143 bhumi क मतलब क य ह

यूपी की धारा 143 ज़मीनदारी उन्मूलन विज्ञापन भूमि सुधार अधिनियम, जो क्षेत्र के सहायक कलेक्टर/एसडीएम को कृषि से आवासीय में भूमि की प्रकृति को बदलने के लिए अधिकृत करता है, भूमि की प्रकृति में इस बदलाव को सूओ मोटो माना जाता है, या पार्टी के अनुरोध पर, जहां भूमि का एक सर्वेक्षण लेखपाल (जमीनी स्तर पर राजस्व अधिकारी) द्वारा आयोजित किया जाता है, और फिर वह अपनी रिपोर्ट भेजता है तहसीलदार के समर्थन के साथ संबंधित एसडीएम को यदि एसडीएम रिपोर्ट से संतुष्ट है, तो वह बदले में, भूमि उपयोग को परिवर्तित करने, धारा 143 के तहत एक घोषणा पास करता है

हापुड़। हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्रीराम ने स्पष्ट किया है कि खेती की जमीन का भू उपयोग परिवर्तित कराए बिना अगर कोई कालोनाइजर ऐसी जमीन पर कालोनी या अन्य कोई व्यवयाय विकसित करेगा उसे प्राधिकरण का दस्ता ध्वस्त कर देगा। बेशक उसने धारा 143 की कार्रवाई करा रखी हो। इसी धोखे में विकसित की गई सैकड़ों अवैध कालोनियों प्राधिकरण को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करनी पड़ी है।

उन्होंने कहा कि उक्त कार्रवाई शासन के आदेश पर की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रमुख सचिव ने अपने आदेशों में स्पष्ट कहा है कि अधिकारी इस बात को देखे कि मास्टर प्लान या अन्य किसी योजना में जो जमीन जिस श्रेणी में चिन्हित हुई है। उसका उपयोग उसी में हो। श्रेणी का परिवर्तन सिर्फ शासन से हो सकता है। उन्होंने कहा कि अक्सर लोगों को भ्रम हो जाता है कि जिला प्रशासन से धारा 143 आबादी घोषित कराने के बाद वह जो चाहे उसका निर्माण करा सकता है। इसलिए कॉलोनाइजर जमीन को लेकर मनमानी तरीके से प्लाट काट देते हैं । प्राधिकरण के क्षेत्र में किसी भी जमीन का भूउपयोग बिना शासन की मर्जी के बिना नहीं हो सकता है। इस अवसर पर प्राधिकरण के सचिव सौम्य श्रीवास्तव, जनसम्पर्क अधिकारी एल.पी.सिंह मौजूद थे।

अवैध कालोनी ध्वस्त होंगी
प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्रीराम नेे बताया कि अवैध कालोनी व अवैध निर्माण किसी भी हाल में बनने नहीं दी जाएंगी। प्राधिकरण की टीम जल्द दोबारा से अभियान चलाकर अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल 40 अवैध कालोनियां हैं । इन्हें विनियमित कराने को शासन को विस्तृत रिपोर्ट भेजी जा चुकी है।

हल्द्वानी। बरेली रोड स्थित मोतीनगर क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा वर्षों पहले खरीदी गई लगभग दस बीघा जमीन को सरकार ने नो मैंस लैंड घोषित कर दिया है। सरकार की इस कार्रवाई के बाद से ग्रामीणों का चैन छिन गया है। इस मामले को लेकर ग्रामीण कई बार राजस्व अधिकारियों से लेकर जिलाधिकारी तक से मिल चुके हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही है।

लालकुआं तहसील क्षेत्र के ग्राम किशनपुर सरकुलिया के खसरा संख्या 35 में क्षेत्र में रह रहे 30 परिवारों की लगभग दस बीघा भूमि है जो कि वर्ष 1971 के बाद खरीदी गई है। सरकारी अभिलेखों में यह भूमि इन ग्रामीणों के नाम से भूमिधरी रूप में दर्ज है। रजिस्ट्री और दाखिल खारिज के बाद कई ग्रामीणों ने वर्ष 2011 के बाद से उक्त भूमि का 143 (कृषि श्रेणी से अ-कृषि श्रेणी में दर्ज कराना) भी कराया ताकि भविष्य में वह अपनी जरूरतों के मुताबिक इस जमीन में मकान अथवा व्यवसायिक भवन आदि बना सकें। लेकिन ग्रामीणों के सपने तक धराशाई हो गए जब उन्हें पता चला कि उनकी मेहनत की कमाई से जोड़ी गई जमीन अब सरकारी अभिलेखों में नो मैंस लैंड घोषित कर कर दी गई है।

स्थानीय निवासी भजन सिंह बताते हैं कि पिछले दिनों सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 87 (नई संख्या 109) के चौड़ीकरण के लिए इसके आसपास की भूमि अधिग्रहित की। पूर्व के गजट नोटिफिकेशन में भी उक्त भूमि ग्रामीणों के नाम निजी भूमि के रूप में दर्ज है। इसके बावजूद सड़क चौड़ीकरण के लिए हुए सर्वे के बाद सरकारी अभिलेखों में उनकी इस भूमि को नो मैंस लैंड घोषित कर दिया है। भजन सिंह बताते हैं कि ऐसे लगभग तीस परिवार हैं जिनकी जमीन नो मैंस लेंड घोषित हुई है इनमें कई पूर्व सैनिक भी शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वह सड़क चौड़ीकरण का समर्थन करते हैं लेकिन यदि सरकार उनकी रजिस्ट्री और दाखिल खारिज वाली इस जमीन को अधिग्रहित करती है तो उसका उन्हें नियमानुसार मुआवजा दिया जाए। अब अपनी जमीन को बचाने के लिए ग्रामीणों ने जिलाधिकारी न्यायालय में सेक्शन 28 के तहत वाद दायर किया है।

उपजिलाधिकारी एपी वाजपेयी ने कहा कि ग्रामीणों की शिकायत पर भूमि की जांच कराई गई थी। जांच में साफ हुआ कि जिस भूमि की ग्रामीणों ने रजिस्ट्री और दाखिल खारिज किया है वह भूमि अलग है जबकि जिस जगह ग्रामीण वर्तमान में काबिज हैं वह नाप भूमि नहीं है बल्कि वह नो मैंस लैंड में शामिल है।

दाखिल खारिज और 143 के बाद भी भूमि नो मैंस लैंड घोषित!
- बरेली रोड के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन
- कई पूर्व सैनिक भी हैं भूस्वामी

Publish Date: Wed, 20 Feb 2013 01:03 AM (IST)Updated Date: Wed, 20 Feb 2013 01:04 AM (IST)

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: भू - माफिया अब आम आदमी को '143' के खेल में फंसा रहे हैं। कॉलोनियों में 143 (लैंड यूज चेंज की धारा) का बोर्ड लगाकर आम आदमी को सपनों के घर का सपना दिखाया जा रहा है, जबकि नियमों के तहत यह पूरी तरह से गलत और अवैध है।

हरिद्वार विकास प्राधिकरण की नियमावली में 143 (लैंड यूज चेंज की धारा) का कोई महत्व नहीं है। बावजूद भू माफिया आम आदमी को छलने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे। शहर में कृषि योग्य भूमि में धड़ल्ले से प्लाटिंग की जा रही है। वहीं कॉलोनियों के लिए बनाए ऑफिस या प्लॉट पर '143' पास भूमि के बोर्ड भी लगाए हैं। वहीं प्लॉटिंग के नक्शे पर भी बकायदा इसका उल्लेख किया है। प्लॉट खरीदने की इच्छा वाले या खरीदने वाले लोगों को '143' के बारे में बताया जा रहा कि प्लॉट सही है और यहां पर पूरी तरह से मूलभूत सुविधाएं विकसित की गई हैं। आम आदमी भी आसानी से माफिया की बातों में आकर अवैध कॉलोनियों में प्लॉट खरीद रहे हैं। जबकि वह पूरी तरह से अवैध है।

'जितनी भी कॉलोनियों में '143' का बोर्ड लगा है। वह सभी अवैध हैं। नियमों के मुताबिक '143' का कोई महत्व नहीं है। बिना ले आउट पास सभी कॉलोनियां अवैध हैं।'

गिरधारी सिंह रावत, सचिव, एचडीए

क्या है '143'

कृषि योग्य का लैंड यूज बदलना के एक्ट को '143' एक्ट कहते हैं। इसमें कृषि योग्य भूमि का लैंड यूज बदलकर आवासीय या व्यवसायिक किया जाता है, जिसके बाद उस भूमि पर निर्माण शुरू किया जा सकता है।

एचडीए खामोश

भू-माफिया लगातार कृषि योग्य भूमि पर अवैध प्लॉटिंग कर रहे हैं। जगजीतपुर, लक्सर रोड और रोशनाबाद में सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं। एचडीए अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अंजान बन बैठे हैं।

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क्या आवासीय जमीन का दाखिल खारिज हो सकता है?

प्रापर्टी से जुड़े नियमों के तहत किसी जमीन की सिर्फ अपने नाम से रजिस्ट्री करा लेने ही उसका मालिकाना हक नहीं मिल जाता. इसके लिए दाखिल खारिज यानी म्यूटेशन कराना जरूरी होता है. जब वह जमीन अथवा उसका कोई हिस्सा जो आपने खरीदा है जब तक खसरा-खतौनी में आपके नाम पर नहीं चढ़ जाता है तक आप उसके मालिक नहीं हैं.

राजस्थान में कृषि भूमि को आवासीय भूमि में कैसे बदलें?

राजस्थान में, मालिक को अपनी कृषि भूमि को आवासीय उपयोग के लिए परिवर्तित करने के लिए तहसीलदार से संपर्क करना पड़ता है, यदि क्षेत्र 2,000 मीटर से अधिक नहीं होता है। उसी मालिक को उप-विभागीय अधिकारी से संपर्क करना होगा, यदि क्षेत्र 4,000 वर्ग मीटर से अधिक नहीं है।

धारा 80 2 क्या है?

आवेदक द्वारा धारा-80 के अन्तर्गत भूमि की गैर-कृषिक घोषणा हेतु आवेदन प्राप्त होने पर संबंधित उपजिलाधिकारी के न्यायालय में इसे "राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली में दर्ज किया जायेगा जिससे उक्त आवेदन के सम्बन्ध में एक कम्प्यूटरीकृत वाद संख्या स्वजनित प्राप्त हो जायेगी व उसकी सूचना आवेदक को भी एस०एम०एस० के ...

उत्तर प्रदेश में आवासीय संपत्ति को वाणिज्यिक में कैसे बदलें?

आवासीय जमीन को कमर्शियल में कैसे बदले – नियम, प्रक्रिया.
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कौन सी अथॉरिटी भूमि इस्तेमाल को बदलने का सर्टिफिकेट देती हैं.
दस्तावेज की सूची.
सक्षम प्राधिकारी द्वारा कारण परिश्रम.
योजना और विकास प्राधिकरण के साथ परामर्श.
भूमि उपयोग में बदलाव के सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया.