बाली और सुग्रीव के माता पिता कौन थे - baalee aur sugreev ke maata pita kaun the

बाली तथा सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ ? How were Bali and Sugriva born?

Bali Sugriva ka janm kaise hua ? एक समय की बात है पृथ्वी लोक पर असुरों ने बहुत ज्यादा ही उत्पात मचा रखा था । यह सब किया कराया रावण का था । क्योंकि जो भी असुर उत्पात मचाते वह रावण के सहयोगी थे । वह रावण के आदेश पर ही यह सब करते थे । धरती पर पाप बहुत ज्यादा ही बढ़ गया था । जिससे सभी देवता चिंतित तथा परेशान थे ।

जब ब्रह्मा जी ने राक्षसों को पृथ्वी पर उत्पात मचाते हुए देखा तब ब्रह्मा जी के दुखी मन के कारण आंखों से आंसू निकल गए । ब्रह्मा जी के यह आंसू धरती लोक पर एक तालाब में जा गिरे । जहां से एक वानर का जन्म हुआ ।

उसी समय उस वानर ने उस तालाब में अपनी परछाई को देखा । उस वानर को इस बात का ज्ञात नहीं था कि वह उसकी परछाई है । उसने तो यह समझा कि इस तालाब के पानी में कोई दूसरा मनुष्य है । इसलिए उसको गुस्सा आ गया और वे उस पर झपट पड़ा ।

जैसे ही वह उसको जो पड़ने के लिए तालाब के अंदर कुदा तब उसी तालाब के कारण यह वानर इस्त्री मैं बदल चुका था । क्योंकि वह तालाब श्रापित था । उस तालाब का यह नियम था कि जो भी इसमें स्नान करेगा वह स्त्री हो जाएगा । इसलिए उस तालाब में सिर्फ स्त्रियां ही स्नान करती थी ।

जब वह वानर स्त्री के रूप में तालाब से बाहर निकला तब इसका रूप बहुत ज्यादा ही सुंदर था । इतना सुंदर था कि हर कोई उसे देखकर मोहित हो जाता ।

जब वह वानर स्त्री के रूप में धरती लोक पर भ्रमण कर रहे थे तभी स्वर्ग लोक के राजा इंद्र की दृष्टि उस पर पड़ी । इंदौर उसके रूप को देखकर उस पर मोहित हो गया और उसे बलात प्रेम करना शुरू कर दिया । इंदर के ईसी प्रेम के कारण कुछ समय पश्चात एक बच्चे का जन्म हुआ । जिसका नाम बाली रखा गया जो कि इंद्र का पुत्र था । इस प्रकार बाली की उत्पत्ति हुई ।

इंदर चालाक, धूर्त , घमंडी , अहंकारी तथा क्रोधी था जिसके कारण उसका होने वाला पुत्र भी काफी गुस्से वाला था । यह गुण बाली में भी चले गए ।

इसी बीच वह वानर स्त्री के रूप में पृथ्वी लोक पर भ्रमण करते करते एक ऋषि के आश्रम में जा पहुंचे । वहां पर उन्होंने अपने इस श्राफ से छुटकारा पाने का उपाय पूछा । तब ऋषि-मुनियों ने उन्हें भगवान सूर्य देव की उपासना करने को कहा । तब वह वानर स्त्री रूप में भगवान सूर्य की उपासना करने लगे ।

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जिसके फल स्वरुप भगवान सूर्य प्रसन्न हो गए । प्रसन्न होकर के भगवान सूर्यदेव भी उससे प्रेम करने लगे । सूर्य देव ने उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया ।  उसे प्रेम तथा सन्हे दिया । जिसके फल स्वरुप सुग्रीव का जन्म हुआ ।

जबकि सूर्य का पुत्र सुग्रीव शांत स्वभाव का सरल तथा ईमानदार था । क्योंकि सूर्य देव एकदम शांत स्वभाव के थे ।

इस प्रकार एक ही वानर के रूप में स्त्री के गर्भ से दो पुत्रों का जन्म हुआ । पहले का नाम बाली तथा दूसरे का नाम सुग्रीव था । दोनों ही एक ही मां के पुत्र थे ।

बाली के ऊपर इंद्र की कृपा थी । जबकि सुग्रीव पर सूर्य देव की कृपा थी । दोनों ही देवताओं के अंश थे ।

vali sugriva . sugriv ki patni ka naam . सुग्रीव की पत्नी का नाम क्या था ?

रामायण में बाली तथा सुग्रीव की कहानियां है । उसी सुग्रीव की पत्नी का नाम जानते हैं कि सुग्रीव की पत्नी का नाम क्या था ?

सुग्रीव की पत्नी का नाम रोमा था तथा बाली की पत्नी का नाम तारा था । bali sugriv दोनों अलग-अलग पिता की संतान है । इंद्र के बलात प्रेम से बालि का जन्म हुआ तथा सूर्य प्रेम से सुग्रीव का जन्म हुआ था ।

bali sugriv दोनों की माता एक ही थी । लेकिन दोनों के पिता अलग-अलग थे । अब तो आप sugriv की पत्नी का नाम जान ही चुके होंगे । साथ में आपने bali की पत्नी का क्या नाम था यह भी जान चुके हैं ।

बाली सुग्रीव के माता पिता कौन थे ? bali sugriv ke Mata pita kaun the .

आइए अब bali के माता-पिता के बारे में जानते हैं साथ ही यह भी जानेंगे कि sugriv के माता पिता कौन थे । bali sugriv दोनों के माता पिता का नाम क्या था ?

कहानी के अनुसार bali sugriv दोनों का जन्म एक वानर राज से हुआ था । यानी कि ब्राह्मण से उत्पन्न एक वानर से ही bali sugriv का जन्म हुआ था । जब वह वानर पृथ्वी लोक पर आया तब वह एक श्रापित कुंड में नहाने चला गया जिसके बारे में इस वानर को ज्ञात नहीं था ।

जिस कुंड में वानर ने स्नान किया था वह कुण्ड यक्षों के द्वारा श्रापित था । उस कुंड का यह नियम था की जो भी पुरुष इस कुण्ड में स्नान करेगा वह स्त्री बन जाएगा । अज्ञातवस वह वानर उस कुंड में स्नान करने के कारण स्त्री बन गया ।

जब वानर रूप में इस्त्री बन करके कुण्ड से बाहर आया तब वह बहुत ही सुंदर और मनमोहिनी स्त्री थी जो कि हर किसी पुरुष का दिल जीतने के लिए बहुत सुंदर थी । उस वानर रूप में स्त्री पर देवराज इंद्र की नजर पड़ी और वह उसके प्रति सम्मोहित हो गए ।

सम्मोहन में आकर देवराज इंद्र ने इस तरह से बलात शारीरिक संबंध स्थापित किए । जिसके फलस्वरूप बाली का जन्म ( Bali was born ) हुआ ।

बालि का जन्म वानर पुरुष से हुआ था जो कि किसी श्राप के कारण स्त्री बन गया था । बाली के पिता का नाम इंदर था और बाली की माता का नाम वह श्रापित वानर था । यही वाली के जन्म की कथा है ।

जबकि सुग्रीव की माता ( sugriv ki Mata ) वही वानर पुरुष था जो कि ब्रह्मा के अश्रु से उत्पन्न हुआ था । सुग्रीव के पिता का नाम सूर्य देव था ।

सुग्रीव और बाली की माता का नाम क्या था?

बालि के अनुज, महाबली हनुमान के मित्र। सुग्रीव रामायण के एक प्रमुख पात्र है। इनके पिता सूर्यनारायण और माता अरुण देव थे। बालि इनके बड़े भाई थे।

बाली और सुग्रीव का पिता कौन है?

ऋक्षराज ने अपने पुत्र बालि को महर्षि गौतम और उनकी पत्नी अहल्या को सौंप दिया। ऋक्षराज के उस सुन्दर स्त्री रूप को देखकर भगवान सूर्य भी उस पर मोहित हो गए। सूर्यदेव ने भी ऋक्षराज के साथ सम्भोग किया और कालान्तर में ऋक्षराज ने सुन्दर ग्रीवा अर्थात् गर्दन वाले बालक को जन्म दिया जिसका नाम सुग्रीव रखा गया।

बाली के पिता जी का क्या नाम था?

पुरुष से स्त्री बन गई थी इनकी माता रामायण में आपने दो बलशाली वानरों बाली और सुग्रीव का नाम पढ़ा और सुना होगा। दोनों महावीर थे और साथ मिलकर किष्किंधा नगरी पर शासन करते थे। इनके पिता के विषय में कहा जाता है कि बालि के पिता देवराज इंद्र थे जबकि सुग्रीव के पिता सूर्यदेव थे

बाली और सुग्रीव पूर्व जन्म में कौन थे?

बाली और सुग्रीव के जन्म की कथा एक राक्षस से जुड़ी है। इस राक्षस का नाम था ऋक्षराज। यह राक्षस ऋष्यमूक पर्वत पर रहता था।