ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन सेclass 8th hindi notes Show वर्ग – 8 विषय – हिंदी पाठ 10 – ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से सारांश- ” दिनकर ” जी के घर के बगल में एक वकील साहब हैं । वे बाल – बच्चे नौकर – चाकर , धन – वैभव मृदुभाषिणी पत्नी सब प्रकार से सुखी है । शब्दार्थ – प्रश्न – अभ्यास 1. वकील साहब सुखी क्यों नहीं हैं ? उत्तरः – वकील साहब को धन सम्पत्ति सुन्दर घर मृदुभाषिणि पत्नी पुत्र – पुत्री किसी चीज की कमी नहीं है लेकिन वे सुखी नहीं हैं क्योंकि उनके हृदय में ईर्ष्या रूपी आग सदैव पीड़ा पहुंचा रही है । उनके बगल का एक बीमा एजेन्ट की चमक – दमक , आमदनी गाड़ी इत्यादि सभी उन्हीं को क्यों नहीं हो जाता है । अर्थात् किसी दूसरे को सुख – सुविधा या आय क्यों ? ईष्या के कारण वे सदैव चिन्तित और दुखी रहा करते । उन्हें सब सुख रहते हुए भी सुख नहीं था । 2. ईर्ष्या को अनोखा वरदान क्यों कहा गया है ? उत्तर– इयां को अनोखा वरदान इसलिए कहा गया है कि जिसके हृदय में यह अपना घर बना लेता है उसको प्राप्त सुख के आनन्द से वॉचत कर देता है । ऐसा व्यक्ति जिसके हृदय में ईयां होती उसे अप्राप्त सुख दंश की तरह दर्द देता है । ईयां उसे अपने कर्तव्य – मार्ग से विचलित कर देता है जो ईर्ष्या की अनोखा वरदान है । 3. ईर्ष्या की बेटी किसे और क्यों कहा गया है ? उत्तर– ईया को बेटी निंदा को कहा गया है । जिसके पास ईयां होती वह ही दूसरों की निंदा करता है । ईर्ष्यालु व्यक्ति सोचता है अमुक व्यक्ति यदि आम लोगों के नजर से गिर जाय तो उसका स्थान हमें प्राप्त हो जायेगा । इस प्रकार निंदा ईर्ष्यालु व्यक्ति का सहायक बनकर ईयां रूपी आग को और भी अधिक बढ़ा देती है । इसीलिए तो निंदा को ईच्या की बेटी कही गई है । 4. ईर्ष्यालु से बचने के क्या उपाय हैं ? उत्तर– ईर्ष्यालु व्यक्ति सभ्य सज्जन और निर्दोष व्यक्ति को भी निंदा करता है । इंग्र्यालु उसे समाज में नीचा दिखना चाहता है तो ऐसे अवस्था में उस सज्जन व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी कमजोरी को देखें और उसे दूर कर उसे प्रभावित करें कि ईथ्यालु व्यक्ति के हृदय में स्थित ईर्ष्या निकल जाय । यही उससे बचने का उपाय है । 5. ईर्ष्या का लाभदायक पक्ष क्या हो सकता है ? उत्तर– ईर्ष्या से स्पर्धा होती है । जद स्पर्धा की बात ईर्ष्या से होती है तो वह आदमी अपने कर्म बदौलत अपने प्रतिद्वन्दी को पछारना चाहता है । इससे ईर्ष्यालु व्यक्ति में उन्नति होता है । इस प्रकार स्पर्धा इंा का लाभदायक पक्ष साबित हो सकता है । पाठ से आगे 1. नीचे दिए गए कथनों का अर्थ समझाइए। ( क ) जो लोग नए मूल्यों का निर्माण करने वाले हैं , वे बाजार में नहीं बसते , वे शोहरत के पास भी नहीं रहते । अर्थ– जो लोग ईर्ष्यालु से बचना चाहते हैं अथवा नए मूल्यों का निर्माण करना चाहते हैं दे बाजार में नहीं बसते वे यश या अपयश की भी चिन्ता नहीं करते हैं । ( ख ) आदमी में जो गुण महान समझे जाते हैं , उन्हीं के चलते लोग उससे जलते भी हैं । उत्तर– किसी व्यक्ति में जब कोई महान गुण आ जाता है तो दूसरे व्यक्ति उससे जलते हैं । ईर्ष्यालु व्यक्ति को किसी व्यक्ति की महानता जलने को विवश कर देती है । ( ग ) चिंता चिता समान होती है । अर्थ– चिंता चिता के समान होती है अर्थात् जिसे चिन्ता हो जाती है उस व्यक्ति की जिन्दगी ही खराब हो जाती है । वह व्यक्ति को गला – गलाकर रखकर देती है । चिंता वाला व्यक्ति अपने कर्त्तव्य को भूल जाता है तथा उसकी अवन्निति होने लगती है । 2. अपने जीवन की किसी घटना के बारे में बताइए जब – ( क ) किसी को आपसे ईर्ष्या हुई हो । उत्तर– एक सहपाठी को हमसे ईर्ष्या हो गई । कारण कि मैं अपने वर्ग में प्रथम आया करता हूँ । हमारा गुण शिक्षकों का भी ध्यान हमारी ओर आकर्षित कर लिया था । शिक्षक हमें बराबर प्रोत्साहित करते रहते थे । वे ईर्ष्यालु सहपाठी हमारे बारे में शिक्षकों से झूठी शिकायत करने लगे । थोड़ी देर के लिए हमारे शिक्षक भी उससे प्रभावित हुए तथा शिकायत हमारे अभिभावक को भी शिक्षक के माध्यम से मिल गया । मैंने सोच लिया यह शिकायत कैसे दूर होगी । मैं अगले दिन से शिक्षकों के साथ विद्यालय से निकलने लगे । कुछ ही दिनों में शिकायत झूठी है जब शिक्षक और अभिभावक के समझ में आ गया तो उन्होंने उस विद्यार्थी को ही डाँटकर शिकायत को झूठा साबित कर दिया । ( ख ) आपको किसी से ईर्ष्या हुई हो । उत्तर– हमें भी अपने वर्ग के एक सहपाठी से ईर्ष्या हुई कि वह वर्ग में प्रथम क्यों आता है । मैं भी प्रथम क्यों नहीं आता । वह ईर्ष्या स्पर्धा में बदलकर हमने जाना कि वह कितना मेहनत करता है । मैं उससे अधिक समय पठन – पाठन में देकर उसी साल उससे आगे बढ़कर प्रथम आ गया । 3. अपने मन से ईर्ष्या का भाव निकालने के लिए क्या करना चाहिए ? उत्तर– अपने मन से ईर्ष्या का भाव निकालने के लिए हमें स्पर्धा का भाव लाकर अपने कर्तव्य में गति लाना चाहिए । मानसिक अनुशासन अपने में लाकर फालतु बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए तथा यह हमें पता लगाना चाहिए कि किस अभाव के कारण हममें इंध्या का उदय हुआ । उसकी पूर्ति हम स्पर्धा से कर ईया से दूर हो सकते हैं । व्याकरण 1. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए उत्तर -1. मृदुभाषिणी – वकील साहब की पली मृदुभाषिणी थी । वाक्य – विचार को पूर्णता को प्रकट करनेवाले वैसे शब्द समूह को वाक्य कहते हैं जिसमें कर्ता और क्रिया दोनों होते हैं । जैसे – मोहन पढ़ता है । 2. ऊपर में दी गई जानकारी के आधार पर तीनों प्रकार के वाक्यों का दो – दो उदाहरण पाठ से चुनकर लिखिए । उत्तर-1 . सरल वाक्य— ( क ) ईर्ष्या का काम जलाना है । गतिविधि 1. पाठ में आए महान विभूतियों की नामों की सूची बनाइए और उनकी कृतियों के बारे में जानिए । उत्तर— पाठ में आये महान विभूतियों के नाम हैं
ईर्ष्या की बड़ी बेटी किसे और क्यों कहा गया हैं?ईर्ष्या की बेटी निंदा को कहा गया है क्योंकि निंदा की उत्पत्ति ईर्ष्या के कारण ही होती है।
ईर्ष्या की बड़ी बेटी का नाम क्या है?ईर्ष्या की बेटी का नाम निन्दा है. जो व्यक्ति ईर्ष्यालु होता है, वही बुरे किस्म का निन्दक भी होता है.
ईर्ष्या का क्या वरदान है?ईर्ष्या का अनोखा वरदान यह है कि ईष्र्यालु व्यक्ति उन वस्तुओं से आनन्द नहीं उठाता जो उसके पास हैं, वरन् वह उन वस्तुओं से दु:ख उठाता है, जो दूसरों के पास हैं। ईष्र्यालु व्यक्ति को ईर्ष्या के कारण उन वस्तुओं से आनन्द नहीं मिलता जो उसके पास हैं वरन् वह उन वस्तुओं से दु:ख उठाता है, जो दूसरों के पास हैं।
इंडिया की बेटी किसे और क्यों कहा गया?भारत की बेटी किसे - Answers of Question.
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