Vaakya Ashudhhi Shodhan (वाक्य अशुद्धि शोधन) – इस लेख में हम वाक्य अशुद्धि शोधन के बारे में विस्तार से जानेंगे। वाक्य अशुद्धि शोधन किसे कहते हैं? वाक्यों में कितने प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं? और उन अशुद्धियों का शुद्ध रूप किस तरह होगा ये सब हम उदाहरणों की सहायता से जानेंगे – ‘वाक्य’ भाषा की महत्त्वपूर्ण इकाई है, अत: वाक्य
को बोलते व लिखते समय उसकी शुद्धता, स्पष्टता और सार्थकता का ध्यान रखना आवश्यक है। यदि वाक्य में किसी तरह की अशुद्धि होती है तो आपके बोले गए वाक्य अर्थ भी बदल सकता है। सामने वाले व्यक्ति को आसानी से और सही-सही समझ आ सके उसके लिए आवश्यक है कि व्याकरण के नियमों की दृष्टि से ‘वाक्य’ को शुद्ध हो। अत: वाक्य को व्याकरण के नियमों के अनुसार शुद्ध करना ही ‘वाक्य अशुद्धि शोधन’ कहलाता है। 1. वर्तनी संबंधी अशुद्धि वर्तनी संबंधी अशुद्धि शब्द से सम्बंधित अशुद्धियाँ होती हैं। जब आप वाक्य में कोई शब्द अशुद्ध लिख देते हैं तो वहाँ उस वाक्य में वर्तनी संबंधी अशुद्धि हो जाती है और आपका पूरा वाक्य अशुद्ध कहलाया जाता है। उदाहरण – इतिहासिक / एतिहासिक – अशुद्ध = ऐतिहासिक – शुद्ध कभी-कभी वाक्यों में सही शब्दों की जगह उनके ही सादृश लगने वाले शब्दों का प्रयोग अर्थ में परिवर्तन का कारण बन जाता है, जिसके कारण वाक्य का सही अर्थ ही बदल जाता है और यह वाक्य में शब्द-अर्थ प्रयोग की अशुद्धि कहलाती है। उदाहरण – अशुद्ध रूप – मैं उपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे। अशुद्ध रूप – मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है।
अशुद्ध रूप – तुम हमेशा बेफ़िजूल की बातें करते हो। कभी-कभी वाक्यों में लिंग संबंधी गलत प्रयोग किए जाते हैं। ये वाक्य की लिंग संबंधी अशुद्धि कहलाती हैं। उदाहरण – अशुद्ध रूप – बेटी पराए घर का धन होता है। अशुद्ध रूप – आज तुमने नया पोशाक पहना है। अशुद्ध रूप – मुझे तुम्हारा बातें सुनना पड़ा। अशुद्ध रूप – कल मैंने नया पुस्तक ख़रीदा। 4. वचन संबंधी अशुद्धि कभी-कभी देखा गया है कि वाक्यों में वचन संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं। इन्हें वाक्य की वचन संबंधी अशुद्धि कहा जाता है। उदाहरण – अशुद्ध रूप – भारत में अनेकों राज्य हैं। अशुद्ध रूप – प्रत्येक वृक्ष फल
नहीं देते हैं। अशुद्ध रूप – इस समय चार बजा है। अशुद्ध रूप – मैं तो आपका दर्शन करने आया हूँ। 5. पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ वाक्य में व्याकरण के अनुसार पदों का क्रमबद्ध होना बहुत अधिक आवश्यक है। पदों के उचित क्रम में न होने पर उसके भाव या अर्थ में स्पष्टता नहीं रहती और इसे वाक्य की पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ कहा जाता है। उदाहरण – यद्यपि दोनों वाक्यों में सभी शब्द समान हैं किंतु पहले वाक्य में सही पदक्रम की कमी है, जबकि दूसरा वाक्य उचित पदक्रम के अनुसार है। उदाहरण – अशुद्ध रूप – शहीदों का देश सदा आभारी रहेगा। अशुद्ध रूप – गाय का ताकतवर दूध होता है। अशुद्ध रूप – अपनी बात आपको मैं बताता हूँ। अशुद्ध रूप – ध्यानपूर्वक विद्यार्थियों को पढ़ाई करनी चाहिए।
एक ही वाक्य में जब एक ही अर्थ/भाव को प्रकट करने वाले दो शब्दों का प्रयोग कर दिया जाता है तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है। उदाहरण – अशुद्ध रूप – वह बहुत जल्दी वापस लौट आया। शुद्ध रूप – वह बहुत जल्दी लौट आया। अशुद्ध रूप – जयपुर में कई
दर्शनीय स्थल देखने योग्य हैं। अशुद्ध रूप – कृपया आप मेरे घर आने की कृपा करें। अशुद्ध रूप – प्रधानमंत्री जनता के हितकर कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। See Video of Vaakya Ashudhhi ShodhanTop 7. विरामचिह्न संबंधी अशुद्धियाँ कभी-कभी वाक्य में विराम चिह्न संबंधी अशुद्धियाँ भी होती हैं। जिसके कारण वाक्य को समझने में बहुत अधिक कठिनाई होती है। ये वाक्य की विरामचिह्न संबंधी अशुद्धियाँ कही जाती है। उदारहण – अशुद्ध रूप – गुरुदेव यह तो सरासर अन्याय है। अशुद्ध रूप – धीरे धीरे ध्यान से चलो। अशुद्ध रूप – वह काव्यसंग्रह जिसे मैंने लिखा है वह छप रहा है। अशुद्ध रूप – यह पुस्तक आपको कहाँ मिली।
संज्ञा पद के प्रयोग में प्राय: दो प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं – i) अनावश्यक संज्ञा पदों का प्रयोग – ऐसे संज्ञा पद जिनकी आवश्यकता न हो पर उनका प्रयोग किया जाए तो वहाँ अनावश्यक संज्ञा पदों की अशुद्धियाँ हो जाती हैं। उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – मैं मंगलवार के दिन व्रत रखता हूँ। अशुद्ध वाक्य – अब विंध्याचल पर्वत हरा-भरा हो गया। अशुद्ध वाक्य – ‘उत्साह’नामक शीर्षक निबंध अच्छा है। अशुद्ध वाक्य – राजा अपनी ताकत के बल पर जीत गया। अशुद्ध वाक्य – प्रात:काल के समय घूमना चाहिए। अशुद्ध
वाक्य – समाज में अराजकता की समस्या बढ़ रही है। ii) अनुपयुक्त संज्ञा पदों का प्रयोग ऐसे संज्ञा पदों का प्रयोग जो उस वाक्य के लिए अनुपयुक्त अर्थात गलत हों उनके प्रयोग के कारण वाक्य में अनुपयुक्त संज्ञा पदों की अशुद्धियाँ हो जाती हैं। उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – दंगे में
गोलियों की बाढ़ आ गई। अशुद्ध वाक्य – रेडियो की उत्पत्ति किसने की। अशुद्ध वाक्य – आपके प्रश्न का समाधान मेरे पास नहीं है। अशुद्ध वाक्य – हमारे देश के मनुष्य मेहनती हैं।
हिंदी में कभी-कभी सर्वनामों के अशुद्ध रूप तथा अनुपयुक्त स्थान प्रयोग भी होते हैं। उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – मोहन और मोहन का पुत्र दिल्ली गए हैं। अशुद्ध वाक्य – मेरे को कुछ याद नहीं आ रहा। अशुद्ध वाक्य – मेरे को बाज़ार जाना है। अशुद्ध वाक्य –
तेरे को क्या चाहिए? अशुद्ध वाक्य – दूध में कौन गिर गया? अशुद्ध वाक्य – तुम तो तुम्हारा काम करो।
विशेषण का प्रयोग विशेष्य (संज्ञा व सर्वनाम) के लिंग और वचन के अनुसार किया जाता है। वाक्य में कई बार अनावश्यक, अनियमित व अनुपयुक्त विशेषण का प्रयोग हो जाता है। जो वाक्य को अशुद्ध कर देते हैं। उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – घातक विष, सुंदर शोभा, बुरी कुवृष्टि। अशुद्ध वाक्य – धोबिन ने अच्छी चादरें धोईं। अशुद्ध वाक्य – यह सबसे सुन्दरतम साड़ी है। अशुद्ध वाक्य – आज उसके गुप्त रहस्य का राज खुला। अशुद्ध वाक्य – उनकी आजकल दयनीय दुर्दशा है। अशुद्ध वाक्य – वह डाल महीन है।
वाक्य में क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग एवं वचन के अनुसार किया जाता है अन्यथा वह वाक्य अशुद्ध समझा जाता है। इस अशुद्धि को वाक्य की क्रिया संबंधी अशुद्धि कहा जाता है। उदाहरण – अशुद्ध रूप – राम और सीता वन को गई। अशुद्ध रूप – उनकी बातें सुनते-सुनते कान पक गया। अशुद्ध रूप – मेरी बहन दिल्ली से वापस आया है। i) अनावश्यक क्रिया पद का प्रयोग – अशुद्ध रूप – यहाँ अशोभनीय वातावरण उपस्थित है। अशुद्ध रूप – अब और स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। ii) आवश्यक क्रिया पद का प्रयोग न होना – अशुद्ध रूप – वह सिलाई और अंग्रेजी पढ़ती है। अशुद्ध रूप – वह तो खाना और चाय पीकर सो गया। iii) अनुपयुक्त क्रिया पद – अशुद्ध रूप – खबर सुनकर मैं विस्मय हो गया। अशुद्ध रूप – मैं माताजी को खाना डालकर/देकर आई। iv) हिंदी में कुछ विशेष संज्ञाओं के लिए विशेष क्रियाओं का ही प्रयोग किया जाता है – अशुद्ध रूप – दान दिया। अशुद्ध रूप – प्रतीक्षा देखना। अशुद्ध
रूप – प्रयोग होना। अशुद्ध रूप – प्रश्न पूछना। v) स्थानीय बोलियों के प्रयोग से भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है – अशुद्ध रूप – वह खाना खावेगा। अशुद्ध रूप – उसने जैसी करी है, मैं नहीं कर सकता। 12. क्रियाविशेषण संबंधी अशुद्धियाँ अशुद्ध वाक्य – विद्यालय के
दाएँ बड़ा-सा मैदान है। अशुद्ध वाक्य – भिखारी को थोड़ा चावल दे दो। अशुद्ध वाक्य – राम दिनों-दिन मेहनत करता है। अशुद्ध वाक्य – जैसा बोओगे उसी तरह काटोगे। अशुद्ध वाक्य – पुस्तक विद्वतापूर्ण लिखी गई है। 13. कारक संबंधी अशुद्धियाँ – वाक्यों में कारक संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं, जिस कारण वाक्य अशुद्ध हो जाता है। इन अशुद्धियों को कारक संबंधी अशुद्धियाँ कहा जाता है। i) कर्ताकारक संबंधी अशुद्धि – भूतकाल में सकर्मक क्रिया होने पर ‘ने’चिह्न का प्रयोग किया जाता है। अशुद्ध रूप – मैं सारी पुस्तक पढ़ डाली। ii) कर्मकारक संबंधी अशुद्धि – किसी वाक्य में जब कर्म को अधिक महत्त्व दिया जाता है, तो वहाँ कर्मकारक के चिह्न ‘को’ का प्रयोग किया जाता है; अन्यथा उसका प्रयोग नहीं किया जाता। अशुद्ध रूप – वह लड़का पीटता है। अशुद्ध रूप – मैं शीतल जल को पी रहा हूँ। iii) करणकारक संबंधी अशुद्धि – जैसे – iv) सम्प्रदानकारक संबंधी अशुद्धि – सम्प्रदान कारक के दो चिह्न हैं ‘के लिए’और ‘को’, यदि एक के स्थान पर दूसरे का प्रयोग हो जाता है, तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है। अशुद्ध रूप – पंडितजी ने भक्तों के लिए कथा सुनाई। अशुद्ध रूप – शिष्य यज्ञ को लकड़ी लाया। v) अपादानकारक संबंधी अशुद्धि अशुद्ध रूप – वह शहर के खिलौने लाकर बेचता है। अशुद्ध रूप – लड़की झूले पर से गिर गई। vi) संबंधकारक संबंधी अशुद्धि – अशुद्ध रूप – बिना पैसे का किसी भी आदमी को सम्मान नहीं मिलता। अशुद्ध रूप – राधा का और कृष्ण का
मंदिर प्रसिद्ध है। नोट – ‘राधाकृष्ण’ सामासिक पद है अतः इसके चिह्न लुप्त हो गए हैं। vi) अधिकरणकारक संबंधी अशुद्धि – अशुद्ध रूप – आज बजट के ऊपर बहस होगी। अशुद्ध रूप – किसान ने खेत पर बीज बोया है। अशुद्ध रूप – घर पर सब कुशल हैं। अशुद्ध वाक्य कितने प्रकार के होते हैं?वाक्यों में अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं –. वर्तनी संबंधी अशुद्धि वर्तनी संबंधी अशुद्धि शब्द से सम्बंधित अशुद्धियाँ होती हैं। ... . शब्द-अर्थ प्रयोग की अशुद्धि ... . लिंग संबंधी अशुद्धि – ... . वचन संबंधी अशुद्धि ... . पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ ... . पुनरावृत्ति की अशुद्धियाँ/पुनरुक्ति दोष. अशुद्धियों के कितने प्रकार होते हैं हिन्दी में होने वाली अशुद्धियों के दो दो उदाहरण?अशुद्धियों के कितने प्रकार होते हैं हिन्दी में होने वाली अशुद्धियों को उदाहरण सहित लिखिए?. वर्तनी संबंधी अशुद्धि वर्तनी संबंधी अशुद्धि शब्द से सम्बंधित अशुद्धियाँ होती हैं।. शब्द-अर्थ प्रयोग की अशुद्धि. लिंग संबंधी अशुद्धि –. वचन संबंधी अशुद्धि. पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ. पुनरावृत्ति की अशुद्धियाँ/पुनरुक्ति दोष. अशुद्धि से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए?किसी प्रकार का लेन-देन तक बही में प्रविष्ट होने से पूरी तरह रह जाता है तो ऐसी अशुद्धि को पूर्ण लोप अशुद्धि कहते हैं। उदाहरण के लिए रमेश को अगर ₹25000 की रकम उधार दी जाती है, तो वह विक्रय की प्रविष्टि विक्रय बहीखाते में ना लिखी जाए तो यह पूर्णलोप अशुद्धि हुई।
अशुद्ध वाक्यों का संशोधन class 8?वाक्यों में अशुद्धियों का प्रमुख कारण है- व्याकरण के नियमों की सही जानकारी का अभाव। (i) शिवा जी बहुत वीर था। (i) हवा बहुत ठंडा है।
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