पूर्ति अनुसूची और पूर्ति वक्र क्या हैं? - poorti anusoochee aur poorti vakr kya hain?

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Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Chapter 5 पूर्ति की अवधारणा

RBSE Class 12 Economics Chapter 5 अभ्यासार्थ प्रश्न

RBSE Class 12 Economics Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा तत्व पूर्ति को प्रभावित करता है?
(अ) वस्तु की कीमतें
(ब) साधनों की कीमतें
(स) प्रोद्यौगिकी परिवर्तन
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 2.
वस्तु की कीमत और उसकी पूर्ति के मध्य सम्बन्ध होता है –
(अ) प्रत्यक्ष व धनात्मक
(ब) प्रत्यक्ष व ऋणात्मक
(स) आनुपातिक सम्बन्ध
(द) अप्रत्यक्ष सम्बन्ध

प्रश्न 3.
एक सामान्य पूर्ति वक्र का ढाल होता है –
(अ) धनात्मक
(ब) आयताकार
(स) ऋणात्मक
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 4.
यदि एक उत्पादक किसी निश्चित समयावधि में कुल 200 इकाई उत्पादन करता है और यदि 180 इकाई बिक्री हेतु बाजार में उपलब्ध करवाता है तो बाजार में उसकी पूर्ति होगी –
(अ) 200
(ब) 20
(स) 380
(द) 180

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा कारक पूर्ति वक्र में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी नहीं है –
(अ) कच्चे माल की कीमतें
(ब) प्रोद्यौगिकी परिवर्तन
(स) वस्तु की कीमत
(द) विशेष अवसर

उत्तरमाला:

  1. (द)
  2. (अ)
  3. (अ)
  4. (द)
  5. (द)

Class 12 Economics Chapter 5 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वस्तु की पूर्ति से आशय उस मात्रा से है जिसे विक्रेता एक निश्चित अवधि में निश्चित कीमत पर बेचने को तत्पर रहता है।

प्रश्न 2.
स्टॉक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्टॉक का तात्पर्य वस्तु की उस कुल मात्रा से लगाया जाता है जो किसी समय विशेष पर बाजार में उपलब्ध है।

प्रश्न 3.
पूर्ति के नियम से आप क्या समझते है?
उत्तर:
पूर्ति का नियम वस्तु की कीमत व उसकी पूर्ति के मध्य धनात्मक सम्बन्ध बताता है। अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत बढ़ने पर पूर्ति बढ़ जाती है तथा कीमत घटने पर पूर्ति घट जाती है।

प्रश्न 4.
बाजार पूर्ति का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बाजार पूर्ति का आशय किसी समय विशेष पर किसी कीमत पर सभी उत्पादकों द्वारा वस्तु की बिक्री के लिए प्रस्तुत मात्रा के योग से लगाया जाता है।

Class 12 Economics Chapter 5 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्ति तथा स्टॉक में भेद कीजिए।
उत्तर:
पूर्ति एवं स्टॉक में अन्तर होता है। किसी वस्तु का स्टॉक वस्तु की कुल मात्रा को बताता है जो किसी समय विशेष पर बाजार में उपलब्ध है जबकि पूर्ति स्टॉक का वह भाग होता है जिसे विक्रेता एक निश्चित समय में एक कीमत विशेष पर बेचने के लिए तत्पर रहता है। उदाहरण के लिए यदि एक उत्पादक ने 100 क्विटल चावल तैयार किया है तो यह उसका स्टॉक कहलायेगा। यदि यह उत्पादक के 500 क्विंटल के भाव से 50 क्विंटल चावल फरवरी के महीने में बेचने को तैयार है तो यह 50 क्विंटल चावल की पूर्ति कहलाएगी।

प्रश्न 2.
पूर्ति के नियम की कोई चार मान्यताएँ लिखिए।
उत्तर:
पूर्ति के नियम की चार मान्यताएँ निम्नलिखित है –

  1. वस्तु विशेष के उत्पादन के साधनों की पूर्ति व कीमतें स्थिर रहनी चाहिए।
  2. उत्पादन तकनीक में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
  3. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतें अपरिवर्तित रहनी चाहिए।
  4. सरकार द्वारा लगाये गये कर एवं अनुदान स्थिर रहने चाहिए।

प्रश्न 3.
पूर्ति के नियम की क्रियाशीलता के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
पूर्ति के नियम की क्रियाशीलता के चार कारण निम्न हैं –

  1. ऊँची कीमत होने पर उत्पादक अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए ज्यादा मात्रा में वस्तु बेचने की कोशिश करता
  2. ऊँची कीमतों पर ज्यादा लाभ से आकर्षित होकर नए उत्पादक बाजार में आ जाते हैं।
  3. ऊँची कीमतों पर ज्यादा लाभ होने के कारण वर्तमान उत्पादक भी अपना उत्पादन बढ़ाने का प्रयास करने लगते हैं।
  4. दीर्घकाल में सभी उत्पादन साधन परिवर्तनशील हो जाते हैं। अत: वस्तु की पूर्ति को आसानी से बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों से बाजार को पूर्ति को आकलित कीजिए –


उत्तर:

प्रश्न 5.
पूर्ति वक्र में परिवर्तन को रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
पूर्ति वक्र में परिवर्तन वस्तु की कीमत के अतिरिक्त अन्य कारणों से होता है। जैसे-तकनीकी सुधार, कर नीति में परिवर्तन आदि। इस अवस्था में पूर्ति वक्र दाएँ अथवा बाएँ को खिसक जाता है जो निम्न-रेखाचित्र से स्पष्ट है –


चित्र ‘अ’ चित्र ‘अ’ से स्पष्ट है कि वस्तु की कीमत स्थिर है लेकिन अन्य कारणों से उसकी पूर्ति O से बढ़कर OQ1 हो जाती है। इसे पूर्ति में वृद्धि कहते हैं। चित्र ‘ब’ में कीमत के स्थिर रहते हुए अन्य कारण जैसे उत्पादन लागत में वृद्धि आदि से पूर्ति कम हो जाती है। और पूर्ति वक्र बाईं ओर खिसक जाता है। पूर्ति घटकर O से OQ1 रह जाती है। इसे पूर्ति में कमी कहते हैं।

Class 12 Economics Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्ति को समझाइए तथा पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पूर्ति का आशये (Meaning of Supply)
किसी वस्तु की पूर्ति से आशय वस्तु की उस मात्रा से है जिसे विक्रेता एक निश्चित कीमत पर निश्चित अवधि में बेचने के लिए तैयार रहता है। जहाँ वस्तु का स्टॉक बाजार में उपलब्ध सम्पूर्ण मात्रा को कहते हैं, वहीं पूर्ति उस स्टॉक का वह भाग होती है जिसे विक्रेता किसी समय पर एक कीमत विशेष पर बेचना चाहता है। उदाहरण के लिए यदि एक उत्पादक द्वारा 500 मीटर कपड़ा तैयार किया गया है तो यह उसका स्टॉक होगा। इसमें से फरवरी माह में वह ₹50 मीटर की दर से 400 मीटर कपड़ा बेचने को तैयार है तो 400 मीटर कपड़े की पूर्ति कहलायेगी।

पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व (Factors affecting Supply)
वस्तु की पूर्ति अनेक तत्वों पर निर्भर करती है। कुछ तत्व पूर्ति को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं तो कुछ तत्व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। पूर्ति पर अनेक तत्वों का प्रभाव पड़ता है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण तत्व अग्रलिखित हैं –

(i) वस्तु की कीमत (Price of Commodity)-वस्तु की कीमत वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है। जब वस्तु की कीमत बढ़ती है तो उसकी पूर्ति बढ़ जाती है तथा कीमत में कमी होने पर उसकी पूर्ति घट जाती है।

(ii) उत्पादन साधनों की कीमतें (Price of Factors of Production)-उत्पादन कार्य में प्रयुक्त साधनों की कीमत जब बढ़ जाती है तो इससे उत्पादन लागत में वृद्धि हो जाती है। इस कारण उत्पादक उसके वस्तु का उत्पादन कम करने लगते हैं। स्वाभाविक रूप से बाजार में वस्तु की पूर्ति घटेगी। जब उत्पादन साधनों की कीमत घट जाती है तो उत्पादन लागत कम हो जाती है। अत: उत्पादक के लिए ज्यादा उत्पादन करना तथा बिक्री के लिए प्रस्तुत करना अधिक लाभदायक होता है। इस कारण बाजार में वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है।

(iii) सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत (Price of Related Goods)-वस्तु की पूर्ति सम्बन्धित वस्तुओं अर्थात् पूरक एवं स्थानापन्न वस्तुओं के मूल्य पर भी निर्भर करती है। यदि किसी स्थानापन्न वस्तु की कीमत बढ़ जाए तो स्थानापन्न वस्तु की पूर्ति कम हो जाएगी तथा इस वस्तु की पूर्ति बढ़ जाएगी क्योंकि इस वस्तु के उत्पादक अधिक लाभ कमाने के लिए उत्पादन बढ़ायेंगे। इसी तरह जब पूरक वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो दूसरी वस्तु की माँग भी घट जाती है। अत: उत्पादक उस वस्तु का उत्पादन एवं पूर्ति कम कर देते हैं।

(iv) तकनीकी ज्ञान (Technological Knowledge)-तकनीकी ज्ञान का विकास होने पर उत्पादन प्रक्रिया की कुशलता बढ़ जाती है तथा वस्तुओं की उत्पादन लागत कम होने लगती है। अत: ऐसी वस्तु का उत्पादन एवं विक्रय करना ज्यादा लाभप्रद हो जाता है। इस कारण ऐसी वस्तु की बाजार में पूर्ति बढ़ जाती है।

(v) प्राकृतिक घटक (Natural Factors)-कुछ वस्तुओं का उत्पादन प्राकृतिक घटकों पर भी निर्भर करता है। जैसे-कृषि का उत्पादन। अत: कृषिजन्य वस्तुओं की पूर्ति प्राकृतिक घटकों से प्रभावित होती है। जब प्राकृतिक घटक अनुकूल होते हैं तो ऐसी वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जाती है तथा प्राकृतिक घटक प्रतिकूल होने पर पूर्ति घट जाती है।

(vi) उत्पादक का उद्देश्य (Goal of Producer)-किसी वस्तु की पूर्ति ज्यादा होगी या कम, यह उत्पादक के उद्देश्य पर भी निर्भर करता है। यदि उत्पादक का उद्देश्य लाभ कमाना न होकर बाजार पर आधिपत्य जमाना है तो वह वस्तु की अधिक से अधिक पूर्ति करने का प्रयास करेगा, चाहे उसे लाभ कम ही क्यों न हो।

(vii) कर नीति (Tax Policy)-सरकार की कर नीति भी वस्तुओं की पूर्ति को प्रभावित करती है। यदि सरकार किसी वस्तु पर अधिक कर लगा देती है तो इसका उसकी पूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका कारण यह है कि उत्पादक को ऐसी वस्तु के उत्पादन में अधिक लाभ नहीं होता है। यदि कर कम होते हैं तो उत्पादकों को वस्तुओं का उत्पादन करने में ज्यादा लाभ होता है। इस कारण वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जाती है।

(viii) त्योहारी समय (Festival Time)-त्योहारों के समय पर प्रायः विभिन्न वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जाती है क्योंकि उत्पादक जानते हैं कि इस समय उनकी वस्तुओं की माँग ज्यादा होगी। गैर-त्योहारी समय में वस्तुओं की पूर्ति कम होती है। उदाहरण के लिए शादी के सीजन में टी.वी., फ्रिज, स्कूटर, कपड़ा, ज्वैलरी आदि की माँग काफी बढ़ जाती है। इसी प्रकार दीपावली के अवसर पर भी वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है। इस कारण पूर्ति भी बढ़ जाती है।

(ix) परिवहन लागतें (Transportation Cost)-यदि परिवहन साधन विकसित होते हैं तो वस्तु का आवागमन तीव्र होता है तथा यातायात लागत भी कम आती है। ऐसी स्थिति में वस्तु की पूर्ति ज्यादा होती है जबकि यातायात साधनों के अविकसित अवस्था में होने पर पूर्ति कम होती है।

(x) भविष्य में मूल्य परिवर्तन की सम्भावना (Expectation of Price Change in Future)-यदि किसी वस्तु के भविष्य में मूल्य बढ़ने की सम्भावना हो तो उत्पादक वर्तमान में उसे बिक्री के लिए कम मात्रा में प्रस्तुत करेंगे और अपने पास उस वस्तु का स्टॉक करेंगे जिसे भविष्य में बेचकर ज्यादा लाभ कमा सकें।

प्रश्न 2.
पूर्ति के नियम से आप क्या समझते हैं? पूर्ति के नियम को एक उदाहरण द्वारा तालिका और रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
पूर्ति के नियम का आशय – पूर्ति का नियम वस्तु की कीमत एवं उसकी पूर्ति के मध्य सम्बन्धों को व्यक्त करता है या ये कहें कि यह वस्तु विशेष की पूर्ति की मात्रा और उसकी कीमत में फलनात्मक सम्बन्ध को व्यक्त करता है। अन्य बातें समान रहने पर, किसी वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी पूर्ति बढ़ जाती है तथा कीमत घटने पर पूर्ति घट जाती है। इसे ही पूर्ति का नियम कहते हैं। वस्तु की कीमत एवं उसकी पूर्ति में धनात्मक सम्बन्ध होता है।

पूर्ति का नियम निम्न मान्यताओं पर आधारित है –

  1. वस्तु विशेष के उत्पादन साधनों की पूर्ति व कीमतें दोनों स्थिर रहनी चाहिए।
  2. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतों में भी परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
  3. सरकारी कर व अनुदान पूर्वबत् रहने चाहिए।
  4. उत्पादन तकनीक में कोई सुधार नहीं होना चाहिए।
  5. क्रेता एवं विक्रेता की रुचि में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
  6. वस्तु की पूर्ति विभाज्य होनी चाहिए।
  7. कृषिगत वस्तुओं के पूर्ति के लिए मौसम एवं जलवायु में कोई बदलाव नहीं आना चाहिए।

पूर्ति के नियम का तालिका एवं रेखाचित्र द्वारा विश्लेषण
बाजार पूर्ति तालिका किसी समय विशेष पर विभिन्न मूल्यों पर उत्पादकों द्वारा की जाने वाली पूर्ति के योग को दर्शाती है जैसा कि निम्न तालिका से स्पष्ट है –


तालिका से स्पष्ट है कि जब वस्तु की कीमत के ₹10 प्रति दर्जन है तो उसकी बाजार पूर्ति 250 दर्जन है। जैसे-जैसे कीमत ₹20, ₹30, ₹40 एवं ₹50 हो जाती है वस्तु की पूर्ति भी निरन्तर बढ़कर क्रमशः 450, 650, 850 एवं 1050 दर्जन हो जाती है। स्पष्ट है। कि वस्तु की कीमत बढ़ने के साथ-साथ उसकी पूर्ति भी बढ़ जाती है।

इस तालिका के आधार पर बाजार माँग वक्र तैयार किया जा सकता है।


उपर्युक्त रेखाचित्र में x अक्ष पर वस्तु की पूर्ति (दर्जन में) तथा y अक्ष पर वस्तु की कीमत (प्रति दर्जन) दर्शायी गई है। जब वस्तु की कीमत ₹10 प्रति दर्जन है तो उसकी बाजार पूर्ति 250 दर्जन है। जैसे-जैसे वस्तु की कीमत 20, 30, 40 व 50 प्रति दर्जन होती है तो वस्तु की पूर्ति भी बढ़कर क्रमशः 450, 650, 850 व 1050 दर्जन हो जाती है। पूर्ति वक्र नीचे से ऊपर दाहिनी ओर उठता हुआ है जो वस्तु की कीमत एवं पूर्ति के बीच धनात्मक सम्बन्ध को व्यक्त करता है।

प्रश्न 3.
पूर्ति वक्र में परिवर्तन (शिफ्ट) किन कारणों से होता है? प्रोद्यौगिकी परिवर्तनों का प्रभाव किस प्रकार से पड़ता है? रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
पूर्ति वक्र में परिवर्तन वस्तु की कीमत में परिवर्तन के कारण नहीं होता है। यह कीमत के अतिरिक्त अन्य कारकों में परिवर्तन होने के कारण होता है।
जैसे – स्थानापन्न या पूरक वस्तु के मूल्य में परिवर्तन, प्रोद्यौगिकी में परिवर्तन, कर नीति में बदलाव आदि। इनमें परिवर्तन होने पर पूर्ति वक्र बायें या दायें को खिसक (Shift) जाता है। यदि पूर्ति में वृद्धि होती है। तो पूर्ति वक्र दाहिनी ओर तथा यदि पूर्ति में कमी होती है तो यह बायीं ओर खिसक जाता है क्योंकि उस वस्तु का मूल्य अपरिवर्तित रहता है।

इन दोनों स्थितियों को नीचे रेखाचित्र के माध्यम से दर्शाया गया है –

चित्र ‘अ’ से स्पष्ट है कि वस्तु की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है लेकिन प्रोद्यौगिकी उन्नयन के कारण वस्तु की पूर्ति OQ से बढ़कर OQ1 हो जाती है और पूर्ति वक्र दाहिनी ओर खिसककर SS1 हो जाता है। यह पूर्ति में वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि E से E1, बिन्दु तक अथवा OQ1 में बराबर है।

इसी प्रकार जब उत्पादन लागत प्राचीन प्रोद्यौगिकी के कारण बढ़ जाती है तो मूल्य पूर्ववत् रहने पर भी वस्तु की पूर्ति उत्पादन लागत बढ़ जाने के कारण घट जाती है जैसे कि चित्र ‘ब’ में दिखाया गया है। इस स्थिति में पूर्ति वक्र बायीं ओर खिसक जाता है और वस्तु की पूर्ति OQ से घटकर OQ1 रह जाती है। वस्तु की पूर्ति में E से E1, तक अथवा Q से Q1 तक की कमी प्रोद्यौगिकी पुरानी होने के कारण उत्पादन लागत बढ़ने की वजह से है। वस्तु की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

प्रश्न 4.
पूर्ति वक्र में ‘सकुंचन’ एवं ‘विस्तार’ को रेखाचित्र की सहायता से समझाइये।
उत्तर:
पूर्ति का नियम वस्तु की कीमत एवं उसकी पूर्ति के मध्य धनात्मक सम्बन्ध को व्यक्त करता है। पूर्ति मात्रा में परिवर्तन केवल उस वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप होता है जबकि पूर्ति को प्रभावित करने वाले अन्य कारक स्थिर रहते हैं अर्थात् अपरिवर्तित रहते हैं। पूर्ति वक्र में परिवर्तन अन्य कारणों से होता है। पहली अवस्था में पूर्ति वक्र एक ही रहता है। उत्पादक उसी वक्र पर कीमत के अनुसार ऊपर-नीचे खिसक कर अपनी पूर्ति को समयोजित करता है। दूसरी अवस्था में पूर्ति वक्र बदल जाता है तथा वह बायें या दाहिनी ओर खिसक (Shift) जाता है।

प्रथम अवस्था में पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन को पूर्ति का संकुचन (Contraction) अथवा विस्तार (Expansion) कहते हैं। इन दोनों स्थितियों को नीचे रेखाचित्रों द्वारा दर्शाया गया है –


चित्र ‘अ’ से स्पष्ट है कि जब कीमत OP थी तो वस्तु की पूर्ति मात्रा OQ दर्जन थी लेकिन जब वस्तु की कीमत बढ़कर OP1 हो गई तो वस्तु की पूर्ति मात्रा भी बढ़कर OQ1 हो गई। पूर्ति मात्रा में E से E1 तक अथवा Q से Q1 वृद्धि पूर्ति का विस्तार है।

चित्र ‘ब’ पूर्ति का संकुचन चित्र ‘ब’ में स्पष्ट है कि जब वस्तु की कीमत OP है तो उस वस्तु की पूर्ति मात्रा OQ है लेकिन जब कीमत घटकर OP1 हो जाती है तो पूर्ति मात्रा भी घटकर OQ1 हो जाती है। पूर्ति मात्रा में Q से Q1, तक की कमी पूर्ति का संकुचन है। यह संकुचन कीमत के गिरकर OP से OP1 हो जाने के कारण है।

Class 12 Economics Chapter 5 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

Class 12 Economics Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा तत्व पूर्ति वक्र को दाहिनी ओर खिसका देता है?
(अ) कीमत में वृद्धि
(ब) तकनीकी विकास
(स) उपरोक्त दोनों
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 2.
पूर्ति के नियम की परिभाषा है।
(अ) जब वस्तु की पूर्ति बढ़ने पर उसकी कीमत घटे
(ब) जब वस्तु की पूर्ति घटने पर उसकी कीमत बढ़े
(स) जब अन्य बातें समान रहने पर कीमत बढ़ने पर पूर्ति बढ़े तथा कीमत घटने पर पूर्ति घटे
(द) जब कीमत के बढ़ने पर उसकी पूर्ति बढ़े।

प्रश्न 3.
पूर्ति को प्रभावित करने वाला तत्व है।
(अ) वस्तु की कीमत
(ब) उत्पादन साधनों की कीमतें
(स) प्रोद्यौगिकी परिवर्तन
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4.
तकनीकी उन्नयन से
(अ) वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है।
(ब) वस्तु की पूर्ति में कमी होती है।
(स) पूर्ति मात्रा का विस्तार होता है।
(द) पूर्ति मात्रा का संकुचन होता है।

प्रश्न 5.
बाजार पूर्ति तालिका
(अ) एक उत्पादक की विभिन्न कीमतों पर पूर्ति को दर्शाती है।
(ब) बाजार में सभी उत्पादकों की कुल पूर्ति को दर्शाती है।
(स) पृथक्-पृथक् उत्पादकों की पूर्ति को दर्शाती है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तरमाला:

  1. (ब)
  2. (स)
  3. (द)
  4. (अ)
  5. (ब)

Class 12 Economics Chapter 5 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्तु की पूर्ति स्टॉक से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
स्टॉक वस्तु की वह कुल मात्रा है जो बाजार में उपलब्ध है जबकि वस्तु की पूर्ति वह मात्रा होती है जिसे विक्रेता किसी कीमत पर किसी समय विशेष पर बेचने के लिए तत्पर रहता है।

प्रश्न 2.
पूर्ति के नियम की दो मान्यताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. उत्पादन तकनीक अपरिवर्तित रहनी चाहिए।
  2. सरकार द्वारा लगाये गए कर अथवा अनुदान स्थिर रहने चाहिए।

प्रश्न 3.
पूर्ति का नियम क्यों क्रियाशील होता है? एक कारण बताइए।
उत्तर:
जब वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो फर्म अपने लाभ को बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में माल बेचने को तत्पर रहती है।

प्रश्न 4.
व्यक्तिगत पूर्ति एवं बाजार पूर्ति में क्या अन्तर है?
उत्तर:
व्यक्तिगत पूर्ति किसी विशेष विक्रेता की निश्चित मूल्य पर पूर्ति को व्यक्त करती है जबकि बाजार पूर्ति सभी विक्रेताओं की पूर्ति के योग को व्यक्त करती है।

प्रश्न 5.
यदि सरकार कर बढ़ा दे तो पूर्ति बढ़ेगी या घटेगी?
उत्तर:
यदि सरकार कर बढ़ाती है तो इससे उत्पादन लागत बढ़ने के कारण उत्पादक का लाभ कम हो जायेगा, अत: वह पूर्ति कम करेगा।

प्रश्न 6.
पूर्ति की मात्रा एवं कीमत में कैसा सम्बन्ध होता है?
उत्तर:
पूर्ति की मात्रा एवं कीमत में फलनात्मक सम्बन्ध होता है।

प्रश्न 7.
कीमत एवं पूर्ति के धनात्मक सम्बन्ध का क्या आशय है?
उत्तर:
इसका आशय है कि कीमत बढ़ने पर पूर्ति मात्रा बढ़ती है तथा कीमत कम होने पर पूर्ति मात्रा घटती है।

प्रश्न 8.
तकनीकी उन्नयन का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
तकनीकी उन्नयन से वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है क्योकि लागत घटने के कारण उत्पादन का लाभ बढ़ता है।

प्रश्न 9.
यदि किसी वस्तु की पूरक वस्तु की कीमत में कमी हो जाती है तो उस वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
उस वस्तु की पूर्ति कम हो जाएगी क्योंकि पूरक वस्तुएँ साथ-साथ खरीदी व प्रयोग की जाती हैं।

प्रश्न 10.
यदि किसी वस्तु की स्थानापन्न वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाती है तो उस वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
यदि किसी वस्तु की स्थानापन्न वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाती है तो उस वस्तु की पूर्ति कम हो जाएगी।

प्रश्न 11.
त्योहारों एवं उत्सवों के अवसर पर वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
त्योहारों एवं उत्सवों के अवसर पर वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है।

प्रश्न 12.
एक उत्पादक 100 टन तेल का उत्पादन करता है तथा उसमें से बाजार भाव पर 80 टन तेल बेचने को तत्पर है तो वस्तु की पूर्ति क्या होगी?
उत्तर:
वस्तु की पूर्ति 80 टन तेल होगी।

प्रश्न 13.
जलवायु का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
वस्तु की पूर्ति को जलवायु भी प्रभावित करती है। ठंडी जलवायु में ऊनी कपड़ों की पूर्ति ज्यादा होती है जबकि उष्ण जलवायु में इनकी पूर्ति न के बराबर रहती है।

प्रश्न 14.
परिवहन लागत का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
यदि परिवहन सुविधाएँ उच्च कोटि की होती हैं तो उत्पादन लागत कम आती है। इससे वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है।

प्रश्न 15.
पूर्ति अनुसूची का निर्माण किस आधार पर किया जाता है?
उत्तर:
पूर्ति अनुसूची का निर्माण पूर्ति के नियम के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 16.
दीर्घकाल में सभी उत्पादन साधनों की पूर्ति कैसी होती है?
उत्तर:
दीर्घकाल में सभी उत्पादन साधनों की पूर्ति परिवर्तनशील होती है।

प्रश्न 17.
ऊँची बाजार कीमतों पर नए उत्पादक बाजार में क्यों प्रवेश करते है?
उत्तर:
ऊँची बाजार कीमतें होने पर लाभ ज्यादा होते हैं जिससे आकर्षित होकर नये उत्पादक भी उस क्षेत्र में प्रवेश करने लगते है।

प्रश्न 18.
पूर्ति मात्रा में परिवर्तन किस कारण से होता है?
उत्तर:
पूर्ति मात्रा में परिवर्तन कीमत में परिवर्तन के कारण होता है।

प्रश्न 19.
पूर्ति वक्र में परिवर्तन (शिफ्ट) का क्या कारण है?
उत्तर:
पूर्ति वक्र में परिवर्तन (शिफ्ट) का कारण कीमत के अतिरिक्त कुछ भी हो सकता है। जैसे—प्रोद्योगिकी परिवर्तन, कर नीति में परिवर्तन आदि।

प्रश्न 20.
यदि उत्पादन तकनीक में सुधार हो जाए तो क्या पूर्ति का नियम लागू होगा?
उत्तर:
पूर्ति का नियम कुछ मान्यताओं पर आधारित है। यदि उत्पादन तकनीक में सुधार हो जाता है तो मान्यताओं का अनुपालन नहीं होता है। अतः पूर्ति का नियम लागू नहीं होगा।

प्रश्न 21.
पूर्ति बाजार अनुसूची किस प्रकार तैयार की जाती है?
उत्तर:
(i) व्यक्तिगत पूर्ति अनुसूचियों का योग लगाकर।
(ii) औसत पूर्ति अनुसूची में विक्रेताओं की संख्या की गुणा करके।

प्रश्न 22.
यदि आगतों की गुणवत्ता में सुधार हो जाए तो वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
आगतों की गुणवत्ता में सुधार होने से पूर्ति बढ़ जायेगी।

प्रश्न 23.
एक सामान्य वस्तु के पूर्ति वक्र को ढाल कैसा होता है?
उत्तर:
एक सामान्य वस्तु के पूर्ति वक्र का ढाल धनात्मक होता है।

प्रश्न 24.
पूर्ति वक्र का ढलान धनात्मक क्यों होता है?
उत्तर:
कीमत तथा पूर्ति में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है अर्थात् कीमत बढ़ने पर पूर्ति बढ़ती है तथा कीमत घटने पर पूर्ति घटती है। इस विशेषता के कारण ही पूर्ति वक्र का ढलान धनात्मक होता है।

प्रश्न 25.
वस्तु की पूर्ति क्यों तथा किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर:
उत्पादक वस्तु की पूर्ति लाभ कमाने के लिए करते हैं।

Class 12 Economics Chapter 5 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थानापन्न वस्तुओं से क्या आशय है? इनके मूल्य परिवर्तन का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ऐसी वस्तुएँ जिन्हें किसी आवश्यकता पूर्ति के लिए एक के स्थान पर दूसरी का प्रयोग किया जा सकता है, स्थानापन्न वस्तुएँ कहलाती हैं। उदाहरण के लिए चाय व कॉफी स्थानापन्न वस्तुएँ हैं। जब स्थानापन्न वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है। तो दूसरी वस्तु जिसकी कीमत स्थिर है, उसकी पूर्ति घट जाती है।

प्रश्न 2.
पूरक वस्तुओं से क्या आशय है? पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दूसरी वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ऐसी वस्तुएँ जिन्हें एक आवश्यकता की पूर्ति के लिए साथ-साथ प्रयोग में लाना होता है, उन्हें पूरक वस्तुएँ कहते हैं; जैसे- पैन व स्याही, स्कूटर व पेट्रोल आदि। यदि एक पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तो उसकी पूर्ति के साथ-साथ दूसरी वस्तु की पूर्ति भी बढ़ जायेगी क्योंकि कीमत बढ़ने पर उत्पादक को लाभ ज्यादा होगा और वह वस्तु की पूर्ति को बढ़ा देगा।

प्रश्न 3.
पूर्ति के नियम को समझाइये।
उत्तर:
पूर्ति का नियम यह व्यक्त करता है कि अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत बढ़ने पर वस्तु की पूर्ति बढ़ती है तथा वस्तु की कीमत घटने पर उसकी पूर्ति घट जाती है। इस प्रकार पूर्ति के नियम के अनुसार वस्तु की कीमत एवं उसकी पूर्ति में प्रत्यक्ष एवं धनात्मक सम्बन्ध होता है।

प्रश्न 4.
व्यक्तिगत पूर्ति अनुसूची बनाइये तथा उसको रेखाचित्र के रूप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:


अब उपरोक्त तालिका से रेखाचित्र का निर्माण निम्न प्रकार होगा-

व्यक्तिगत पूर्ति अनुसूची को रेखाचित्र के रूप में प्रस्तुत करने पर पूर्ति वक्र SS प्राप्त होता है तो विभिन्न मूल्यों पर वस्तु की पूर्ति को बताता है।

पूर्ति अनुसूची पूर्ति वक्र क्या है?

पूर्ति वक्र (Supply Curve in hindi) जब पूर्ति की तालिकाओं को चित्रित किया जाता है या विभिन्न मूल्यों पर बेचने के लिए उपलब्ध वस्तु की विभिन्न मात्रा को रेखा चित्र के रूप में दर्शाया जाता है तो इससे हमें एक वक्र मिलता है। इसे पूर्ति वक्र कहा जाता है

पूर्ति वक्र से क्या आशय है?

एक तालिका जो विभिन्न कीमतों पर प्रौद्योगिकी तथा कारकों की कीमतें अपरिवर्तित रहने पर, एक फर्म की बेचे जाने वाली मात्राओं का विवरण देती है, 'पूर्ति सारणी' कहते हैं। हम इसे ग्राफ पर भी प्रदर्शित कर सकते हैं जिसे 'पूर्ति वक्र' कहते हैं।

पूर्ति वक्र क्या है और इसके प्रकार?

रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण (पूर्ति वक्र) - जब पूर्ति तालिका को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो उसे पूर्ति वक्र (supply curve) कहा जाता है। इस प्रकार पूर्ति वक्र (purti vakra) किसी वस्तु की भिन्न भिन्न क़ीमतों और उस वस्तु की बेची जाने वाली मात्राओं के बीच के संबंध को प्रदर्शित करता है।

पूर्ति अनुसूची क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं?

यदि किसी कीमत पर बाज़ार पूर्ति, बाज़ार माँग से अधिक है, तो उस कीमत पर बाज़ार में अधिपूर्ति कहलाती है तथा यदि उस कीमत पर बाज़ार माँग बाज़ार पूर्ति से अधिक है, तो उस कीमत पर बाज़ार में अधिमाँग कहलाती है।

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