सैंडल गोत्र में कौन कौन से ब्राह्मण आते हैं? - saindal gotr mein kaun kaun se braahman aate hain?

शाण्डिल्य शांडिल्य एक ब्राह्मण गोत्र है, ये वेदाध्ययन करने वाले ब्राह्मण हैं। यह गोत्र ब्राह्मणों के अनेक गोत्रों में से एक है।

महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार युधिष्ठिर की सभा में विद्यमान ऋषियों में शाण्डिल्य का नाम भी है। ब्राह्मणों से ही इस संसार का अस्तित्व है अतः इस संसार के प्रारंभ सतयुग से ही शांडिल्य ऋषि और अन्य ब्राह्मणों का अस्तित्व कायम है, अतः मान्यता यह भी है के सबसे पहले सतयुग में वेद-शास्त्र तथा शस्त्रों की शिक्षा भी ऋषि शांडिल्य तथा गार्गस्य ऋषि के आश्रम में ही प्रारंभ हुई। शांडिल्य ऋषि त्रेतायुग में राजा दिलीप के राजपुरोहित बताए गए है, वहीं द्वापर में वे राजा नंद के पुजारी हैं, एक समय में वे राजा त्रिशुंक के पुजारी थे तो दूसरे समय में वे महाभारत के नायक भीष्म पितामह तथा अपने ब्राह्मण भ्राता श्री परशुराम के साथ वार्तालाप करते हुए दिखाए गए हैंं। कलयुग के प्रारंभ में वे जन्मेजय के पुत्र शतानीक के पुत्रेष्ठित यज्ञ को पूर्ण करते दिखाई देते हैं। इसके साथ ही वस्तुतः शांडिल्य एक ऐतिहासिक ब्राह्मण ऋषि हैं लेकिन कालांतर में उनके नाम से उपाधियां शुरू हुई है जैसे वशिष्ठ, विशवामित्र और व्यास नाम से उपाधियां होती हैं।

शांडिल्य गोत्र [दुबे तिवारी,त्रिपाठी,शर्मा,मिश्रा,गोस्वामी वंश) शांडिल्य ऋषि के बारह पुत्र बताए जाते हैं जो इन बारह गांवों से प्रभुत्व रखते हैं। पिंडी, सोहगोरा, संरयाँ, श्रीजन, धतूरा, अतरौरा,बगराइच, बलूआ, हलदी, झूडियाँ,रकौली, उनवलियाँ, लोनापार, कटियारी, लोनापार में लोनाखार, कानापार, छपरा भी समाहित है।

इन्हीं बारह गांव से आज चारो तरफ इनका विकास हुआ है, ये सरयूपारीण ब्राह्मण हैं। इनका गोत्र श्रीमुख शांडिल्य त्रि प्रवर है,श्री मुख शांडिल्य में घरानों का प्रचलन है जिसमें राम घराना, कृष्ण घराना, नाथ अतः विष्णु घराना, मणि घराना है, इन चारो का उदय सोहगोरा गोरखपुर से है जहाँ आज भी इन चारो का अस्तित्व कायम है।

शाण्डिल्य नामक आचार्य अन्य शास्त्रों में भी स्मृत हुए हैं। हेमाद्रि के लक्षणप्रकाश में शाण्डिल्य को आयुर्वेदाचार्य कहा गया है। विभिन्न व्याख्यान ग्रंथों से पता चलता है कि इनके नाम से एक गृह्यसूत्र एवं एक स्मृतिग्रंथ भी था।

सन्दर्भ[संपादित करें]

शांडिल्य गोत्र में कौन कौन से ब्राह्मण आते हैं?

शांडिल्य गोत्र [दुबे तिवारी,त्रिपाठी,शर्मा,मिश्रा,गोस्वामी वंश) शांडिल्य ऋषि के बारह पुत्र बताए जाते हैं जो इन बारह गांवों से प्रभुत्व रखते हैं। पिंडी, सोहगोरा, संरयाँ, श्रीजन, धतूरा, अतरौरा,बगराइच, बलूआ, हलदी, झूडियाँ,रकौली, उनवलियाँ, लोनापार, कटियारी, लोनापार में लोनाखार, कानापार, छपरा भी समाहित है।

सबसे उत्तम गोत्र कौन सा है?

सबसे पहले गोत्र सप्तर्षियों के नाम से प्रचलन में आए. सप्तर्षियों मे गिने जाने वाले ऋषियों के नामों में पुराने ग्रथों (शतपथ ब्राह्मण और महाभारत) में कुछ अंतर है. इसलिए कुल नाम- गौतम, भरद्वाज, जमदग्नि, वशिष्ठ (वशिष्ठ), विश्वामित्र, कश्यप, अत्रि, अंगिरा, पुलस्ति, पुलह, क्रतु- ग्यारह हो जाते हैं.

शांडिल्य ऋषि कौन थे?

शाण्डिल्य नाम गोत्रसूची में है, अत: पुराणादि में शाण्डिल्य नाम से जो कथाएँ मिलती हैं, वे सब एक व्यक्ति की नहीं हो सकतीं। छांदोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद् में शाण्डिल्य का प्रसंग है। पंचरात्र की परंपरा में शाण्डिल्य आचार्य प्रामाणिक पुरुष माने जाते हैं। शाण्डिल्यसंहिता प्रचलित है; शाण्डिल्य भक्तिसूत्र भी प्रचलित है।

बेस्ट ब्राह्मण गोत्र कितने होते है?

ब्राह्मणों के 8 प्रकार जानिए कौन से....
ब्राह्मण : ईश्वरवादी, वेदपाठी, ब्रह्मगामी, सरल, एकांतप्रिय, सत्यवादी और बुद्धि से जो दृढ़ हैं, वे ब्राह्मण कहे गए हैं। ... .
श्रोत्रिय : स्मृति अनुसार जो कोई भी मनुष्य वेद की किसी एक शाखा को कल्प और छहों अंगों सहित पढ़कर ब्राह्मणोचित 6 कर्मों में सलंग्न रहता है, वह 'श्रोत्रिय' कहलाता है।.

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