आवर्त गति का दूसरा नाम क्या है? - aavart gati ka doosara naam kya hai?

निम्नलिखित में से कौन सरल आवर्त गति का उदाहरण नहीं है?

  1. एक झूले की गति
  2. बंजी कूद में गति 
  3. पंखे के ब्लेड की गति
  4. उपरोक्त सभी सरल आवर्त गति के उदाहरण हैं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : पंखे के ब्लेड की गति

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Electric charges and coulomb's law (Basic)

10 Questions 10 Marks 10 Mins

अवधारणा:

सरल आवर्त गति : वह गति जिसमें कोई वस्तु माध्य स्थिति के परितः एक ही रेखा पर आगे-पीछे चलती है, सरल आवर्त गति (SHM) कहलाती है।
व्याख्या:

  • विकल्प 1: प्रदोलन सरल आवर्त गति का एक उदाहरण है क्योंकि इसमें आगे-पीछे की गति या एक ही रेखा के साथ-साथ और एक माध्य स्थिति के बारे में आगे-पीछे दोहराव की गति होती है।
  • विकल्प 2: बंजी कूद में गति भी सरल आवर्त गति का एक उदाहरण है क्योंकि
    • बंजी कॉर्ड की प्रत्यास्थ के कारण जम्पर ऊपर और नीचे दोलन करता है और SHM से गुजरता है।
  • विकल्प 3: पंखे के ब्लेड की गति SHM का उदाहरण नहीं है क्योंकि ब्लेड औसत स्थिति के बारे में एक रेखा में नहीं चलते हैं। ये एक वृत में चलते हैं।
  • वे एक निश्चित समय अंतराल के बाद एक निश्चित मार्ग का अनुसरण करते हैं। तो ब्लेड आवधिक गति करते हैं।

तो सही उत्तर विकल्प 3 है।

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Last updated on Nov 11, 2022

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भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में सरल आवर्त गति को जानना बहुत जरूरी है क्योंकि सरल आवर्त गति की सहायता से ही किसी पिंड को समझा जाता है.

सरल आवर्त्त गति (simple harmonic motion):
1. आवर्त गति (periodic motion):
एक निश्चित पथ पर गति करती वस्तु जब किसी निश्चित समय -अंतराल के पश्चात बार-बार अपनी पूर्व गति को दोहराती है, तो इस प्रकार की गति को आवर्त गति कहते हैं.

2. दोलन गति (oscillatory motion): किसी पिंड की साम्य स्थिति के इधर-उधर करने को दोलन गति या कम्पनिक गति कहते हैं.
दोलन किसे कहते हैं-
(i) दोलन-
एक दोलन या एक कपंन: दोलन करने वाले कण का अपनी साम्य स्थिति के एक ओर जाना फिर साम्य स्थिति में आकर दूसरी ओर जाना और पुनः साम्य स्थिति में वापस लौटना, एक दोलन या कपंन कहलाता है.
(ii) आवर्त काल (time period):
एक दोलन पूरा करने के समय को आवर्त काल कहते है.

3. आवृत्ति (frequency): कंपन करने वाली वस्तु एक सेकंड में जितना कंपन करती है, उसे उसकी आवृत्ति कहते है. इसका S.I. मात्रक हर्ट्ज़(hertz) होता है.
यदि आवृत्ति n तथा आवर्त काल T हो, तो n = 1/T होता है.

(i) सरल आवर्त गति (simple harmonic motion): यदि कोई वस्तु एक सरक रेखा परमध्यमान स्थिति (mean position) के इधर-उधर इस प्रकार की गति करे कि वस्तु का त्वरण मध्यमान स्थिति से वस्तु के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो तथा त्वरण की दिशा मध्यमान स्थिति की ओर हो, तो उसके गति सरल आवर्त कहलाती है.

सरल आवर्त गति की विशेषताएं :
(i)
उस पर कोई बल कार्य नहीं करता है.
(ii) उसका त्वरण शून्य होता है.
(iii) वेग अधिकतम होता है.
(iv) गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है.
(v) स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है.

4. सरल आवर्त गति करने वाला कण जब अपनी गति के अंत बिंदुओं से गुजरता है, तो

(
i)उसका त्वरण अधिकतम होता है.
(ii) उस पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल अधिकतम होता है.
(iii) गतिज ऊर्जा शून्य होती है.
(iv) स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है.
(v) वेग शून्य होता है.

5. सरल लोलक (simple pendulum): यदि एक भारहीन व लंबाई में न बढ़नेवाली डोली के निकले सिर से पदार्थ के किसी गोल परतु भारी कण को लटकाकर डोरी को किसी दृढ़ आधार से लटका दें तो इस समायोजन को 'सरल लोलक' कहते है. यदि लोलक (bob) को साम्य स्थिति से थोड़ा विस्थापित करके छोड़ दे तो इसकी गति सरल आवर्त गति होती है. यदि डोरी को प्रभावी लंबाई l एवं गुरुत्वीय त्वरण g हो, टी सरल

6. लोलक का आवर्त कार्य
T = 2π √l/g होता है.
इससे निम्न निष्कर्ष निकलते है:
(i)
T ∝ √l, अथार्त लंबाई बढ़ने पर T बढ़ जाएगा. यही कारण है कि यदि कोई लड़की झूल झूलते -झूलते खड़ी हो जाए तो उसका गुरुत्व केंद्र ऊपर उठ जायेगा और प्रभावी लंबाई घट जाएगी जिससे झूले का आवर्त काल घट जाएगा. अथार्त झूला जल्दी-जल्दी दोलन करेगा.
(ii) आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है, अतः झूलने वाली लड़की की लड़की आकर बैठ जाए तो आवर्तकाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
(iii ) T = √l/g यानी किसी लोलक घड़ी को पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे ले जाया जाए तो घड़ी काआवर्तकाल (T) बढ़ जाता है, अथार्त घड़ी सुस्त हो जाती है, क्योंकि पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे पर 'g' का मान कम होता है.
(iv) यदि लोलक को उपग्रह पर ले जाएं तो वहां भारहीनता के कारण g = 0, अतः घड़ी का आवर्तकाल (T) अनंत ही जाएगा; अतः उपग्रह में लोलक घड़ी काम नहीं करेगी.

7. गर्मियों में लोलक की लंबाई (l) बढ़ जाएगी तो उसका आवर्तकाल (T) भी बढ़ जाएगा. अतः घड़ी सुस्त पड़ जाएगी. सर्दियों में लंबाई (l) कम हो जाने पर आवर्तकाल (T) भी बढ़ जाएगा और लोलक घड़ी तेज चलने लगेगी.

8. चंद्रमा पर लोलक घड़ी ले जाने पर उसका आवर्तकाल बढ़ जाएगा, क्योंकि चंद्रमा पर g का मान पृथ्वी के g के मान का 1/6 गुना है.

आवर्त गति और दोलन गति में क्या अंतर है?

आवर्त गति (periodic motion): एक निश्चित पथ पर गति करती वस्तु जब किसी निश्चित समय -अंतराल के पश्चात बार-बार अपनी पूर्व गति को दोहराती है, तो इस प्रकार की गति को आवर्त गति कहते हैं. 2. दोलन गति (oscillatory motion): किसी पिंड की साम्य स्थिति के इधर-उधर करने को दोलन गति या कम्पनिक गति कहते हैं.

आवर्त गति का उदाहरण कौन सा है?

आवर्त गति: जब कोई पिंड एक निश्चित समय अंतराल के बाद उसी पथ का अनुसरण करता है, तो उसे आवर्त गति कहा जाता है। कुछ उदाहरण हैं सूर्य के चारों ओर और अपनी धुरी दोनों पर पृथ्वी की गति, पेंडुलम गति, स्प्रिंग-द्रव्यमान प्रणाली गति, आदि।

आवर्ती गति से आप क्या समझते हैं?

आवर्ती गति क्या है , परिभाषा , उदाहरण (periodic motion in hindi) , आवधिक गति , आवर्तकाल “वह गति जिसमे कोई वस्तु या पिण्ड एक निश्चित समय अन्तराल पर और एक निश्चित पथ पर खुद की गति को दोहराता है , इस प्रकार की गति को आवर्ती गति कहते है। ”

दोलन का सूत्र क्या होता है?

सरल लोलक के आवर्तकाल का सूत्र है T=2pisqrt(l/g) , जहाँ संकेतो के अर्थ सामान्य है l तथा T के बीच खींचा ग्राफ होगा

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