भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कौन से अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की घोषणा की गई? - bhaarateey raashtreey kaangres ke kaun se adhiveshan mein poorn svaraajy kee ghoshana kee gaee?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कौन से अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की घोषणा की गई? - bhaarateey raashtreey kaangres ke kaun se adhiveshan mein poorn svaraajy kee ghoshana kee gaee?

१९३१ में यह ध्वज, 'भारत के ध्वज' के रूप में स्वीकार किया गया। बाद में आजाद हिन्द फौज ने इसी ध्वज का उपयोग किया।

१९ दिसम्बर १९२९ को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी और लोगों ने ब्रितानी साम्राज्य से पूरी तरह से स्वतंत्र होकर 'अपना राज' बनाने के लिए संघर्ष करने की प्रतिज्ञा की थी।

31 दिसम्बर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ। इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस के ‘पूर्ण स्वराज’ का घोषणा-पत्र तैयार किया तथा 'पूर्ण स्वराज' को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया। जवाहरलाल नेहरू, इस अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गये।

अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रेरक अध्यक्षीय भाषण में कहा “विदेशी शासन से अपने देश को मुक्त कराने के लिये अब हमें खुला विद्रोह करना है, और कामरेड आप लोग और राष्ट्र के सभी नागरिक इसमें हाथ बढ़ाने के लिए सादर आमंत्रित है”। नेहरू ने यह बात भी स्पष्ट कर दी कि मुक्ति का तात्पर्य सिर्फ विदेशी शासन को उखाड़ फेंकना भर नहीं है। उन्होंने कहा “मुझे स्पष्ट स्वीकार कर लेना चाहिए कि मैं एक समाजवादी और रिपब्लिकन हूं। मेरा राजाओं और महाराजाओं में विश्वास नहीं है, न ही मैं उस उद्योग में विश्वास रखता हूं जो राजे-महाराजे पैदा करते हैं, और जो पुराने राजों-महाराजों से अधिक जनता की जिन्दगी और भाग्य को नियंत्रित करते हैं और जो पुराने राजों-महाराजों और सामंतों के लूटपाट और शोषण का तरीका अख्तियार करते हैं”।

लाहौर अधिवेशन में पास किये गये प्रस्ताव की प्रमुख मांगें इस प्रकार थीं-

  • गोलमेज सम्मेलन का बहिष्कार किया जायेगा।
  • पूर्ण स्वराज्य को कांग्रेस ने अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किया।
  • कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने का पूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा गया, जिनमे करों का भुगतान नहीं करने जैसे कार्यक्रम सम्मिलित थे।
  • सभी कांग्रेस सदस्यों को भविष्य में कौंसिल के चुनावों में भाग न लेने तथा कौंसिल के मौजूदा सदस्यों को अपने पदों से त्यागपत्र देने का आदेश दिया गया।
  • 26 जनवरी 1930 का दिन पूरे राष्ट्र में प्रथम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया।

31 दिसम्बर 1929 की अर्द्धरात्रि को 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारों के बीच रावी नदी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा झंडा फहराया गया। इसके बाद 26 जनवरी 1930 को पूरे राष्ट्र में जगह-जगह सभाओं का आयोजन किया गया, जिनमें सभी लोगों ने सामूहिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त करने की शपथ ली। इस कार्यक्रम को अभूतपूर्व सफलता मिली। गांवों तथा कस्बों में सभायें आयोजित की गयीं, जहां स्वतंत्रता की शपथ को स्थानीय भाषा में पढ़ा गया तथा तिरंगा झंडा फहराया गया।