टिहरी रियासत के पहले राजा कौन थे? - tiharee riyaasat ke pahale raaja kaun the?

  • सुदर्शनशाह (1815 – 1859 ई0) (Sudarshan Shah)
  • भवानी सिंह (1859 – 1871 ई0) (Bhavani Singh)
  • प्रतापशाह (1871 – 1886 ई0) (Pratapshah)

सुदर्शनशाह (1815 – 1859 ई0) (Sudarshan Shah)

  • प्रद्युम्नशाह गढ़वाल राज्य के अन्तिम पंवार शासक थे। खुड़बुड़ा के युद्ध में उनकी मृत्यु हुई ।
  • सुदर्शनशाह ने भागीरथी एवं भिलंगना नदी के संगम स्थल पर गणेश प्रयाग (त्रिहरि) नामक स्थल पर अपनी राजधानी की स्थापना करवाई। इससे पूर्व इस स्थल पर मछुआरों की कुछ झोपड़ी पड़ी थी और इसे टिपरी नाम से पुकारा जाता था।
  • अपने निवास के लिए उन्होंने एक राजप्रासाद बनवाया जो पुराना दरबार नाम से प्रसिद्ध था।
  • सुदर्शनशाह अपने काल के उच्चकोटि के विद्वान रहे हैं। उनके द्वारा रचित ‘सभासार’ नामक ग्रन्थ के सभी सात खण्ड प्राप्त हैं।
  • 1857 ई0 के देशव्यापी विद्रोह के दौरान सुदर्शनशाह ने अंग्रेजो की हर संभव मदद की।
  • मसूरी क्षेत्र की अंग्रेजी जनता की सुरक्षा के लिए सैन्य टुकड़ी भेजी और साथ ही अपने राज्य से उन्हें सुरक्षित निकासी का मार्ग भी प्रदान किया। अपने इस कार्य के लिए अंग्रेजो ने सशस्त्र विद्रोह दबाने के पश्चात् सुदर्शनशाह को बिजनौर जिला देने का प्रस्ताव दिया।
  • सुदर्शनशाह का विवाह कांगड़ा के कटौच राजा अनिरूद्ध चंद की दो बहनों से हुआ था किन्तु 1859 ई0 में वे वगैर उत्तराधिकारी के स्वर्ग सिधार गए। अतः गद्दी के लिए संभावित दावेदारों के मध्य संघर्ष प्रारम्भ हो गया।

भवानी सिंह (1859 – 1871 ई0) (Bhavani Singh)

  • सुदर्शनशाह के पश्चात् टिहरी की गद्दी पर उनके दो नजदीकी रिश्तेदारों ने दावेदारी प्रस्तुत की।
  • भवानीशाह को गद्दी पर बिठाया गया किन्तु सुदर्शनशाह के एक अन्य नजदीकी शेरशाह ने इसका विरोध किया।
  • शेरशाह को देश निकाला देकर देहरादून में नजरबंद कर दिया गया।
  • भवानीशाह साधारण प्रकृति के व्यक्ति थे।
  • अपने 12 वर्ष के कार्यकाल को उन्होंने शांतिपूर्वक निकाला एवं वर्ष 1881, माह दिसम्बर में उनका स्वर्गवास हो गया।

प्रतापशाह (1871 – 1886 ई0) (Pratapshah)

  • भवानी शाह के पश्चात उनका पुत्र प्रतापशाह टिहरी रियासत के नए राजा बने।
  • उन्होंने 1871 से 1888 ई0 शासन किया।
  • प्रतापशाह ने राजधानी टिहरी को अत्यधिक गर्मी के कारण ग्रीष्मकाल के लिए उपयुक्त नहीं पाया। इसलिए टिहरी से 14 किलोमीटर की दूरी पर 2440 मीटर की ऊँचाई पर नई राजधानी प्रतापनगर की स्थापना अपने नाम से की।
  • इसके साथ ही अपने नाम से शहर स्थापित करने की प्रथा का शुभारम्भ करने का श्रेय भी प्रतापशाह को जाता है।
  • परमार शासकों की इस वंश परम्परा में प्रतापशाह पहले थे जिन्होंने अपने राज्य में अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन दिया।
  • अपनी आकस्मिक मृत्यु के समय उनके तीन अव्यस्क पुत्र थे कीर्तिशाह, विचित्रशाह और सुरेन्द्रशाह।

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अंग्रेजों के आने के बाद गढ़वाल को टिहरी रियासत से जाना गया। टिहरी रियासत के राजा –

  1. सुदर्शन शाह (1815 – 1849)
  2. भवानी शाह (1859 – 1871)
  3. प्रताप सिंह (1871 – 1886)
  4. कीर्ति शाह (1886 – 1913)
  5. नरेन्द्र शाह (1913 – 1946)
  6. मानवेन्द्र शाह (1946 – 1949)

1. सुदर्शन शाह (1815 – 1849)  –

  • प्रद्युम्न शाह के दो पुत्र थे सुदर्शन शाह और प्रीतम शाह (द्वीतीय)
  • प्रीतम शाह को गोरखाओं द्वारा कैद कर लिया गया था तथा सुदर्शन शाह ने भागकर हरिद्वार में शरण लेली थी।
  • उसके बाद सुदर्शनशाह निरंतर स्वतंत्र होने का प्रयास करता है था अंततः सुदर्शन शाह ने अंग्रेजों की सहायता से टिहरी रियासत की स्थापना की थी।
  • सुदर्शन शाह ने अंग्रेजों को कर देना स्वीकार कर लिया था परन्तु सुदर्शन शाह अंग्रेजों को कर देने में असमर्थ हो रहा था।
  • इसी कारण अंग्रेजों ने अलकनंदा नदी के पूर्वी भाग में अपना अधिकार कर लिया था।
  • अलकनंदा के पश्चिमी भाग में सुदर्शन शाह द्वारा टिहरी राज्य की स्थापना की गयी थी।
  • सुदर्शन शाह पंवार वंश का 55वाँ राजा था।
  • 28 दिसम्बर 1815 को टिहरी रियासत की स्थापना हुई और सुदर्शन शाह राजा बना था।
  • सुदर्शन शाह के द्वारा अपनी राजधानी श्रीनगर से टिहरी स्थानांतरित की गयी थी।
  • सुदर्शन शाह का समकालीन कुमाऊँ में कमिश्नरी ट्रेल , हैनरी रेमेज था।
  • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में सुदर्शन शाह में अंग्रेजो का साथ दिया था।
  • सुदर्शन शाह ने एक राज भवन का निर्माण कराया था, जिसे पुराना दरबार कहा गया।
  • सुदर्शन शाह के शासन काल के दौरान 1820 में ब्रिटिश पर्यटन मुर क्राफ्ट आया था।
  • 1817 में प्रीतम शाह -II को सुदर्शन शाह द्वारा स्वतंत्र करा लिया गया था।
  • 1826 में सुदर्शन  शाह ने कांकड़ के राजा संसार चंद की दो राजकुमारियों गुण देवी और खनेती के साथ विवाह किया था।
  • बाणाहाट अभिलेख में सुदर्शन शाह को “कलाविदो का शिरोमणि” कहा गया है।
  • सुदर्शन शाह को दाता भी कहा जाता था।
  • सुदर्शन शाह के दरबार में मोलाराम ,मणकू,चैतू आदि चित्रकार थे।
  • सुदर्शन शाह एक कला प्रेमी शासक था।
  • सुदर्शन शाह ने 1828 में सभासार नामक ग्रन्थ की रचना की थी, यह पुस्तक 7 खंडों में है।
  • सुदर्शन शाह ने इस पुस्तक में स्वंय को कवि सूरत कहा है।
  • बाणाहाट अभिलेख की रचना हरिदत्त शर्मा द्वारा की गयी थी।
  • कुमाऊँ के गुमानी पन्त को भी सुदर्शन शाह ने संरक्षण दिया  था।
  •  टिहरी की प्रजा राजा को  बोलांदा बद्रीश कहती थी।
  • 1858 में सुदर्शन शाह द्वारा भागीरथी पर प्रथम बार लकड़ी का पुल बनाया था।
  • 1851 में टिहरी रियासत का प्रथम आंदोलन हुआ था जिसे अठुर विद्रोह कहा जाता है।
  • अठुर विद्रोह का नेतृत्व बद्री सिंह अस्वाल द्वारा किया गया था।
  • राजस्व एकत्र करने हेतु सैथ्याणो द्वारा कामदार नामक अधिकारी नियुक्त किये गए थे।
  • कर दो प्रकार से लिया जाता था, नगद व अनाज के रूप में लिया जाता था।
  • नगद कर देने वालो को सैथ्याणा तथा आनाज देने वालो को बिसाह कहा जाता था।
  • नेपाल के मनोरथ सुदर्शन शाह के दरबार में रहते थे, सत्यानंद , दुर्गानंद तथा बासवानंद जैसे प्रसिद्ध ज्योतिषी सुदर्शन शाह के दबार में ही रहते थे।
  • कुमुदानंद ने सुदर्शनो काव्य की रचना की थी।
  • सुदर्शन शाह ने अपने प्राणों को खतरे में डालकर अंग्रेज अधिकारी फ्राइडन की बाघ से रक्षा की थी।
  • मोलाराम के द्वारा सुदर्शन कविता की रचना गयी। इस पुस्तक में मोलाराम ने सुदर्शन शाह की निंदा की है क्यूंकि उन्हें राजा से उचित सम्मान प्राप्त नहीं था।इस पुस्तक में मोलाराम ने सुदर्शन शाह को सूम, कृपण, खसिया नृप आदि कहा है।
  • सुदर्शन शाह की मृत्यु 1859 में हुई थी।
  • टिहरी रियासत का प्रथम भूमि बंदोवस्त 1823 में सुदर्शन शाह द्वारा किया गया था।

टिहरी रियासत का प्रथम राजा कौन था?

महाराजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी टिहरी नगर में स्थापित की तथा इसके पश्चात उनके उत्तराधिकारियों प्रताप शाह, कीर्ति शाह तथा नरेन्द्र शाह ने अपनी राजधानी क्रमशः प्रताप नगर , कीर्ति नगर एवं नरेंद नगर में स्थापित की । इनके वंशजों ने इस क्षेत्र में 1815 से 1949 तक शासन किया।

टिहरी रियासत के अंतिम राजा कौन थे?

मानवेन्द्र शाह - अंतिम टिहरी नरेश मानवेन्द्र शाह- राजा (1921): राजभवन, टिहरीटिहरी रियासत के अंतिम नरेश। ब्रिटिश सरकार से 'महाराजा' के विरूद से सम्मानित।

टिहरी का पुराना नाम क्या था?

टिहरी का पुराना नाम तेहरी था

गढ़वाल के राजा कौन थे?

राजा अजयपाल और उनके उत्तराधिकारियों ने लगभग तीन सौ साल तक गढ़वाल पर शासन किया था, इस अवधि के दौरान उन्होंने कुमाऊं, मुगल, सिख, रोहिल्ला के कई हमलों का सामना किया था। गढ़वाल के इतिहास में गोरखा आक्रमण एक महत्वपूर्ण घटना थी।

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