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न्दी भाषा ने अपना विकास ही अनेक भाषाओं और बोलियों के शब्दों को बड़े पैमाने पर अपनाने के साथ किया है। शब्दों का विस्तार भाषा को ताकतवर और लंबे समय तक जीने के साथ ही लोकप्रिय भी बनाता है। हिन्दी में उत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों के चार भेद किए गए हैं। ये भेद तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशज कहलाते हैंन्दी भाषा ने अपना विकास ही अनेक भाषाओं और बोलियों के शब्दों को बड़े पैमाने पर अपनाने के साथ किया है। शब्दों का विस्तार भाषा को ताकतवर और लंबे समय तक जीने के साथ ही लोकप्रिय भी बनाता है। हिन्दी में उत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों के चार भेद किए गए हैं। ये भेद तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशज कहलाते हैंअधिक पढ़ें ...
न्दी भाषा ने अपना विकास ही अनेक भाषाओं और बोलियों के शब्दों को बड़े पैमाने पर अपनाने के साथ किया है। शब्दों का विस्तार भाषा को ताकतवर और लंबे समय तक जीने के साथ ही लोकप्रिय भी बनाता है। हिन्दी में उत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों के चार भेद किए गए हैं। ये भेद तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशज कहलाते हैं। विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में इस्तेमाल किए जाने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। अंग्रेजी, उर्दू, अरबी फारसी के ऐसे कई शब्द हिंदी में आए और रम गए हैं। हम ऐसे ही रोजाना के बोलचाल में शामिल हो गए कुछ शब्दों की चर्चा करेंगे। अंग्रेजी- आमतौर पर अंग्रेजी दुनियाभर में बोली और समझी जाने वाली भाषा है। भारत पर ब्रिटिश शासन के दौरान यहां आम बोलचाल में अनेकों अंग्रेजी शब्द रच-बस गए हैं। कुछ शब्द तो ऐसे घुलमिल गए हैं कि उनकी हिन्दी खोजनी मुश्किल लगने लगती है। ऐसे कुछ बहुत मशहूर शब्द हैं- कॉलेज - महाविद्यालय, 12वीं के बाद अकादमिक पढ़ाई करने की जगह। पेंसिल - कागज पर लिखने और चित्रकारी के लिए इस्तेमाल होने वाला स्टेशनरी का सामान। रेडियो - आकाशवाणी, मनोरंजन और ज्ञान बढ़ाने का श्रव्य माध्यम । टेलीविजन – हर घर में मनोरंजन और जानकारी के लिए इस्तेमाल होने वाला तकनीकी यंत्र, दूरदर्शन, दृश्य माध्यम। डॉक्टर - चिकित्सक, वैद्य, इलाज करने के लिए अधिकृत पेशेवर। टिकट - पहचान चिन्ह, पत्राचार, रेल या बस से यात्रा, चुनाव के दौरान उम्मीदवारों और सिनेमा के लिए इस्तेमाल होने वाला चिन्ह। मशीन - यंत्र, तकनीकी जानकारी और काम को आसान करने के लिए इस्तेमाल करने की चीज। सिगरेट – धुम्रपान के लिए इस्तेमाल आनेवाली निकोटीन से भरी कागज की नली। साइकिल – ईंधन की जरूरत के बिना यात्रा के दौरान काम आने वाला दो पहिए का वाहन। स्टेशन – रेलगाड़ियों के रुकने और यात्रियों की आवाजाही के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करने की जगह, पड़ाव। फारसी – जानकर हैरत होगी कि हमारी भाषा का नाम ‘हिन्दी’ भी फारसी का शब्द माना जाता है। भारत में मध्यकाल से शुरू होकर अंग्रेजों के समय तक इस भाषा के प्रयोग लगातार बढ़ते गए। सांस्थानिक तौर पर कभी काफी असरदार रही इस भाषा के कई शब्द हिन्दी के होकर रह गए हैं। इन शब्दों में से कुछ हैं- अनार- एक रसदार फल का नाम, बच्चे वर्णमाला सीखते हुए आमतौर पर सबसे पहले ‘अ’ से अनार ही पढ़ते हैं। चश्मा – आंखों पर पहना जानेवाला एक उपकरण, चश्मों से कौन वाकिफ नहीं होगा। जमींदार- बड़े भू-भाग का मालिक, कई मामलों में निर्दयी की तरह पेश किया गया चरित्र। हालांकि भारत में जमींदारी प्रथा कानूनी तौर पर खत्म कर दी गई है। दुकान – सामान खरीदने की जगह, हर दिन इस्तेमाल में आनेवाला शब्द है। नमक - खाने का स्वाद इसके बिना फीका ही रहता है। नमूना - उदाहरण, मॉडल। बीमार - अस्वस्थ, शायद ही कोई ऐसा होगा जो कभी बीमार न पड़ा हो। रूमाल - जेब में रखा जाने वाला कपड़े का व्यवस्थित टुकड़ा,सभ्य लोगों के कपड़ों का अनिवार्य हिस्सा है। आदमी - मनुष्य, मानव, इंसान, लोग। गंदगी – आसपास यूं ही दिख जाने वाली गैर जरूरी चीज। अरबी - अरबी भाषा सामी ( सैमेटिक) परिवार की एक भाषा है। ये हिन्द-युरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहाँ तक कि फारसी से भी। ये इब्रानी भाषा से सम्बन्धित है। अरबी को इस्लाम मजबह कीभाषा है। इसी भाषा में क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है। देश में इस्लाम के आगमन के साथ ही अरबी भाषा की रवायत भी शुरू हो गई थी। लंबे समय तक लोगों के बीच रहने से इसके अनेकों शब्दों हल्के बदलाव के साथ हिन्दी भाषा में शामिल हो गई। ऐसे रोजाना इस्तेमाल होनेवाले कुछ चुनिंदे शब्द हैं- औलाद- संतान, बच्चे। अमीर – अधिक पैसे वाला, धनी। कत्ल - हत्या, खून। कलम – लिखने के काम आने वाला सामान, लेखनी। कानून- शासन के नियम, लॉ, संविधान। रिश्वत- घूस, नजराना, काम निकलवाने के लिए दी जाने वाली गैरजरूरी रकम, भ्रष्टाचार का हिस्सा। औरत- महिला। कैदी- जबरदस्ती बंद कर रखा गया आरोपी या दोषी। मालिक – स्वामी, प्रभू। गरीब – निर्धन, जिसके पास पैसे नहीं हो, आर्थिक तौर पर कमजोर। उर्दू - उर्दू भाषा को कई लोग हिन्दी का एक रूप मानते हैं। उनके अनुसार यह हिन्दी का वो रूप है जिसमें अरबी और फ़ारसी के शब्द बहुत अधिक हैं और फ़ारसी-अरबी लिपि में लिखी जाती है। इसमें संस्कृत के तत्सम शब्द कम हैं। ये मुख्यतः (दक्षिण एशिया के) मुसलमानों द्वारा बोली जाती है। उर्दू अधिकांशतः नस्तालीक लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है। उर्दू दाएं से बाएं लिखी जाती है। भारत में उर्दू देवनागरी में भी लिखी जाती है। इस भाषा के हजारों से भी अधिक शब्द हिन्दी में घुलमिलकर इसकी खूबसूरती बढ़ा रहे हैं। रोज काम आने वाले ऐसे कुछ शब्द हैं- अख़बार - समाचार, समाचारपत्र, वृत्तपत्र, वर्तमान पत्र, सामयिक पत्र। आवाज़ - शोर, ध्वनि, चीख, पुकार, घोष, कोलाहल। आराम - विश्राम, सुख, चैन, सुगमता अन्दर- भीतर, अन्दर। अफ़सोस- शोक, पछतावा, उदासी, दुःख, पीडा, पश्चात्ताप। आदत - रीति, आचरण, प्रयोग, प्रवृति, अभ्यास। इन्क़लाब- क्रान्ति। इमारत - भवन, निर्माण, सदन। ग़जल - कविता। जवान - युवा, किशोर।undefined ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| FIRST PUBLISHED : September 12, 2014, 11:11 IST विदेशी भाषाओं से हिंदी में आए शब्दों को क्या कहते हैं?जो भाषा अन्य देश में बोली/समझी जाती है उसे विदेशी भाषा (foreign language) कहते हैं। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि जो भाषा स्वदेश में नहीं बोली जाती वह विदेशी भाषा है, जैसे रूसी भारत के लिये एक विदेशी भाषा है।
विदेशी शब्द कौन सा है?अरबी, फारसी, अंग्रजी या अन्य किसी भी दुसरे देश की भाषा के शब्द जिनका हिन्दी भाषा में प्रयोग कर लिया जाता है उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं। जैसे -इरादा, इशारा, हलवाई, दीदार, चश्मा, डॉक्टर, हॉस्पीटल, इलाज, बम।
देशज और विदेशी शब्द क्या होते हैं?जोश, तरकश, अफ़सोस, सौदागर, हफ्ता, हजार, आराम, आवारा, आमदनी, आवाज, आफत, आईना, बेहूदा, बीमार, बेरहम, मादा, माशा, मलाई, मुर्दा, कुश्ती, मुफ्त, मीना, मुर्गा, मरहम, दस्तूर, दुकान, उम्मीद, सरकार, शादी, मलीदा, पैदावार, किनारा, चश्मा, आबरू…
विदेशी शब्दों से क्या आशय है?विदेशी शब्द: – वे शब्द जो अन्य देश की भाषा से हिंदी में आए है, जैसे:- अरबी, फारसी, पुर्तगाली, तुर्की, फैंच, डच आदि भाषाओं से हिंदी में आए है।
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