2 हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के कौन कौन सा कच्चा माल मंगवाना पड़ता था यह? - 2 hadappa sabhyata mein shilp utpaadan ke kaun kaun sa kachcha maal mangavaana padata tha yah?

हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची बनाइए तथा चर्चा कीजिए कि यह किस प्रकार प्राप्त किए जाते होंगे?...


2 हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के कौन कौन सा कच्चा माल मंगवाना पड़ता था यह? - 2 hadappa sabhyata mein shilp utpaadan ke kaun kaun sa kachcha maal mangavaana padata tha yah?

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

सिंधु सभ्यता भारत की प्राचीन सभ्यता है हिंदुस्तान पिता को आप हड़प्पा सभ्यता से भी जोड़ सकते हैं भारत में कच्चे माल अधिक थे अर्थात् भारत एक कृषि प्रधान देश था आज भी भारत कृषि प्रधान देश की है भारत में कच्चे माल जैसे-जैसे वस्त्र बनाने के लिए रेशम का ध्यान के लिए गेहूं चावल गन्ने यह फसल मुख्य रूप से मानी जाती है भारत में रेशम की कृषि कम थी और यह जानकारी दूसरे देशों को हो गई से थोड़ा सा भारत को नुकसान भी हुआ भारत कुछ वर्षों तक गुलाम तेरा क्योंकि जब दूसरे देश के व्यापार को यह पता चला कि भारत इस रुप से कमजोर दिखता दिख रहा है तो उन्होंने वस्त्रों का जो भारत में विक्रय किया अर्थात भारत से ही कच्चे मालों का क्रय किया करें का अर्थ है भारत ने निर्यात किया और जब भारत में निर्यात स्वयं करना प्रारंभ कर दिया कच्चे मालों का तो दूसरे देश ने उसका उपयोग करके भारत को उस से बनी सामग्री ही दोगुनी और तीन गुनी रेटों में देना प्रारंभ कर दिया जिससे संभवत भारत में अगर उस समय कुछ अच्छे व्यक्ति होते जो इन सभी चीजों का ध्यान रखते अर्थात भारत में उस समय राजघराना का प्रथा था राजघराने का अर्थ था कि सभी क्षेत्रों के क्षेत्रीय अर्थात संपूर्ण देश का संयुक्त नहीं था ठीक है उस समय कुछ कूटनीतिक ढंग से जो राजाओं का देश का समूह था वह बिखर गया था राज हड़पने के चक्कर में और यह भी दूसरे देशों के लोगों के माध्यम से ही जो या फूट डाली गई थी भारत को गुलाम बनाने के लिए कोई व्यक्ति किसी की मदद कर देता था कोई किसी की मदद कर देता था अब जब राज्य संपूर्ण राज्य था तब भारत में संपूर्ण कृषि का कार्य होता था और उससे भारत का उत्पादन भी अच्छा होता था तभी क्षेत्र के लोग अलग-अलग भी दे तो से संपर्क करने लगे तो भारत पर कमजोर होता गया और एक स्थान से वे लोग कच्चे सामग्री को खरीद लेते और उसके बाद में अधिक मूल्य पर उन्हीं को ही भेज देते देते उसका वह उपयोग करते और उपयोग करके जैसे यशवंत खरीदते और उसके बाद वस्त्र बनाते हैं और वस्त्र भारत में बैठक के कार्य संपूर्ण भारत करता और पैसा दूसरे देश वाले ही कमा लेते क्योंकि उन्होंने आपके देश में फूट डाल दिया था और यह कार्य चल रहा था हड़प्पा सभ्यता में और इसी कारण से हड़प्पा सभ्यता का नाम पड़ा था जो किया सिंधु सभ्यता था और जब देश से भूमि और पैसे हर पर जाने लगे तो इसी का नाम हड़प्पा सभ्यता कर दिया गया मैं दूसरे देश के लोगों का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण था जैसे मुगल हुए मुगल ने इसका बहुत ज्यादा फायदा उठाया था क्योंकि उन्होंने फूट डालो और जब फूड डाला और वह उनके कृषि वालों को खरीदने के लिए राजी हो गए जब उन्होंने खरीदने के लिए कहा तो सभी लोग अच्छे वाले प्राप्ति के लिए अपने देश में कराना करके दूसरे देशों में कई कर लिया जब कच्चे माल भारत से बाहर जाने लगे तो भारत में उद्योग चलेगा कैसे और जब उद्योग की बढ़ोतरी भारत की नहीं हो पाई अर्थात सभी राजा गण जो अपने-अपने उद्योग को दूसरे देशों में बेचने लगे अर्थात बाजार देश का होता है विदेश का निवेश का बाजार जवाब उपयोग करेंगे विदेश से आप सामग्री का लेन देन कर सकते हैं लेकिन उतना जितने से आपके देश का आए विभाग पूर्ण रूप से बना रहे आपके वित्तीय तौर पर नुकसान ना हो अर्थात वित्तीय को समान रुप में रहे उससे कम बिल्कुल ना होने पाए अर्थात वित्तीय कोर्स आपका जितना होना चाहिए उतना आपको आवश्यक है हां जितना आप जितने पैसे का आप विक्रय करते हैं उससे अधिक पैसे का आप करें ना करें जिससे आपने ₹20000 का किसी को सामग्री बेटा यह मैं आपको आज के युग में देश को बहुत अच्छे ढंग से प्रेषित करना आप कर सकते हैं तो जितने जैसे मान लेते आपको परिवार चलाना है तो परिवार में अगर आपकी इनकम ₹20000 पर मंथ तो आप ₹21000 का खर्चा ना करें नहीं तो आपको ₹1000 का घाटा सहना पड़ जाएगा कारण था कि भारत के सभी राज्य की राज्य का राजा थे तो वह अपना बंद कर ली अब उनको चुपके चुपके वह देश से बाहर भेजने लगे उनकी सामग्री कच्चे रूपों में दूसरे देशों को जाने लगी तो भारत का उद्योग लगभग जो भारतीय उद्योग थे जैसे कपड़ा और कृषि के कुछ जो किसी सामग्री या कृषि यंत्र तो जब इसमें बढ़ोतरी नहीं हो पाई तो कारण था कि यह जो किसान या जो राजा अपने क्षेत्र से जो भी उनको फसल मिलती है वह दूसरे देशों में करें कर लेते आप कारण था कि जैसे आपके पास कोई सामग्री है मेरे पास कपड़े का भंडारण या कपड़े बनाने कला है और मैंने मेरे पास अगर सामग्री उपलब्ध ना हो तो मैं कैसे बना पाऊंगा नहीं बना पाऊंगा ना जैसे मैं कुंडली बनाता हूं कुंडली बनाने के लिए हम को आवश्यक चीजें की आवश्यकता होती है डेट ऑफ बर्थ अगर हमको दूसरे की डेट ऑफ बर्थ नहीं मिली और वह हमसे कुंडली ना बनवाया तो मेरा खर्चा कैसे चलेगा और अंत में वह कार्य आप को बंद करना पड़ेगा वैसे ही जैसे जवाब तो कुंडली देखना वेस्ट कुंडली बनवाना लोग बंद करेंगे लेकिन तब समस्या कैसे उत्पन्न होगी उनका विवाह नहीं होगा क्योंकि अगर हमारे पास कई लोगों की कुंडली है तो हमको आयोग का पता होता है ज्ञान का पता होता है और उनका विवाह समय से एक-दूसरे के पक्ष में करवाने का निर्णय भी हम लोग करते हैं तो जिससे जब राय देते हैं तो उसके माता-पिता राजी हो जाते हो और विवाह समय से हो जाता है इस कारण से कुंडली बनाना बहुत आवश्यक होता है अभी आकर तभी समाप्त हो गई थी जब आप अपना तो गई तो आज के युग में देखें लगभग 35% व्यक्ति अपने परिवार के वैवाहिक संबंध के लिए परेशान हैं चाहे वह लड़की पर लड़का पक्षों से कराना चाहते हैं तो आप 951 728 7000 या मेरे जोशी के अंदर का नंबर है अगर किसी को भी विवाह करना है चाहे लड़की का या लड़के का तो आप उसके योगी का लड़का चाहते हैं तो आप इस नंबर पर संपर्क कर सकते कुंडली मिलान का खर्चा को देना होता है और आपको जानकारी सभी प्रकार से एक पक्ष ने दूसरे पक्ष को दे दी जाती है आप लोग विवाह का जो भी अनुबंधन है आप सभी लोग स्वयं तय करते हैं वैसे जब भारत में उद्योग के लिए सामग्री कम पड़ने लगी और सभी क्षेत्र के राजा जिससे आप रेशम की कृषि आपके राज्य में होती है और आपने उसे दूसरे देश को बेच दिया अर्थात अपने दूसरे राज्य को नहीं दिया दूसरे देश को देश या राज्य का परिवर्तन आएगा तो एक दूसरे का आगे बढ़ेगा ठीक है वह उनके वहां पर वह कार्य अथवा उसे करें और वह आपको सप्लाई करें आपके पास जो है उसे आप उनके पास से दोनों लोगों का लाभ होता है देश से बाहर जाता है और संभवत मान्यता नहीं रहती अर्थात संविधान नहीं रहता और वह सामग्री दूसरे देश को जाएगी तो आपका आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा नुकसान होगा जैसे विदेश के व्यक्ति ऐसा भी कर सकते हैं कि आपके एक प्रदेश से सामग्री खरीद लें और जिस पर देशी व सामग्री खरीदने दरभंगा के लोग उस विषय में जानते हैं तो वह अपना तो कार्य उस पर चला ले मेरे साथ किसान से गेहूं खरीदते हैं तो किसान अपने खाने भरकर गेहूं अपने पास कभी कभी रात भी लेता है तू जब आपने खाने भरकर रख लेगा और उसके बाद आपको देखा तू वहां तो भूखा नहीं मरेगा लेकिन उसके जो अन्य परिवार के लोग हैं जिनके पास भी नहीं है उनको तो भूखा ही मरना पड़ेगा ना कभी खरीदने वाला गीत बाहर का है और वह सामग्री लेकर बाहर चला गया और वह आपको ना दे तो आपके ही राज्य के कुछ लोग भूखे मरने लगेंगे वैसे ही हुआ था कि जब देश के राजा दूसरे देशों से अनुबंध कर लिए हड़प्पा सभ्यता ने इसका नाम भी हड़पने के कारण से पढ़ा था तो जैसे मामले में उत्तर प्रदेश के क्षेत्र का जो राजा था उसने दूसरे देशों में संपर्क किया और जब दूसरे देशों में संपर्क कर लिया तो दूसरे प्रदेश में कृषि का कार्य अब जब वहां पर कृषि की भूमि है अर्थात गेहूं चावल की तो उन लोगों को वस्त्रों की कमी होगी तो जब वस्तु खरीद देंगे और जब विदेशों से वस्त्र खरीदेंगे तो उनको महंगा पड़ेगा ठीक है अर्थात सामान्यता सभी के पास है नहीं वहां पर संविधान का पालन भारत के जैसा होता नहीं है तो वह अपनी आय दोगुनी 4 * 6 * बड़ा करके आपको जैसे वहां से उन्होंने आपका गेहूं मान लेते हैं उन्होंने ₹5 किलो वेट खरीदा और उसके बाद उन्होंने अपने पास स्टोरेज कर लिया था तो वह देश के होंगे तब तो समानता सत्य प्रति लागू होगी तब वह अतिरिक्त नहीं कर सकते हैं दूसरे देश के हैं तो वह कारण है कि आप से तो 5 किलो रुपए गेहूं खरीद लेंगे और आपके देश का यह कोई के रुपए किलो खरीदता है तो वह साथ नहीं 8:00 नहीं 10:00 देखेंगे ठीक है तो क्यों पर सामान्यता लागू नहीं होता और उन्होंने अगर आपकी सारी सामग्री खरीद लिया तो जिन लोगों को आपके ही देश में जरूरत है कुछ सामग्री के तो अब उन्हें ही भेज दें और उनसे बहुत तेज गुना 4 गुना 5 गुना दाम लेंगे अब कारण यह होगा कि जो पैसा उन्होंने आपको दिया है जो व्यक्ति आपको सामग्री देते हैं या जैसे मान लेते हैं आपके परिवार में कोई एक व्यक्ति ₹50 प्राप्त कर ले ठीक है और दूसरा देख बीमार पड़ जाए तो आप उसको देंगे ना तो कारण यह है कि अगर जैसे एक राज्य से उन्होंने खरीदा दूसरे राज्य में दो तीन गुना दाम से भेज दिया उस राज्य से जो सामग्री खरीदी उसे आपके राज्य में दो या तीन गुना ज्यादा भेज दिया तो आप दोनों लोग कर रहे हो और वह पैसा कमा रहे और ऐसा करते-करते भारत को उन्होंने गुलाम बना लिया था और जब भारत गुलाम हो गया था तो इसी सभ्यता का नाम भारत के इतिहास का रोने हड़प्पा सभ्यता दे दिया कि ऐसे व्यापार के कारण से हमारा देश गुलाम हुआ है

Romanized Version

2 हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के कौन कौन सा कच्चा माल मंगवाना पड़ता था यह? - 2 hadappa sabhyata mein shilp utpaadan ke kaun kaun sa kachcha maal mangavaana padata tha yah?

2 जवाब

This Question Also Answers:

  • हड़प्पा सभ्यता में सिर्फ उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची बनाइए तथा चर्चा कीजिए कि यह किस प्रकार प्राप्त किए जाते होंगे - hadappa sabhyata me sirf utpadan ke liye aavashyak kacche maal ki suchi banaiye tatha charcha kijiye ki yah kis prakar prapt kiye jaate honge
  • हड़प्पा सभ्यता की हमें सिर्फ उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची बनाएं तथा चर्चा कीजिए कि यह किस प्रकार प्राप्त किए जाते होंगे - hadappa sabhyata ki hamein sirf utpadan ke liye aavashyak kacche maal ki suchi banaye tatha charcha kijiye ki yah kis prakar prapt kiye jaate honge
  • हड़प्पा सभ्यता में सिर्फ उत्पादन के के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची बनाइए तथा चर्चा कीजिए कि यह किस प्रकार प्राप्त किए जाते होंगे - hadappa sabhyata me sirf utpadan ke ke liye aavashyak kacche maal ki suchi banaiye tatha charcha kijiye ki yah kis prakar prapt kiye jaate honge

Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!

हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के कौन कौन सा कच्चा माल?

तथा मुहरों - दूसरे शब्दों में पुरातात्विक साक्ष्यों के माध्यम से बहुत जानकारी मिलती है। अब हम देखेंगे कि हम हड़प्पा सभ्यता के विषय में क्या और कैसे जानते हैं। हम यह अन्वेषण करेंगे कि पुरातात्विक साक्ष्यों की व्याख्या कैसे की जाती है और इन व्याख्याओं में कैसे कभी-कभी बदलाव आ जाता है।

2 हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के कौन कौन सा कच्चा माल मंगवाना पड़ता था यह कहां से मंगवाया जाता था?

पत्थरों, उत्तम गुणवत्ता की लकड़ी, धातुओं को दूर स्थानों से मंगवाया गया थाहड़प्पा की बस्तियाँ ऐसी जगहों पर स्थित थीं जहाँ कच्चे माल आसानी से उपलब्ध थे। नागेश्वर और बालाकोट शंख के लिए प्रसिद्ध थे। कुछ स्थान नीले रंग के पत्थर लाज़वर्द मणि के लिए प्रसिद्ध थे जैसे अफगानिस्तान में शोर्तुघई।

हड़प्पा निवासी कच्चा माल प्राप्त करने के कौन से दो तरीके अपनाते थे?

कच्चा माल प्राप्त करने के लिए हड़प्पा वासियों की एक अन्य नीति भी थी। वे तांबा प्राप्त करने के लिए खेतड़ी अंचल और सोना प्राप्त करने के लिए दक्षिण भारत जैसे क्षेत्रों में अभियान भेजा करते थे। इन अभियानों से स्थानीय समुदाय के लोगों से संपर्क स्थापित किया जाता था।

हड़प्पा सभ्यता का मुख्य व्यापार क्या था?

सिंधु घाटी के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। गेहूं, जौ, मटर, और केला जैसी फसलें उगाई गईं।