बहलुल लोदी का मकबरा दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक इमारत है, जो दिल्ली सल्तनत के सम्राट और लोदी वंश के संस्थापक, बहलुल लोदी (शासनकाल: 1451-1489 A.D) का मकबरा है। यह मकबरा एक ऐतिहासिक बस्ती, चिराग दिल्ली में स्थित है, जो जहाँपनाह शहर (तुगलक द्वारा निर्मित) की किले की दीवारों के भीतर स्थित है। यह मकबरा लोदी वास्तुकला के विकास को प्रदर्शित करने वाले बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। इसका निर्माण जुलाई 1489 ई. बहलुल लोदी के पुत्र और उत्तराधिकारी सिकंदर लोदी ने अपने पिता के निधन के बाद करवाया था।[1] चिराग दिल्ली में स्थित बहलुल लोदी के इस मकबरा की पहचान को लेकर इतिहासकारों के बीच विवाद है, जिनमें से कुछ लोदी गार्डन में स्थित शीश गुंबद को बहलुल लोदी की कब्र के स्थान के रूप में बताते हैं।[2] वास्तु-कला[संपादित करें]मकबरे का निर्माण मलबे की चिनाई से किया गया है। इसकि छत पर पाँच गुम्बद हैं। मकबरे के कक्ष के ऊपर लाल बलुआ पत्थर का एक गुंबद है। इस कब्र पर सोने का प्याला लटका हुआ है, निजाम-उद-दीन की खिजरी मस्जिद जैसे। बाड़े के उत्तर-पश्चिम कोने में असेंबली हॉल है। केंद्रीय स्तंभ चार अखंड पत्थर के स्तंभों से निकलते हैं, जो उस काल की एक अनूठी स्थापत्य विशेषता है। इसके चार पहलुओं में से प्रत्येक लाल बलुआ पत्थर के स्तंभों पर समर्थित है, जिनमे से तीन मेहराबों से टूटे हूये है। मेहराब को प्लास्टर में उकेरे गए शिलालेखों से भी सजाया गया है। [3] इसके सामने दक्षिण की ओर एक कब्र का घेरा है जिसके चारों ओर लाल बलुआ पत्थर का एक बहुत ही सुंदर जालीदार दीवार है। अष्टकोणीय आकृति जो 3-मंजिला इमारतों के बीच से निकलती है, लोदी वास्तुकला की विशिष्टता है, हालांकि उस अवधि की वास्तुकला को देखते हुए पांच गुंबद असामान्य हैं। संरक्षण[संपादित करें]बहलुल लोधी के मकबरे के अंदर कब्रें यह मकबरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में है, और 2005 में इसकी मरम्मत और जीर्णोद्धार किया गया था। एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थल मिट्टी की एक परत के नीचे था जिसकी खुदाई की जानी थी। अभिलेखीय छवियों के संदर्भ में, मकबरे को संरक्षित किया गया था और लापता हिस्सों का पुनर्निर्माण किया गया था। चूंकि मूल स्थल पर अतिक्रमण कर लिया गया था और सीमाओं को बदल दिया गया था, एक नई दीवार और मकबरे के प्रवेश द्वार का निर्माण किया गया था और संरक्षण के लिए एएसआई को सौंपा गया था.[4] परिसर[संपादित करें]स्मारक आधुनिक चिराग दिल्ली की गलियों में स्थित है, नासिरुद्दीन चिराग देहलवी (नसीरुद्दीन महमूद), जो संत निजामुद्दीन चिश्ती के एक शिष्य के दरगाह के पीछे स्थित है, जिसे आमतौर पर चिराग-ए-दिल्ली कहा जाता है, जहां वो चाहते थे कि दफन किए जाए। यहॉ लगभग एक दर्जन कब्रें खुले में बिखरी पड़ी हैं; और बहलुल लोदी की कब्र बाड़े के अंदर दो अन्य कब्रों के बगल में स्थित है। यह एक साधारण अष्टकोणीय संरचना है, जो राजा के विनम्र आचरण को दर्शाता है, जिसमें कुरान से शिलालेख हैं। संरचना में बहुत अधिक सजावटी सामग्री या भारी कीमती पत्थरों का उपयोग नहीं किया गया है, केवल इसमें कुछ कुरानिक छंद खुदे हुए हैं। [5] इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बहलोल लोदी का मकबरा किसने बनवाया?इसका निर्माण जुलाई 1489 ई. बहलुल लोदी के पुत्र और उत्तराधिकारी सिकंदर लोदी ने अपने पिता के निधन के बाद करवाया था। चिराग दिल्ली में स्थित बहलुल लोदी के इस मकबरा की पहचान को लेकर इतिहासकारों के बीच विवाद है, जिनमें से कुछ लोदी गार्डन में स्थित शीश गुंबद को बहलुल लोदी की कब्र के स्थान के रूप में बताते हैं।
सिकंदर लोदी का मकबरा कहाँ स्थित है?लोधी उद्यान, नई दिल्ली, भारतसिकन्दर लोदी / दफ़नाने की जगहnull
सिकंदर लोदी का असली नाम क्या था?सिकंदर लोदी(बचपन का नामः निजाम खां, मृत्यु २१ नवंबर, १५१७) लोदी वंश का द्वितीय शासक था। अपने पिता बहलूल खान लोदी की मृत्यु जुलाई १७, १४८९ उपरांत यह सुल्तान बना। इसके सुल्तान बनने में कठिनई का मुख्य कारण था इसका बडा़ भाई, बर्बक शाह, जो तब जौनपुर का राज्यपाल था।
भारत में लोदी वंश का स्थान कौन था?लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी था, 1451 में उसने लोदी वंश की स्थापना की थी। वह बहलोलशाह गाजी के नाम से दिल्ली के सिंहासनपर बैठा तथा अपने नाम का खुतबा पढवाया। इसकी सबसे महत्वपूर्ण विजय जौनपुर की थी।
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