गंदगी से होने वाली बीमारियों के नाम - gandagee se hone vaalee beemaariyon ke naam

गंदगी का संप्रति देश में एकाधिकार है। गंदगी से पूरा देश बेजार है। नई-नई बीमारियां पांव पसार रही हैं। उनके इलाज पर सरकार हर साल करोड़ों-अरबों रुपये खर्च कर रही है। सभी जानते हैं कि गंदगी कई बीमारियों की जड़ है। इसके बाद भी गंदगी फैलाने में कोई किसी से कम नहीं है। गंदगी के चलते वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण की समस्या बनी हुई है। इसका सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। दमा,एलर्जी, जुकाम, खांसी के मरीज बढ़ रहे हैं। बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू के मामलों में भी इजाफा हो रहा है। डेंगू और मलेरिया के मामले तो बढ़ ही रहे हैं। अब सवाल उठता है कि यह गंदगी कौन फैला रहा है। जवाब है हम और आप। पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम ने देश के नाम अपने एक संदेश में कहा है कि जब तक हम अपने घर की गंदगी निकालकर सड़क पर फेंकते रहेंगे, जब तक हम कुत्ते को सुबह-शाम भ्रमण के दौरान सड़कों पर और पार्कों में शौचादि कराते रहेंगे, तब तक तो गंदगी हटने से रही। हाल के वर्षों में कुछ बांग्लादेशी नागरिकों ने सफाई का काम अपने मत्थे ले लिया है। वे अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर-घर से कूड़ा-कचरा एकत्र करते हैं। गलियों और सड़कों पर झाड़ू लगाते हैं और इसके एवज में 50-60 रुपये हर घर से प्राप्त करते हैं। कुल मिलाकर वे गलियों और सड़कों पर, लोगों के घरों में गंदगी रहने नहीं देते लेकिन यह सब नगर निगम और नगर पालिका को रास नहीं आ पा रहा है। नगर निगम में बड़े बड़े कचरा वाहन आ गए हैं, लेकिन ये भी कूड़ा कचरा वहीं डाल रहे हैं जहां बांग्लादेशी कचरा डाला करते थे। सड़कों पर झाड़ू लगाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। शहर के बाहरी इलाके में और अधिकांश जगहों पर शहर के बीचोंबीच डाला जाने वाला कूड़ा-कचरा लोगों के पैदल या वाहन से आने-जाने में परेशानी का सबब बना हुआ है। गोमतीनगर थाना क्षेत्र में डेंगू का लार्वा पाए जाने के लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी ने लखनऊ विकास प्राधिकरण, चीनी निगम और नौ अन्य संस्थानों को डेंगू फैलाने के मामले में नोटिस भेजा है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में सौ-डेेढ़ सौ डेंगू पीड़ित मिल चुके हैं और उनका लखनऊ के चिकित्सालयों में इलाज भी हो रहा है। अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की बढ़ती तादात भी बेहद विस्मयकारी है। उनके लिए अलग से बेड की व्यवस्था तक कर पाना मुश्किल हो रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंदगी की वजह से प्रदेश की छवि खराब होने की बात की है। उन्होंने प्रदेश से गंदगी हटाने और उत्तर प्रदेश की छवि बदलने की राय भी जाहिर की है लेकिन लगता है कि उनकी यह बात नगर निगम और नगर महापलिकाओं के अधिकारियों को रास नहीं आई है। शहर में जगह-जगह फैली गंदगी और चोक नाली-नाले इसके प्रमाण हैं। हालात यह है कि गंदगी को लेकर पूरा देश परेशान है। जरा सी बरसात में नाली-नाले चोक हो जाते हैं और सड़कों पर पानी भर जाता है। घंटों पानी भरा रहता है जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। गाय-भैंस, सुअर आदि सड़कों पर खुलेआम घूमते रहते हैं। कूड़े-कचरों के निस्तारण की सम्यक व्यवस्था न होने की वजह से शहर के कई इलाकों में लोगों का रहना तक मुश्किल हो गया है। नागरिकों की शिकायत के बाद भी उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नाले में गिरकर तीन बच्चों की हाल के दिनों में ही मौत हो गई है। इसे लेकर नगर निगम के अधिकारियों को प्रबल जन विरोध का भी सामना करना पड़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक गंदगी की बढ़ती चुनौती पर अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। ये दोनों नेता कई बार झाड़ू लेकर सड़कों पर भी उतर चुके हैं। इसके बाद भी नगर निगम और नगर महापलिकाओं की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ा। देश की राजधानी दिल्ली में यत्र-तत्र गंदगी के दीदार कर लेना आम बात है। यही हाल मुंबई, लखनऊ, भोपाल, पटना, कोलकाता और चेन्नई का भी है। वाराणसी, इलाहाबाद, आगरा, मथुरा,जबलपुर, सतना, मंडला, भभुआ, गया, सासाराम जैसे शहरों के हाल तो और भी खराब है। औद्योगिक शहरों गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव आदि में गंदगी के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में कई बूचड़खानों के बंद होने से बहुत हद तक नदियों के जल का प्रदूषण थोड़ा कम हुआ है लेकिन स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है।

गंदगी के कारण कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं। बच्चों में बढ़ी एनीमिया की बीमारी का बड़ा कारण भी गंदगी है। इसकी वजह से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि गंदगी पर काबू पा लिया जाए तो कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। मौजूदा समय में मच्छरों से होने वाली बीमारी डेंगू व मलेरिया ज्यादा घातक साबित हो रहे हैं। डेंगू से हर साल सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं। इसका कारण भी साफ-सफाई की कमी है। मलेरिया के मच्छर गंदगी के कारण पनपते हैं। इसके अलावा गंदगी से हैजा, कालरा, निमोनिया, पीलिया, हेपेटाइटिस आदि बीमारियां होती हैं।

जल अस्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है। इसलिए इसका शुद्ध साफ होना हमारी सेहत के लिए जरूरी है। शुद्ध और साफ जल का मतलब है वह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक अशुद्धियों और रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं से मुक्त होना चाहिए, वरना यह हमारे पीने के काम नहीं आ सकता है। रोगाणुओं, जहरीले पदार्थों एवं अनावश्यक मात्रा में लवणों से युक्त पानी अनेक रोगों को जन्म देता है। विश्व भर में 80 फीसदी से अधिक बीमारियों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रदूषित पानी का ही हाथ होता है। प्रति घंटे 1000 बच्चों की मृत्यु मात्र अतिसार के कारण हो जाती है जो प्रदूषित जल के कारण होता है।

'याज्ञवल्क्य संहिता' ने जीवाणुयुक्त गंदले, फेनिल, दुर्गन्धयुक्त, खारे, हवा के बुलबुले उठ रहे जल से स्नान के लिए भी निषेध किया है। लेकिन आज की स्थिति बड़ी चिन्ताजनक है। शहरों में बढ़ती हुई आबादी के द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले मल- मूत्र, कूड़े -करकट को पाइप लाइन अथवा नालों के जरिए प्रवाहित करके नदियों एवं अन्य सतही जल को प्रदूषित किया जा रहा है। इसी प्रकार विकास के नाम पर कल- कारखानों, छोटे-बड़े उद्योगों द्वारा भी निकले बहिःस्रावों द्वारा सतही जल प्रदूषित हो रहे हैं। जहां भूमिगत एवं पक्के सीवर/नालों की व्यवस्था नहीं है। यदि है भी तो टूटे एवं दरार युक्त हैं अथवा जहां ये मल-कचरे युक्त जल भूमिगत जल में या किसी नीची भूमि पर प्रवाहित कर दिए जाते हैं। वहां ये दूषित जल रिस-रिसकर भूगर्भ जल को भी प्रदूषित कर रहे हैं। कैसी विडम्बना है कि हम ऐसे महत्वपूर्ण जीवनदायी जल को प्रगति एवं विकास की अंधी दौड़ में रोगकारक बना रहे हैं। जब एक निश्चित मात्रा के ऊपर इनमें रोग संवाहक तत्व, विषैली रसायन, सूक्ष्म जीवाणु या किसी प्रकार की गन्दगी आ जाती है तो ऐसा जल हानिकारक हो जाता है। इस प्रकार के जल का उपयोग सजीव प्राणी करते हैं तो जलजनित घातक रोगों के शिकार हो जाते हैं। दूषित जल के माध्यम से मानव स्वास्थ्य को सर्वाधिक हानि पहुंचाने वाले कारक रोगजनक सूक्ष्म जीव हैं। इनके आधार पर दूषित जल- जनक रोगों को निम्न प्रमुख वर्गों में बांटा जा सकता है।

रोग उत्पन्न करने वाले जीवों के अतिरिक्त अनेकों प्रकार के विषैले तत्व भी पानी के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचकर स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इन विषैले तत्वों में प्रमुख हैं कैडमियम, लेड, भरकरी, निकल, सिल्वर, आर्सेनिक आदि। जल में लोहा, मैंगनीज, कैल्सियम, बेरियम, क्रोमियम कापर, सीलियम, यूनेनियम, बोरान, तथा अन्य लवणों जैसे नाइट्रेट, सल्फेट, बोरेट, कार्बोनेट, आदि की अधिकता से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जल में मैग्नीशियम व सल्फेट की अधिकता से आंतों में जलन पैदा होती है। नाइट्रेट की अधिकता से बच्चों में मेटाहीमोग्लाबिनेमिया नामक बीमारी हो जाती है तथा आंतों में पहुंचकर नाइट्रोसोएमीन में बदलकर पेट का कैंसर उत्पन्न कर देता है। फ्लोरीन की अधिकता से फ्लोरोसिस नामक बीमारी हो जाती है। इसी प्रकार कृषि क्षेत्र में प्रयोग की जाने वाली कीटनाशी दवाइयों एवं उर्वरकों के विषैले अंश जल स्रोतों में पहुंचकर स्वास्थ्य की समस्या को भयावह बना देते हैं। प्रदूषित गैसे कार्बन डाइआक्साइड तथा सल्फर डाइआक्साइड जल में घुसकर जलस्रोत को अम्लीय बना देते हैं। अनुमान है कि बढ़ती हुई जनसंख्या एवं लापरवाही से जहां एक ओर प्रदूषण बढ़ेगा, वहीं ऊर्जा की मांग एवं खपत के अनुसार यह भी मंहगा हो जाएगा। इसका पेयजल योजनाओं पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। ऊर्जा की पूर्ति हेतु जहां एक ओर विशाल बांध बनाकर पनबिजली योजनाओं से लाभ मिलेगा वहीं इसका प्रभाव स्वच्छ जल एवं तटीय पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ेगा जिसके कारण अनेक क्षेत्रों के जलमग्न होने व बड़ी आबादी के स्थानान्तरण के साथ सिस्टोमायसिस तथा मलेरिया आदि रोगों में वृद्धि होगी। जल प्रदूषण की मात्रा तो दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। गंदगी जनित बीमारियो के इलाज पर करोड़ों-अरबों रुपये खर्च करने से अच्छा तो यह है कि बीमारी की जड़ पर ही प्रहार किया जाए लेकिन यह तभी संभव है जब इस देश का हर नागरिक गंदगी मिटाने का संकल्प ले और कोई भी ऐसा काम न करे जो गंदगी बढ़ाने में सहायक हो।

-सियाराम पांडेय 'शांत'

गंदगी से कौन कौन सी बीमारी होती है?

जलभराव, कीचड़, गंदगी आदि से मलेरिया, वायरल आदि रोग फैल रहे हैं। अधिकांश घरों में कोई न कोई सदस्य बीमार पड़ा हुआ है। अधिकांश स्थानों पर सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। संक्रामक बीमारियों से जूझते लोगों को अस्पताल से भी राहत नहीं मिल रही है।

गंदगी ही सारी बीमारियों की जड़ है कैसे?

सीडीएस अरपिंदर कौर ने स्टूडेंट्स को अपने आस-पास साफ रखने संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि गंदगी हर बीमारी जड़ है, इसलिए हमें सफाई रखनी चाहिए। खुले में शौच जाने के लिए अनेकों बीमारियां फैलती हैं, इसलिए केवल शौचालय का ही प्रयोग करना चाहिए। पानी हमेशा ही साफ और शुद्ध पीना चाहिए।

गंदगी कैसे फैलता है?

पानी के साथ जमा गंदगी से बदबू फैले इसको लेकर गंदगी भी हटाई जा रही है और इस काम के लिए अतिरिक्त सफाई मुलाजिम भी लगाए गए हैं। इसके अलावा जिन जगहों पर गंदगी फैलती है उन जगहों पर डीडीटी का छिड़काव भी किया जा रहा है ताकि गंदगी से बदबू पैदा हो और लोग बीमारियों से बचे रहें।

बारिश के मौसम में कौन सी बीमारियां फैलती है?

कोल्ड और फ्लू- बरसात के मौसम में वातावरण में कई बैक्टीरिया और वायरस जिंदा रहते हैं. जो नाक, मुंह या आंखों के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर को बीमार कर देते हैं. इसके कारण सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.