जब भी हम ब्रेस्ट डिस्चार्ज के बारे में सुनते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले एक बच्चे को स्तनपान कराने वाली मां का या फिर एक गर्भवती महिला का ख्याल आता है। हालांकि, कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो ना तो गर्भवती हैं और ना ही स्तनपान करा रही हैं, फिर भी वे अपने निपल्स से व्हाइट डिस्चार्ज का अनुभव करती हैं। कुछ मामलों में तो यह
सामान्य हो सकता है, लेकिन कभी-कभी यह एक चेतावनी वाली बात भी होती है। ऐसे मामलों में आपको अपने गायनेकोलॉजिस्ट (प्रसूति रोग विशेषज्ञ) से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है। इस डिस्चार्ज के उत्पादन में हॉर्मोन्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। Show Table of Contents
प्रोलैक्टिन हॉर्मोन - Prolactin Hormoneकुछ परिस्थितियों में, निपल से डिस्चार्ज प्रोलैक्टिन हॉर्मोन का स्तर
बढ़ने के कारण होता है और यह उच्च प्रोलैक्टिन बांझपन (इनफर्टिलिटी) का कारण कहे जाते हैं। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि प्रोलैक्टिन महिला को अंडोत्सर्ग करने से रोकता है और इससे मासिक धर्म भी प्रभावित होता है। इस स्थिति को हाइपरप्रोलैक्टीनेमिया कहा जाता है। उच्च प्रोलैक्टिन स्तर के कुछ मामलों में, महिला अंडोत्सर्ग तो कर सकती है लेकिन इसके बाद प्रोजेस्टेरोन
हॉर्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाती है। अमूमन, महिलाओं को निपल्स से व्हाइट डिस्चार्ज
होता है या फिर खून वाला फ्लूड निकलता है। जो महिलायें स्तनपान करा रही हैं या फिर स्तनपान कराना बंद कर दिया है, उन्हें व्हाइट/मिल्की डिस्चार्ज हो सकता है। यह सामान्य है और यह स्तनपान कराना बंद करने के 2-3 दिनों के बाद अपने आप बंद हो जाता है। दूसरी ओर, खून वाले फ्लूड का संबंध कैंसरकारी ग्रोथ से जुड़ा हो सकता है। यह स्थिति थायरॉयड की समस्याओं से लेकर
दवाओं तक या फिर आपकी पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर तक हो सकती है। हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया - Hyperprolactinemiaमाइल्ड हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया के कुछ मामलों में, अंडाशय समय पर अंडे रिलीज कर सकते हैं लेकिन शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्रोजेस्टेरोन नहीं बनता है। इससे ल्यूटिअल फेज की अवधि कम हो जाती है जिसके बाद अंडोत्सर्ग होता है। परिणामस्वरूप, यदि अंडा निषेचित होता है, तो वह खुद को अंडाशय से जोड़ पाने में सक्षम नहीं होता है। इस तरह महिला का अपने गर्भवती होने के बारे में पता चलने से पहले ही मिसकैरेज हो जाता है। ब्लड टेस्ट एवं स्कैन - Blood Tests And Scansबीमारी की पहचान के लिए, आपका डॉक्टर दूसरे उन सभी
लक्षणों के बारे में पूछ सकता है जिनका आप अनुभव कर रहे हैं। उसके बाद वह आपको सीरम प्रोलैक्टिन लेवल्स की जांच कराने के लिए ब्लड टेस्ट की सलाह दे सकता/सकती है। यह टेस्ट भूखे पेट कराया जाता है। यदि हॉर्मोन का स्तर उच्च है तो आगे और भी टेस्ट कराए जा सकते हैं। कुछ मामलों में, जहां प्रोलैक्टिन बहुत ज्यादा अधिक है, ट्यूमर होने की आशंका होती है और इस मामले में डॉक्टर आपसे दिमाग एवं पिट्यूटरी ग्रंथि का एमआरआइ स्कैन कराने के लिए कहेगा। इस जांच से ट्यूमर के आकार एवं टिश्यूज के बारे में पता चलता
है। दवाओं से प्रोलैक्टिन में बढ़ोतरी कैसे हो - How to Increase Prolactin with Drugsहाइपरप्रोलैक्टिनेमिया का इलाज पूरी
तरह से उस महिला के डायग्नोसिस एवं लक्षणों पर निर्भर करता है जिसे यह बीमारी है। जब हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया किसी दवाई के कारण होता है, तो आपका डॉक्टर शायद दवाएं बदलने के लिए कह सकता/सकती है या फिर साइड इफेक्ट को बैलेंस करने के लिए दूसरी दवाएं दी जा सकती हैं। रोगियों द्वारा एंटी-डिप्रेसेंट की गोलियां या फिर डोमपेरिडोन आदि जैसी दवाएं लेने का यदि पता नहीं चलता है और खुराक पर सतर्कता नहीं बरती जाती है, तो हॉर्मोनल असंतुलन और हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया हो सकता है। कैंसरकारी न होने वाले ट्यूमर की वजह से जब
हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया होता है तो डॉक्टर्स हॉर्मोन थेरैपी की सलाह देते हैं। यह थेरैपी या तो हॉर्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव के रूप में होती है या फिर हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरैपी दी जाती है। तीसरा विकल्प सर्जरी का होता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अपने लक्षणों को पहचानें और शुरुआत में ही बीमारी का पता चलने से आपकी जान बच सकती है। यदि आपको ब्रेस्ट से किसी भी तरह का असामान्य डिस्चार्ज होता है या फिर कोई दर्द है तो आपको फौरन डॉक्टर के पास जाना चाहिए। (डॉ पारुल गुप्ता खन्ना, कंसल्टेंट एवं फर्टिलिटी स्पेश्यलिस्ट, नोवा साउथएंड आइवीएफ एंड फर्टिलिटी, नोएडा से बातचीत के आधार पर) हम उम्मीद करते हैं कि ये जानकारी आपके काम आएगी। ऐसी ही स्टोरीज के लिए पढ़ते रहिये iDiva हिंदी। Read iDiva for the latest in Bollywood, fashion looks, beauty and lifestyle news. |