Show
गॉटफ्रीद को राष्ट्रवाद की अवधारणा का जनक माना जाता है। वही मूल जर्मन रोमान्टिक राष्ट्रवाद का भी संस्थापक है। सन १८४८ में फिलिप वीट द्वारा जर्मेनिया का चित्रण जर्मन राष्ट्रवाद यह विचार है कि जर्मन एक राष्ट्र हैं। जर्मन राष्ट्रवाद, जर्मनों और जर्मन बोलने वालों की एकता को एक राष्ट्र राज्य के रूप में बढ़ावा देता है, और जर्मनों की राष्ट्रीय पहचान पर जोर देता है और उस पर गर्व करता है। जर्मन राष्ट्रवाद की उत्पत्ति नेपोलियन युद्धों के दौरान 'रोमांटिक राष्ट्रवाद' के जन्म के साथ शुरू हुई। यही वह समय है जब पैन-जर्मनीवाद का उदय होना शुरू हुआ। जर्मनी में राष्ट्रवाद का उदय १८वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ। इस समय जर्मनी में अनेक राजनितिक चिन्तक और बुद्धिजीवियों का प्रादुभार्व हुआ जिन्होंने जर्मन में राष्ट्रीय चेतना की भावना जगाई। ऐसे लोगों में स्टीन, गॉटफ्रीड (Johann Gottfried Herder), कांट, फिक्टे, हीगेल, अंडरत, हम्बोल्ट और ग्रिमबंधुओं (जैकोब गरीम और विल्हेल्म गरीम) के नाम विशेष रूप से उल्लेखीनय है। स्टीन संवैधानिक राजतन्त्र में विश्वास करते थे। ग्राटफ्रीड का मानना था की सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में निहित है। यह राष्ट्र की आत्मा है। उन्होंने इसे 'वोलकजिस्ट' नाम दिया। हरडर के दार्शनिक चिन्तन ने जर्मनी में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नीवं डाली। इसका तेजी से प्रसार हुआ। गॉटफ्रीड से प्रेरणा लेकर ग्रीमबन्धुओं ने जर्मन लोककथाओं का संग्रह (ग्रीम्स फेयरी टेल्स ) प्रकशित किया। साथ ही, 33 खण्डों में जर्मन भाषा का शब्दकोश भी प्रकाशित किया गया। कांट ने स्वतंत्रता का आदर्श प्रस्तुत किया। फिक्टे उग्र राष्ट्रवाद का समर्थक था। उसने फ्रांस-विरोधी जर्मन राष्ट्रवाद पर बल दिया। हीगेल ने ऐतिहासिक द्वंद्ववाद (हिस्टोरिकल डायलेक्टिज्म) की व्याख्या की तथा राज्य में सर्वोच्च सत्ता की कल्पना की। हीगेल ने इतिहास की प्रक्रिया का उद्देश्य 'स्वतंत्रता की उपलब्धि' बताया। हीगेल के विचारों से प्रभावित होकर जर्मनी में इतिहास के अध्ययन पर विशेष बल दिया गया। बिस्मार्क हीगेल से गहरे रूप से प्रभावित हुआ था। अंडर्ट ने अपनी कविताओं के माध्यम से राष्ट्रीयता की भावना जागृत की। हार्डेन बर्ग तथा नोवलिस ने जर्मनी के गौरवमय अतीत को उजागर कर राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया। राष्ट्रवाद के प्रसार में शिक्षण संस्थानों एवं विद्यार्थियों का भी महत्वपूर्ण योगदान था। वाइमर राज्य का एना विश्वविद्यालय राष्ट्रीय आन्दोलन का गढ़ था। चित्रकारों ने अपने चित्रों द्वारा राष्ट्रवादी भावना का प्रसार किया। राष्ट्र के विचार को बनाने में संस्कृति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई: संगीत, कहानियों, कला और कविता ने राष्ट्रवादी भावनाओं को आकार देने और व्यक्त करने में मदद की। यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को समझने के लिए यूनान, पोलैंड और जर्मनी के तीन उदाहरण नीचे दिए गए हैं। जैसे, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद राष्ट्र की पहचान, इतिहास और नियति की एक दृष्टि प्रदान करने के लिए निर्धारित होता है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रमुख एजेंट बुद्धिजीवी और कलाकार हैं, जो राष्ट्र के अपने दृष्टिकोण को व्यापक समुदाय तक पहुँचाना चाहते हैं। Table of Contents
अपने आंतरिक मूल्य के अलावा, संस्कृति महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक लाभ प्रदान करती है। बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य, बढ़ी हुई सहनशीलता और दूसरों के साथ आने के अवसरों के साथ, संस्कृति हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती है और व्यक्तियों और समुदायों दोनों के लिए समग्र कल्याण को बढ़ाती है। इन्हें भी पढ़ें:- यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय रूमानीवाद :रूमानीवाद एक संस्कृति आंदोलन था जो एक विशेष प्रकार की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था। रुमानी कलाकारों तथा कवियों ने तर्क वितर्क और विज्ञान पर बल देने के स्थान पर अंतर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओं पर बल दिया । वह एक सामूहिक विरासत की अनुभूति और एक साझे सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का धर्म बनाना चाहते थे। जर्मन दार्शनिक योहान गॉटफ्रीड जैसे रूमानी चिंतकों के अनुसार सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में मौजूद है। उनका विश्वास था कि राष्ट्र की सच्ची आत्मा लोकगीतों, जन काव्य और लोकनृत्यों मैं निहित होती है। लोक संस्कृति के इन घटकों को एकत्रित और अंकित करना राष्ट्र के निर्माण के लिए आवश्यक. स्थानीय बोलियों तथा लोक साहित्य :राष्ट्रवाद के विकास के लिए स्थानीय बोलियों पर बल और स्थानीय लोक साहित्य को एकत्रित किया गया । इसका उद्देश्य आधुनिक राष्ट्र संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना था। यह बात उचित रूप से पोलैंड पर लागू होती है । इस देश का 18 वीं शताब्दी के अंत में रूस , प्रशा और ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़ी शक्तियों ने विभाजन कर दिया था। भले ही पोलैंड अब स्वतंत्र भू क्षेत्र नहीं था , तो भी संगीत और भाषा के माध्यम से वहां राष्ट्रीय भावना को जीवित रखा गया। उदाहरण के लिए कैरोल कुर्पिस्की ने अपने आॅपेरा और संगीत से राष्ट्रीय संघर्ष के महत्व को बताया और पोलेनेस तथा माजुरका जैसे लोक नृत्यों को राष्ट्रीय चिन्हों में बदल दिया। भाषाराष्ट्रीय भावनाओं के विकास में भाषा ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया । रूस के अधीन पोलैंड में पॉलिश भाषा को स्कूलों में बलपूर्वक हटा दिया गया था । इसके स्थान पर लोगों पर रूसी भाषा का प्रयोग किया जाने लगा। इसके फलस्वरूप 1831 में वहां रूस के विरोध एक सशस्त्र विद्रोह हुआ । इस विद्रोह को बलपूर्वक कुचल दिया गया। इसके बावजूद अनेक सदस्यों ने राष्ट्रीयवादी विरोध के लिए भाषा को अपने शस्त्र बनाया। चर्च के आयोजनों और संपूर्ण धार्मिक शिक्षा में पॉलिश भाषा का प्रयोग किया गया । इसके फलस्वरूप बंदी बनाकर बड़ी संख्या में पादरियों और बिशपों को साइबेरिया भेज दिया क्योंकि उन्होंने रूसी भाषा का प्रचार करने से मना कर दिया था। इस तरह पॉलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक बन गई। आशा है कि है उत्तर आपकी मदद करेगा। इस पाठ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर-प्रश्न 1: फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?उत्तर: फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियो ने कई कदम उठाए। उन्होंने इसके लिए रोमांटिसिज्म का सहारा लिया। रोमांटिसिज्म एक सांस्कृतिक आंदोलन था जो एक खास तरह की राष्ट्रवादी भावना का विकास करना चाहता था। रोमांटिक कलाकार सामान्यतया तर्क और विज्ञान को बढ़ावा देने के खिलाफ होते थे। इसके बदले वे भावनाओं, अंतर्ज्ञान और रहस्यों अधिक महत्व देते थे। राष्ट्र के आधार के रूप में उन्होंने साझा विरासत और सांस्कृतिक धरोहर की भावना को अधिक बल दिया। राष्ट्रवादी भावनाओं को बल देने में भाषा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोगों में राष्ट्र की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूरे फ्रांस में फ्रेंच भाषा को मुख्य भाषा की तरह बढ़ावा दिया गया। पोलैंड में रूसी आधिपत्य के खिलाफ विरोध के लिए पॉलिश भाषा का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया गया। प्रश्न 2: मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें किया गया उसका क्या महत्व था?उत्तर: फ्रेंच राष्ट्र को मारिआन का नाम दिया गया जिसे एक स्त्री के रुप में चित्रित किया गया। फ्रांस में राष्ट्र को मैरियेन का नाम दिया गया। यह ध्यान देने योग्य है कि मैरियेन इसाई महिलाओं का एक लोकप्रिय नाम है। मैरियेन के चरित्र चित्रण के लिए उदारवाद और प्रजातंत्र के रूपकों का प्रयोग हुआ, जैसे लाल टोपी, तिरंगा, कलगी, आदि। लोगों में मैरियेन की पहचान घर करने के उद्देश्य से उसकी मूर्तियाँ बनीं और टिकटों और सिक्कों पर उसकी तस्वीर छापी गई। जर्मनी में जर्मेनिया को राष्ट्र का प्रतीक बनाया गया। जर्मनी में जैतून को बहादुरी का प्रतीक माना जाता है, इसलिए जर्मेनिया के सिर पर जैतून के पत्तों का ताज है। प्रश्न 3: जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।उत्तर: 1814 के वियेना कॉन्ग्रेस में जर्मनी की पहचान 39 राज्यों के एक लचर संघ के रूप में हुई थी। इस संघटण का निर्माण नेपोलियन द्वारा पहले ही किया गया था। 1848 के मई महीने में फ्रैंकफर्ट संसद में विभिन्न राजनैतिक संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिये एक संविधान की रचना की। उसके अनुसार जर्मन राष्ट्र का मुखिया कोई राजा होता तो संसद के प्रति जवाबदेह होता। ऑट्टो वॉन बिस्मार्क जो प्रसिया के मुख्यमंत्री थे जर्मन एकीकरण के मुख्य सूत्रधार थे। इस काम के लिए उन्होने प्रसिया की सेना और अफसरशाही की मदद ली थी। उसके बाद ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से सात साल के भीतर तीन लड़ाइयाँ हुईं। उन युद्धों की परिणति हुई प्रसिया की जीत मे जिसने जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया को संपूर्ण किया। 1871 के जनवरी महीने में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम 1 को जर्मनी का शहंशाह घोषित किया गया। इन्हें भी पढ़ें:
बंधु कौन थे उन्होंने जर्मन राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में क्या योगदान दिया?Answer: जर्मन शहर हनाऊ में पैदा हुए ग्रीम बंधु, अर्थात् जैकब और विल्हेम ग्रिम ने 'फेयरी टेल्स' लिखा, जो बच्चों और वयस्कों के बीच लोकप्रिय हो गया। उन्होंने जर्मन भाषा में अपनी रचनाओं के माध्यम से लोककथाओं को जनता के सामने लाया जिसने लोगों की भावनाओं को प्रेस की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।
राष्ट्रवाद की भावना के प्रसार में किसकी मुख्य भूमिका है बताइए?Answer: भारतीय राष्ट्रवाद कुछ सीमा तक उपनिवेशवादी नीतियों तथा उन नीतियों से उत्पन्न भारतीय प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप ही उभरा था. पाश्चात्य शिक्षा का विस्तार, मध्यवर्ग का उदय, रेलवे का विस्तार तथा सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों ने राष्ट्रवाद की भावना के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.
राष्ट्रवाद क्या है तथा राष्ट्रीयता के निर्माण तत्वों का वर्णन कीजिए?राष्ट्र (NATION) का अर्थ लोगों के समूह से है - जिनकी एक जाति, एक इतिहास, एक संस्कृति, एक भाषा और एक निश्चित भू-भाग हो, राष्ट्रवाद उस विश्वास को कहते हैं, जिसके द्वारा प्रत्येक राष्ट्र को यह अधिकार है कि, जिस भू-भाग पर वे सदियों से रहते हैं, उस पर वे स्वतंत्र रूप से शासन कर सकें।
जर्मनी के राष्ट्र राज्य के निर्माण की प्रक्रिया का जनक कौन था?गॉटफ्रीद को राष्ट्रवाद की अवधारणा का जनक माना जाता है। वही मूल जर्मन रोमान्टिक राष्ट्रवाद का भी संस्थापक है।
|