भारत का प्रथम परमाणु परीक्षण कब और कहां हुआ था? - bhaarat ka pratham paramaanu pareekshan kab aur kahaan hua tha?

विषयसूची

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  • 1 प्रथम परमाणु परीक्षण कब हुआ?
  • 2 भारत में कितने परमाणु संयंत्र हैं?
  • 3 भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण का नाम क्या था?
  • 4 1974 में पोखरण में हुए भारत के प्रथम नाभिकीय परीक्षण के समय परमाणु ऊर्जा आयोग Atomic Energy Commission के चेयरमैन कौन थे?
  • 5 भारत में पहला परमाणु परीक्षण कब और कहां किया था?
  • 6 पोखरण परमाणु परीक्षण के समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?

प्रथम परमाणु परीक्षण कब हुआ?

इसे सुनेंरोकें1974 में 18 मई का दिन एक ऐसी अहम घटना के साथ इतिहास में दर्ज है, जिसने भारत को दुनिया के परमाणु संपन्न देशों की कतार में खड़ा कर दिया. भारत ने आज ही के दिन राजस्थान के पोखरण में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था. इस परीक्षण को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ का नाम दिया गया था.

भारत में कितने परमाणु संयंत्र हैं?

इसे सुनेंरोकेंवर्तमान मे कुल 22 परमाणु ऊर्जा संयंत्र कार्यरत हैं जिनकी कुल क्षमता :6780 MWe है ।

भारत में वर्तमान में कितने परमाणु रिएक्टर हैं?

इसे सुनेंरोकेंभारत में वर्तमान में कितने परमाणु रिएक्टर कार्यरत हैं? भारत में इस वक्त 7 परमाणु संयत्र हैं। जिसमें 22 परमाणु रिएक्टर संचालित हो रहे हैं। इनसे हमें 6 हजार मेगावाट से ज्यादा ऊर्जा मिलती है।

इसे सुनेंरोकेंQ. 4 भारत में पहला परमाणु परीक्षण कब किया गया था? स्माइलिंग बुद्धा (पोखरण- I) 18 मई 1974 को भारत का पहला सफल परमाणु बम परीक्षण था।

पोकरण से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंपोखरण का शाब्दिक अर्थ है पांच मृगमरीचिकाओं का स्थान। यह स्थल पहली बार सुर्खियों में तब आया, जब भारत ने यहां श्रृंखलाबद्ध परमाणु परीक्षण किए। 18 मई, 1974 को, पोखरण में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया, जिसका कूट था ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा।

भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण का नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंबेलनाकार आकार परमाणु बम, शक्ति 1, अपने विस्फोट से पहले। पोखरण-2 मई 1998 में पोखरण परीक्षण रेंज पर किये गए पांच परमाणु बम परीक्षणों की श्रृंखला का एक हिस्सा है। यह दूसरा भारतीय परमाणु परीक्षण था; पहला परीक्षण, कोड नाम स्माइलिंग बुद्धा (मुस्कुराते बुद्ध), मई 1974 में आयोजित किया गया था।

1974 में पोखरण में हुए भारत के प्रथम नाभिकीय परीक्षण के समय परमाणु ऊर्जा आयोग Atomic Energy Commission के चेयरमैन कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंउस समय यानी परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष होमी नौशेरवानजी सेठना थे और बीएआरसी में निदेशक के पद पर रामन्ना कार्यरत थे। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ का नेतृत्व कर रहे थे डॉ नाग चौधरी। इन सभी पर अन्य संस्थाओं के समन्वय से परमाणु परीक्षण को अंजाम देने की जिम्मेदारी थी। 18 मई, 1974 को बुद्ध जयंती थी।

भारत में दूसरा परमाणु परीक्षण कब किया?

इसे सुनेंरोकें11 मई 1998 को, राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में पांच परमाणु परीक्षणों में से पहले, ऑपरेशन शक्ति मिसाइल को सफलतापूर्वक फायर किया गया था. पोखरण परमाणु परीक्षण भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में भारत द्वारा किए गए पांच परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों की एक श्रृंखला थी.

प्रथम परमाणु बम कब बनाया गया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर जाने कौन भूल सकता है सोमवार 16 जुलाई, 1945 के उस दिन को, जब प्रातःकाल 5:30 बजे विश्व के प्रथम परमाणु बम का परीक्षण किया गया था। इस परीक्षण के लिए अमेरिका के लाॅस अलामोस से 200 मील दूर अलेमो गोर्डो (Alamogordo) के उत्तर के रेगिस्तानी भाग को चुना गया था।

भारत में पहला परमाणु परीक्षण कब और कहां किया था?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परिक्षण स्माइलिंग बुद्धा (पोखरण-१) १८ मई १९७४ को किया था। हलांकि उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिये होगा और यह परीक्षण भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है।

पोखरण परमाणु परीक्षण के समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंकिंतू राश्ट्र के इस महान उपलब्धि के सामने लोगों को अपने घरो के टुटने से इतनी चिंता नहीं हुई जितनी प्रसन्नता इस महान सफलता से हुई। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी २० मई को बुद्ध-स्थल पहुंचे। वही प्रधानमंत्री ने देश को एक नया नारा दिया’जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान’। सभी देशवासी प्रधान मंत्री के साथ-साथ गर्व से भर उठे।

दो साल बाद फिर से अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के दफ्तर में लौटे और इसके दो महीने बाद ही जबरदस्त थमाका हुआ. धमाका ऐसा कि पूरी दुनिया की आंखें फटी रह गईं.

“ये बदला हुआ भारत है, जो दुनिया से आंख मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहता है. यह किसी प्रतिबंध से झुकेगा नहीं और शांति व सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा.”

परमाणु परीक्षण के बाद उठे सवालों का संसद में जवाब देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना इरादा साफ कर दिया था. 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों की वर्षगांठ तथा अंतरिक्ष में भारत की ऊंची उड़ान का प्रतीक है.

अरमानों पर पहले फिर चुका था पानी

साल 1995 में भारत की परमाणु बम के परीक्षण करने की कोशिश नाकाम हो चुकी थी. अमेरिकी सैटेलाइट और खुफिया एजेंसी ने भारत के किए धरे पर पूरी तरह से पानी फेर दिया था. इसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर परमाणु परीक्षण की ओर बढ़े अपने कदम वापस खींच लिए थे. उस वक्त देश की सत्ता में बदलाव का दौर था.

वाजपेयी का ‘बोल्ड’ फैसला

साल 1996 में देश की गद्दी पर पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत के अभाव में उनकी सरकार सिर्फ 13 दिन ही चल सकी. कहा जाता है कि अपने पहले सिर्फ 13 दिन के कार्यकाल में वाजपेयी ने बतौर प्रधानमंत्री सिर्फ इकलौता फैसला परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करने का लिया था.

अब्दुल कलाम थे मिशन के प्रमुख

दो साल बाद फिर से अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के दफ्तर में लौटे और इसके दो महीने बाद ही जबरदस्त थमाका हुआ. धमाका ऐसा कि पूरी दुनिया की आंखें फटी रह गईं. दोबारा प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने डीआरडीओ प्रमुख डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और परमाणु ऊर्जा के प्रमुख राजगोपाल चिदंबरम को परमाणु परीक्षण की मंजूरी दे दी. इस परीक्षण का नेतृत्व एयरोस्पेस इंजीनियर और दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था.

जब रोकना पड़ा परिक्षण

जनक राज राय ने अपनी किताब ‘पोखरण 2- द एक्प्लजन दैट रॉक्ड द वर्ल्ड’में परीक्षण वाले दिन के आखिरी घंटो का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा ” 11 मई के दिन सुबह बंकर में सेटअप किए पैनल्स में से एक स्विच को दबाते ही कंप्यूटर पर काउंट डाउन टाइमर चमकने लगा. उस वक्त सुबह के करीब 9 बजे थे. इन्ही पैनल्स में से निकलकर एक इलेक्ट्रिकल करंट को ट्रिगर डिवायसेस तक पहुंचना था और परमाणु बम की एक सीरज के विस्फोटों से पूरी दुनिया के सामने भारत को तकातवर शक्ति के रूप में पहचान मिलने वाली थी.

…और मुस्कुरा उठे बुद्ध

परीक्षण से करीब एक घंटे पहले उस रेंज का मौसम विभाग का एक अधिकारी, जिसका नाम अदि मर्जबान था, बंकर में दाखिल हुआ और वो वहां बैठे दो जर्नल्स को सैल्यूट किए बिना ही पास रखी प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठ गया. उसने बताया कि अचानक से इस समय हवा की रफ्तार तेज हो गई है. जब तक हवा नहीं रुके तब तक हमें परीक्षण रोकना होगा.

परीक्षण को कुछ देर के लिए रोका गया और सभी की नजरों उड़ रहीं रेतों पर जम गईं. हवा थमी और करीब 3:45 बजे ट्रिगर दबा और फिर हुआ जबरदस्त विस्फोट. ऐसा ताकतवर विस्फोट कि पोखरण की रेतली जमीन कांप उठी, रेत के बवंडर ने सबकुछ ओझल कर दिया और 11 मई 1998 को बुद्ध एक बार फिर से मुस्कुरा उठे.

विस्फोटों की थी श्रृंखला

1995 में अमेरिकी सेटेलाइटों की वजह से नाकाम हो चुका भारत, पोखरण 2 अभियान के समय अमेरिकी सेटेलाइट को चकमा देते हुए गुप्त तैयारी के बाद अंजाम तक पहुंचाने में सफल हुआ था. 11 मई 1998 को, राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में पांच परमाणु परीक्षणों में से पहले, ऑपरेशन शक्ति मिसाइल को सफलतापूर्वक फायर किया गया था. पोखरण परमाणु परीक्षण भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में भारत द्वारा किए गए पांच परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों की एक श्रृंखला थी.

पोखरण में तब तीन बमों का सफल परीक्षण किया गया था. इसके बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक परमाणु देश घोषित किया तथा इसके साथ ही भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के ‘परमाणु क्लब’ में शामिल होने वाला छठा देश बना था.

1972 से शुरू हुई थी भारत की परमाणु यात्रा

भारत ने अपनी पहली परमाणु यात्रा 7 सितंबर, 1972 को शुरू की थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिकों को एक स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए परमाणु उपकरण के निर्माण के लिए अधिकृत किया था. राजस्थान के पोखरण में भारत का पहला परमाणु परीक्षण शांतिपूर्ण तरीके से 18 मई 1974 को आयोजित हुआ था.

इसका नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ रखा गया था, लेकिन उस वक्त भारत को अमेरिका जैसे औद्योगिक देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा. उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि ऐसे परीक्षणों से परमाणु प्रसार हो सकता है और दुनिया में अशांति फैल सकती है.

ताकत सम्मान लाती है: कलाम

1998 के तुरंत बाद नहीं, लेकिन निश्चित रूप से कुछ वर्षों बाद विश्वपटल पर भारत की छवि मजबूत हुई है. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि ताकत सम्मान लाती है. ये 1998 के परमाणु परीक्षण का ही परिणाम है कि आज भारत आईटीईआर में भागीदार है, बड़ी संख्या में अंतर्राष्ट्रीय मेगा-विज्ञान परियोजनाओं जैसे लीगो और थर्टी मीटर टेलीस्कोप का हिस्सा हैं. प्रौद्योगिकी में हम दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं.

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भारत ने पहला परमाणु परीक्षण कब और कहाँ किया?

18 मई 1974 को राजस्थान के पोखरण में शांतिपूर्ण तरीके से परमाणु विस्फोट किया गया. टेस्ट को नाम दिया गया था स्माइलिंग बुद्धा (Smiling Buddha).

भारत का पहला परमाणु परीक्षण कब किया था?

भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण मई 1974 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में किया था. इस परमाणु परीक्षण का कोडनेम था 'स्माइलिंग बुद्धा'.

भारत में दूसरा परमाणु परीक्षण कब किया गया था?

पोखरण-2 मई 1998 में पोखरण परीक्षण रेंज पर किये गए पांच परमाणु बम परीक्षणों की श्रृंखला का एक हिस्सा है। यह दूसरा भारतीय परमाणु परीक्षण था; पहला परीक्षण, कोड नाम स्माइलिंग बुद्धा (मुस्कुराते बुद्ध), मई 1974 में आयोजित किया गया था। बेलनाकार आकार परमाणु बम, शक्ति 1, अपने विस्फोट से पहले।

पहला सफल परमाणु परीक्षण कब हुआ?

इसके बाद शक्ति स्वरूपा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 18 मई 1974 को पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण कराकर विश्व के परमाणु क्षमता संपन्न देशों की सूची में भारत का नाम दर्ज करा दिया था। पोखरण-1 का नाम 'बुद्ध स्माइलिंग' (बुद्ध मुस्करा रहे हैं)। रखा गया था।