भुगतान संतुलन के समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कौन कौन से कदम हैं? - bhugataan santulan ke samaadhaan hetu sarakaar dvaara uthae gae kaun kaun se kadam hain?

भुगतान शेष के घटक 1. चालू खाता 2.पूँजीगत खाता

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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामान्यत: सभी देश एक दूसरे के साथ माल का आयात निर्यात करते हैं, सेवाओं का आदान प्रदान करते हैं और राशि का लेन देन भी करते हैं। इस प्रकार एक निश्चित अवधि के पश्चात् इन सभी मदों पर लेन देन का यदि हिसाब निकाला जाय तो किसी एक देश को दूसरे से भुगतान लेना शेष होता है और दूसरे देश को किसी किसी तीसरे देश का भुगतान चुकाना शेष रहता है। विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार के परस्परिक लेन देन के शेष को भुगतान शेष (Balance of payments) कहते हैं। यों कहना चाहिए कि किसी निश्चित तिथि को एक देश द्वारा अन्य देशों को चुकाई जानेवाली सकल राशि तथा अन्य देशों से उसे प्राप्त होनेवाली सकल राशि के अंतर को उस देश का 'भुगतान शेष' कहते हैं।

भुगतान संतुलन के समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कौन कौन से कदम हैं? - bhugataan santulan ke samaadhaan hetu sarakaar dvaara uthae gae kaun kaun se kadam hain?

(विदेशी मुद्रा भण्डार - बाहरी कर्ज) का मानचित्र (CIA फैक्तबुक २०१०)

भुगतान। शेष की मदे 1.स्वायत्त मदे: जो लाभ के उदेष्य से की जाती हे 2.समायोजन मदे:जो लाभ के उदेश्य से नहीं की जाती हे

परिचय[संपादित करें]

किसी एक देश को दूसरे देशों से भुगतान प्राप्त करने का अधिकार तथा अवसर तब आता है जब वह देश उन देशों को माल निर्यात करे, अथवा अपने जहाजों, बैंकों, इंश्योरेंस कंपनियों तथा कुशल विशेषज्ञों द्वारा अपनी सेवाएँ प्रदान करे अथवा उन देशों के उद्योग व्यापार में अपनी पूँजी लगाकर लाभांश तथा ब्याज प्राप्त करें। ऐसा भी हो सकता है कि उस देश के द्वारा अन्य देशों को दिए गए ऋणों की मूलराशि का उसे भुगतान प्राप्त होता हो या अन्य देशों से ही उसे ऋण स्वरूप राशि मिलती हो। इसके अतिरिक्त यह भी संभव है कि अन्य देशों के देशाटक पर्यटक उस देश में आकर माल खरीदें या सेवाओं का उपभोग करे। इन सभी परिस्थितियों में उस देश को अन्य देशों से भुगतान प्राप्त करने का अवसर होगा। इसके विपरीत, संभव है, इन्हीं मदों पर उस देश को अन्य देशों का कुछ भुगतान चुकाना भी हो। इस प्रकार किसी एक तिथि को इन सभी मदों पर एक देश की सफल लेनदारी का अंतर निकालने से उस देश का भुगतान शेष ज्ञात हो जायगा।

वैसे तो देश के बीच इस प्रकार का लेन देन किसी न किसी मद पर निरंतर चलता रहता है, पर यदि किसी निश्चित तिथि को एक देश का विभिन्न मदों पर लेन देन का अंतर निकाला जाए तो अवश्य निम्न परिस्थितियों में से कोई एक परिस्थिति सामने आती है:

(१) यदि किसी देश को अन्य देशों से प्राप्त होने वाली राशि उस देश द्वारा अन्य सभी देशों को चुकाई जाने वाली राशि से अधिक हो तो भुगतान शेष उस देश के 'अनुकूल' अथवा 'पक्ष में' कहा जायगा।(२) यदि किसी देश की अन्य देशों से लेनदारी से कम हो तो भुगतान शेष उस देश के 'प्रतिकूल' अथवा 'विपक्ष में' कहा जायगा।(३) यदि किसी देश की अन्य देशों के साथ सकल लेनदारी और देनदारी दोनों बराबर हो तो भुगतान शेष 'संतुलित' अथवा 'बराबर' कहा जायगा।

इस प्रकार भुगतान शेष 'अनुकूल', 'प्रतिकुल' व 'संतुलित' या 'पक्ष' में, 'विपक्ष' में और 'बराबर' कहा जाता है। पर इसका संबंध किसी देश विशेष के साथ सापेक्ष अर्थ में व्यक्त करना चाहिए। यह कहना सार्थक नहीं कि भुगतान शेष अनुकूल, प्रतिकूल व संतुलित है; वरन् यह कहना होगा कि अमुक तिथि को या अमुक अवधि में अमुक देश का भुगतान शेष उसके अनुकूल है, प्रतिकूल है अथवा संतुलित है।

भुगतान शेष निकालने में न केवल माल के आयात निर्यात का आधिक्य जिसे 'व्यापार शेष' कहते हैं, ज्ञात किया जाता है वरन् उक्त वर्णित सभी मदों से सकल लेनदारी और सकल देनदारी का अंतर भी ज्ञात किया जाता है। लेन देन के निरंतर क्रम में भुगतान शेष अनिवार्यत: संतुलित हो जाता है पर किसी तिथिविशेष को किसी देश का भुगतान शेष उसके अनुकूल या प्रतिकूल ही पाया जाता है।

किसी देश का अनुकूल तथा प्रतिकुल भुगतान शेष उस देश की आंतरिक आर्थिक स्थिति का परिचायक माना जाता है। यदि भुगतान शेष अनुकूल रहा तो इसका अर्थ होगा उस देश द्वारा निर्यात का बाहुल्य, उत्पादन की प्रचुरता, उद्योग व्यापार की सबलता, विदेशी मुद्रा की कमाई और राष्ट्र के स्वर्णकोश में वृद्धि। इसके विपरीत प्रतिकूल भुगतान शेष का अर्थ होगा आयात का बाहुल्य, व्यापार उद्योग की शिथिलता, उत्पादन में गिरावट, विनियोग का अभाव, विदेशी मुद्रा और राष्ट्र के स्वर्णकोश में कमी। आयोजन व विकास के वर्तमान युग में विकसित देशों से पूँजीगत माल एवं कुशल विशेषज्ञों की आवश्यक मात्रा आयात करने के हेतु यह अनिवार्य हो गया है कि भुगतान शेष देश के पक्ष में अर्थात अनुकूल बना रहे। आज प्रत्येक देश इसी उद्देश्य के लिये सतत प्रयत्नशील है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • व्यापार संतुलन

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • भुगतान संतुलन क्या है?

भुगतान संतुलन (बीओपी) दुनिया और किसी देश के निवासियों के बीच सभी वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। यह देश में धन के प्रवाह को समझने और यह देखने में मदद करता है कि धन का कितना अच्छा उपयोग किया गया है। यह जानने में मदद करता है कि कोई अर्थव्यवस्था विकसित हो रही है या नहीं। भुगतान का एक आदर्श संतुलन शून्य है – निधियों का शुद्ध अंतर्वाह और बहिर्वाह रद्द हो जाना चाहिए। एक बीओपी यह समझने में मदद करता है कि क्या किसी देश में अधिशेष या धन की कमी उपलब्ध है। यदि आयात निर्यात से अधिक है, तो कहा जाता है कि देश में धन की कमी है।

भुगतान संतुलन की गणना कैसे करें?

बीओपी की गणना के लिए सूत्र है: चालू खाता + वित्तीय खाता + पूंजी खाता + बैलेंसिंग आइटम = 0

बीओपी किससे बना होता है?

बीओपी के तीन भाग हैं- चालू खाता, वित्तीय खाता और पूंजी खाता। एक आदर्श स्थिति में पूंजी और वित्तीय खाते का कुल योग चालू खाते द्वारा संतुलित किया जाना चाहिए।

पूंजी खाता

इसमें भूमि और संपत्ति जैसी गैर-वित्तीय संपत्तियों की खरीद और बिक्री शामिल है। इसमें प्रवासियों के साथ-साथ संपत्ति की आवाजाही से उत्पन्न बिक्री, खरीद और कर भी शामिल हैं। style="font-weight:400;">चालू खाते से घाटा या अधिकता का प्रबंधन पूंजी खाते द्वारा किया जाता है और इसके विपरीत। इसके तीन प्रमुख तत्व हैं-

  • ऋण और उधार – दूसरे देश से सभी प्रकार के ऋण और उधार।
  • निवेश – निवासियों द्वारा कॉर्पोरेट शेयरों में निवासियों द्वारा निवेश की गई निधि
  • विदेशी मुद्रा भंडार – हर देश के केंद्रीय बैंक के पास होता है और इसका अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

चालू खाता

यह देश में माल की आमद और बहिर्वाह की निगरानी में मदद करता है। इसमें कच्चे माल और विनिर्मित वस्तुओं के संदर्भ में सभी प्राप्तियां शामिल हैं। इसमें व्यापार, पर्यटन, स्टॉक, परिवहन, व्यापार सेवाओं और पेटेंट और कॉपीराइट से रॉयल्टी का आदान-प्रदान भी शामिल है। जब उपरोक्त सभी वस्तुओं को जोड़ा जाता है, तो वे बीओटी (व्यापार संतुलन) बनाते हैं। देशों के बीच दो प्रकार के आदान-प्रदान होते हैं- दृश्य और अदृश्य। अदृश्य विनिमय में पर्यटन, बैंकिंग आदि जैसी सेवाएं शामिल हैं, जबकि दृश्य विनिमय में माल का निर्यात और आयात शामिल है। 400;">एकतरफा हस्तांतरण में अन्य देशों के निवासियों को भेजा गया प्रत्यक्ष धन शामिल है। इसमें रिश्तेदारों द्वारा अन्य देशों में उनके परिवारों को भेजा गया धन भी शामिल है।

वित्तीय खाता

इसमें निवासियों द्वारा अचल संपत्ति, व्यावसायिक उद्यमों और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में निवेश किया गया धन शामिल है। यह घरेलू संपत्ति के विदेशी स्वामित्व और विदेशी संपत्ति के घरेलू स्वामित्व में परिवर्तन की निगरानी करता है, और विश्लेषण करता है कि कोई देश अधिक संपत्ति प्राप्त कर रहा है या नहीं।

देश के लिए बीओपी का महत्व

किसी देश के लिए BOP आवश्यक होने के कई कारण हैं। उनमें से कुछ हैं-

  • यह जानने में मदद करता है कि मुद्रा के मूल्य में सुधार हो रहा है या मूल्यह्रास।
  • यह किसी देश की वित्तीय और आर्थिक स्थिति जानने में मदद करता है,
  • यह सरकार को व्यापार और राजकोषीय नीतियों के बारे में निर्णय लेने में मदद करता है।
  • यह अन्य देशों के साथ आर्थिक व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद करता है।

तथ्यों को जानना चाहिए

बीओटी और बीओपी में क्या अंतर है?

400;">बीओटी या व्यापार संतुलन में केवल दृश्यमान उत्पाद शामिल हैं, इस प्रकार केवल माल के निर्यात और आयात की गणना की जाती है। भुगतान संतुलन के चालू खाते में माल, एकतरफा प्रेषण, सेवाओं आदि से स्थानांतरण शामिल हैं। इनमें से कुल योग का गठन होता है चालू खाता इस प्रकार, बीओटी चालू खाते के रूप में बीओपी का एक हिस्सा बनता है।

भुगतान संतुलन में कमी का क्या अर्थ है?

जब स्वायत्त विदेशी मुद्रा भुगतान स्वायत्त विदेशी मुद्रा प्राप्तियों से अधिक हो जाता है, तो इसे भुगतान संतुलन में कमी के रूप में जाना जाता है। व्यक्ति की खातिर स्वायत्त लेनदेन किए जाते हैं।

आधिकारिक आरक्षित लेनदेन क्या हैं? वे महत्वपूर्ण क्यों हैं?

यदि किसी देश के पास भुगतान का अधिशेष शेष है तो वह विदेशी मुद्रा खरीद सकता है और अपनी संपत्ति का विस्तार कर सकता है। हालांकि, अगर किसी देश में घाटा है तो किसी देश की विदेशी मुद्रा संपत्ति को नीचे चलाने की जरूरत है। बीओपी सरकार को देश में और बाहर संपत्ति के भविष्य के आंदोलन की योजना बनाने के लिए विभिन्न नीतियों की निगरानी और कार्यान्वयन में मदद करता है।

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भुगतान संतुलन के समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाये गए कौन कौन से कदम है?

पर आयातों पर प्रतिबन्ध लगाये गये हैं जिससे कि आयात कम हो और अवमूल्यन को ठीक किया जा सके। पदार्थों के आयात में कमी हो सके। (3) आयात प्रतिस्थापन को और अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए। (4) निर्यात सम्वर्द्धन प्रयासों को भी प्रभावी बनाया जाना चाहिए।

भुगतान संतुलन को दूर करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

भुगतान संतुलन की प्रतिकुलता को दूर करने के लिए यह नितांत आवश्यक है कि देश के आयातों में कमी की जाए। इनके लिए नए आयात कर लगाये जाएं तथा पुराने आयात करों में वृद्धि की जाएं। देश के आयातों को कोटा प्रणाली द्वारा कम किया जाए।

भुगतान संतुलन से आप क्या समझते हैं भुगतान संतुलन के घटक की व्याख्या करें?

भुगतान संतुलन एक विवरण है जो किसी भी अवधि के दौरान व्यावसायिक इकाइयों, सरकार जैसी संस्थाओं के मध्य किए गए प्रत्येक मौद्रिक लेनदेन को अभिलिखित करता है। यह देश में आने वाले धन के प्रवाह की निगरानी में सहायता करता है एवं किसी देश की वित्तीय स्थिति का बेहतर तरीके से मूल्यांकन करने में सहायता करता है।

भुगतान संतुलन में विभिन्न प्रकार के असंतुलन के क्या कारण हैं?

अर्थशास्त्र.
उत्तर- एक देश के भुगतान संतुलन में असन्तुलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित होते हैं-.
आर्थिक विकास कार्यक्रम- आर्थिक विकास हेतु अर्द्धविकसित देशों को बड़ी मात्रा में पूँजी का आयात करना पड़ता है तथा विदेशी विशेषज्ञों की सेवाएँ प्राप्त करनी पड़ती हैं जिसके फलस्वरूप इन देशों के आयातों में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है।.