Show वर्षा ऋतु हमेशा सबकी प्रिय ऋतु रही है। वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है। पेड – पौधे, पशु – पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से झूम उठती हैं। वर्षा की धाराओं के कारण मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट कर तृण बन जाते हैं। उस वर्षा के पानी को पाकर सभी का मन झूलने लगता है। कवि कहते हैं कि इन्द्रधनुष को झूला बनाकर हम सब मिलकर आकाश में झूलना चाहते हैं। ऐसी सुंदर – सुंदर घटनाओं के कारण से कवि फिर – फिर वर्षा ऋतु का आगमन करना चाहते हैं। कवि बार बार अपने जीवन में सावन के आने की कामना कर रहा है क्यों?फिर बादल घनघोर वर्षा करके गर्मी से तड़पती धरती की प्यास बुझाकर उसे शीतल एवं शांत कर देते हैं। धरती के शीतल हो जाने पर सारे लोग भीषण गर्मी के प्रकोप से बच जाते हैं और उनका मन उत्साह से भर जाता है। कविता का भावार्थ कवि के अनुसार फागुन मास में प्रकृति इतनी सुन्दर नजर आती है कि उस पर से नजर हटाने को मन ही नहीं करता।
कवि ने सावन को मनभावन क्यों कहा है?कवि ने इच्छा व्यक्त की है कि मनभावन (UPBoardSolutions.com) सावन जीवन में बार-बार आए। प्रश्न 1: 'झम-झम, झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के' – इसमें 'झम-झम' ध्वनि सूचक शब्द है। कविता में अन्य कई ध्वनि सूचक शब्दों का प्रयोग हुआ है, जिससे सावन की बरसात का बड़ा सहज एवं सरस चित्रण हुआ है।
फिरप्राचीनकाल के कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से सभी ऋतुओं का सुंदर वर्णन किया है। वसंत ऋतु तो रसिक तथा सभी प्रकार के कवियों की मनभावन ऋतु रही है। इस ऋतु में पलाश के जंगल खिल उठते हैं, आमों के वृक्ष बौरों से भर जाते हैं।
फिर फिर सावन का आह्वान करना कहाँ तक उचित है?सितंबर 2022 में भूमि पूजा की तारीखें. |