बाली और सुग्रीव का क्या संबंध था? - baalee aur sugreev ka kya sambandh tha?

2.एक बार दोनों भाई दुंदुभी के भाई मायावी को मारने के लिए निकले। मायावी एक कंदरा में घुस गया। बाली ने सुग्रीव से कहा कि तुम यहीं गुफा के द्वारा पर रुको मैं उस दैत्य को मारकर आता हूं। एक वर्ष के बाद भी जब बाली कंदरा से बाहर नहीं निकला तो सुग्रीव बैचेन हो गया तभी कंदरा से दैत्य के चित्कार की आवाज आई और बहुत सारा खून बहकर बाहर आया। सुग्रीव ने समझा की मेरा भाई बाली मारा गया है। कुछ समय के बाद उसने उस गुफा को एक बड़े से पत्‍थर से बंद कर दिया और वहां से चला गया।

3.कुछ काल के बाद जब बाली लौटा तो उसने देखा कि सिंहासन पर सुग्रीव बैठा है और उसने मेरी स्त्री और संपत्ति हड़प ली है। यह देखकर बाली को बहुत क्रोध आया। तब उसने सुग्रीव को खूब मारा। सुग्रीव अपनी जान बचाने के लिए ऋष्यमूक पर्वत की एक कंदरा में जा छुपा। हालांकि बाली को मालूम था कि वह कहां छुपा है लेकिन बाली वहां नहीं जा सकता था। क्योंकि उसे मतंग ऋषि ने शाप दिया था कि तू या तेरी वानर सेना यदि इस पर्वत के आसपास भी फटकी तो मारी जाएगी। बस इसीलिए सुग्रीव वहां सुरक्षित रहे। इस दौरान बाली ने सुग्रीव की पत्नी और संपत्ति हड़प ली।

4.इस पर्वत पर ही सुग्रीव की मुलाकात वानरराज केसरी की मुलाकात हुई। केसरी ने सुग्रीव की सहायता के लिए अपने पुत्र हनुमानजी को सुग्रीव के पास छोड़ दिया। सुग्रीव ने वहीं अपनी सुरक्षा हेतु एक छोटी-सी सेना गठित की। फिर एक दिन सीता को खोजते हुए प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे।

5.जब सुग्रीव ने राम और लक्ष्मण को देखा तो वह भयभीत हो गया। इतने बलशाली और तेजस्वीवान मनुष्य उसने कभी नहीं देखे थे। वह भागते हुए हनुमान के पास गया और कहने लगा कि हमारी जान को खतरा है। सुग्रीव को लग रहा था कि कहीं यह बाली के भेजे हुए तो नहीं हैं। सुग्रीव ने हनुमानजी से कहा कि तुम ब्रह्मचारी का रूप धारण करके उनके समक्ष जाओ और उसके हृदय की बात जानकर मुझे इशारे से बताओ। यदि वे सुग्रीव के भेजे हुए हैं तो मैं तुरंत ही यहां से कहीं ओर भाग जाऊंगा।

6.सुग्रीव की बातें सुनकर हनुमानजी ब्राह्मण का रूप धरकर वहां गए और मस्तक नवाकर विनम्रता से राम और लक्ष्मण से पूछने लगे। हे वीर! सांवले और गोरे शरीर वाले आप कौन हैं, जो क्षत्रिय के रूप में वन में फिर रहे हैं? हे स्वामी! कठोर भूमि पर कोमल चरणों से चलने वाले आप किस कारण वन में विचर रहे हैं? हनुमान ने आगे कहा- मन को हरण करने वाले आपके सुंदर, कोमल अंग हैं और आप वन की दुःसह धूप और वायु को सह रहे हैं। क्या आप ब्रह्मा, विष्णु, महेश- इन तीन देवताओं में से कोई हैं या आप दोनों नर और नारायण हैं?

7.श्रीरामचंद्रजी ने कहा- हम कोसलराज दशरथजी के पुत्र हैं और पिता का वचन मानकर वन आए हैं। हमारे राम-लक्ष्मण नाम हैं, हम दोनों भाई हैं। हमारे साथ सुंदर सुकुमारी स्त्री थी। यहां (वन में) राक्षस ने मेरी पत्नी जानकी को हर लिया। हे ब्राह्मण! हम उसे ही खोजते फिरते हैं। हमने तो अपना चरित्र कह सुनाया। अब हे ब्राह्मण! आप अपनी कथा कहिए, आप कौन हैं?

8.प्रभु को पहचानकर हनुमानजी उनके चरण पकड़कर पृथ्वी पर गिर पड़े। उन्होंने साष्टांग दंडवत प्रणाम कर स्तुति की। अपने नाथ को पहचान लेने से हृदय में हर्ष हो रहा है। फिर हनुमानजी ने कहा- हे स्वामी! मैंने जो पूछा वह मेरा पूछना तो न्याय था, वर्षों के बाद आपको देखा, वह भी तपस्वी के वेष में और मेरी वानरी बुद्धि... इससे मैं तो आपको पहचान न सका और अपनी परिस्थिति के अनुसार मैंने आपसे पूछा, परंतु आप मनुष्य की तरह कैसे पूछ रहे हैं? मैं तो आपकी माया के वश भूला फिरता हूं। इसी से मैंने अपने स्वामी (आप) को नहीं पहचाना, किंतु आप तो अंतरयामी हैं।

ऐसा कहकर हनुमानजी अकुलाकर प्रभु के चरणों पर गिर पड़े। उन्होंने अपना असली शरीर प्रकट कर दिया। उनके हृदय में प्रेम छा गया, तब श्री रघुनाथजी ने उन्हें उठाकर हृदय से लगा लिया और अपने नेत्रों के जल से सींचकर शीतल किया। राम ने हनुमान को हृदय से लगाकर कहा- हे कपि! सुनो, मन में ग्लानि मत मानना। तुम मुझे लक्ष्मण से भी दूने प्रिय हो। सब कोई मुझे समदर्शी (प्रिय-अप्रिय से परे) कहते हैं, पर मुझको सेवक प्रिय है, क्योंकि मुझे छोड़कर उसको कोई दूसरा सहारा नहीं होता।

9.ऐसा कहने के बाद हनुमानजी ने प्रभु श्रीराम को सुग्रीव से मिलाया। राम ने सुग्रीव को और सुग्रीव को राम ने अपनी कथा और व्यथा बताई। तब राम ने सुग्रीव के दुख हरण के लिए बाली का वध करने का वचन दिया। दरअसल, सुग्रीव के भाई बाली ने सुग्रीव की पत्नी और संपत्ति हड़पकर उसको राज्य से बाहर धकेल दिया था। यही कारण था कि प्रभु श्रीराम ने सुग्रीव से अपने बड़े भाई बाली से युद्ध करने को कहा और इसी दौरान श्रीराम ने छुपकर बाली पर तीर चला दिया और वह मारा गया। बाली वध के बाद सुग्रीव किष्किंधा के राजा बने, अपने भाई बाली के पुत्र अंगद को युवराज बनाया और बाद में उन्होंने राम के लिए वानर सेना को गठित किया था।

10.सुग्रीव ने राम की सेना में रावण से युद्ध करने के बाद प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक में अयोध्या में भी गए थे। अयोध्या में भगवान श्रीराम ने गुरुदेव वसिष्ठ को सुग्रीव आदि का परिचय देते हुए कहा-

ए सब सखा सुनहु मुनि मेरे। भए समर सागर कहुं बेरे॥

मम हित लागि जन्म इन्ह हारे। भरतहु ते मोहि अधिक पिआरे॥

कुछ काल तक अयोध्या में रहने के बाद भगवान ने सुग्रीव को विदा कर दिया। फिर जब प्रभु श्रीरान ने अपनी लीला को सरयू में जल समाधि लेकर समाप्त किया, तब सुग्रीव भी उनके साथ उपस्थित थे।

रामायण में वानर राज बाली और सुग्रीव की कथा का वर्णन विस्तार से बताया गया है। साथ ही तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस में वानर बंधुओं का उल्लेख है। सनातन धार्मिक ग्रंथ रामायण में निहित है कि वानर राजा सुग्रीव ने वनवास के दौरान सीताहरण के बाद लंका नरेश रावण संग युद्ध में मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम की सहायता की थी। इस युद्ध में वानर सेना की मदद से भगवान श्रीराम ने रावण और उनकी सेना को परास्त किया था। जब सीता हरण के बाद भगवान श्रीराम और लक्ष्मण वन में माता सीता की तलाश कर रहे थे। उस वक्त उनकी मुलाकात परम भक्त हनुमान और वानर राजा सुग्रीव से हुई थी। सुग्रीव भी अपने भाई बाली के डर से छुपे रहते थे।

वानर राज बाली को तपस्या भंग करने की वजह से मतङ्ग ऋषि का श्राप मिला था कि अगर वह ऋष्यमूक पर्वत के समीप या पर्वत क्षेत्र में प्रवेश करेगा, तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसके लिए बाली ऋष्यमूक पर्वत पर नहीं जाता था। यह जान सुग्रीव पर्वत जा छिपा था। भगवान राम से मिलने पर वानर राजा सुग्रीव ने अपनी आपबीती सुनाई। यह सुन भगवान ने सहायता करने और बाली का वध करने का वादा किया। आइए, बाली और सुग्रीव के युद्ध के कारण की कथा जानते हैं-

युद्ध की कथा

किदवंती है कि एक बार की बात है जब दुंदभी नामक दैत्य ने वानर राजा बाली को युद्ध के लिए ललकारा था। वानर राजा बाली किसी भी ललकार को ठुकराता नहीं था और युद्ध मैदान पर चला आता था। बाली के पराक्रम के आगे दुंदभी टिक नहीं सका और महज कुछ पल में बाली ने दुंदभी को परास्त कर उसका वध कर दिया। इसके बाद दुंदभी के शव को हवा में घुमाकर फेंक दिया। इससे दुंदभी का शव कई टुकड़ों में बंट गया।

इस दौरान दुंदभी के शरीर से रक्त प्रवाहित होकर मतङ्ग ऋषि के आश्रम पर जा गिरती है। इससे क्रोधित होकर मतङ्ग ऋषि को श्राप दे देता है कि वह आश्रम के पास आएगा, तो उसकी मौत हो जाएगी। कालांतर में दुंदभी का भाई मायावी वानर राज बाली को युद्ध के लिए ललकारता है। वानर राज बाली पुन: युद्ध के लिए आता है। बाली कई बार मायावी को समझाता है कि वह लौट जाए। युद्ध करेगा, तो उसकी मौत निश्चित है। हालांकि, मायावी नहीं मानता है। तब बाली मायावी का पीछा करने लगता है।

मायावी एक गुफा में जाकर छिप जाता है। यह देख बाली अपने भाई सुग्रीव को गुफा के बाहर इंतजार करने के लिए कहता है। यह कहकर बाली गुफा के अदंर जाकर मायावी से लड़ने लगता है। कुछ समय बाद गुफा से तेज आवाज आती है। इसके बाद रक्त की धारा गुफा से बाहर आती है। यह देख सुग्रीव को लगता है कि मायावी ने बाली का वध कर दिया है। यह सोच गुफा को पत्थर से बंदकर सुग्रीव किष्किधां लौट आता है।

प्रजा में यह सूचना फैल जाती है कि वानर बाली को युद्ध में वीरगति प्राप्त हुई है। यह जान सुग्रीव को नया राजा बनाया जाता है। कुछ दिनों बाद बाली पुन: लौटकर अपने राज आता है। यह देख सब हैरान हो जाते हैं। क्रोधित बाली अपने भाई के कार्य से अप्रसन्न हो जाता है और तत्काल राज छोड़ने का आदेश देता है। हालांकि, सुग्रीव की पत्नी को जाने नहीं देता है और अपने साथ रख लेता है। इस वजह से वानर बंधुओं के बीच युद्ध हुआ था।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

बाली और सुग्रीव में क्या संबंध था?

वालि (संस्कृत) या बालि रामायण का एक पात्र है। वह सुग्रीव का बड़ा भाई था। वह किष्किन्धा का राजा था, इन्द्र का पुत्र बताया जाता है तथा बंदरों के रूप थे।

Sugriv किसका पुत्र था?

सुग्रीव रामायण के एक प्रमुख पात्र है। इनके पिता सूर्यनारायण और माता अरुण देव थे। बालि इनके बड़े भाई थे। हनुमान के कारण भगवान श्री राम से उनकी मित्रता हुयी।

बाली और सुग्रीव की उत्पत्ति कैसे हुई?

इस दौरान इंद्र देव की मणि सुंदरी के पास जा गिरी जिससे एक वानर का जन्म हुआ। क्योंकि वानर का जन्म युवती के बालों से हुआ था इसलिए इसका नाम बाली पड़ा। जबकि इसी युवती के गले पर सूर्य की मणि जा गिरी जिससे एक और वानर का जन्म हुआ जो आगे चलकर सुग्रीव के नाम से जाना गया।

बाली और सुग्रीव के बीच मनमुटाव का क्या कारण था?

क्रोधित बाली अपने भाई के कार्य से अप्रसन्न हो जाता है और तत्काल राज छोड़ने का आदेश देता है। हालांकि, सुग्रीव की पत्नी को जाने नहीं देता है और अपने साथ रख लेता है। इस वजह से वानर बंधुओं के बीच युद्ध हुआ था।