अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है? - antarraashtreey mahila divas 8 maarch ko kyon manaaya jaata hai?

International Women's Day: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) वर्ष 2020 और 2021 के लिए 29 हस्तियों को प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कारों से सम्मानित करेंगे.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है? - antarraashtreey mahila divas 8 maarch ko kyon manaaya jaata hai?

8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस?

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International Women’s Day: आज के दिन को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day 2022) के तौर पर मनाया जा रहा है. हर साल 8 मार्च के दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. ये दिन महिलाओं के सम्मान में समर्पित है. महिलाओं के योगदान की वैसे तो हर दिन ही सराहना की जानी चाहिए लेकिन फिर भी उनके योगदान और सम्मान में एक खास दिन निर्धारित किया गया है, वो है 8 मार्च का दिन. लेकिन आखिर क्या आप जानते हैं कि, इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे हुई और किसने की थी. इस मौके पर हम आपको बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के लिए यही तारीख क्यों चुनी गई है.

हर साल इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक विशेष थीम (International Women’s Day Theme) के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ‘breaking the bias’है. हालांकि भारत में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ‘सस्टेनेबल कल के लिए लैंगिक समानता’ (gender equality today for a sustainable tomorrow) है. 8 मार्च का यह खास दिन महिलाओं को समान हक, सम्मान को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है.

International Women’s Day: 08 मार्च क्यों है खास?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की मनाने का विचार एक मजदूर आंदोलन से उत्पन्न हुआ था. साल 1908 में जब 15 हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में रैली निकाली थी जिसकी मांग थी नौकरी के घंटे कम करना, काम के हिसाब से वेतन देना और साथ ही मतदान का भी अधिकार. इस घटना के ठीक एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमरीका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया.

साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में सबसे पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था. 1975 में वुमन्स डे को ऑफिशियल मान्यता उस वक्त दी गई थी जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक विशेष थीम के साथ मनाना शुरू किया था. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम थी ‘सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फॉर द फ्यूचर.’

इस दिन को मनाने का उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य है महिलाओं को हर वो अधिकार प्रदान किए जाए जो एक सामान्य नागरिक को दिए जाते हैं. भेदभाव ही उनके पीछे रहने की सबसे बड़ी वजह है.

नारी शक्ति पुरस्कार

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद(President Ram Nath Kovind) वर्ष 2020 और 2021 के लिए 29 हस्तियों को प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कारों से सम्मानित करेंगे. कार्यक्रम 8 मार्च को राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया जाएगा. वर्ष 2020 का पुरस्कार समारोह कोविड-19 महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण 2021 में आयोजित नहीं हो पाया था.

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- मधुलिका चौधरी
विश्व की हर महिला के सम्मान में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता हैं। लेकिन महिला दिवस मनाए जाने का इतिहास हर कोई नहीं जानता। जानिए महिला दिवस को इतिहास के झरोखों से -

8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर संपूर्ण विश्व की महिलाएं देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। साथ ही पुरुष वर्ग भी इस दिन को महिलाओं के सम्मान में समर्पित करता है।

दरअसल इतिहास के अनुसार समानाधिकार की यह लड़ाई आम महिलाओं द्वारा शुरू की गई थी। प्राचीन ग्रीस में लीसिसट्राटा नाम की एक महिला ने फ्रेंच क्रांति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए इस आंदोलन की शुरूआत की, फारसी महिलाओं के एक समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला, इस मोर्चे का उद्देश्य युद्ध की वजह से महिलाओं पर बढ़ते हुए अत्याचार को रोकना था।

सन 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्वारा पहली बार पूरे अमेरिका में 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया। सन 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा कोपनहेगन में महिला दिवस की स्थापना हुई और 1911 में ऑस्ट्रि‍या, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में लाखों महिलाओं द्वारा रैली निकाली गई। मताधिकार, सरकारी कार्यकारिणी में जगह, नौकरी में भेदभाव को खत्म करने जैसी कई मुद्दों की मांग को लेकर इस का आयोजन किया गया था।

1913-14 प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, रूसी महिलाओं द्वारा पहली बार शांति की स्थापना के लिए फरवरी माह के अंतिम रविवार को महिला दिवस मनाया गया। यूरोप भर में भी युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन हुए। 1917 तक विश्व युद्ध में रूस के 2 लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए, रूसी महिलाओं ने फिर रोटी और शांति के लिए इस दिन हड़ताल की। हालांकि राजनेता इस आंदोलन के खिलाफ थे, फिर भी महिलाओं ने एक नहीं सुनी और अपना आंदोलन जारी रखा और इसके फलस्वरूप रूस के जार को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी साथ ही सरकार को महिलाओं को वोट देने के अधिकार की घोषणा भी करनी पड़ी।

महिला दिवस अब लगभग सभी विकसित, विकासशील देशों में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए।

संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका- संयुक्त राष्ट्र संघ ने महिलाओं के समानाधिकार को बढ़ावा और सुरक्षा देने के लिए विश्वभर में कुछ नीतियां, कार्यक्रम और मापदण्ड निर्धारित किए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार किसी भी समाज में उपजी सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक समस्याओं का निराकरण महिलाओं की साझेदारी के बिना नहीं पाया जा सकता।

भारत में भी महिला दिवस व्यापक रूप से मनाया जाने लगा है। पूरे देश में इस दिन महिलाओं को समाज में उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है और समारोह आयोजित किए जाते हैं। महिलाओं के लिए काम कर रहे कई संस्थानों द्वारा जैसे अवेक, सेवा, अस्मिता, स्त्रीजन्म, जगह-जगह महिलाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए जाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। समाज, राजनीति, संगीत, फिल्म, साहित्य, शिक्षा क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। कई संस्थाओं द्वारा गरीब महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

भारत में महिलाओं को शिक्षा, वोट देने का अधिकार और मौलिक अधिकार प्राप्त है। धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रही हैं। भारत में आज महिला आर्मी, एयर फोर्स, पुलिस, आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा जैसे क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं। माता-पिता अब बेटे-बेटियों में कोई फर्क नहीं समझते हैं। लेकिन यह सोच समाज के कुछ ही वर्ग तक सीमित है।

सही मायने में महिला दिवस तब ही सार्थक होगा जब विश्व भर में महिलाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से संपूर्ण आजादी मिलेगी, जहां उन्हें कोई प्रताड़ित नहीं करेगा, जहां उन्हें दहेज के लालच में जिंदा नहीं जलाया जाएगा, जहां कन्या भ्रूण हत्या नहीं की जाएगी, जहां बलात्कार नहीं किया जाएगा, जहां उसे बेचा नहीं जाएगा। समाज के हर महत्वपूर्ण फैसलों में उनके नजरिए को महत्वपूर्ण समझा जाएगा। तात्पर्य यह है कि उन्हें भी पुरुष के समान एक इंसान समझा जाएगा। जहां वह सिर उठा कर अपने महिला होने पर गर्व करे, न कि पश्चाताप, कि काश मैं एक लड़का होती।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है?

महिलाओ को लेकर समाज के लोगों को जागरूक करने, महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने जैसी चीजों के प्रति उन्हें जागरूक करने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. महिलाओं के हौसलों को बुलंद करने और समाज में फैले असमानता को दूर करने के लिए ही हर वर्ष महिला दिवस मनाया जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस किसकी याद में मनाया जाता है?

भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 13 फरवरी के दिन मनाया जाता है। यह 8 मार्च को मनाए जाने वाले महिला दिवस से अलग है क्योंकि उस दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस होता है और 13 फरवरी को भारत का महिला दिवस होता है। राष्ट्रीय महिला दिवस सरोजिनी नायडू को समर्पित है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कब तथा क्यों मनाया जाता है?

जिस दिन रूसी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वह रूस में इस्तेमाल होने वाले जूलियन कैलेंडर के मुताबिक़, 23 फ़रवरी और रविवार का दिन था. यही दिन ग्रेगॉरियन कैलेंडर के मुताबिक़, आठ मार्च था और तब से इसी दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई? पहला आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 1975 में मनाया गया था जब इसे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा मान्यता दी गई थी। लेकिन इसकी शुरुआत 1908 के दौरान हुई जब महिलाओं के बीच उनके उत्पीड़न और असमानता के बारे में एक महत्वपूर्ण बहस चल रही थी।