विधानसभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी होती है? - vidhaanasabha mein sadasyon kee adhikatam sankhya kitanee hotee hai?

भारत का संवैधानिक इतिहास भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण संविधान के स्त्रोत संवैधानिक अनुच्छेद भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियां प्रस्तावना संघ और उसके क्षेत्र & नागरिकता मौलिक अधिकार नीति निर्देशक तत्व राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति मंत्रीपरिषद महान्यावादी निर्वाचन आयोग संसद सर्वोच्च न्यायालय भारत में पंचायती राज स्थानीय नगरीय प्रशासन राज्य विधानमण्डल राज्यपाल संविधान संशोधन की प्रक्रिया प्रमुख संविधान संशोधन लोक सेवा आयोग राष्ट्रीय मानवाअधिकार आयोग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नीति आयोग जीएसटी परिषद केन्द्रीय सूचना आयोग लोकपाल केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल महिला एवं बाल अपराध

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राज्य विधानमण्डल भाग -6 अनुच्छेद 152 - 237

राज्य की व्यावस्थापिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका का वर्णन है।

विधानसभाविधानपरिषदअनुच्छेद 171अनुच्छेद 170प्रथम/निम्न सदनऐच्छिक स्थायी सदनसदस्य संख्या- अधिकतम 500सदस्य संख्या - अधिकतम उस राज्य की विधानसभा के एक तिहाई सदस्यन्यूनतम - 60 से कम नहींन्यूनतम - 40 से कम नहींअधिकतम - 403सर्वाधिक - यू. पी. - 100 वर्तमानन्यूनतम पाण्डिचेरी - 30, सिक्किम - 32 राजस्थान - 200न्यूनतम - जम्मू-कश्मीर - 36(अपवाद)28 राज्य व 3 केन्द्र शासित राज्य6 राज्य में कर्नाटक, यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, आन्घ्रप्रदेश, तेलंगानाकार्यकाल - 5 वर्षकार्यकाल -स्थायी सदन होने के कारण अनिश्चित (सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष है तथा प्रत्येक 1/3 प्रति 2 वर्ष में अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं)।कोरम( विधानसभा कार्यवाही चलाने के लिए आवश्यक सदस्य)/गणापूर्ति सदन का 1/10 भागगणापूर्ति सदन का 1/10 हिस्सा या न्यूनतम 10 सदस्यपदाधिकारी - अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बहुमत के आधार पर बनाये जाते है नवनिर्वाचित विधानसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता अस्थाई स्पीकर द्वारा करवाई जाती है। इसे राज्य पाल नियूक्त करता है। इसे निर्णायक मत देने का अधिकार है। राजस्थान का पहला विधानसभा अध्यक्ष - नरोत्तम लालजोशीपदाधिकरी - सभापति व उपसभापति उसे सदन के सदस्य होते है। साधारण विधेयक को 4 माह तक रोक सकती है।

तथ्य

राजस्थान में अधिकतम विधानपरिषद की संख्या 66 हो सकती है।

राज्य का विधान मण्डल राज्यपाल तथा एक या दो सदन से मिलकर बनता है।जहां इसके दो सदन हैं वहां पहला सदन विधान सभा और दूसरा सदन विधान परिषद है।

वर्तमान में बिहार, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर में द्विसदनात्मक विधान मण्डल है ।

राज्यों में विधान परिषद् की रचना तथा उत्सादन भी किया जा सकता है। इसके लिए राज्य की विधान सभा एक विशेष बहुमत द्वारा एक संकल्प पारित करेगी जिसके अनुकरण में संसद अधिनियम बनाएगी।

विधान परिषद् संख्या विधानसभा कि सदस्य संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं हो सकती तथा न्यूनतम संख्या 40 होगी।

राज्यपाल द्वारा साहित्य, कला, विज्ञान, सहकारी आन्दोलन एवं सामाजिक सेवा के सम्बन्ध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को विधान परिषद् में नामित यह सदस्य 1/6 होते है किया जाता है।

विधान परिषद् एकस्थायी सदन है तथा इसका विघटन नहीं होता हैं।

विधान परिषद् के 1/3 सदस्य प्रत्येक दो वर्ष पश्चात् अवकाश ग्रहण कर लेते है और उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव होता है।

विधान परिषद् की कुल सदस्य संख्या के 1/6 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनित किए जाते हैं। शेष 5/6 सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से निर्धारित होते है।

निर्वाचित सदस्यों में परिषद् के कुल सदस्यों के 1/3 सदस्य स्थानीय निकायों जैसे- नगरपालिका, बोर्ड आदि से मिलकर बने निर्वाचकमण्डल द्वारा निर्वाचित होते है।

विधान परिषद् के कुल सदस्यों के 1/3 राज्य की विधान सभा द्वारा निर्वाचित होते है।

परिषद् के कुल सदस्यों के 1/12 सदस्य कम से कम तीन वर्ष के स्नातकों से मिलकर बने निर्वाचक मण्डल द्वारा निर्वाचित होते हैं।

विधान परिषद् के कुलसदस्यों के 1/12 सदस्य माध्यमिक विद्यालयों से निचे के स्तर के न हो, से मिलकर बने निर्वाचक मण्डल से निर्वाचित हेाते है।

विधान परिषद् के सदस्य का कार्यकाल छः वर्ष होता है।

विधान सभा में कुल सदस्य संख्या अधिक से अधिक पांच सौ तथा कम से कम साठ हो सकती है।

विधान सभा में राज्यपाल एक सदस्य एग्लो इण्डियन समुदाय से मनोनीत कर सकता है।

विधान सभा का कार्यकाल पांच वर्ष है।

विधान सभा का विघटन पांच वर्ष से पूर्व भी राज्यपाल कर सकता है।

विधान सभा की 5 वर्ष की अवधि को जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है। संसद विधि द्वारा ऐसी अवधि के लिए बढ़ा सकेगी, जो एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं होगी और उद्घोषणा के प्रवर्तन में न रह जाने के पश्चात् किसी भी दशा में उसका विस्तार 6 माह की अवधि से अधिक नहीं होगा।

विधान सभा के अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष विधान परिषद् के अपने सभापति तथा उपसभापति निर्वाचित होते है।

विधान मण्डन के किसी सदस्य की योग्यता एवं अयोग्यता सम्बन्धि विवाद का अन्तिम विनिश्चय राज्यपाल चुनाव आयोग के परामर्श से करता है।

विधान परिषद् धन विधेयकों को 14 दिन तक रोक सकती है तथा साधारण विधेयकों को केवल तीन मास तक रोक सकती है। विधेयक को पुनर्विचार के लिए केवल एक मास तक रोक सकती है।

किसी विधेयक पर यदि विधान सभा तथा विधान परिषद् में गतिरोध उत्पन्न हो जाए, तो दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान नहीं है। ऐसी स्थिती में विधान सभा की इच्छा मान्य होती है।

परिषद् में कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है तथा पारित करके विधान सभा को प्रेषित किया जाता है और यदि विधान सभा उसे पारित नहीं करती है। तो वह वही समाप्त हो जाता है।

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विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी है?

(भारतीय संविधान का अनुच्छेद १५ (12 ). विधान सभा में 500 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं और 60 से कम नहीं होते हैं। सबसे बड़ी राज्य, उत्तर प्रदेश, की विधानसभा में 404 सदस्य हैं।

भारत में किसी राज्य की विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है?

Solution : संविधान के अनुसार किसी भी विधानसभा में 500 से अधिक और ५० से कम सदस्य नहीं होते। गोवा (40 सदस्य), सिक्किम (32 सदस्य) तथा मिजोरम (40 सदस्य) इसके अपवाद हैं।

विधानसभा में सदस्यों की न्यूनतम संख्या कितनी हो सकती है?

विधान सभा के सदस्यों की संख्या 500 से अधिक तथा 60 से कम नहीं हो सकती। किंतु बहुत छोटे राज्यों को न्यूनतम संख्या से भी कम सदस्य रखने की स्वीकृति दी गई है । जैसे गोवा की विधानसभा में केवल 40 सदस्य हैं।

विधानसभा सीटों की संख्या कितनी है?

वर्ष 1967 के पश्चात् विधान सभा की कुल सदस्‍य संख्‍या 426 हो गई।

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