हनुमान जी कौन से पर्वत को उठा कर लाए थे? - hanumaan jee kaun se parvat ko utha kar lae the?

दुनियाभर में आज भी कई ऐसे स्थान है जिनका रहस्य अभी भी बरकरार है जैसे हिमालय की गुफाएं तो तिब्बत की कंदराएं और श्रीलंका के रानागिल में रखा रावण का शव तो मिस्र के ताबूत।उक्त सभी का रहस्य अभी तक अनसुलझा है वहीं अब एक नए पहाड़ की चर्चा चल पड़ी है। जी हां यह उसी पहाड़ का टुकड़ा है जहां से लक्ष्मण के लिए हनुमानजी संजीवनी लाए थे।

रामेश्वरम् गंधमादन पर्वत जो की कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है, वहां आज भी ‘हनुमान जी’ निवास करते हैं।

मान्यताओं अनुसार कैलाश पर्वत से उत्तर दिशा की ओर एक जगह है, जहां हनुमान जी आज भी निवास करते हैं। हनुमान जी के इस निवास स्थल का वर्णन कई ग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है। हनुमान जी को मां सीता से अमरता का वरदान प्राप्त हुआ था। जब वे श्रीराम का संदेश लेकर माता सीता के पास पहुंचे थे, तब मां सीता ने उन्हें अमर होने का यह वर दिया था।

पुराणों के अनुसार, कलियुग में हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। एक कथा के अनुसार, अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंचें, तब उन्होंने हनुमान जी को वहां आराम करते देखा तो भीम ने उनसे अपनी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहा तो हनुमान जी ने कहा कि तुम स्वयं ही हटा लो लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूंछ हटा नहीं पाया था।

शास्त्रों में बताया गया है कि गंधमादन पर्वत कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है, जहां महर्षि कश्यप ने तपस्या की थी। इस पर्वत पर गंधर्व, किन्नरों, अप्सराओं और सिद्घ ऋषियों का निवास है। इसके शिखर पर किसी वाहन से पहुंचना असंभव माना जाता है।

गंधमादन पर्वत हिमालय के कैलाश पर्वत से उत्तर दिशा की ओर है। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। इसी नाम से एक और पर्वत रामेश्वरम के पास भी स्थित है, जहां से हनुमान जी ने समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई थी।

गंधमादन पर्वत पर एक मंदिर भी बना हुआ है, जिसमें हनुमान जी के साथ ही श्रीराम आदि की मूर्तियां भी विराजित हैं। कहते हैं इस पर्वत पर भगवान श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ बैठ कर युद्ध के लिए योजना बनाया करते थे। लोक मान्यताओं अनुसार इस पर्वत पर भगवान राम के पैरों के निशान भी हैं

श्रीलंका में रामायण के तथ्यों को इकठ्ठा करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है जिसके द्वारा हुए अनुसंधानों के अनुसार श्रीलंका की उत्तर दिशा में ऐसे निशान मिले हैं जिन्हें हनुमान के प्रवेश के निशान माना जाता है। रिसर्च कमेटी के अनुसार जहां भगवान राम और रावण का युद्ध हुआ था, उस स्थान पर भी रिसर्च की गई है। आज उस युद्ध स्थान को युद्धघगवाना के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने रावण का इसी स्थान पर वध किया था। ऐसा माना जाता है कि रावण माता सीता का हरण करके जब लंका लाया था तब माता को अशोक वाटिका में रखा था। इस स्थान को सेता एलीया के नाम से जाना जाता है। ये श्रीलंका के नूवरा एलिया के पास है।

इसी तरह रामायण की मान्यता अनुसार माना जाता है कि लक्ष्मण के प्राण वापस लाने के लिए हनुमान हिमालय से संजीवनी पर्वत को ही उठा लाए थे। इसके बाद वैद्य ने संजीवनी निकालकर लक्ष्मण को दी थी। माना जाता है कि संजीवनी पर्वत आज भी श्री लंका में मौजूद है। माना जाता है कि इस विशाल पर्वत के हनुमान ने टुकड़े करके इस क्षेत्र में डाल दिया था। माना जाता है कि हनुमान संजीवनी पर्वत उठाकर श्रीलंका लाए तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा था। रीतिगाला की खास बात ये है कि यहां जो भी पौधे उगते हैं वो आस-पास के पेड़-पौधों से बिल्कुल भी नहीं मिलते हैं। श्रीलंका के शहर नुवारा एलिया से 10 कि.मी दूर हाकागाला गार्डन में संजीवनी पर्वत का एक बड़ा हिस्सा गिरा था। इस जगह के पेड़-पौधे भी आस-पास से बिल्कुल अलग हैं। इस पर्वत को रुमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। श्रीलंका की सुंदर और रमणीय बीच इसी पर्वत के पास है।

श्रीलंका के दक्षिण समुद्री किनारे पर ऐसी जगह हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वो हनुमान के लाए पहाड़ के हिस्से हैं। माना जाता है कि जहां इस पहाड़ के हिस्से गिरे उस जगह का वातावरण बदल गया और वो आस-पास की जगहों से बिल्कुल अलग दिखते हैं। रामायण के अनुसार मान्यता है कि संजीवनी बूटी द्वारा भगवान राम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी। इसके बाद हनुमान जी को पर्वत को वापस हिमालय ले जाने के लिए कहा गया था। उसी दौरान रावण और भगवान राम में युद्ध हो रहा था, इन्हीं कारणों से हनुमान संजीवनी पर्वत के हिस्से को वापस हिमालय नहीं रखकर आ सके थे। इसके साथ माना जाता है कि कर्नाटक के दक्षिण-कन्नड़ के पश्चिमी घाट पर संजीवनी पर्वत का ये हिस्सा अभी भी मौजूद है।

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नमस्कार दोस्तों लाइफ स्टोरीज (BVM World ) में आपका स्वागत है।  तो दोस्तों आज का टॉपिक है वो बहुत ही अच्छा रहने वाला है।  आज के टॉपिक को पढ़ने के बाद आप बहुत कुछ अच्छी जानकारी प्राप्त करेंगे। 


हनुमान जी कौन से पर्वत को उठा कर लाए थे? - hanumaan jee kaun se parvat ko utha kar lae the?


तो दोस्तों आज का टॉपिक है  हनुमान जी ने कोनसा पर्वत उठाया था ?  क्या आप जानते है अगर हाँ तो आप हमें कमेंट कर के जरूर बता सकते है। और नहीं जानते तो आइये जानते है-

हनुमान जी ने कोनसा पर्वत उठाया था ? 

श्रीलंका में रामायण के तथ्यों को इकट्ठा करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है जिसके द्वारा हुए अनुसंधानों के अनुसार श्रीलंका की उतर दिशा में ऐसे निशान मिले है जिन्हे हनुमान जी के निशान माना जाता है। रिसर्च कमेटी के अनुसार जहां भगवान राम और रावण का युद्ध हुआ था, उस स्थान पर भी रिसर्च की गई है। 

आज उस युद्ध स्थान को युदधघगवाना के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने रावण का इसी स्थान पर वध किया था। ऐसा माना जाता है की रावण माता सीता का हरण करके जब लंका लाया था तब माता को अशोक वाटिका ने रखा था। 


हनुमान जी कौन से पर्वत को उठा कर लाए थे? - hanumaan jee kaun se parvat ko utha kar lae the?


इस स्थान को सेता एलिया के नाम से जाना जाता है। ये श्रीलंका के नुवरा एलिया के पास है। 

इसी तरह रामायण की मान्यता अनुसार माना जाता है की लक्ष्मण के प्राण वापस लाने के लिए हनुमान जी ने हिमालय से संजीवनी पर्वत को ही उठा लाए थे। इसके बाद वैध ने संजीवनी निकालकर लक्ष्मण को दी थी।  

माना जाता है की संजीवनी पर्वत आज भी श्रीलंका में मौजूद है। और भी माना जाता है की इस विशाल पर्वत  हनुमान जी ने टुकड़े करके इस क्षेत्र में डाल दिया था। 

माना जाता है की हनुमान जी संजीवनी पर्वत उठाकर श्रीलंका लाए तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा था। रीतिगाला में गिरा था। रीतिगाला की खास बात ये की यहाँ जो भी पौधे उगते है वो आस-पास के पेड़ -पौधो से बिलकुल भी नहीं मिलते है।


हनुमान जी कौन से पर्वत को उठा कर लाए थे? - hanumaan jee kaun se parvat ko utha kar lae the?



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हनुमान जी ने कौन सा पहाड़ उठाया था?

इतना ही नहीं हनुमान जी ने द्रोणागिरी पर्वत ले जाते समय पहाड़ देवता की दाईं भुजा भी उखाड़ दी थी। रामायण में संजीवनी बूटी द्वारा लक्ष्मण के प्राण बचाने के प्रसंग को हम सभी बखबूी जानते हैं। हनुमान लंका से संजीवनी लेने के लिए हिमालय पर्वत पर आए थे और यहीं से वो संजीवनी बूटी नहीं बल्कि पूरा पहाड़ ही उठाकर ले गए थे।

संजीवनी बूटी वाले पर्वत का नाम क्या है?

इस गांव में द्रोणागिरी पर्वत है। इस पर्वत का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। मान्यता है कि श्रीराम-रावण युद्ध में मेघनाद के दिव्यास्त्र से लक्ष्मण मुर्छित हो गए थे। तब हनुमानजी द्रोणागिरी पर्वत संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे।

हनुमान जी ने संजीवनी के लिए कौन सा पर्वत उठाया था?

हनुमान जी जिस पर्वत को उठाकर ले आए थे, वो आज भी चर्चित है। श्रीलंका में इस पर्वत को रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पाई जाती है। इसी के साथ श्री लंका में दक्षिणी समुद्री किनारे पर कई स्थानों पर हनुमान जी द्वारा लाए गए पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं।

हनुमान जी ने औषधियों का कौनसा पर्वत उठाकर लाया था?

कहा जाता है कि जब हनुमान जी यहां पहुंचे तो गांव में उन्हें एक वृद्धा दिखाई दी। उन्होंने पूछा कि संजीवनी बूटी किस पर्वत पर होगी। वृद्धा ने द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा कर दिया। हनुमान जी पर्वत पर गए लेकिन संजीवनी बूटी की पहचान नहीं कर पाए और पर्वत के काफी बड़े हिस्से को तोड़कर ले गए।