बेशक एक बच्चे का जन्म केवल माता-पिता को ही खुशी प्रदान नहीं करता नहीं, बल्कि पूरे परिवार में खुशहाली का माहौल लाता है। वहीं, एक माता-पिता की खुशी उस वक्त दोगुनी हो जाती है, जब वह पहली बार अपनी तोतली जुबान से मां बोलता है। दरअसल, हर बच्चा जन्म के बाद अपने परिवार में बोली जाने वाली भाषा को धीरे-धीरे बोलने का प्रयास करता है। ऐसे में कुछ बच्चे जल्दी बोलना सीख जाते हैं, तो कुछ बोलने में थोड़ा समय लेते हैं। इसके विपरीत कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिन्हें शब्दों को बोलने में कठिनाई होती है। यह स्थिति किसी समस्या का इशारा हो सकती है, जिसे समझना जरूरी है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चे के बोलने में देरी का मतलब बताने के साथ ही बच्चों के देर से बोलने के कारण और लक्षण के बारे में भी जानकारी देंगे। Show
आइए, बिना देर किए सबसे पहले हम बच्चे का देर से बोलने का क्या मतलब है, यह जान लेते हैं। बच्चे का देरी से बोलने का क्या मतलब होता है?विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य तौर पर एक साल का होने तक प्रत्येक बच्चा कम से कम एक या दो शब्दों (जैसे :- मम्मी, पापा, कुत्ता, पानी आदि) को बोलना सीख जाता है। वहीं, इसके विपरीत ऐसे बच्चे जो किन्हीं कारणों की वजह से सही समय पर इन शब्दों को बोलने में असमर्थ होते हैं या फिर बोलने का प्रयास तो करते हैं, लेकिन दूसरे को उनके द्वारा बोले जाने वाले शब्द समझ नही आते। इस स्थिति को बच्चे के बोलने में देरी कहा जाता है (1)। ऐसे होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में आपको लेख में आगे विस्तार से बताया जाएगा। लेख के अगले भाग में अब हम आपको बच्चे के देर से बोलने के लक्षणों के बारे में बताएंगे। बच्चे के देर से बोलने के लक्षणबच्चे के देर से बोलने के लक्षण बढ़ती उम्र के साथ उसके बोलने की क्षमता पर निर्भर करते हैं, जो कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:
लेख के अगले भाग में अब हम बच्चे के देरी से बोलने के कारण के बारे में बात करेंगे। बच्चे के देरी से बोलने के कारणलेख के इस भाग में अब हम उन स्थितियों के बारे में बताएंगे, जिन्हें सामान्य रूप से बच्चे के देरी से बोलने के कारण के रूप में जाना जाता है।
लेख के अगले भाग में अब हम आपको बच्चे के देरी से बोलने की जांच के बारे में बताएंगे। बच्चे के देरी से बोलने की जांचबच्चे के देरी से बोलने की जांच के मामले में डॉक्टर उम्र और उम्र आधारित सामान्य विकास का आकलन कर सकते हैं, जिसके बारे में ऊपर लक्षण वाले भाग में बताया जा चुका है। वहीं, इसके अलावा डॉक्टर जरूरत पड़ने पर मानसिक, तंत्रिका और व्यवहार संबंधी विकार होने की स्थिति का भी पता लगाने का प्रयास कर सकते हैं, जिन्हें इसके कारण के रूप में जाना जाता है (13)। लेख के अगले भाग में अब हम बच्चों का देर से बोलने का इलाज बताएंगे। बच्चों का देर से बोलने का इलाजबच्चों का देर से बोलने का इलाज करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है (13)।
लेख के अगले भाग में अब हम आपको बच्चों के बोलने में देरी के घरेलू उपाय बताएंगे। बच्चे के बोलने में देरी के घरेलू उपायबच्चों के बोलने में देरी के घरेलू उपाय के रूप में निम्न बातों को अपनाया जा सकता है।
अगर बच्चे बोलने में अधिक समय लें, तो इस स्थिति में क्या करना चाहिए? आगे भाग में हम इस बारे में जानेंगे। अगर बच्चे बोलने में बहुत समय लें, तो क्या करें?जैसा कि हम लेख में पहले ही बता चुके हैं कि बच्चों का बोलना एक विकास संबंधी प्रक्रिया है, जो अलग-अलग बच्चों में भिन्न-भिन्न तरीके से देखी जा सकती है। वहीं, हम लेख में उन लक्षणों को भी बता चुके हैं, जो बच्चों में देरी से बोलने की समस्या को प्रकट करते हैं। ऐसे में अगर लग रहा है कि आपका बच्चा उम्र के हिसाब से बोलने में सक्षम नहीं हैं, तो निम्न बातों को जरूर चेक करें :
अगर इन तीनों सवालों के जवाब हां में हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। वहीं, अगर जवाब न में है, तो बिना देर किए डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। डॉक्टर इस संबंध में सही जानकारी और सही इलाज के विषय में बता सकते हैं। लेख के अगले भाग में अब हम जानेंगे कि बच्चे के देरी से बोलने के मामले में डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए। आपको कब चिंता करनी चाहिए? | चिकित्सक से कब संपर्क करें?अगर काफी समय देने और बोलना सिखाने का प्रयास करने के बाद भी बच्चे की बोलने की क्षमता में सुधार न दिखे, बच्चा शब्दों के अर्थ को समझ पाने में असमर्थ हो, आपके कुछ पूछने या बताने पर बच्चा प्रतिक्रिया न दें, तो यह शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक असमर्थता का इशारा हो सकता है। इसलिए, इन स्थितियों के नजर आने पर बिना देर किए डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए (14)। बच्चों का बोलने में देरी करना बेशक हर माता-पिता के लिए परेशानी का सबब हो सकता है, लेकिन ऐसे में बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है। लेख से आपको स्पष्ट हो गया होगा कि यह एक आम प्रक्रिया है, जो प्रत्येक बच्चे में अलग-अलग हो सकती
है। ऐसे में जरूरत है, तो बस बच्चे के देरी से बोलने के कारण और लक्षणों को समझने की, ताकि समस्या को समय रहते पहचान कर उसके इलाज की दिशा में उचित कदम बढ़ाया जा सके। उम्मीद है कि इस काम में यह लेख काफी हद तक आपके लिए उपयोगी साबित होगा। बच्चों और गर्भवती महिलाओं से जुड़ी ऐसी ही अन्य जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन। References:MomJunction's articles are written after analyzing the research works of expert authors and institutions. Our references consist of resources established by authorities in their respective fields. You can learn more about the authenticity of the information we present in our editorial policy. Was this article helpful? The following two tabs change content below. 2 साल का बच्चा बोलता नहीं तो क्या करना चाहिए?बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं, उन्हें बोलने के लिए ट्रेन करें। बच्चों से बार-बार बात करने की कोशिश करें। बच्चे जो शब्द बोलें उन्हें दोहराएं। बच्चों के सामने तेज आवाज करके किताब पढ़ें।
बच्चे लेट से क्यों बोलते हैं?क्यों देर से बोलते हैं बच्चे
इसके अतिरिक्त गर्भावस्था के समय मां के जॉन्डिस से ग्रस्त होने अथवा नॉर्मल डिलीवरी के समय बच्चे के मस्तिष्क की बांई ओर चोट लग जाने की वजह से भी बच्चे की सुनने की शक्ति क्षीण हो जाती है। सुनने तथा बोलने का गहरा संबंध है। जो बच्चा ठीक से सुन नहीं पाता वह बोलना भी आरंभ नहीं करता।
छोटे बच्चे कितने दिन में बोलने लगते हैं?हर बच्चे को पहली बार बोलने में थोड़ा समय लगता है. अधिकांश बच्चे 11 से 14 महीने की उम्र के बीच अपने पहले शब्दों को बोलने की कोशिश करते हैं. वहीं 16 महीने तक, एक बच्चे को एक दिन में 40 शब्द बोलना शुरू कर देना चाहिए.
3 साल का बच्चा क्यों नहीं बोलता है?अगर आपके बच्चे ने तीन साल की उम्र तक बोलना शुरू नहीं किया है तो उसे स्पीच डिले हो सकता है। कुछ बच्चे देर से बोलना सीखते हैं तो कुछ जल्दी बोलना शुरू कर देते हैं। सुनने की क्षमता कम होने या किसी न्यूरोलॉजिकल या डेवलपमेंटल विकारों की वजह से स्पीच डिले हो सकता है।
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