गणेश जी की मूर्ति कौन सी दिशा में रखनी चाहिए? - ganesh jee kee moorti kaun see disha mein rakhanee chaahie?

शास्त्रों में अभी देवों से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है। माना जाता है कि गणपति जी की कृपा से आपके जीवन के सभी विघ्न दूर होने के साथ ही घर परिवार के क्लेशों से मुक्ति मिलती है है। वहीं घर में गणपति जी की मूर्ति का सही स्थान पर विराजमान होने से सुख-समृद्धि और वैभव में बढ़ोतरी होती है। तो आइए जानते हैं घर में भगवान गणेश को किस दिशा और किस तरीके से विराजित करना शुभ होता है...

1. घर में कहां रखें गणपति की मूर्ति
वास्तु शास्त्र के मुताबिक भगवान गणेश की प्रतिमा को घर के उत्तर-पूर्वी कोने में स्थापित करने और नियमित इनकी पूजा से घर का वास्तु दोष दूर होता है और साथ ही परिवार के लोगों का सुख-सौभाग्य बना रहता है।

अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी चाहिए यानी किस तरफ सूंड वाले श्री गणेश पूजनीय हैं? आइए जानें .....

दाईं सूंड : जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ दाईं ओर हो, उसे दक्षिण मूर्ति या दक्षिणाभिमुखी मूर्ति कहते हैं। यहां दक्षिण का अर्थ है दक्षिण दिशा या दाईं बाजू। दक्षिण दिशा यमलोक की ओर ले जाने वाली व दाईं बाजू सूर्य नाड़ी की है। जो यमलोक की दिशा का सामना कर सकता है, वह शक्तिशाली होता है व जिसकी सूर्य नाड़ी कार्यरत है, वह तेजस्वी भी होता है।

इन दोनों अर्थों से दाईं सूंड वाले गणपति को 'जागृत' माना जाता है। ऐसी मूर्ति की पूजा में कर्मकांड अंतर्गत पूजा विधि के सर्व नियमों का यथार्थ पालन करना आवश्यक है। उससे सात्विकता बढ़ती है व दक्षिण दिशा से प्रसारित होने वाली रज लहरियों से कष्ट नहीं होता।

दक्षिणाभिमुखी मूर्ति की पूजा सामान्य पद्धति से नहीं की जाती, क्योंकि तिर्य्‌क (रज) लहरियां दक्षिण दिशा से आती हैं। दक्षिण दिशा में यमलोक है, जहां पाप-पुण्य का हिसाब रखा जाता है। इसलिए यह बाजू अप्रिय है। यदि दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें या सोते समय दक्षिण की ओर पैर रखें तो जैसी अनुभूति मृत्यु के पश्चात अथवा मृत्यु पूर्व जीवित अवस्था में होती है, वैसी ही स्थिति दक्षिणाभिमुखी मूर्ति की पूजा करने से होने लगती है। विधि विधान से पूजन ना होने पर यह श्री गणेश रुष्ट हो जाते हैं।

बाईं सूंड : जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ बाईं ओर हो, उसे वाममुखी कहते हैं। वाम यानी बाईं ओर या उत्तर दिशा। बाई ओर चंद्र नाड़ी होती है। यह शीतलता प्रदान करती है एवं उत्तर दिशा अध्यात्म के लिए पूरक है, आनंददायक है।

इसलिए पूजा में अधिकतर वाममुखी गणपति की मूर्ति रखी जाती है। इसकी पूजा प्रायिक पद्धति से की जाती है। इन गणेश जी को गृहस्थ जीवन के लिए शुभ माना गया है। इन्हें विशेष विधि विधान की जरुरत नहीं लगती। यह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। थोड़े में ही संतुष्ट हो जाते हैं। त्रुटियों पर क्षमा करते हैं।

अगर आप अपने घर में भरपूर सकारात्मकता और अच्छी किस्मत लाना चाहते हैं, तो गणपति की मूर्ति से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश को खुशी और आनंद का प्रतीक माना जाता है। उन्हें घरों के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है और घर में गणेश जी की फोटो और मूर्तियों को अक्सर मुख्य द्वार के पास रखा जाता है, ताकि उसमें रहने वालों को बुरी शक्ति से बचाया जा सके। हालांकि, वास्तु शास्त्र के अनुसार गणेश जी की मूर्ति को सही जगह पर रखना जरूरी है।

 

घर में गणेश जी की फोटो और मूर्ति: गणेश जी की मूर्ति कहां लगानी चाहिए

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, पश्चिम, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा, भगवान गणेश की मूर्तियों या फोटो के लिए सबसे अच्छी दिशाएं हैं। याद रखें, घर में गणेश जी की फोटो उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव, जो गणेश के पिता हैं, उत्तर दिशा में रहते हैं। आप गणेश जी की मूर्ति को मुख्य द्वार पर अंदर की ओर मुख करके भी रख सकते हैं। अगर आप घर में गणेश जी की फोटो लगा रहे हैं, तो उनका मुख घर के मुख्य द्वार की ओर होना चाहिए। गणेश जी की मूर्ति को दक्षिण दिशा में न रखें।

 

स्रोत: पिंटरेस्ट

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 घर के लिए गणेश जी की मूर्ति कैसी होनी चाहिए?

घर के लिए गणेश मूर्ति सामग्रीप्रभावचांदी के गणेश प्रसिद्धिपीतल के गणेशसमृद्धि और खुशीलकड़ी के गणेशअच्छा स्वास्थ्य और लंबा जीवन क्रिस्टल के गणेशवास्तु दोष को दूर करता हैहल्दी की मूर्तिअच्छी किस्मत लाता है और शुभ होता हैताम्बे के गणेशअपना परिवार शुरू करने की योजना बनाने वाले दम्पति के लिए सौभाग्य लाता हैआम, पीपल और नीम की गणेश प्रतिमाऊर्जा और सौभाग्यगोबर के गणेशसौभाग्य और पॉजिटिव वाइब्स को आकर्षित करता है और दुखों को दूर करता है

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गणेश जी के रूप

बाल गणेश (बच्चे जैसा रूप)तरुण गणपति (युवा रूप)भक्ति गणेश (भक्त रूप)वीर गणपति (वीर रूप)शक्ति गणपति (शक्तिशाली रूप)द्विज गणपति (दो बार जन्म लेने वाले गणपति)सिद्धि गणपति (गणेश का सिद्ध रूप)उच्छिष्ट गणपति (आशीर्वाद देने वाले गणपति)विघ्न गणपति (बाधाओं के भगवान)क्षिप्रा गणपति (गणेश जी जिन्हें प्रसन्न करना आसान है)हेरम्बा गणपति (माँ का प्रिय पुत्र)लक्ष्मी गणपति (देवी लक्ष्मी के जैसे भाग्यशाली)महा गणपति (महान गणपति)विजया गणपति (विजयी गणेश जी)नृत्य गणपति (नर्तक का रूप)उर्ध्व गणपति (गणेश जी का उच्च रूप)एकक्षरा गणपति (एकल शब्दांश रूप)वर/वरद गणपति (वरदान देने वाले गणेश जी)त्रयक्षरा गणपति (तीन अक्षरों वाला रूप)क्षिप्रा प्रसाद गणपति (शीघ्र फल देने वाले गणेश जी)हरिद्र गणपति (कुमकुम रंग के गणेश जी)एकदंत गणपति (गणेश जी का एक दांत वाला रूप)सृष्टि गणपति (निर्माता का रूप)उद्दंड गणपति (धर्म/न्याय का प्रवर्तक रूप)ऋणमोचन गणपति (ऋण से मुक्ति देने वाला रूप)ढूंढी गणपति (लोकप्रिय गणेश जी)द्विमुख गणपति (दो सिर वाला रूप)त्रिमुख गणपति (तीन मुखी रूप वाले गणेश जी)सिंह गणपति (निडर शेर वाला रूप)योग गणपति (तपस्वी रूप / योग मुद्रा में)दुर्गा गणपति (अजेय, देवी दुर्गा के समान)संकटहरा गणपति (संकट को दूर करने वाले गणेश जी)

 

हिंदू भगवान गणेश जी शुभ शुरुआत के देवता के रूप में जाने जाते हैं और 32 अलग-अलग रूपों में इनकी पूजा की जाती है, जैसा कि ऊपर दिया गया है। भारत में आपको इनमें से कुछ रूपों में चित्रित गणपति मूर्तियां मिल जाएंगी। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश ने अपने भक्तों को जीवन की विभिन्न परेशानियों से बचाने के लिए ये रूप धारण किए थे।

सबसे लोकप्रिय गणपति फोटो या मूर्ति वह है जिसमें गणेश जी बैठे या खड़े होते हैं। गणपति की तस्वीरों को अन्य रूपों में जैसे नृत्य रूप को आमतौर पर सौंदर्य के उद्देश्य के लिए रखा जाता है। इसके अलावा, कुछ गणपति तस्वीरें दुर्लभ हैं जैसे कि वो जिसमें गणेश जी की सूंड सीधी या हवा में ऊपर हो। हाथ में मोदक लिए भगवान गणेश की तस्वीरें काफी लोकप्रिय हैं। गणेश जी को दक्षिण भारत में पिल्लयार या विनयगर के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में गणेश चतुर्थी के दौरान विनयगर की तस्वीरों और मूर्तियों की पूजा की जाती है। महाराष्ट्र में यह पर्व दस दिनों तक मनाया जाता है। गणपति बप्पा की तस्वीरों को सजाया जाता है और लोग गणेश जी की मूर्ति को घर लाते हैं और पूजा करते हैं। मूर्ति को समुद्र के पानी में विसर्जित करके त्यौहार का समापन होता है।

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मुख्य द्वार पर गणपति की कौन सी मूर्ति अच्छी है?

मुद्रा

घर में गणेश जी की मूर्ति लाते समय उनकी मुद्रा पर ध्यान देना न भूलें। आदर्श रूप से ललितासन में गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति को सबसे अच्छा माना जाता है। इसे बैठे हुए गणेश जी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह शांति को दर्शाता है। इसके अलावा, लेटे हुए स्थिति में गणेश जी की तस्वीरें भी बहुत भाग्यशाली मानी जाती हैं क्योंकि यह विलासिता, आराम और धन का प्रतीक है।

 

सूंड की दिशा 

अपने घर के लिए गणपति की मूर्ति या मूर्ति चुनते समय, सूंड की स्थिति पर ध्यान देना आवश्यक है। वास्तु के अनुसार, गणेश की मूर्ति की सूंड बाईं ओर झुकी होनी चाहिए, क्योंकि यह सफलता और सकारात्मकता का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि दाईं ओर झुकी हुई सूंड वाली गणेश जी मूर्ति मुश्किल से प्रसन्न होने वाली प्रवृत्ति का प्रतीक है।

 

 

मोदक और चूहा 

घर के लिए गणपति की मूर्ति खरीदते समय सुनिश्चित करें कि मोदक और चूहा उसमें शामिल हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चूहा को उनका वाहन माना जाता है, जबकि मोदक को उनकी पसंदीदा मिठाई माना जाता है। गणेश जी की यह मूर्ति घर के एंट्रेंस के लिए आदर्श है।

चूहा भौतिक इच्छा और हमारे मन का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो इच्छाओं से भरा है। यद्यपि चूहा छोटा होता है और उसके दांत छोटे होते हैं, यह लगातार कुतर सकता है और अनाज से भरे खलिहान को खाली कर सकता है। तुलनात्मक रूप से यह है कि हम सभी में एक ‘चूहा’ है – हमारी इच्छाएं। ये इच्छाएं हमारे भीतर अच्छाई का पहाड़ भी खा सकती हैं।

चूहा अपने छोटे नुकीले दांतों से रस्सियों को कुतरता है। इसलिए चूहा एक मंत्र जैसा है जो अज्ञानता की परतों को काट सकता है, जिससे भगवान गणेश के प्रतीक परम ज्ञान और सत्य की प्राप्ति होती है।

इसलिए, घर के लिए गणेश जी की मूर्ति चुनते समय इन विवरणों का ध्यान रखना आवश्यक है।

 

 

घर के लिए कौन से रंग की गणेश जी की मूर्ति शुभ है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के लिए सफेद रंग की गणेश जी की मूर्ति उन लोगों के लिए सही विकल्प है जो शांति और समृद्धि चाहते हैं। आप गणेश जी के सफेद रंग की चित्र भी चुन सकते हैं। जो लोग खुद के विकास के इच्छुक हैं, उन्हें घर के लिए सिंदूर रंग की गणेश जी की मूर्ति चुननी चाहिए। सफेद गणेश जी धन, सुख और समृद्धि को आकर्षित करते हैं। हमेशा याद रखें कि गणेश जी की पीठ घर के बाहर की ओर होनी चाहिए।

आमतौर पर, भगवान गणेश को लाल और पीले रंग के कपड़े पहने हुए दिखाया गया है। गणेश जी के रंग को उनके एक रूप में सुनहरा दर्शाया गया है, जिसे शुभ माना जाता है।

आजकल ज्यादातर लोग अपने घरों में गणेश जी के वॉलपेपर या दीवार भित्ति चित्र (म्यूरल्स) लगाना भी पसंद करते हैं। पूजा रूम को सजाने के लिए यह एक अच्छा आईडिया हो सकता है। हालांकि, गणेश जी की फोटो के साथ इन सजावटी आईडिया के लिए जाने पर वास्तु नियमों को ध्यान में रखना चाहिए।

 

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गणेश जी को रखने के लिए वास्तु दिशाएं 

 

गणेश जी की मूर्ति इन जगहों पर नहीं रखें 

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति को बेडरूम, गैरेज या लॉन्ड्री एरिया में नहीं रखना चाहिए। इसे सीढ़ियों के नीचे या बाथरूम के पास नहीं रखना चाहिए। चूंकि गैरेज या कार पार्किंग क्षेत्र को खाली क्षेत्र माना जाता है, इसलिए घर के इस हिस्से में किसी भी देवता को रखना अशुभ होता है। साथ ही, सीढ़ियों के नीचे काफी नकारात्मक ऊर्जाएं होती हैं, जो किसी भी वास्तु आइटम को रखने के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं।

 

भगवान गणेश के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रसाद

  • चावल का एक छोटा कटोरा आदर्श प्रसाद है। गणपति की मूर्ति को हमेशा ऊँचे चबूतरे पर रखें।
  • मोदक: गणपति की पसंदीदा मिठाई विभिन्न प्रकार के मोदक हैं, खासकर उबले हुए मोदक।
  • सटोरी: यह महाराष्ट्र की स्वीट फ्लैटब्रेड है, जो त्योहारों के मौसम में एक पसंदीदा रेसिपी है।
  • मोतीचूर के लड्डू: ऐसा माना जाता है कि मोदक के अलावा भगवान गणेश को लड्डू भी पसंद हैं।
  • लोग पूजा के दौरान भगवान गणेश को दूर्वा-दाल (एक प्रकार की घास) भी चढ़ाते हैं।

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गणेश जी की मूर्ति का महत्व

ऐसा माना जाता है कि घर में गणेश जी की मूर्ती या तस्वीर रखने से सौभाग्य और समृद्धि आती है। गणेश जी की मूर्ति परिपूर्ण जीवन का प्रतीक है जो अहम सिद्धांतों को सिखाती है जैसे:

 

  • बड़ा सोचने के लिए बड़ा सिर
  • ध्यान से सुनने के लिए बड़े कान 
  • ध्यान केंद्रित करने के लिए छोटी आंखें
  • कम बोलने के लिए छोटा मुँह
  • केवल अच्छाई बनाए रखने के लिए एक दांत। भगवान गणेश का एक दांत टूटा हुआ है। टूटे हुए दांत यह दर्शाता है कि बुद्धिमान व्यक्ति द्वैत (duality) से परे होता है। एक दांत एक पॉइंट का भी प्रतीक है।
  • रूपांतरणीय रहने के लिए लंबी सूंड
  • अच्छा और बुरा पचाने के लिए बड़ा पेट
  • भगवान गणेश की चार भुजाएं चार गुणों- मन, बुद्धि, अहंकार और विवेक के प्रतीक हैं
  • गणेश जी की मूर्ति की डिजाइन में एक पैर ऊपर उठा हुआ और दूसरा जमीन पर, इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों दुनिया में शामिल होना चाहिए।

चूंकि ज्यादातर लोग भगवान गणेश से प्यार करते हैं, इसलिए वे गणेश जी की मूर्ति या तस्वीरों को इकट्ठा करते हैं या उन्हें उपहार में देते हैं। तो, एक सामान्य प्रश्न है, ‘घर में कितनी गणेश मूर्तियाँ रखनी चाहिए?’ वास्तु के अनुसार, एक कमरे में एक ही मूर्ति रखने की सलाह दी जाती है। अगर एक साथ एक से अधिक गणेश प्रतिमाएं हों, तो सकारात्मक ऊर्जा का नष्ट होना निश्चित है।

 

गणेश उत्सव के लिए गणेश प्रतिमा को घर लाना

10 दिवसीय गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत के साथ कई लोग गणेश जी की मूर्ति को घर लाते हैं। एक नई गणपति मूर्ति को घर लाते समय मूर्ति के चेहरे को ढक दिया जाता है और इसका अनावरण केवल स्थापना के दौरान किया जाता है। मूर्ति, जिसे त्योहार के दौरान घर लाया जाता है, को डेढ़ दिन, तीन दिन या 10 दिनों के बाद विसर्जित कर दिया जाता है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे घर के लिए पर्यावरण के अनुकूल गणेश जी की मूर्ति, जो विसर्जन के दौरान आसानी से घुल जाती हैं, चुनने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा, कई अन्य विकल्प हैं, जैसे गणेश जी की वो मूर्ति जिन्हें विसर्जित करने पर वो एक पौधा बन जाता है। कई लोग इस विकल्प को चुन रहे हैं। अगर आपके घर पर एक छोटा मंदिर है तो आप गणेश जी की छोटी मूर्ति चुनें और सुनिश्चित करें कि आप उनको स्थापित करते समय वास्तु नियमों का पालन करें।

 

धन के लिए कौन सी गणेश मूर्ति अच्छी है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में गणपति की सफेद तस्वीर या मूर्ति रखने से परिवार में धन और समृद्धि आती है। हालांकि, गणेश जी को स्थापित करते समय सभी वास्तु नियमों का पालन करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, गणेश जी की पीठ घर के बाहर होनी चाहिए।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

मैं मुख्य द्वार पर गणपति कैसे रख सकता हूं?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप मुख्य द्वार पर किस प्रकार की गणेश मूर्ति/तस्वीर लगा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

गणेश जी का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

गणपति की मूर्तियों या तस्वीरों को आदर्श रूप से उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए, मुख्यत: उत्तर की ओर।

कौन सी गणेश मूर्ति वर्क डेस्क के लिए सबसे अच्छी है?

वर्क डेस्क पर गणेश जी की खड़ी मूर्ति काम करने में उत्साह लाती है और बाधाओं को दूर करने में मदद करती है।

दूर्वा क्या है और इसे गणेश जी को क्यों चढ़ाया जाता है?

दूर्वा घास, जिसमें विषम संख्या में ब्लेड होते हैं, शरीर पर शीतल करने वाली प्रभाव डालती है और कहा जाता है कि इसमें उपचार वाले गुण होते हैं। ऐसा माना जाता है कि दूर्वा में भगवान गणेश की ऊर्जा को आकर्षित करने की शक्ति है और इस प्रकार, भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद मिलती है।

गणेश जी का पसंदीदा फूल कौन सा है?

लाल हिबिस्कस गणेश जी का पसंदीदा फूल है और उन्हें प्रसन्न करने और समृद्धि एवं सफलता के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चढ़ाया जाता है।

क्या कोई ऐसा कमरा है जिसमें हमें गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर नहीं लगानी चाहिए?

यह सलाह दी जाती है कि गणेश जी की मूर्ति को कभी भी बेडरूम, बाथरूम या यहां तक कि बाथरूम से जुड़ी दीवार पर न लगाएं। गणेश जी की मूर्तियों के लिए सबसे अच्छी जगह आपके घर का प्रवेश द्वार है।

क्या हम घर में गणेश जी की दो मूर्तियां रख सकते हैं?

आप घर में दो अलग-अलग जगहों पर गणेश जी की दो तस्वीरें या मूर्तियां रख सकते हैं। एक से अधिक मूर्ति रखने से बचना चाहिए।

गणेश जी का मुंह कौन सी दिशा में होना चाहिए?

पंडित विमल पारीक के अनुसार गणेश जी को विराजमान करने के लिए ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व कोण शुभ माना गया है लेकिन भूलकर भी इन्हें दक्षिण और दक्षिण पश्चिम कोण यानी नैऋत्य में नहीं रखें।

गणेश जी की मूर्ति कौन सी शुभ रहती है?

वास्तु के अनुसार माना जाता है कि ललितासन यानी बैठी हुई मुद्रा में गणेश जी की मूर्ति सबसे अच्छी होती है। इस मूर्ति को घर लाने से सुख-समृद्धि और शांति आती है। इसके अलावा गणपति जी की लेटे हुए अवस्था में मूर्ति लाना भी माना जाता है शुभ

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