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अध्यक्ष संदेशवित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो राजकोषीय संघवाद की धुरी है, जिसका गठन संविधान के अनुछेद 280 के तहत किया जाता है। इसका मुख्य दायित्व: संघ व राज्यों की वित्तीय स्थितियों का मूल्यांकन करना, उनके बीच करों के बटवारे की संस्तुति करना तथा राज्यों के बीच इन करों के वितरण हेतु सिद्धांतो का निर्धारण करना है। वित्त आयोग की कार्यशैली की विशेषता सरकार के सभी स्तरों पर व्यापक एवं गहन परामर्श कर सहकारी संघवाद के सिद्धांत को सुदृढ़ करना है। इसकी संस्तुतियां सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता में सुधार लाने और राजकोषीय स्थिरता को बढ़ाने की दिशा में भी सक्षम होती है। प्रथम वित्त आयोग 1951 में गठित किया गया था और अब तक पंद्रह वित्त आयोग गठित किये जा चुके हैं। उनमें से प्रत्येक को अद्वितीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। योजना आयोग की समाप्ति के साथ ही योजनागत व गैर-योजनागत व्यय में भेद समाप्त किये जाने तथा वस्तु एवं सेवा कर को लागू किया जाना जिसने संघीय राजकोषीय संबंधों के मौलिक रूप को पुनः परिभाषित किया है की पृष्ठभूमि में 27 नवंबर 2017 को पंद्रहवे वित्त आयोग का गठन किया गया। वर्तमान वित्त आयोग के विचारार्थ विषय की कुछ विशिष्ट विशेषताएं जिसमें महत्वपूर्ण राष्ट्रीय फ्लैगशिप कार्यक्रमों के लिए निगरानी योग्य मानदंडों की संस्तुति करना और भारत की रक्षा आवश्यकताओं के लिए एक स्थायी अव्यपगत निधि को स्थापित करने की संभाव्यता की जांच करना शामिल है। जम्मू एवं कश्मीर राज्य का पुनर्गठन दो संघ राज्य क्षेत्रों: जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख एक नया आयाम प्रस्तुत करता है। कुल मिलाकर, वित्त आयोग को हमारी संघीय राजव्यवस्था के विकास की नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वित्त आयोग एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था के रूप में सरकार के सभी तीन स्तरों के प्रतिस्पर्धात्मक दावों और प्राथमिकताओं को विश्वसनीय तरीके से संतुलित करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री एन.के. सिंह भारत के 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्षभारतीय वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के आर्टिकल 280 के तहत संविधान लागू होने के दो
वर्ष के अंतर्गत ही, 1951 में किया गया था | इस आयोग का निर्माण केंद्र और राज्य के बीच वित्तीय संबंधों को परिभाषित करने के उद्देश्य से किया गया था | वित्त आयोग के सदस्य को प्रत्येक पांच सालों में नियुक्त किया जाता है, जिसमें से अभी तक कुल 15 वित्त आयोगों को नियुक्त किया जा चुका हैं। वहीं, वित्त आयोग का अधिकतम कार्यकाल 5 वर्ष का ही होता है | यदि आपको भी वित्त के आयोग के विषय में अधिक जानकरी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको वित्त आयोग (Finance Commission) क्या है – कार्य, सदस्य व अध्यक्ष की जानकारी प्रदान की जा रही है | ऑटोनॉमी (AUTONOMY) या स्वराज्य क्या वित्त आयोग (Finance Commission) का क्या मतलब होता है ?
आर्टिकल 280 (1) के तहत उपबंध है कि, वित्त आयोग राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किये जाने वाले एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर ही बनाये जाने का प्रावधान उपलब्ध है | इसके साथ ही आर्टिकल 280 (2) के तहत संसद को वित्त आयोग का निर्धारण करने की शक्ति भी प्रदान की गई है | वित्त आयोग की शुरुआत इसी तरह से की गई है| वित्त आयोग के कार्य
आयकर में छूट के नियम क्या है वित्त आयोग का अध्यक्ष कौन होता है ?केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी प्रदान करने के बाद वित्त आयोग के अध्यक्ष का चुनाव कराया जाता है | जिसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है | वहीं, प्रथम वित्त आयोग का अध्यक्ष के.सी. नियोगी को नियुक्त किया गया था, और 15वे वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में 27 नवम्बर, 2017 को श्री एन.के. सिंह को चुना गया था , जिनका कार्यकाल 2025 तक होगा | 15वें वित्त आयोग के अन्य चार सदस्य
वित्त आयोग के सदस्यों की निर्धारित की जाने वाली शर्तें
आयकर में छूट के नियम क्या है वित्त आयोग के संवैधानिक प्रावधान क्या है ?
अब तक के वित्त आयोग के अध्यक्ष की सूची
यहाँ पर हमने आपको वित्त आयोग के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है | यदि आप इस जानकारी से संतुष्ट है, तो कमेंट करे और अपना सुझाव दे सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही निवारण किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे | प्रधानमंत्री वय वंदना योजना क्या है ? भारत में 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष कौन है?15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष (2017 में गठित) नंद किशोर सिंह हैं। वह योजना आयोग के पूर्व सदस्य हैं। वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो संविधान के अनुच्छेद 280 द्वारा अनिवार्य है।
वित्त आयोग कौन गठित करता है?भारत के राष्ट्रपति हर पांच वर्ष में वित्त आयोग का गठन करते हैं जिसमें एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं। भारत के संविधान का अनुच्छेद 280 वित्त आयोग से संबंधित है और अनुच्छेद 243I राज्य वित्त आयोग से संबंधित है।
भारत में वित्त आयोग का कार्यकाल कितना होता है?वित्त आयोग का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों को परिभाषित करता है। यह पांच वर्षों के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्थापित किया जाता है।
किसकी अध्यक्षता में भारत का पहला वित्त आयोग नियुक्त किया गया था?नियोगी की अध्यक्षता में 6 अप्रैल 1952 को किया गया था।
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