पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से मानो झूम रहे हों तरु भी मंद पवन के झोंकों से इसमें कौन सा अलंकार है? - pulak prakat karatee hai dharatee harit trnon kee nokon se maano jhoom rahe hon taru bhee mand pavan ke jhonkon se isamen kaun sa alankaar hai?

पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से में कौन सा अलंकार है?

(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Answer : उत्प्रेक्षा अलंकार

Explanation : पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से, मानो झूम रहे हों तरु भी मंद पवन के झोंकों से में उत्प्रेक्षा अलंकार है। धरती की खुशहाली उसके हरित भूमि से होती है घास धरती की खुशी को जाहिर करते हैं जैसे वृक्ष झूल कर करते हैं। इसलिए इस पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार होगा। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।....अगला सवाल पढ़े

Tags : अलंकार उत्प्रेक्षा अलंकार

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पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से मानो झूम रहे हों तरु भी मंद पवन के झोंकों से इसमें कौन सा अलंकार है *?

पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से में उत्प्रेक्षा अलंकार है।

पुलक कौन प्रकट करता है?

(2) पुलक प्रगट झोंकों से ।। इस अवसर पर पृथ्वी अत्यंत प्रसन्न है। वह अपनी यह प्रसन्नता पृथ्वी पर उगी हुई हरी - हरी घास की नोकों से प्रकट कर रही है। मंद-मंद हवा के झोंकों से पेड़-पौधे भी झूम रहे हैं और ऐसा लगता है, जैसे वे भी अपनी खुशी प्रकट कर रहे हैं।

मंद पवन के झोकों से कौन झूम रहे हैं?

पृथ्वी घास के तिनकों की नोक के माध्यम से अपनी प्रसन्नता प्रकट कर रही है, ऐसा लगता है कि पेड़ भी मंद हवा के झोंकों से झूम रहे है।

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