भाषा का अर्थ क्या है इसके कारण क्या हुआ है? - bhaasha ka arth kya hai isake kaaran kya hua hai?

हम इंसान अपनी बातों को, अपने विचारों को दुनिया तक अगर पहुँचा पाए हैं, तो वह सिर्फ भाषा के कारण संभव हुआ है। आज अगर भाषा नहीं होती तो दुनिया आज जितनी विकसित और उन्नत है उतनी नहीं होती। व्यक्ति को भाषा की परिभाषा की समझ होनी चाहिए और पता होना चाहिए कि कैसे भाषा हमारे और हमारे देश के विकास में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

भाषा की परिभाषा (bhasha ki paribhasha) को अगर सरल शब्दों में समझाएँ तो इसका अर्थ है वह साधन जिससे व्यक्ति लिखकर या बोलकर अपने दिल और दिमाग की बातें लोगों तक पहुंचाते हैं। अगर आप भाषा का अर्थ गहराई में समझना चाहते हैं तो उसके लिए आपको ये लेख पूरा पढ़ना चाहिए। इसमें हम आपको भाषा की परिभाषा (bhasha ki paribhasha), प्रकृति और महत्व के बारे में बताने वाले हैं।

 

भाषा की परिभाषा और अर्थ (Bhasha Ki Paribhasha)

हम इंसान समाज में रहते हैं और हम अपने विचार एक दूसरे के साथ भाषा के जरिए ही शेयर कर पाते है और अगर भाषा न होती तो शायद आज सम्पूर्ण समाज दिशाहीन होता। भाषा का शाब्दिक अर्थ कहे तो भाषा शब्दों का समूह है जो क्रमबद्ध और संयोजित है। भाषा के कारण ही नए आविष्कारों और ज्ञान का विकास हो पाया है। इसके बिना मानव अपनी बात अभिव्यक्त करने में सफल नहीं होता और समझ का विकास वही का वही रह जाता।

कह सकते है भाषा मनुष्य के लिए एक ऐसा वरदान है जिसने उसके जीवन को फर्श से लेकर शीर्ष तक पहुंचा दिया। भाषा ही सम्पूर्ण दुनिया में सभ्यता, संस्कृति और विज्ञान का आधार है। सरल शब्दों में आप भाषा की परिभाषा (bhasha ki paribhasha) कहे तो भाषा वह माध्यम है जिससे बोलने वाला और सुनने वाला अपने विचारो और मन के भावों को बता सकते हैं और समझ सकते है।

 

ऐसा और ज्ञान पाना चाहते हैं? यह भी पढ़ें फिर:

वेद कितने प्रकार के होते हैं ?

9 शक्तिशाली भगवद गीता श्लोक हिंदी में अर्थ के साथ

 

भाषा की प्रकृति (Bhasha Ki Prakriti)

अब आप भाषा की परिभाषा (bhasha ki paribhasha) जान गए हैं, अब हम भाषा की प्रकृति को समझते हैं। भाषा की परिभाषा (bhasha ki paribhasha) वह आधार है जिससे मानव का विकास हुआ है। कह सकते है कि भाषा विचारों और भावों की जननी और अभिव्यक्ति का साधन है। इसी के बल पर आज का व्यक्ति पहले के मुकाबले बहुत उन्नत है। भाषा की प्रकृति की बात करें तो भाषा की 8 प्रकृतियाँ हैं।

1) भाषा किसी की भी पैत्रिक संपत्ति नहीं है

भाषा पैत्रिक संपत्ति नहीं है अर्थात भाषा पर किसी एक का अधिकार नहीं है। व्यक्ति जिस देश में रहता है वहां की भाषा बोलने लगता है। उदाहरण के रूप में यदि भारत देश का कोई बच्चा अगर अमेरिका चला जाए तो वह वहां की भाषा बोलने लगेगा।

2) भाषा को उत्पन्न नहीं कर सकते लेकिन अर्चन कर सकते है

भाषा का जन्म समाज और परंपराओं अनुसार होता है। कोई व्यक्ति किसी भाषा को नहीं बना सकता है। वह चाहे तो उसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन कर सकता है।

3) भाषा का अर्जन अनुकरण करने से होता है

भाषा की इस प्रकृति को इस तरह समझा जा सकता है, कि छोटा सा बच्चा बड़ों को बोलते हुए सुनकर धीरे धीरे बोलना सीखता है अर्थात वह अपने माता पिता और घर वालो का अनुकरण करके भाषा सीखता है।

4) भाषा व्यक्ति की अर्जित संपत्ति है

इसका अर्थ है व्यक्ति की भाषा वह जिस माहौल और जिस तरह के परिवार में रहता है उसकी भाषा को अपना लेता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई बच्चा किसी बिहारी भाषी परिवार में पैदा हुआ है तो वह उसी अंदाज में बात करना सीखता है।

5) भाषा सामाजिक वास्तु है

भाषा सामाजिक वास्तु इसलिए है क्योंकि व्यक्ति की भाषा समाज से ही बनी है और व्यक्ति को भाषा की ज़रूरत समाज में लोगों से संपर्क करने, उनसे विचारो के आदान प्रदान करने और अपने कामों को पूरा करने के लिए ही पड़ती है।

6) भाषा परिवर्तनशील है

भाषा परिवर्तनशील है अर्थात भाषा पर व्यक्ति के माहोल का असर पड़ता है। व्यक्ति अगर दक्षिण भारत में रहेगा तो उसकी हिंदी भाषा में थोड़ा सा परिवर्तन ज़रूर होगा। उसके हिंदी बोलने और उत्तर भारत में हिंदी बोलने के लहज़े में फर्क होगा।

7) भाषा का कोई अंतिम स्वरुप नहीं है

इसका अर्थ है भाषा में हमेशा ही परिवर्तन होते रहेंगे और इसका कोई अंतिम स्वरुप नहीं होगा। भाषा हमेशा ही समाज में उपयोग में लाई जाती रहेगी।

8) भाषा जटिलता से सरलता की ओर चलती है

इसका अर्थ है की भाषा की मदद से कोई भी काम सरलता से किया जा सकता है अर्थात कम समय में और कम मेहनत करके ज्यादा काम भाषा के इस्तेमाल से ही हो सकता है।

 

इसके अलावा भाषा की और भी प्रकृतियाँ और विशेषताएं हैं जैसे-

  • भाषा से व्यक्ति अपनी जानकारी और अपने ज्ञान को दूसरे लोगों तक पहुँचा सकता है।
  • भाषा में चिन्हों, ध्वनियों, संकेतों, व्याकरण आदि को शामिल किया जाता है।
  • भाषा में चार चीजें शामिल है बोलना, सुनना, लिखना और पढ़ना।
  • भाषा लिखित और मौखिक दोनों होती है।

 

 

भाषा का महत्व (Bhasha Ka Mahatva)

अब आप भाषा की परिभाषा (bhasha ki paribhasha), उसकी  प्रकृति जानने के बाद उसके महत्व को जानेंगे।

  • भाषा मानवता के विकास का आधार है। भाषा की मदद से ही मनुष्य अपने विचारों को और अपने भावों को व्यक्त करते है। जब से व्यक्ति इस धरती पर आया है तब से वह किसी न किसी तरह की भाषा का इस्तेमाल करता आया है।
  • हर देश की अपनी राष्ट्र भाषा होती है जो पूरे देश के लोगों को एक सूत्र में पिरोती है। किसी भी देश के विकास में और उसको विकसित बनाने में भाषा का बहुत बड़ा हाथ है। देश का साहित्य, अध्यात्म सब भाषा की मदद से ही आगे बढ़ता रहता है।
  • भाषा का और व्यक्ति के भावों का गहरा नाता है। भाषा पर देश के चिंतको और महापुरुषों का बहुत प्रभाव होता है। भाषा पर देश की संस्कृति और परमात्माओं का भी असर देखने को मिलता है। भाषा ही वह आधार है जिससे व्यक्ति अपने पूर्वजों के विचारों और उनके भावों को स्नेह के साथ सुरक्षित रख पाता है। भाषा के जरिए ही पूर्वजों का ज्ञान आज के लोगों तक और आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखा गया है।
  • भाषा का किसी देश की एकता और अखंडता बनाए रखने में भी बहुत बड़ा हाथ है। देश के प्रति देश भक्ति भाव, उसके प्रति भक्ति भाषा से ही प्रकट होती है और भाषा से ही बढ़ती है। भाषा व्यक्ति को ईश्वर के भी करीब लाती है। भाषा के जरिए ही व्यक्ति अपनी भक्ति को प्रकट कर पाता है।
  • भाषा से व्यक्ति अपने विचारों और अपने भावों को सरलता से समझा देता है। आवाज तो जानवरों और पक्षियों में भी है लेकिन भाषा सिर्फ मनुष्य के पास है। इसी के जरिए व्यक्ति अपने सारे सुख और दुःख प्रकट करता और बांटता है।
  • भाषा किसी भी क्षेत्र में ज्ञान पाने और ज्ञान देने का प्रमुख साधन है। इसी के जरिए ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जाता है।
  • भाषा व्यक्ति को, समाज को और देश को एक सूत्र में बांधती है। भाषा से ही विचारो और संस्कृति का आदान प्रदान होता है। भाषा से ही विद्वानों द्वारा अर्जित ज्ञान सम्पूर्ण राष्ट्र तक पहुंच पाता है।
  • भाषा का व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में भी बहुत बड़ा हाथ है। भाषा की मदद से ही व्यक्ति अपनी कला और प्रतिभा को समाज, देश और दुनिया के सामने ला पाता है। भाषा से ही उसका विकास होता है और उसका विकास उसके व्यक्तित्व को निखारता है।
  • भाषा से व्यक्ति चिन्तन और मनन कर पाता है। इसी से वह अपने विचारो को एक नई उड़ान देता है। उसके चिन्तन से उभरे विचार उसका और देश का विकास करने में सक्षम हैं।
  • भाषा से उसका विकास होता है और विकास से उसकी जीवनशैली, उसकी सोच सुधरती है।
  • किसी भी देश की कला और संस्कृति को दुनिया तक लाने और उसे विकसित करने में भाषा का बहुत बड़ा योगदान है। भाषा के जरिए ही लोग विशेषज्ञों और कलाकारों की प्रतिभा को जांच पाते है और उसका आनंद ले जाते है।

 

आशा है अब आप भाषा की परिभाषा (bhasha ki paribhasha) समझ गए होंगे और आपको भाषा की परिभाषा (bhasha ki paribhasha) के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान हो गया होगा।

भाषा का क्या अर्थ है उसके कारण क्या हुआ है?

'भाषा' का अर्थ है – सार्थक शब्दों का व्यवस्थित क्रमबद्ध संयोजन। भाषा के कारण ही दुनिया की सभी ज्ञानशाखाओं का विकास हुआ है। भाषा ही सभी प्रगति की जड़ में है।

भाषा का क्या अर्थ है लिखिए?

भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है। सार्थक शब्दों के समूह या संकेत को भाषा कहते है।

भाषा का अर्थ क्या है class 7?

अपने मन के भावों और विचारों को बोलकर, लिखकर या पढ़कर प्रकट करने के साधन को 'भाषा' कहते हैं। मौखिक भाषाभाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति बोलकर विचार प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति सुनकर उसे समझता है, उसे मौखिक भाषा कहते हैं।

भाषा का अर्थ क्या है इसके विभिन्न रूपों का वर्णन करें?

विचार और भाव-विनिमय के साधन के लिखित रूप को हम वस्तुतः भाषा कहते है। इस प्रकार मनुष्य के भावों, विचारों और अभिप्रेत अर्थो की अभिव्यक्त के ध्वनि-प्रतीकमय साधन को भाषा कहते है। जिस वक्त भाषा का वर्तमान रूप निर्मित हुआ था, उस समय मानव संकेतों के माध्यम से अपना काम चलाता होगा।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग