सोशल मीडिया संस्कृति को कैसे प्रभावित करता है? - soshal meediya sanskrti ko kaise prabhaavit karata hai?

आलेख – डॉ एम रहमतुल्लाह

सोशल मीडिया अभिव्यक्ति का काफ़ी सशक्त माध्यम बन चुका है। यह ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो केवल व्यक्तिगत संवाद के लिए नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक और सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ा है। यह संसार के विभिन्न कोनों में बैठे लोगों से संवाद का महत्त्वपूर्ण माध्यम है साथ ही यह संपर्क, संवाद, मनोरंजन तथा नौकरी आदि के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मैन्युअल कैसट्ल के अनुसार “सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों फेसबुक, ट्विटर आदि के जरिये जो संवाद करते हैं, वह मास कम्युनिकेशन न होकर सेल्फ कम्युनिकेशन है”। लेकिन आज जिस तरह फेसबुक, ट्विटर आदि पर प्रतिक्रिया हो रही है और टेलीविज़न चैनलों पर इसके उदाहरण दिये जा रहे हैं, इससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह केवल सेल्फ कम्युनिकेशन नहीं है, बल्कि यह अब मास कम्युनिकेशन बन चुका है। आज के तकनीकी युग में इसके द्वारा केवल एक सेकेंड में हजारों लोगों तक अपना संदेश पहुँचाया जा सकता है। आज सोशल मीडिया संवाद, संपर्क और मनोरंजन से आगे बढ़कर नौकरी खोजने और सकारात्मक एवं नकारात्मक सोच को भी आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाह रहा है। आज सोशल मीडिया के कारण हमारी जीवन-शैली बदल गई है। हमारी ज़रूरतें, कार्य-प्रणालियाँ, रुचियाँ आदि भी इसके माध्यम से सामने आ रही हैं। आज सुबह होते ही व्हाट्सअप पर कई तरह की सूचनाएँ मिल जाती हैं। सोशल मीडिया ने राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विसंगतियों को समाप्त करने में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखलाई है, तो इसका कुछ नकारात्मक पक्ष भी सामने आ रहा है। चूँकि यह एक सेकेंड में ही सूचनाएँ लोगों तक पहुँचा सकता है जिससे नकारात्मक पोस्ट से लोग काफ़ी कुप्रभावित भी होने लगे हैं। सच्चाई तो यह है कि टेलीविज़न ने लोगों से उसकी अपनी सोच छीनने और अपनी सोच उनपर थोपने की जो पहल आरंभ की, उसे सोशल मीडिया ने काफ़ी आगे बढ़ा दिया है। कई सूचनाएँ लोगों को भ्रमित करने लगी हैं। सत्य को असत्य और असत्य को सत्य सिद्ध करने में भी सोशल मीडिया सक्रिय भूमिका निबाह रहा है।

आज सोशल मीडिया के द्वारा हम पुराने परिचित लोगों को भी खोज लेते हैं। व्हाट्सअप पर हम एक ही छत के नीचे रहने वाले लोगों को गुड मॉर्निंग का संवाद भेजते हैं पर कमरे में दिखने पर उन्हें अपनी व्यस्तताओं में भूल जाते हैं और उनसे बातचीत की ज़रूरत महसूस नहीं करते। इसने पारिवारिक ही नहीं सामाजिक संबंधों को भी काफ़ी प्रभावित किया है। अपरिचित लोग केवल एक बार मिलने पर हमारे अपने हो जाते हैं, पर अपनों की भावनाओं की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। सोशल मीडिया भारत में बदल रही संस्कृति और समाज की तस्वीर ही हमें नहीं दिखाता, बल्कि कई ऐसे समाचारों को भी हमारे सामने लाता है, जिसका सामाजिक सरोकार है। आज सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है, जिसके बिना हमारे कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं।

1980 में यूरोप के न्यूक्लियर रिसर्च संस्था CERN में कंप्यूटर साइंटिस्ट के रूप में काम करने वाले टिम बरनर्स ली ने इंटरनेट का आविष्कार किया। 1989 में टिम बरनर्स ली ने वर्ल्ड वाइड वेब के रूप में अलग-अलग कंप्यूटर पर एकत्रित डाटा को सर्वर के द्वारा आपस में जोड़कर सूचना के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया। यह वर्ल्ड वाइड वेब तकनीकी क्षेत्र में ऐसा मास्टर स्ट्रोक है, जिसके द्वारा इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध होने पर व्यक्ति सूचना का आदान-प्रदान कहीं भी और कभी भी कर सकता है। आज विश्व में लगभग 3675 मिलियन लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। सिर्फ भारत में ही लगभग 243 मिलियन से भी अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। अनुमान है कि 2020 तक ये आंकड़े 500 मिलियन तक पहुँच जाएँगे। आज अशिक्षित लोगों के हाथों में भी मोबाइल इंटरनेट कनेक्शन के साथ उपलब्ध है। गाँवों में भी इंटरनेट की सुविधाएँ हैं जिससे लाइन रहने और घर जाकर टेलीविज़न खोलने का लोग इंतज़ार नहीं करते। जहाँ वे हैं, काम कर रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं, संगठन से जुड़े हैं या अन्य कार्यों में व्यस्त हैं, वहाँ भी वे अपना संदेश लोगों तक पहुँचा सकते हैं।

सोशल मीडिया एक अपरंपरागत मीडिया है, जो एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है। यह एक विशाल नेटवर्क है, जो पूरे विश्व को जोड़कर रखने में सक्षम है। यह संचार का काफ़ी अच्छा माध्यम है, जिससे काफ़ी तेज़ गति से सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। इसके माध्यम से लोकतंत्र को मज़बूत बनाया जा सकता है, किसी उत्पाद को लोकप्रिय बनाया जा सकता है, साथ ही जनता को जागरूक किया जा सकता है। आज फ़िल्मों के ट्रेलर, टीवी प्रोग्राम का प्रसारण आदि भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है। वीडियो और ऑडियो चैट भी इसके माध्यम से सुगम हो गई हैं, जिससे यह समाज और राष्ट्र को विकसित एवं सशक्त करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

सोशल मीडिया की नैतिकता और स्वच्छंदता के संदर्भ में कहा जा सकता है कि इसपर अभी तक अंकुश नहीं लगा है, जिससे जो ख़बरें मीडिया के अन्य माध्यमों के द्वारा लोगों तक नहीं पहुँच पातीं, वे भी सोशल मीडिया के द्वारा लोगों तक पहुँच जाती हैं। हालांकि देश में कई स्थानों पर सोशल मीडिया के माध्यम से ग़लत ख़बर प्रसारित होने के कारण मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी देखने को मिली हैं। इस तरह की घटनाओं पर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री की पहल पर वॉटसैप के अधिकारियों ने अपने यूज़र्स को जागृत करने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से कई सुझाव दिए थे। कंपनी ने अपने स्तर से भी कई तरह के उपाय किए हैं। लेकिन समाज को भी सजग रहने की आवश्यक्ता है। किसी भी सुविधा या अस्त्र का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना ही हितकर होता है वरन् ग़लत उपयोग से समाज और देश को भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है।

आपसी विरोध को दर्शाने, भड़ास निकालने और विरोधियों को हानि पहुँचाने के लिए भी सोशल मीडिया का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। अश्लील चित्र, धार्मिक उन्माद, हिंसा फैलाने वाले आलेख आदि का इसपर शेयर और फॉरवर्ड काफ़ी होता है, जिसपर नियंत्रण नहीं है। लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए आईआईटी सेल का प्रयोग करते हैं और अपनी पोस्ट द्वारा जनता को भ्रमित करते हैं। सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत आक्षेप काफ़ी होने लगा है, चरित्र की धज्जियाँ उड़ाई जाने लगी हैं और कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना होने लगी है। कुछ वर्ष पहले कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की कथित सैक्स सीडी सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक कर दी गई। विवाद इतना गहरा हो गया कि अभिषेक मनु सिंघवी को अपने सभी राजनीतिक पदों से इस्तीफा देना पड़ा। जिस सीडी के प्रसारण पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी और जिसे मीडिया न तो प्रसारित कर पाया और न ही प्रकाशित कर पाया, उसे सोशल मीडिया ने सार्वजनिक कर दिया। सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यदि दुरुपयोग करे, तो न्यायपालिका की भी अवहेलना होगी। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्त्व है, किन्तु स्वतंत्रता यदि स्वच्छंदता में बदल जाए, तो परेशानी होगी। प्रतिबंधित सामग्री यदि निजी भड़ास के लिए इस्तेमाल हो, तो निश्चय ही सोशल मीडिया की नैतिकता पर प्रश्नचिह्न लगेगा। अब गलत आईडी के द्वारा भी अश्लील पोस्ट करने और प्रतिशोध की मानसिकता दिखने लगी है। पिछले दिनों राजस्थान के भीलवाड़ा में धार्मिक उन्माद फैलाने वाली टिप्पणी के कारण दंगे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। अपराधी प्रवृत्तियाँ और अपसंस्कृति सोशल मीडिया के माध्यम से फैलने लगी हैं, साइबर अपराध की घटनाएँ भी दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं,जिनपर अंकुश लगना चाहिए। सोशल मीडिया भारत जैसे लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाह सकता है, बशर्ते यह अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी का एहसास कर ले।

डॉ एम रहमतुल्लाह
मोबाइल – 9818462389
ईमेल –

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सोशल मीडिया का सांस्कृतिक प्रभाव क्या है?

दूर-दराज बसे हुए संबंधियों और मित्रों के पास हमेशा आना-जाना संभव नहीं होता। हमें उन्हें संदेश भेजना और उनसे संदेश या सूचनाएँ प्राप्त करना आवश्यक होता है। सुदूर स्थानों में रहने वाले लोगों को लिखित या मौखिक संदेश भेजने के लिए संचार के विभिन्न माध्यम जैसे पत्र, तार (टेलीग्राम) तथा टेलीफोन हमारे काम आते हैं।

सोशल मीडिया का भारतीय संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ा है?

इससे समाज की विचारधारा प्रभावित होती है। मीडिया को प्रेरक की भूमिका में भी उपस्थित होना चाहिये जिससे समाज एवं सरकारों को प्रेरणा व मार्गदर्शन प्राप्त हो। मीडिया समाज के विभिन्न वर्गों के हितों का रक्षक भी होता है। वह समाज की नीति, परंपराओं, मान्यताओं तथा सभ्यता एवं संस्कृति के प्रहरी के रूप में भी भूमिका निभाता है।

सोशल मीडिया का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

समाज की उन्नति, प्रगति और विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के बावजूद सोशल मीडिया पूर्णत: निरापद नहीं है। यद्यपि आज सोशल मीडिया का उपयोग समाज के सभी आयु वर्ग के लोग कर रहे हैं। घर बैठे ही आभासी दुनिया में सभी समूह आपस में संवाद कर अपने विचारों को एक -दूसरे से साझा कर नई बौद्धिक दुनिया को सृजित कर रहे हैं।

सोशल मीडिया हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है?

सोशल मीडिया युवाओं को एक विशेष कारण के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिसमें वे रुचि रखते हैं, जहां वे इसे देखना चाहते हैं, परिवर्तन को प्रभावित करने पर वास्तविक दुनिया का प्रभाव पड़ता है।

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