पाली और मोनो सोलर पैनल में क्या अंतर है? - paalee aur mono solar painal mein kya antar hai?

नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको मोनो क्रिस्टलीन और पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल्स के विषय में बताने जा रहे हैं. मोनो क्रिस्टलीन और पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल्स दोनों ही लगभग एक ही तरह से काम करते हैं. इन दोनों का काम है कि सूर्य द्वारा मिली ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलना. ये दोनों सिलिकॉन द्वारा बने होते हैं और इनका प्रयोग सोलर पैनल में इसलिए होता है क्यूंकि ये एक बहुत टिकाऊ तत्वों से मिलके बने होते हैं. क्यूंकि ये दोनों काफी हद तक समान होते हैं इसलिए लोग इनकी भिन्नता को समझ नहीं पाते.

जिसके कारण लोगों को अपने अनुसार कौन सा पैनल ले ये चुनने में दिक्क्त होती है. इसलिए आज हम आपको दोनों के अंतर को बताएंगे. लेकिन इसे बताने से पहले हम आपको ये दोनों क्या है? इसके विषय में बताएंगे. वैसे तो दोनों प्रकार के ही सोलर पैनल को घर में प्रयोग किया जाता है, लेकिन दोनों में क्या अंतर होता है. ये यदि आपको पता हो तो आप सही चुनाव कर पाएंगे.

  • मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल क्या है | What is Monocrystalline Solar Panel in Hindi !!
  • पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल क्या है | What is Polycrystalline Solar Panel in Hindi !!
  • Difference between Monocrystalline and Polycrystalline Solar Cells in Hindi | मोनो क्रिस्टलीन और पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल में क्या अंतर है !!

मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल क्या है | What is Monocrystalline Solar Panel in Hindi !!

मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल को एक प्रीमियम सोलर उत्पाद के रूप में जाना जाता है. मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल को प्रयोग करने का सबसे बड़ा फायदा उच्च क्षमता और चिकना सौंदर्यशास्त्र है. मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल बनाने के लिए सोलर सेल को बनाये जाते हैं जिसके लिए सिलिकॉन को सलाखों के रूप में बनाया जाता है और उन्हें वेफर्स के रूप में काटा जाता है. मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल के लिए सिंगल-क्रिस्टल सिलिकॉन का प्रयोग किया जाता है. इसमें सिंगल-क्रिस्टल का प्रयोग होने के कारण विद्युत के प्रवाह को उत्पन्न करने वाले इलेक्ट्रॉनों को स्थानांतरित करने के लिए अधिक जगह होती है. और ये इसका एक प्लस पॉइंट है पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल्स की अपेक्षा.

पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल क्या है | What is Polycrystalline Solar Panel in Hindi !!

पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल्स वैसे पूर्णतः अच्छा है लेकिन इसमें मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल की अपेक्षा कम एफसीएनसी पायी जाती है. लेकिन यदि बात पैसे की जाये तो ये मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल से सस्ता होता है. पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल्स का रंग काला न होके नीला होता है. ये भी मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल की तरह सिलिकॉन द्वारा बना होता है. लेकिन इसमें सिलिकॉन के सिंगल क्रिस्टल का प्रयोग न कर के, ये कई सिलिकॉन के फ्रेगमेंट को पिघला के बनाया जाता है और बाद में वेफर्स का रूप दिया जाता है. इसे केवल पोली क्रिस्टलीन से ही नहीं बल्कि “मल्टी-क्रिस्टलीन ,” या “मेनी-क्रिस्टल सिलिकॉन” के नाम से भी जाना जाता है.

मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल अधिक महंगा होता है पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल की अपेक्षा।

मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल की एफिशिएंसी पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल की अपेक्षा अधिक पायी जाती है.

# मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल काले रंग की प्लेट होती है और पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल नीले रंग की प्लेट होती है.

# दोनों प्रकार की सोलर पैनल लगभग २५ साल से ऊपर तक चल सकती हैं.

# कैनेडियन सोलर, सन पावर, एलजी, हुंडई, आदि कम्पनी मोनो क्रिस्टलीन सोलर पैनल बनाती है और Hanwha, Kyocera, Hyundai, SolarWorld, Trina, आदि कम्पनी पोली क्रिस्टलीन सोलर पैनल बनाती हैं.

उम्मीद है दोस्तों कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और आपके काफी काम भी आयी होगी. यदि फिर भी कोई गलती आपको हमारे ब्लॉग में दिखे या आपके मन में कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे उस सवाल का जबाब आपको देने और आपके सुझाव को समझने और उसे पूरा करने की. धन्यवाद !!!

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Ankita Shukla

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कौन सा सोलर पैनल बेस्ट मोनो या पॉली?

उत्तर- मोनो (mono) सोलर प्लेट्स में लगने वाले सेल शुद्ध सिलिकॉन से बने होने के कारण इसकी एफिशिएंसी पाॅली (poly) सोलर प्लेट्स की एफिशिएंसी से लगभग 5% से 6% अधिक होती है। जिस कारण मोनो (mono) सोलर प्लेट्स बिजली को पाॅली (poly) सोलर प्लेट्स की अपेक्षा कम वेस्ट करता है।

मोनो और मोनो पर्क सोलर पैनल में क्या अंतर है?

सोलर पैनल की पहचान के लिए आप हमेशा सोलर सेल को देखिए। अगर आप पोली सोलर पैनल को देखते, तो इसके सेल आपको बिल्कुल चौकोर दिखेंगे। लेकिन अगर हम Mono पैनल को देखगे, तो इसके सेल के किनारों पर आपको कट देखने को मिलते है। मोनो पैनल के किनारी पर लगे कट आपको सफेद और काले रंग के देखने को मिलते है।

सबसे अच्छा पैनल कौन सा होता है?

Polycrystalline: Polycrystalline सोलर पैनल का इस्तेमाल अच्छी धूप वाले क्षेत्र में किया जाता है. और इनकी Efficiency Monocrystalline से थोड़ी कम होती है. इसीलिए इनकी कीमत भी कम होती है तो अगर आपके क्षेत्र में अच्छी धूप आती है तभी आप का Polycrystalline इस्तेमाल करें.

सबसे बड़ा सोलर पैनल कौन सा है?

28 प्रति वाट पर उपलब्ध करवाने की पूरी कोशिश करता है। आज टाटा पावर सोलर क्षेत्र में सबसे आगे खड़ा है और सोलर पावर का उपयोग करके कई मिलियन टन कार्बन फुटप्रिंट को बचाने में सक्षम है। टाटा सोलर पैनल के निर्माण के लिए वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता और प्रबंधन के उच्चतम मानकों (ISO 9001, 14001 और OHSAS 18001) का पालन करता है।

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