांश निबंध छोटे-छोटे लिखे गए हैं। जैसे- आँख, भौंह, बातचीत आदि। समाज-सुधार और देश-भक्ति का भाव इस समय के निबंधों की प्रधान विशेषता रही है। भारतेंदु युगीन निबंधों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- भारतेंदु युग की प्रमुख निबंधकार एवं उनकी रचनाएँ निम्न लिखित हैं- इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। द्विवेदी युग- इस युग के सबसे प्रभावशाली लेखक और संपादक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हैं। द्विवेदी जी ने 'सरस्वती पत्रिका' के संपादन का भार संभाला। आचार्य द्विवेदी ने दो प्रकार के निबंध लिखे- मनोरंजक और विचारात्मक। द्विवेदी युगीन निबंधों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- द्विवेदी युग के प्रमुख निबंधकार एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं- शुक्ल युग- रामचंद्र शुक्ल इस युग के प्रवर्तक माने जाते हैं। इन्होंने दो प्रकार के निबंध लिखे हैं- भाव एवं मनोविकारों से संबंधित और आलोचनात्मक। यह काल निबंध का 'स्वर्ण काल' कहलाता है। शुक्ल युग के निबंधों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- शुक्ल युग के प्रमुख निबंधकार एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं- शुक्लोत्तर युग- वर्तमान युग निबंध के विकास की चरम सीमा का युग है। इस युग में विषय वैविध्य अपेक्षाकृत अधिक दृष्टिगत होता है। इस युग के निबंध लेखक की अपनी निजी विशेषताएँ हैं। शुक्लोत्तर युग के निबंधों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- शुक्लोत्तर युग के प्रमुख निबंधकार एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं- ललित निबंध- ललित निबंध आत्म अभिव्यंजक, सांस्कृतिक, पारंपरिक और लोक-विश्रुत तथ्यों और तर्कों को आत्मसात किए हुए होते हैं। अनिवार्यतः उनमें कथा का चुटीलापन, अनौपचारिक संवादों का टकापन और माटी का सोंधा बघार होता है, जो निबंधकार को सांस्कृतिक पुरुष की संज्ञा दिलाने में समर्थ है। ललित निबंध मानव मूल्यों की गाथा को गूथँने का संकल्प, परंपरा और प्रगति के साथ करता है। ललित निबंध में पद्य जैसा प्रवाह और भावात्मकता होती है। प्रमुख ललित निबंधकार- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, कुबेर नाथ राय, विद्यानिवास मिश्र, डॉ. रघुवीर सिंह, रामनारायण उपाध्याय आदि। प्रमुख व्यंग्य निबंधकार- हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, ज्ञान चतुर्वेदी, रविंद्रनाथ त्यागी आदि। नाटक- नाटक दृश्य काव्य (साहित्य) के अंतर्गत आता है, क्योंकि उसका प्रदर्शन रंगमंच पर ही हो सकता है जिसे देखकर दर्शक
संपूर्णतः आनंद उठा सकते हैं। अतः नाटक एक ऐसा साहित्य रूप है जिसमें रंगमंच पर पात्रों के द्वारा किसी कथा का प्रदर्शन होता है। नाटक एक ऐसी अभिनय परक विधा है, जिसमें संपूर्ण मानव जीवन का रोचक एवं कुतूहल पूर्ण वर्णन होता है। नाटक के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं- टीप- 'जयशंकर प्रसाद' को 'नाटक सम्राट' कहा जाता है। हिंदी साहित्य के प्रमुख नाटककार एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं- एकांकी- एकांकी विधा वह दृश्य विधा है जो एक अंक पर आधारित होती है। एकांकी एक अंक का नाटक होता है। एकांकी में जीवन का खंडग्रस्य अंकित किया जाता है, जो अपने आप में पूर्ण होता है। एकांकीकार अपनी रचना द्वारा एक ही उद्देश्य को प्रतिपादित करता है। एकांकी के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं- एकांकी के प्रकार निम्नलिखित हैं- विषय की दृष्टि से एकांकी के निम्नलिखित प्रकार हैं- टीप- हिंदी की प्रथम एकांकी 'एक घूँट' है। इसकी रचना सन् 1930 में 'जयशंकर प्रसाद' ने की थी। हिंदी साहित्य के प्रमुख एकांकीकार एवं उनकी रचनाएँ निम्न लिखित हैं- नाटक और एकांकी में अंतर निम्नलिखित है- उपन्यास- उपन्यास शब्द का अर्थ है सामने रखना। उपन्यास एक ऐसी विस्तृत कथा होती है जो अपने भीतर अन्य गौण कथाओं को समेटे रहती है। उपन्यास वह वस्तु या कृति है जिसे पढ़कर पाठक को ऐसा लगे कि यह उसी की है, उसी के जीवन की कथा, उसी की भाषा में कही गई है। अतः उपन्यास मानव जीवन की काल्पनिक कथा है। उपन्यास के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं- टीप- 'मुंशी प्रेमचंद' के 'उपन्यास सम्राट' कहा जाता है। उपन्यास के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं- हिंदी साहित्य के प्रमुख उपन्यासकार एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं- हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। कहानी- कहानी वह कथात्मक लघु गद्य रचना है जिसमें जीवन की किसी एक स्थिति का सरस सजीव चित्रण होता है। कहानी वास्तविक जीवन की वह काल्पनिक कथा है जो छोटी-सी होते हुए भी स्वतः पूर्ण एवं सुसंगठित होती
है। कहानी के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं- कहानी की प्रमुख चार शैलियाँ निम्नलिखित हैं- कहानी के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं- टीप- 1. 'मुंशी प्रेमचंद' को 'कहानी सम्राट' कहा जाता है। हिंदी साहित्य के प्रमुख कहानीकार एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं- उपन्यास एवं कहानी में अंतर निम्नलिखित है- इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। आशा है, यह लेख प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण होगा। I hope the above information will be useful and important. Watch related information below हिन्दी गद्य की सर्वाधिक प्रसिद्ध विधा कौन सी है?हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएँ हैं-निबन्ध, नाटक, उपन्यास, कहानी तथा आलोचना।
हिंदी गद्य की प्रमुख विधाएं कौन कौन से हैं?गद्य की प्रमुख विधाएं || निबन्ध, नाटक,एकांकी, संस्मरण, रेखाचित्र, आत्मकथा, रिपोतार्ज ,जीवनी,आलोचना - YouTube.
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