विषयसूची बेलपत्र का पौधा कितने प्रकार का होता है?इसे सुनेंरोकेंबिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं। अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, 6 से 21 पत्तियों के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। इन सभी बिल्व पत्रों का अपना-अपना आध्यात्मिक महत्व भी है। अखंड बिल्व पत्र का वर्णन बिल्वाष्टक में है। बेलपत्र का वैज्ञानिक नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंबेल पत्र का वैज्ञानिक नाम Aegle marmelos है। बेल पत्र एंटी-ऑक्सीडेंट और पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें विटामिन और मिनिरल का खजाना छुपा है। विटामिन ए, विटामिन सी, राइबोफ्लोबिन, कैल्सियम, पोटैशियम, फाइबर, विटामिन बी1, बी6, बी12 भी इसमें भरपूर मात्रा में पाया जाता है। बेल का पौधा गमले में कैसे लगाएं? इसे सुनेंरोकेंबड़ा पौधा दान में देकर इस गमले में ही आप दूसरा बेल का पौधा लगा सकती हैं। जी हां, अगर आपके पास अपना अहाता नहीं है तो गमले में भी यह पौधा लगा सकते हैं। अधिक बड़ा होने पर किसी मंदिर में इसे दान कर दें और दूसरा पौधा लगाएं। चार पत्ती वाला बेलपत्र मिलने से क्या होता है?इसे सुनेंरोकें- चार, पांच, छह या सात पत्तों वाला बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली होता है। इसे शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है। – सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है। – बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं। बेलपत्र का पेड़ कितना बड़ा होता है? इसे सुनेंरोकेंइसके वृक्ष १५-३० फीट ऊँचे कँटीले एवं मौसम में फलों से लदे रहते हैं। इसके पत्ते संयुक्त विपत्रक व गंध युक्त होते हैं तथा स्वाद में तीखे होते हैं। गर्मियों में पत्ते गिर जाते हैं तथा मई में नए पुष्प आ जाते हैं। फल मार्च से मई के बीच आ जाते हैं। बेलपत्र के पत्ते कैसे होते हैं? इसे सुनेंरोकेंज्यादातर बेल पत्र में एक साथ तीन पत्तियां होती हैं. इन तीन पत्तियों को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. कुछ मिथकों में शिव की तीन आंखों के रूप में भी बेल पत्र को जाना जाता है. आपको बता दें कि बेलपत्र सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. बेल में क्या क्या पाया जाता है?बेल में प्रोटीन, बीटा-कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
बेलपत्र का पौधा कैसे उगाया जाता है? इसे सुनेंरोकेंखाद एवं उर्वरकों को पूरी मात्रा जून-जुलाई में डालनी चाहिए। नये पौधों को स्थापित करने के लिए एक दो वर्ष सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। स्थापित पौधे बिना सिंचाई के भी अच्छी तरह से रह सकते है। गर्मियों में बेल का पौधा अपनी पत्तियाँ गिराकर सुषुप्ता अवस्था में चला जाता है और इस तरह यह सूखे को सहन कर लेता है। बेलपत्र का पौधा कौन से महीने में लगाना चाहिए? इसे सुनेंरोकें2 बेलपत्र के वृक्ष को घर में लगाने या उसके प्रतिदिन दर्शन करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। घर में बिल्वपत्र का वृक्ष होने पर परिवार के सभी सदस्य कई प्रकार के पापों से मुक्त हो जाते हैं। 3 रविवार और द्वादशी तिथि पर बिल्वपत्र के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व होता है। क्या बेलपत्र घर में लगाना चाहिए?इसे सुनेंरोकेंबेलपत्र का पौधा घर में लगाने से ना केवल सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है बल्कि घर में मां लक्ष्मी का भी आगमन होता है। शिव पुराण के अनुसार जिस स्थान पर बेलपत्र का पौधा लगाया जाता है वह काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल हो जाता है। इस पौधे को घर में लगाने से घर के सदस्यों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। बेल के पेड़ का क्या महत्व है? इसे सुनेंरोकेंबेल वृक्ष का महत्व हमारे शास्त्रों में बेल का वृक्ष बहुत अधिक पूजनीय माना जाता है स्कंद पुराण के अनुसार बेल के वृक्ष की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से हुई है। जैसे तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है उसी तरह बिल्कुल लक्ष्मी माता पार्वती का वास माना गया है। यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। मोगरा के फूल कैसे होते हैं? इसे सुनेंरोकेंमोगरे के फूल गर्मियों में खिलते हैं। इसकी भीनी-भीनी महक से तन और मन को ठंडक का अहसास होता है। इसका फूल सफेद रंग का होता है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, इसकी सुगंध आपको गर्मी के अहसास से दूर रखती है। विषयसूची बेलपत्र के पेड़ कितने प्रकार के होते हैं?बिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं – अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, छः से 21 पत्तियों तक के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। बेलपत्र के फल कब लगते हैं? इसे सुनेंरोकेंगर्मियों में पत्ते गिर जाते हैं तथा मई में नए पुष्प आ जाते हैं। फल मार्च से मई के बीच आ जाते हैं। बेल के फूल हरी आभा लिए सफेद रंग के होते हैं व इनकी सुगंध भीनी व मनभावनी होती है। बेल का पेड़ काटने से क्या होता है?इसे सुनेंरोकें- बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है। – सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है। – बेल वृक्ष को सींचने से पितृ तृप्त होते हैं। – बेल वृक्ष और सफेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। क्या बेलपत्र का पेड़ घर में लगाना चाहिए? इसे सुनेंरोकेंबेलपत्र का पौधा घर में लगाने से ना केवल सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है बल्कि घर में मां लक्ष्मी का भी आगमन होता है। शिव पुराण के अनुसार जिस स्थान पर बेलपत्र का पौधा लगाया जाता है वह काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल हो जाता है। इस पौधे को घर में लगाने से घर के सदस्यों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। बेल का फल कैसे खाते हैं?इसे सुनेंरोकेंबेल को आप कई तरीकों से खा सकते हैं। आमतौर पर बेल का रस या बेल के शरबत का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है लेकिन आप इस फल को तोड़कर सीधे खा भी सकते हैं। इसका बाहरी हिस्सा काफी कठोर होता है उसे तोड़ दें और अंदर के लिसलिसे गूदे में से बीज को निकालकर खाएं या रात भर इस गूदे को पानी में भिगोकर रखें और अगली सुबह इसे खाएं। बेल का पेड़ कब लगाएं? इसे सुनेंरोकेंमाना जाता कि बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर उस घर में माँ लक्ष्मी की स्थाई रूप से कृपा प्राप्त होती है। बेल के वृक्ष का सुबह शाम अवश्य ही दर्शन करना चाहिए इससे जाने अनजाने में हुए पापो का नाश होता है। बेल के वृक्ष को लगाने से वंश वृद्धि होती है परन्तु इसे नष्ट करने से मनुष्य घोर पाप का भागी बनता है । बेल के पेड़ पर जल चढ़ाने से क्या होता है?इसे सुनेंरोकें1 बिल्वपत्र के वृक्ष में लक्ष्मी का वास माना गया है। इसकी पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है और बेलपत्र के वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर निरंतर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसके अलावा बिल्वपत्र के पेड़ को नियमित रूप से जल चढ़ाने पर पितृों को तृप्ति मिलती है, और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। चार पत्ती वाला बेलपत्र मिलने से क्या होता है? इसे सुनेंरोकें- चार, पांच, छह या सात पत्तों वाला बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली होता है। इसे शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है। – सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है। – बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं। बिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं – अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, छः से 21 पत्तियों तक के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। इसे सुनेंरोकेंबिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं – अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, छः से 21 पत्तियों तक के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। इन सभी बिल्व पत्रों का अपना-अपना आध्यात्मिक महत्व (spiritual importance) है। अपराजिता की बेल क्या काम आती है?इसे सुनेंरोकेंअपराजिता की बेल का प्रयोग तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में किया जाता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार अपराजिता में मेध्य का गुण होता है जिसके कारण ये तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करती है। अपराजिता की बेल कौन सी दिशा में लगानी चाहिए? इसे सुनेंरोकेंकिस दिशा में लगाएं अपराजिता का पौधा वास्तु शास्त्र के अनुसार अपराजिता का पौधा घर की पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। घर की उत्तर-पूर्व को ईशान कोण कहते हैं और ऐसा माना जाता है कि ये दिशा भगवान की दिशा होती है। घर में बेल का पेड़ लगाने से क्या होता है?इसे सुनेंरोकेंशिव पुराण में घर पर बेल का वृक्ष लगाने के फायदों का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार जिस स्थान पर या घर में यह पौधा होता है वह स्थान काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल बन जाता है। ऐसी जगह पर साक्षात माता लक्ष्मी निवास करती हैं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। या घर सभी प्रकार की तंत्र बाधाओं से मुक्त होते हैं। बेल पत्र कितने प्रकार के होते हैं?बिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं – अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, छः से 21 पत्तियों तक के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। इन सभी बिल्व पत्रों का अपना-अपना आध्यात्मिक महत्व (spiritual importance) है।
5 बेलपत्र का क्या महत्व है?भट्ट ने बताया धर्म शास्त्रों में 5 पत्तों के बेलपत्र का मतलब पांच प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और मां भगवती से होता है। 4 पत्तों से चार वेदों का होता है। ऐसा ही 9 पत्तों का महत्व नव दुर्गा से है।
शिव जी पर कितने बेलपत्र अर्पित करने चाहिए?शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाना है शुभ
शिव पुराण के अनुसार, आपके पास जितने बेलपत्र हो उतने ही चढ़ा सकते हैं। वैसे तो शिवजी को 3 से लेकर 11 बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है।
बेल पत्र में कितने पत्ते होते हैं?बेल पत्र सामान्य तौर पर तीन पत्तियों के होते हैं, लेकिन मंडला जिले के हिरदेनगर की शिव वाटिका में जो बेल पत्र पाए जाते हैं, इन बेल पत्र में पांच और इक्कीस पत्तियां तक होती हैं।
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