भारत में सार्वजनिक वित्त को कौन नियंत्रित करता है? - bhaarat mein saarvajanik vitt ko kaun niyantrit karata hai?

इसे सुनेंरोकेंव्यवसाय उपक्रमों की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अंश पूंजी के अलावा जिस पूंजी का उपयोग किया जाता है उसे ऋण पूंजी कहते हैं। यह पूंजी ऋणदाताओं द्वारा प्रदान की जाती है और यह ऋण निगमों द्वारा ऋण पत्रों, बन्ध पत्रों एवम् सावधि ऋणों के माध्यम से प्राप्त की जाती है।

सार्वजनिक आय से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंसार्वजनिक आय क्या है? (sarvajanik aay kise kahte hai) सरकार को जो समस्त स्त्रोतों से आय प्राप्त होती है, उसे सार्वजनिक आय कहा जाता है। सूक्ष्म दृष्टिकोण के अनुसार, उन प्राप्तियों को सार्वजनिक आय मे शामिल किया जाता है, जो सरकार को नियमित रूप से प्राप्त होती है अर्थात् जिसे सरकार को वापस लौटना नही पड़ता।

तनाव प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंतनाव प्रबंधन का अर्थ है मानसिक तनाव में कमी लाना, विशेषतः पुराने तनाव में।

राजकोषीय नीति से आपका क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंराजकोषीय नीति (Fiscal Policy) का आशय वित्त प्रबंधन के लिए खास उपायों के अपनाने से है. इसकी मदद से सरकार खर्चों के स्तर और टैक्स की दरों को एडजस्ट करती है. इसका अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ता है. यह वैसे ही होता है जैसे मौद्रिक नीति के जरिए केंद्रीय बैंक सिस्टम में पैसों की आपूर्ति को नियंत्रित करता है.

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सार्वजनिक जमा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार, सार्वजनिक जमा एक कंपनी द्वारा असुरक्षित ऋण के रूप में जनता से प्राप्त जमा को संदर्भित करता है। कंपनियां सार्वजनिक जमा को पसंद करती हैं क्योंकि ये जमा बैंक ऋण से सस्ते होते हैं। जनता अच्छी तरह से स्थापित कंपनियों के साथ पैसा जमा करना पसंद करती है क्योंकि सार्वजनिक जमा पर ब्याज की दर बैंक जमा पर अधिक है।

इसे सुनेंरोकेंऋणपत्रों का स्कन्ध बाजार में क्रय-विक्रय किया जा सकता है। कम्पनी प्रविवरण जारी करके ऋणपत्रों के माध्यम से सार्वजनिक जनता से ऋण प्राप्त करती है। ऋण पत्रों की अवधि बहुधा दीर्घकालीन होती है जिनका शोध्य दस वर्षों से पूर्व नहीं होता। कम्पनी विघटन की स्थिति में ऋणपत्रों की रकम वापसी अंश पूंजी से पहले होती है।

सार्वजनिक आय का प्रमुख स्रोत कौन सा है?

इसे सुनेंरोकें(अ) कर आय कर सार्वजनिक आय का सबसे प्राचीनतम स्त्रोत है। आज भी सार्वजनिक आय का अधिकांश भाग करों के रूप मे ही प्राप्त किया जाता है। कर राज्य की अनिर्वाय रूप से चुकायी जाने वाली राशि है।

सार्वजनिक व्यय से क्या आशय है इसके विभिन्न सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंसार्वजनिक व्यय से तात्पर्य उन खर्चों से है जो सरकार अपने रखरखाव के लिए और साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए भी खर्च करती है। इसका अर्थ है सार्वजनिक प्राधिकरणों का खर्च – केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारें – या तो नागरिकों की रक्षा करना या उनके सामाजिक और आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देना।

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सार्वजनिक व्यय का मुख्य सिद्धांत क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस सिद्धान्त की मान्यता यह है कि (i) उत्पादन में वृद्धि होनी चाहिए। (ii) उत्पादित वस्तुओं का वितरण उचित ढंग से होना चाहिये, (iii) आर्थिक विषमता और बेरोजगारी दूर होनी चाहिये, (iv) समाज को अधिकतम लाभ व सुविधा प्राप्त होनी चाहिये, (v) आन्तरिक शान्ति व व्यवस्था होनी।

सार्वजनिक वित्त क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंसार्वजनिक वित्त से अभिप्राय किसी देश की सरकार के वित्तीय साधनों अर्थात् आय और व्यय से है। अन्य शब्दों में, सरकार की आय तथा व्यय सम्बन्धी समस्याओं के अध्ययन को सार्वजनिक वित्त कहते है।

1 सार्वजनिक वित्त क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइसलिए सार्वजनिक वित्त का अर्थ है, सार्वजनिक अधिकारियों की आय और व्यय और एक से दूसरे का समायोजन। जब हम जनता की बात करते हैं तो हमारा मतलब सार्वजनिक अधिकारियों से है। सार्वजनिक प्राधिकरणों में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय शासी निकाय शामिल हैं। जब हम वित्त के बारे में बात करते हैं, तो हमारा मतलब है आय और व्यय।

सार्वजनिक आय से व्यय की अधिकता क्या कहलाती है?

इसे सुनेंरोकें2. सार्वजनिक व्यय का आधिक्य का सिद्धांत: इसका अभिप्राय है कि सरकार को घाटे से बचना चाहिए और आधिक्य का बजट बनाना चाहिए। 3. सार्वजनिक व्यय का लोच का सिद्धांत: इसका अर्थ है कि सरकार की व्यय नीति में लोच होनी चाहिए अर्थात् देष की आवश्यकताओं के अनुसार सार्वजनिक व्यय के आकार और दिषा में परिवर्तन संभव हो।

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सार्वजनिक आय का क्या अर्थ है स्पष्ट करें?

इसे सुनेंरोकेंसार्वजनिक आय क्या है? – Quora. सार्वजनिक व्यय (पब्लिक एक्सपेन्डीचर) से अभिप्राय उन सब खर्चों से है जिन्हें किसी देश की केन्द्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकारें अपने प्रशासन, सामाजिक कल्याण, आर्थिक विकास तथा अन्य देशों की सहायता के लिए करती है।

अधिकतम सामाजिक लाभ सिद्धांत क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसरकार की राजकोशीय व बजटीय गतिविधियां संपूर्ण अर्थव्यवस्था को बहुत प्रभावित करती है। इसलिए सार्वजनिक वित्त लगाते समय सार्वजनिक वित्त के कार्यों के लिए कुछ ऐसे कारक स्थापित किए जाए जिससे अधिकतम सामाजिक कल्याण प्राप्त किया जा सके। इसी कारण इस सिद्धांत को अधिकतम सामाजिक लाभ का सिद्धांत कहा जाता है।

व्यय से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंव्यय – संज्ञा पुलिंग [संस्कृत] 1. किसी पदार्थ का, विशेषतः धन आदि का, इस प्रकार काम में आना कि वह समाप्त हो जाय । किसी चीज का किसी काम में लगना । खर्च ।

सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंसरकार को बुनियादि आवश्यकताओं की उपलब्धता, Page 3 अवसंरचनात्मक सुविधाओं का विस्तार, वैज्ञानिक खोज और शोध, विभिन्न क्षेत्रों यथा – कृषि, उद्योग आदि का विकास, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का आधुनिकीकरण, यातायात और संचार सुविधाओं का प्रसार आदि के लिए अत्यधिक व्यय करना पड़ रहा है जिसके कारण सार्वजनिक व्यय में वृद्धि हो रही …

भारत में सार्वजनिक वित्त को कौन नियंत्रण करता है?

व्यय विभाग केंद्र सरकार में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली की निगरानी करने और राज्य वित्त से जुड़े मामलों के लिए नोडल विभाग है। यह वित्त आयोग और केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन, लेखापरीक्षा टिप्पणियों/अभ्युवक्ति यों की निगरानी, केंद्र सरकार के लेखाओं को तैयार करने के लिए जिम्मेदार है।

भारत सरकार के व्यय को कौन नियंत्रित करता है?

सही उत्तर वित्त मंत्रालय है। सरकारी व्यय का नियंत्रण प्राधिकरण वित्त मंत्रालय है।

सार्वजनिक वित्त के कार्य को क्या कहा जाता है?

अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका का अध्ययन लोक वित्त (Public finance) कहलाता है। यह अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो सरकार के आय (revenue) तथा व्यय का आकलन करती है। अर्थात सार्वजनिक वित्त सरकार के आय व व्यय का विस्तृत अध्ययन है।

सार्वजनिक वित्त क्या है समझाइए?

इसलिए, सार्वजनिक शब्द सामान्य लोगों को संदर्भित करता है और वित्त शब्द का अर्थ संसाधनों से है। इसलिए सार्वजनिक वित्त का मतलब जनता के संसाधनों से है, उन्हें कैसे एकत्रित किया जाता है और कैसे उपयोग किया जाता है। इस प्रकार, सार्वजनिक वित्त अर्थशास्त्र की शाखा है जो सरकार के कर निर्धारण और व्यय गतिविधियों का अध्ययन करता है।