Show सवाल: भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी? जवाब: भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले इसलिए नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत की सेवा करना चाहती थी, और वो जानती थी की अब उनका सहारा और कोई नहीं है। एक बेटा था जो की मेरा पति था वो अब इस दुनिया में नहीं रहा, इसलिए भगत की पुत्रवधू अपना बाकी का सारा जीवन भगत जी की सेवा करना चाहती थी। Rjwala is an educational platform, in which you get many information related to homework and studies. In this we also provide trending questions which come out of recent recent exams. प्रश्न 1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ? उत्तर – बालगोबिन भगत जी में साधुओं की सभी विशेषताएँ थीं। वे कबीर जी को ही अपना भगवान मानते थे। भगत जी सत्यवादी, खरा बोलने वाले व नम्र स्वभाव के थे। वे किसी की चीज़ों को भी हाथ नहीं लगाते और न ही बिना पूछे प्रयोग करते थे। दूसरे के खेत में शौच के लिए भी नहीं बैठते थे। गृहस्थ जीवन जीकर भी वे मोह-माया से नहींबँधे। पुत्र की मृत्यु को भी “उत्सव” रूप में आनंदपूर्वक मनाना यह सिद्ध करता है कि वे साधु ही थे। सब चीज़ साहब की मानकर खेत की सारी पैदावार “मठ” में समर्पित कर प्रसाद रूप मे ग्रहण करना, गंगा-यात्रा में कई दिन उपवास रखना आदि उनके संयम के सुंदर उदाहरण हैं। उपर्युक्त विशेषताओं के कारण ही बालगोबिन भगत साधु कहलाते थे। प्रश्न 2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी? प्रश्न 3 . भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त की? प्रश्न 4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए। प्रश्न 5. बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का
कारण क्यों थी? प्रश्न 6 . पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए। प्रश्न 7 . कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए। उत्तर – बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, निम्नलिखित कुछ उदाहरण इस बात को प्रमाणित करते हैं गृहस्थ होते हुए भी साधुओं जैसी वेशभूषा तथा रहन-सहन। बेटे की मृत्यु पर विलाप नहीं किया। मृत्यु को एक उत्सव के रूप में माना, उसे आत्मा का परमात्मा से मिलन कहा। पुत्र का दाह-संस्कार बहू से करवाया। पुत्र के क्रिया-कर्म में दिखावा नहीं किया। पुत्रवधू को दूसरी शादी का आदेश दिया। प्रश्न 8. धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए । उत्तर – धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ अपने जादू से चमत्कृत कर देती थीं। पूरा गाँव खेतों में दिखाई देता था। आसमान बादलों से घिरा, धूप का कहीं कोई नाम नहीं। ठंडी हवा चलने लगती। भगत जी के कंठ से निकला एक-एक शब्द जैसे संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को स्वर्ग की ओर ले जा रहा हो और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर। बच्चे खेलते हुए झूम उठते। मेड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते, वे गुनगुनाने लगतीं। हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते, रोपन करने वालों की उँगलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगतीं। चारों तरफ़ का वातावरण जादुई हो जाता। रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न 9 .पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है? उत्तर – बालगोबिन भगत कबीर को “’साहब’ मानते थे और उन्हीं के गीतों को गाते थे। उन्हीं के आदेशों पर चलते थे कभी झूठ नहीं बोलते, शुद्ध-सच्चा व्यवहार करते थे। वे सिर पर कबीरपंथियों जैसी टोपी पहनते थे। वे गृहस्थ थे, लेकिन उनकी सारी चीजें कबीर जी की थीं। खेत में जो भी पैदा होता, उसे सिर पर रखकर घर से दूर कबीरपंथी मठ ले जाते, जो उन्हें प्रसाद रूप में हिस्सा मिलता, उसे घर लाते, उसी से गुज़र-बसर करते। कबीर के सीधे-सादे पद बालगोबिन की वाणी के श्रृंगार रहे। पुत्र की चिता को पतोहू से आग दिलाई। पतोहू को पुनर्विवाह करके सधवा का जीवन जीने की आज्ञा देकर उन्होंने स्त्री-पुरुष समानता पर बल दिया और बाह्य आडंबरों पर करारी चोट की। कबीर जी ने जीवन भर इसी प्रकार सामाजिक तथा धार्मिक रूढ़ियों का खंडन किया था। प्रश्न 10 . आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे? उत्तर – भगत जी संत कबीर की भक्ति भावना, सरल तथा सादगी भरी जीवन-शैली, समाज-सुधार की लगन, बाह्य आडंबरों पर पैनी नज़र जैसी विशेषताओं से प्रभावित थे। इन्हीं कारणों से कबीर के प्रति श्रद्धा भाव गहरे होते चले गए तथा कबीर उनके लिए ‘साहब’ हो गए। प्रश्न 11 . गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है? उत्तर – आषाढ़ महीने में खूब वर्षा होती है। ग्रामीण लोगों का जीवनाधार खेत ही होते हैं इसलिए ग्रामीण सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में आषाढ़ महीने का विशेष महत्व होता है। सारा गाँव खेतों में आ जाता है। कहीं हल चल रहे होते हैं, कहीं धान रोपने का काम चल रहा होता है। धान के पानी भरे खेतों में बच्चे उछल रहे होते हैं। औरतें कलेवा लेकर मेड़ पर बैठ जाती हैं। ठंडी हवा बहने लगती है। बालगोबिन भगत जी के संगीत के साथ ही सारा वातावरण सांस्कृतिक हो झूम उठता है। संगीत की स्वर-लहरियाँ गूंजने लगती हैं। संगीत की लय पर धान के पौधे रोपे जाते हैं। सभी संगीत में मस्त हो झूम उठते हैं। सारा वातावरण उत्साह और उल्लास से भर जाता है। प्रश्न 12 . “ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु वे।” क्या “साधु” की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति “साधु” है? उत्तर – नहीं, ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर नहीं की जानी चाहिए। व्यक्ति अपने स्वभाव तथा कर्मों से जाना जाता है। केवल पहनावा धारण कर लो और मन में छल कपट हो तो व्यक्ति की वास्तविकता जल्दी ही प्रकट हो जाती है। व्यक्ति का स्वभाव, उसकी निस्वार्थ भावना, समाज-सेवा, उनके द्वारा किए गए कर्मों से ही हम उसे साधु कहेंगे। उसमें त्याग-बलिदान की भावना होगी। उसका रहन-सहन साधारण होगा। उसे प्रेम तो सभी से होगा, लेकिन मोह नहीं होगा। वह कर्मनिष्ठ भी होगा। प्रश्न 13 . मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन को सच सिद्ध करेंगे? उत्तर – मोह और प्रेम में अंतर होता है। मोह में अंधता होती है, स्वार्य-भावना के कारण व्यक्ति भला-बुरा नहीं देखता। प्रेम शुद्ध, सात्विक भावना है, उसमें स्वार्थ का नामोनिशान नहीं होता । मोह में व्यक्ति स्वयं का हित साघता हैं किंतु प्रेम में प्रिय का मंगल चाहता है। मोह उसका दृष्टिकोण संकुचित करता है तो प्रेम उसे विस्तृत करता है। भगत जी का बेटा सुस्त और कम बुद्धिवाला था। वे उससे बहुत प्रेम करते थे। उनका मानना था कि ऐसे प्राणियों पर ज़्यादा नज़र रखनी चाहिए, ज्यादा प्यार करना चाहिए। जब उसी पुत्र की मृत्यु हुई, तब वे रोए तक नहीं, भजन गाते रहे। उनका मानना था कि आत्मा परमात्मा में मिल गई इसलिए दुख नहीं मनाना चाहिए। पुत्र की मृत्यु के पश्चात पतोहू को उसके भाइयों के साथ भेजकर दूसरे विवाह की सलाह दी। वस्तुतः ऐसा करना पतोहू के प्रति प्रेम भाव रखना है। यदि मोह रखते तो विधवा पतोहू से बुढ़ापे में अपनी सेवा करवाते। किंतु प्रेमवश वे पतोहू के भविष्य को स्वयं से अधिक महत्व देते हैं। भाषा-अध्यन प्रश्न 14. इस पाठ में आए कोई दस क्रिया विशेषण छाँटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए। उत्तर भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहता था?वह उन्हें बढ़ती उम्र में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। वह उनकी सेवा करना अपना फर्ज समझती थी। उसके अनुसार बीमार पड़ने पर उन्हें पानी देने वाला और उनके लिए भोजन बनाने वाला घर में कोई नहीं था। इसलिए भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला छोडना नहीं चाहती थी।
`( ख पतोहू बालगोबिन भगत को छोड़ कर जाना क्यों नहीं चाहती थी ?`?बालगोबिन भगत की पतोहू अपने भाई के साथ नहीं जाना चाहती थी, वह दूसरा विवाह भी नहीं करना चाहती थी। वह यहीं रहकर भगत जी की सेवा करना चाहती थी। वह उन्हें बुढ़ापे में बेसहारा छोड़ कर नहीं जाना चाहती। वह उनके लिए खाना बनाना, बीमारी में देखभाल करना आदि कार्य करना चाहती है।
बालगोबिन भगत की पुत्रवधू की ऐसी कौन सी इच्छा थी जिसे वह पूरा न कर सके?बालगोबिन भगत के एकमात्र पुत्र की मृत्यु हो गई थी। उनकी पुत्रवधू की यह इच्छा थी कि वह अपना शेष जीतन भगत जी की सेवा में बिताए। वह उन्हें अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी। ... लेकिन उसकी इस इच्छा को बालगोबिन भगत ने पूरा नहीं किया और बेटे के क्रिया-कर्म के उपरांत उसके भाई को यह आदेश दिया कि वह शीघ्र ही उसका पुनर्विवाह कर दे।
बालगोबिन भगत कैसे गाते थे?प्रश्न 6: पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: बालगोबिन भगत के मधुर गायन में एक जादू सा असर होता था। उसके जादू से खेतों में काम कर रही महिलाओं के होंठ अनायास ही थिरकने लगते थे। उनके गाने को सुनकर रोपनी करने वालों की अंगुलियाँ स्वत: चलने लगती थीं।
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