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- Shivratri On 1st March, Why Do We Offer Cold Things Like Water, Milk, Curd To Shivling In Worship?, Shiv Puja Vidhi
मंगलवार, 1 मार्च को महाशिवरात्रि है। ये शिव पूजा का महापर्व है। शिव जी को भोलेनाथ भी कहा जाता है। मान्यता है कि अगर कोई भक्त शिवलिंग पर हर रोज लोटे से जल भी चढ़ाता है तो उसे शिव जी की कृपा मिल सकती है। शिव जी का जलाभिषेक करने का महत्व काफी अधिक है। शिव जी खासतौर पर ठंडक देने वाली चीजें जैसे जल, दूध, दही, घी आदि चढ़ाया जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जलाभिषेक यानी शिवजी को जल से स्नान कराना। शिवजी का एक नाम रुद्र भी है, इसलिए जलाभिषेक को रुद्राभिषेक भी कहते हैं। सोने, चांदी या तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। स्टील, एल्युमिनियम या लोहे के लोटे से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
लोटे में जल भरें और पतली धारा शिवलिंग पर चढ़ाएं। शिवलिंग पर जल और शीतलता देने वाली चीजें चढ़ाने की परंपरा का संबंध समुद्र मंथन से है। शीतलता के लिए ही शिव जी चंद्र को अपने मस्तष्क पर धारण करते हैं।
पुराने समय में देव-दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन में कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, एरावत हाथी, उच्चश्रेवा घोड़ा, महालक्ष्मी, धनवंतरि, अमृत कलश जैसे 14 रत्न निकले थे, लेकिन सभी रत्नों से पहले हलाहल नाम का विष निकला था।
हलाहल विष की वजह से सृष्टि के सभी प्राणियों का जीवन खतरे में पड़ गया था। उस समय शिव जी ने ये विष पी लिया था, लेकिन उन्होंने विष को गले से नीचे नहीं जाने दिया। विष की वजह से शिव जी का गला नीला गया हो गया और उनका एक नाम नीलकंठ पड़ गया।
विष के असर से शिवजी के शरीर में तेज जलन होने लगी थी, गर्मी बढ़ गई थी। इस गर्मी से मुक्ति के लिए शिव जी को ठंडा जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है। भोलेनाथ को ठंडक देने वाली चीजें ही विशेष रूप से चढ़ाई जाती हैं, ताकि शिव जी को विष की गर्मी से शांति मिलती रहे।
ऐसे कर सकते है शिव जी की सरल पूजा
महाशिवरात्रि पर शिव पूजा करें। अगर ब्राह्मण या किसी पंडित के बिना पूजा करना चाहते हैं, यहां बताई गई सरल विधि से पूजा कर सकते हैं। सबसे पहले गणेश पूजा करें और इसके बाद शिवलिंग पर तांबे, चांदी या सोने के लोटे से जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय शिव जी के मंत्रों का जप करें। जल के साथ ही शिवलिंग पर दूध, दही, शहद भी चढ़ाना चाहिए। इस तरह अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि चीजें अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। भगवान के मंत्रों का जाप करें। शिव मंत्र ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप किया जा सकता है।
अगर आप शिव जी को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर नियमित रूप से जल अर्पित करते हैं तो आपको जल चढ़ाने का सही तरीका जरूर जान लेना चाहिए।
शास्त्रों में पूजा-पाठ के कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं जैसे- पूजा के दौरान हमेशा सिर ढककर खड़े हों, सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करें, कभी भी अखंडित अक्षत भगवान् को न चढ़ाएं, गणेश जी को भूलकर भी तुलसी दल न चढ़ाएं। ऐसे ही कुछ नियम शिव लिंग के पूजन से भी जुड़े हुए हैं, जिसमें शिवलिंग पर जल अर्पित करने का तरीका मुख्य माना जाता है।
कहा जाता है कि शिव कृपा पाने के लिए पूरे नियम से शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए क्योंकि जल धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और नियम से इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में जानने के लिए हमने नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से बात की और उन्होंने शिवलिंग पर जल अर्पित करने के कुछ नियम बताए जिन्हें आपको भी जान लेना चाहिए।
किस दिशा की ओर चढ़ाएं जल
हमेशा जब भी शिवलिंग पर जल चढ़ाएं आपको ध्यान में रखना चाहिए कि, कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुंह करके जल न चढ़ाएं। पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है और इस दिशा की ओर मुख करने से शिव के द्वार में अवरोध होता है और वो रुष्ट हो जाते हैं। हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाएं क्योंकि उत्तर दिशा को शिव जी का बायां अंग माना जाता है जो माता पार्वती को समर्पित है। इस दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।
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कौन से पात्र से अर्पित करें जल
शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय सबसे ज्यादा ध्यान में रखने वाली बात ये है कि आप किस पात्र से जल अर्पित करें। जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चांदी और कांसे के माने जाते हैं। भूलकर भी स्टील के पात्र से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए इससे शिव जी रुष्ट हो जाते हैं। पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि जल अर्पण के लिए सर्वोत्तम पात्र तांबे का है। इसलिए इसी पात्र से जल चढ़ाना उत्तम है। लेकिन भूलकर भी तांबे के पात्र से शिव जी को दूध न चढ़ाएं क्योंकि तांबे में दूध विष के समान बन जाता है।
तेजी से न चढ़ाएं जल
कभी भी शिवलिंग पर तेजी से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों में भी बताया गया है कि शिव जी को जल धारा अत्यंत प्रिय है। इसलिए जल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि जल के पात्र से धार बनाते हुए धीरे से जल अर्पित करें। पतली जल धार शिवलिंग पर चढाने से भगवान शिव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।
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बैठकर चढ़ाएं जल
हमेशा शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ध्यान रखें कि बैठकर ही जल अर्पित करें। यहां तक कि रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए। पुराणों के अनुसार खड़े होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से यह शिव जी को समर्पित नहीं होता है और इसका पुण्य प्राप्त नहीं होता है।
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शंख से न चढ़ाएं शिवलिंग पर जल
कभी भी शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से शिव कृपा प्राप्त नहीं होती है। शिवपुराण के अनुसार, शिवजी ने शंखचूड़ नाम के दैत्य का वध किया था। ऐसा माना जाता है कि शंख उसी दैत्य की हड्डियों से बने होते हैं। इसलिए शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
जल के साथ कुछ और न मिलाएं
पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि कभी भी शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए जल के पात्र में कोई अन्य सामग्री न मिलाएं। कोई भी सामग्री जैसे पुष्प, अक्षत या रोली जल में मिलाने से उनकी पवित्रता ख़त्म हो जाती है। इसलिए भगवान शिव की कृपा दृष्टि पाने के लिए हमेशा जल को अकेले ही चढ़ाना चाहिए।
अगर आप भी शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं तो भगवान शिव की कृपा पाने के लिए आपको यहां बताई सभी बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
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Image Credit: pixabey and shutterstock
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