आंतों में चिपके मल को कैसे निकाले? - aanton mein chipake mal ko kaise nikaale?

भोपाल। भागदौड़ भरी जिंदगी में हर दूसरा इंसान पेट की बीमारी से परेशान है। लाख कोशिश करने के बाद भी लोग पेट की बीमारी का शिकार हो जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि आजकल के खानपान का सही न होना। शहर की डॉयटीशियन पवित्रा श्रीवास्तव बताती है कि पेट के संक्रमण के प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और गलत खान-पान हैं। मनुष्य के शरीर में आहार नली का हिस्सा है जो पेट से गुदा तक फैली होती है, क्षेत्र का अंतिम हिस्सा आंत में उस समय तक के लिए पचे हुए भोजन के अवशिष्ट पदार्थ जमा रहते हैं जब तक उसे मल के रूप में शरीर से निकाल नहीं दिया जाता। इसके अस्‍वस्‍थ होने का असर हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ता है। इसलिए आंतों का स्‍वस्‍थ होना बहुत जरूरी है।

आपका स्वस्थ पेट आपके स्वस्थ शरीर की बुनियाद है। दुर्भाग्य से कुछ लोग भोजन के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं और खानपान में बदलाव की वजह से उन्हें पाचन तंत्र के रोग हो जाते हैं। यह जानना आपके लिए दिलचस्प होगा कि प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाने वाली 70 फीसदी कोशिकाएं आंत की परत पर होती है। इसके बावजूद खराब आहार, तनाव, पर्यावरणीय और भोजन में मौजूद विषाक्त पदार्थ पाचन प्रणाली को खराब कर सकते हैं। इसलिए अपनी आंतों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है ताकि पाचन प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव न आए। ऐसा करने के लिए अपनी डाइट में कुछ ऐसे आहार शामिल करें जो आंत के जरिये विषाक्त पदार्थ को आपके शरीर से बाहर निकाल सके।

(और पढ़ें- आंतों में सूजन के लक्षण)

हेल्थ डेस्क। यदि हम एक बार महीने में या 15 दिन में आंतों की सफाई कर लें तो शरीर की यह मशीन लगभग नई होकर अपना काम फिर से बेहतरीन अंदाज में करने लगती है। इस काम के लिए आयुर्वेद में एक विधि है जिसे विरेचक कहा जाता है इसे घर पर ही कि जा सकती है। इसके लिए घर पर ही हम आयुर्वेद का एक फॉर्मूला प्रयोग कर सकते हैं। यह फॉर्मूला है त्रिफला। त्रिफला असल में आंवला, हरड़ और बहेड़े के समभाग पाउडर का मिश्रण है।


आयुर्वेदिक एक्सपर्ट श्री अबरार मुल्तानी बताते हैं कि हम जो भी खाते हैं फल, सब्ज़ी, अन्न, पानी वह सब हमारा शरीर बन जाते हैं। हमारे अद्भुत पेट मे उसका पाचन होकर वह शरीर की कोशिकाओं और अंगों का पोषण करते हुए नए शरीर का निर्माण करता है।

पचने के बाद बचे हुए भोजन के अवशेष को वेस्ट कहते हैं और इसका समय- समय पर निष्काषन होना ज़रूरी है। यदि इस मल को निष्कासित करने में देरी होती है तो यह पेट की क्रियाविधि को प्रभावित करता है और शरीर मे टॉक्सिन बढ़ाता है। यहां बताई जा रही विधि का प्रयोग हम 15 दिन में एक बार कर लें तो कई सारी बीमारियों से बच सकते हैं।

आगे की स्लाइड्स पर जानिए इस प्रयोग को करने की विधि...

गार्सीनिया कंबोगिया (Garcinia Cambogia) आपकी भूख को दबाता है और आपके चयापचय को बढ़ाता है। यह न केवल आपके शरीर से सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, बल्कि शरीर के वजन को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। आप गार्सिनिया कंबोगिया को अपने दैनिक आहार में भी शामिल कर सकते हैं। इसे 1 से 2 बार रोजाना लेने से पेट साफ हो जाएगा।

पाचन शक्ति मजबूत रखनी है तो रखें आंतों का खयाल

सेब का जूस

सेब में पेक्टिन (फाइबर) अघुलनशील और घुलनशील गुण होते हैं। यह आपके मल को भारी बनाने में मदद करता है और इसे पास करना आसान बनाता है। यह आपके वजन घटाने के प्रयासों में सहायता कर सकता है। इसके अतिरिक्त, सेब पेट के कैंसर की कोशिकाओं के विकास को भी सकता है। इसका उयोग करने के लिए 1 सेब लें और 1 कप पानी के साथ ब्‍लेंड कर लें। फिर इसको छान लें या फिर ऐसे ही पी जाएं। ऐसा आपको रोजाना करना होगा।

लेमन डिटॉक्स ड्रिंक

नींबू विटामिन सी से भरपूर होता है, जो चयापचय को बढ़ाता है और शरीर से गंदगी को बाहर निकालने में मदद करता है। नींबू एक प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट है, जो आपके शरीर को फ्री रैडिकल्‍स से बचाता है। एक अध्ययन के अनुसार, लेमन डिटॉक्स डाइट भी शरीर में वसा को कम कर सकता है। इसे लेने के लिए 1 गिलास गुनगुने पानी में, 1/2 नींबू और 1-2 चम्मच शहद मिलाएं। इसे रोज सुबह खाली पेट पिएं।

नोट: चूंकि नींबू अम्लीय होता है और दांतों पर असर डाल सकता है, इसलिए इसे रोकने के लिए नींबू के सेवन के बाद अपने मुंह को सादे पानी से कुल्ला करना न भूलें।

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दही

दही एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक है, जो आंत के हेल्‍दी बैक्‍टीरिया का ख्‍याल रखता है। इससे पाचन की समस्‍या दुरुस्‍त होती है। दही का दैनिक सेवन आपके शरीर में प्रोबायोटिक्स के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, जो बदले में, आंत को शुद्ध करने में मदद कर सकता है। प्रतिदिन 1 से 2 बार बिना चीनी या फल के सादा दही लें।

कच्ची सब्जी का जूस

कच्ची सब्जियों से निकाला गया जूस पीना आपके कोलन को साफ करने और आपके शरीर को डिटॉक्स करने में काफी मददगार है। इसकी के साथ यह वेट को भी बैलेंस करने में मदद करता है। दिन में कई बार आपको अपनी डाइट में पालक, चुकंदर, गाजर, टमाटर और ककड़ी का रस पीना चाहिए।

नोट: डिब्बाबंद या तैयार किए गए रस से बचें, क्योंकि उनमें पोषक तत्वों और खनिजों की कमी होती है।

सेब का सिरका

एप्पल साइडर विनेगर में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो आंत और मलाशय के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। एप्‍पल साइडर विनेगर में एसिटोबैक्टर नामक बैक्टीरिया की उपस्थिति होती है, जो पाचन में सहायता करता है और आपके पेट के लिए उचित कार्य करता है। यह पेट में एसिड नहीं बनने देता और वजन कम करने में मदद करता है।

इन जरूरी बातों का भी रखें ख्‍याल

जितना हो तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।
तंबाकू के सेवन से बचें।
शराब का सेवन कम करें।
50 वर्ष की आयु के बाद, नियमित हेल्‍थ चेकअप करवाएं खासतौर पर कोलोन कैंसर के लिए।
फाइबर, अनाज, साबुत अनाज, चोकर, दलिया, फल, और सब्जियों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। यह आपके मल त्याग को बढ़ाने और पेट के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
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डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

आंतों में जमा हुआ मल कैसे निकाले?

साल 2010 के एक अध्ययन से पता चला है कि कुछ योग मुद्राओं के साथ यदि पानी में नमक मिलाकर पिया जाए तो इससे आंतों की सफाई आसानी से की जा सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक सुबह खाने से पहले दो चम्मच नमक को गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं, यह लाभदायक हो सकता है। सब्जियों के जूस को कोलन क्लीनर माना जाता है।

आंतों को साफ करने के लिए क्या खाएं?

पालक जैसी हरी सब्जियों में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. अपने अन्य गुणों के साथ पालक का एक गुण आंतों की सफाई करना भी है. इससे पाचन तंत्र बीमारी मुक्त होता है और बेहतर भी हो जाता है. अपनी डाइट में पालक शामिल करना एक समझदारी भरा निर्णय है.

पेट में जमे हुए मल को कैसे निकाले?

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गार्सीनिया कंबोगिया ... .
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इन जरूरी बातों का भी रखें ख्‍याल.

आंतों में मल क्यों सूखता है?

जैसे-जैसे भोजन पाचन तंत्र में से गुज़रता है, पोषक तत्व और पानी अवशोषित होते हैं। अपशिष्ट, आंत और मलाशय से गुज़रते हुए मल के रूप में बाहर निकल जाता है। कभी-कभी, पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और मल आंतों में से धीरे-धीरे गुज़रता है। इससे अधिक पानी अवशोषित हो सकता है, जिससे मल सख़्त और सूखा हो सकता है।

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