प्रश्न 5 बिरसा मुंडा के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है कम से कम चार वाक्य लिखिए? - prashn 5 birasa munda ke jeevan se hamen kya prerana milatee hai kam se kam chaar vaaky likhie?

बिरसा मुण्डा का जन्म 15 नवम्बर 1875 के दशक में छोटा किसान के गरीब परिवार में हुआ था। मुण्डा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार (झारखण्ड) निवासी था। बिरसा जी को 1900 में आदिवासी लोंगो को संगठित देखकर ब्रिटिश सरकार ने आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें 2 साल का दण्ड दिया। [1]

आरंभिक जीवन[संपादित करें]

इनका जन्म मुंडा जनजाति के गरीब परिवार में पिता-सुगना पुर्ती(मुंडा) और माता-करमी पुर्ती(मुंडाईन) के सुपुत्र बिरसा पुर्ती (मुंडा) का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखण्ड के खुटी जिले के उलीहातु गाँव में हुआ था। जो निषाद परिवार से थे, साल्गा गाँव में प्रारम्भिक पढाई के बाद इन्होंने चाईबासा जी0ई0एल0चार्च(गोस्नर एवंजिलकल लुथार) विधालय में पढ़ाई किये थे। इनका मन हमेशा अपने समाज लगा रहता था|ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर सोचते रहते थे। उन्होंने मुण्डा|मुंडा लोगों को अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिये अपना नेतृत्व प्रदान किया।1894 में मानसून के छोटा नागपुर पठार, छोटानागपुर में असफल होने के कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की। [2]

मुंडा विद्रोह का नेतृत्‍व[संपादित करें]

1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजो से लगान (कर) माफी के लिये आन्दोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। लेकिन बिरसा और उसके शिष्यों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और जिससे उन्होंने अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया। उन्हें उस इलाके के लोग "धरती आबा"के नाम से पुकारा और पूजा करते थे। उनके प्रभाव की वृद्धि के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी।[3]

विद्रोह में भागीदारी और अन्त[संपादित करें]

बिरसा मुण्डा की राँची में स्थित मूर्ति

1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी थाने पर धावा बोला। 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियाँ हुईं।[4]

जनवरी 1900 डोम्बरी पहाड़ पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत सी औरतें व बच्चे मारे गये थे। उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। बाद में बिरसा के कुछ शिष्यों की गिरफ़्तारियाँ भी हुईं। अन्त में स्वयं बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल से अंग्रेजों द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया। बिरसा ने अपनी अन्तिम साँसें 9 जून 1900 ई को आंग्रेजों द्वारा जहर देकर मर गया |1900 को राँची कारागार में लीं। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है।[3]

बिरसा मुंडा को पकड़कर रांची कारागार ले जाया गया

बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है। वहीं उनका स्टेच्यू भी लगा है। उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार तथा बिरसा मुंडा अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र भी है।[5]

10 नवंबर 2021 को भारत सरकार ने 15 नवंबर यानी बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।[6]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "रांची में बिरसा मुंडा की समाधि,उनके नाम से विमान क्षेत्र भी है-वास्कले". Dainik Bhaskar. 2019-11-18. अभिगमन तिथि 2020-06-09.
  2. "Birsa Munda: आज भगवान बिरसा मुंडा को याद कर रहा झारखंड, समाधि स्‍थल पर लोगों ने दी श्रद्धांजलि". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2020-06-09.
  3. ↑ अ आ भारद्वाज, अनुराग. "बिरसा मुंडा : जिनके उलगुलान और बलिदान ने उन्हें 'भगवान' बना दिया". Satyagrah. मूल से 29 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-06-09.
  4. "पुण्यतिथि पर याद किए गए भगवान बिरसा मुंडा". Dainik Bhaskar. 2019-06-10. मूल से 12 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-06-09.
  5. "जेल में आने के दो माह बाद ही जेल में उन्हे खाना के बहना जहर खाकर बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गया". जागरण.
  6. SPECIAL CORRESPONDENT, SPECIAL CORRESPONDENT. "Cabinet okays declaration of Birsa Munda's birth anniversary on Nov 15 as Janjatiya Gaurav Divas". The Hindu. The Hindu. अभिगमन तिथि NOVEMBER 10, 2021.

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इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • मुंडा विद्रोह Archived 2020-07-25 at the Wayback Machine
  • मुंडा जनजाति
  • भील
  • गोंड
  • बिरसा मुंडा आदिवासी विश्वविद्यालय

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • बिरसा एक क्रांतिकारी थे, जिन्हें लोग पूजा करते हैं (प्रभासाक्षी)
  • अब भी अधूरी है शहीद बिरसा मुंडा का सपना

झारखंड के प्रसिद्व लोग

बिरसा मुण्डा|जयपाल सिंह मुंडा|तिलका माँझी|गंगा नारायण सिंह|सिद्धू कान्हू|अलबर्ट एक्का|राजा अर्जुन सिंह| जतरा भगत|गया मुण्डा|फणि मुकुट राय|दुर्जन साल|मेदिनी राय|बुधू भगत|जगन्नाथ सिंह|तेलंगा खड़िया|रघुनाथ सिंह|पाण्डे गणपत राय|टिकैत उमराँव सिंह|शेख भिखारी|मुंडल सिंह|महेंद्र सिंह धोनी|करिया मुंडा|प्रेमलता अग्रवाल|दीपिका कुमारी|राम दयाल मुंडा|अंजना ओम कश्यप|बिनोद बिहारी महतो|शिबू सोरेन|निर्मल महतो|अर्जुन मुंडा|बाबूलाल मरांडी|रघुवर दास|हेमंत सोरेन|संबित पात्रा

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बिरसा मुंडा के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है कम से कम चार वाक्य लिखिए?

वे ईमानदारी से जीते थे। बिरसा चाहते थे कि लोग एक बार फिर अपनी ज़मीन पर खेती करें, एक जगह टिक कर रहें और अपने खेतों में काम करें।

बिरसा मुंडा के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है?

भगवान बिरसा मुंडा का जीवन सबके लिए प्रेरक है। अंग्रेजों के विरुद्ध उनका आंदोलन आदर्श है। उनके साहस, समर्पण और बलिदान से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।

बिरसा मुंडा का मुख्य उद्देश्य क्या था?

बिरसा मुंडा ने मुंडा आदिवासियों के बीच अंग्रेजी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करना शुरू किया। जब सरकार द्वारा उन्‍हें रोका गया और गिरफ्तार कर लिया तो उन्होंने धार्मिक उपदेशों के बहाने आदिवासियों में राजनीतिक चेतना फैलाना शुरू किया। वह स्‍वयं को भगवान कहने लग गया।

बिरसा मुंडा ने लोगों को क्या उपदेश दिया?

बिरसा मुण्डा ने मुण्डा विद्रोह पारम्परिक भू-व्यवस्था को जमींदारी व्यवस्था में बदलने के कारण किया। उन्होंने अपनी सुधारवादी प्रक्रिया के तहत सामाजिक जीवन में एक उच्च आदर्श प्रस्तुत किया। क्रांतिकारी बिरसा मुण्डा ने शुद्धता, आत्म-सुधार और एकेश्वकरवाद का उपदेश दिया

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