ओजोन परत के क्षय को कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? - ojon parat ke kshay ko kam karane ke lie kya kadam uthae gae hain?

नमस्कार दोस्तों मैं आज का प्रश्न है ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है इस सत्य को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ट्राई इसका उत्तर जानते हैं उत्तर तो देखिए ओजोन गैस हमारे लिए तो जो नीचे सदी हमारी चिंता का विषय है क्योंकि क्या है यह बहुत आवश्यक कार्य करती हैं यह बहुत आवश्यक कार्य करती है तो क्या कार्य हैं वह यह वजन किस जो है सूर्य से आने वाली सूर्य से आने वाली आने वाली पराबैंगनी किरणें जो होती हैं पराबैंगनी किडनी जो क्या करती हैं त्वचा कैंसर त्वचा कैंसर उत्पन्न करती है मनुष्य में को आने से रोकती है रूकती है यह कार्य करती है ओजोन परत और इसके अन्य कार्य और भी होते हैं जैसे यह

पौधों की अगर से क्षति हो जाएगी तो पौधों में जो वृद्धि दर है वृद्धि दर है वह कम हो जाएगी ठीक है और इसके और भी हानियां है इसकी शादी पर और भी हानियां हैं जैसे कि यह सूक्ष्मजीवों यह पराबैंगनी कितने जो होती है यह सूक्ष्मजीवों तथा अब घट को अब घटकों को मारती है इससे क्या होगा कि पारितंत्र का संतुलन बिगड़ जाएगा पारितंत्र और संतुलित हो जाएगा और संतुलित हो जाएगा यदि उनकी ज्यादा क्षति हुई तो और यह पराबैंगनी किरणें क्या करती है पौधों में वर्णन को जो कि प्रकाश संश्लेषण करते हैं क्या करते हैं प्रकाश संश्लेषण करते हैं को नष्ट करती है वरना को को नष्ट करती है यदि

प्रकाश संश्लेषण नहीं हुआ वर्णक नष्ट हो गए तो कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाएगी वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाएगी जो कि एक बहुत घातक बात है इसलिए इसकी शक्ति चिंता का विषय है अब देखते हैं हम किस को रोकने के लिए क्या-क्या उपाय किए गए हैं तुझे रोकने के लिए सन 1987 में 1987 में संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण पर्यावरण कार्यक्रम में कार्यक्रम में सीएससी गैस के उत्पादन क्लोरोफ्लोरोकार्बन जो कि सबसे मुख्य कारण है किसका ओजोन परत की सत्यता के उत्पादन उत्पादन को सीमित करने की बात की गई यानी एक सीमित उत्पादन होगा इसका और दुनिया भर में सभी भी निर्माण कंपनियां जो कि

रेफ्रिजरेटर रेफ्रिजरेटर एवं शीतला शीतला मशीनों का निर्माण करती है उनमें सीएफसी गैस रहित सीएफसी गैस रहित रेफ्रिजरेटर तहसील इन मशीनों का निर्माण किया जाए एरोसोल एरोसोल क्योंकि मैं बहुत सारी सीएफसी गैस होती है नहीं क्लोरो फ्लोरो कार्बन यौगिकों का हीरो सोचता सीएससी यौगिकों का उपयोग बहुत कम कर दिया जाए कम कर दिया जाए और इसके अलावा नाभिकीय विस्फोट ओ नाभिकीय विस्फोट ओ से भी हो जन प्रति क्षति होती है अतः इन पर भी नियंत्रण किया जाए नियंत्रण किया जाए तो यह कुछ उपाय हैं और हमारा उत्तर यहीं समाप्त होता है आशा करते हो आपको यह प्रश्न समझ

आया है इस वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

16 दिसम्बर, 1987 को सयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में ओजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण हेतु कनाडा के मांट्रियाल शहर में 33 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे “मांट्रियाल प्रोटोकाल” कहा जाता है। इस सम्मेलन में यह तय किया गया कि ओजोन परत का विनाश करने वाले पदार्थ क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सी.एफ.सी.) के उत्पादन एवं उपयोग को सीमित किया जाए। भारत ने भी इस प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर किए। इसका कारण व समाधान एक अत्यंत जटिल एवं गंभीर विषय है। यह विषय अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों, नीति निर्धारकों व अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच बहस वा चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। इस विषय पर लगातार खोज जारी है।

ओजोन क्या है

ओजोन एक वायुमण्डलीय गैस है या आॅक्सीजन का एक प्रकार है। आॅक्सीजन (O) के दो परमाणुओं (Atoms) से जुड़ने से आॅक्सीजन गैस (O2) गैस बनती है, जिसे हम सांस लेते समय फेफड़ों के अंदर खींचते हैं। तीन आॅक्सीजन परमाणुओं के जुड़ने से ओजोन (O3) का एक अणु बनता है। इसका रंग हल्का नीला होता है और इससे तीव्र गंध आती है।

ओजोन गैस ऊपर वायुमण्डल (Stratosphere) में अत्यंत पतली एवं पारदर्शी परत बनाते हैं। वायुमंडल में व्याप्त समस्त ओजोन का कुल 90 प्रतिशत भाग समताप मंडल में पाया जाता है। वायुमंडल में ओजोन का कुल प्रतिशत अन्य गैसों की तुलना में बहुत ही कम है। प्रत्येक दस लाख वायु अणुओं में दस से भी कम ओजोन अणु होते हैं।

ओजोन की कुछ मात्रा निचले वायुमंडल (क्षोभमण्डल) में भी पाई जाती है। रासायनिक रूप से समान होने पर भी दोनों स्थानों पर ओजोन की भूमिका महत्वपूर्ण है।

समताप मंडल में यह पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी विकिरण (Utraviolet Radiation)से बचाने का काम करती है।

क्षोभमण्डल में ओजोन हानिकारक संदूषक (Pollutants) के रूप में कार्य करती है और कभी-कभी प्रकाश रासायनिक धूम भी बनाती है।

क्षोभमण्डल में यह गैस बहुत कम मात्रा में भी मानव के फेफड़ों, तंतुओं तथा पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचा सकती है।

मानव जनित औद्योगिक प्रदूषण के फलस्वरूप क्षोभमण्डल में ओजोन की मात्रा बढ़ रही है और समताप मंडल में जहाॅं इसकी आवश्यकता है, ओजोन की मात्रा घट रही है।

ओजोन परत का महत्व


समताप मंडल में स्थित ओजोन परत समस्त भूमण्डल के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है। यह सूर्य की हानिकारक बैंगनी किरणों को ऊपरी वायुमण्डल में ही रोक लेती है, उन्हें पृथ्वी की सतह तक नहींं पहुंचने देती। पराबैंगनी विकिरण मनुष्य, जीव जंतुओं और वनस्पतियों के लिए अत्यंत हानिकारक है।

पराबैंगनी किरणों का दुष्प्रभाव

1. पराबैंगनी किरणों से त्वचा का कैंसर होने की संभावना रहती है। यह मनुष्य और पशुओं की डी.एन.ए. (D.N.A.) संरचना में बदलाव लाती है।
2. इनके कारण आंखो में मोतियाबिन्द की बीमारी उत्पन्न होती है और यदि समय से उपचार ना किया जाए तो मनुष्य अंधा भी हो सकता है।
3. पराबैंगनी किरणें मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता (Immune Efficiency) को कम करती हैं, जिसके कारण वह कई संक्रामक रोगों का शिकार हो सकता है।
4. पराबैंगनी किरणें पेड़-पौधों की प्रकाश संश्लेेषण क्रिया को प्रभावित करती हैं।

5. एक विशेष प्रकार की पराबैंगनी किरणें (UV-B) समुद्र में कई किलोमीटर तक प्रवेश कर समुद्री जीवन को क्षति पहुॅंचाती हैं।

6. यदि कोई गर्भवती महिला इनके संपर्क में आ जाए तो गर्भस्थ शिशु (Foetus) को अपूर्णीय क्षति हो सकती है।

समस्या -निराकरण में विश्व भर के देशों के प्रयास

ओजोन परत के संरक्षण हेतु 1985 में आस्ट्रिया की राजधानी में “वियना कन्वेंशन” संपन्न हुई, जो कि ओजोन क्षरण पदार्थों (Ozone Depletion Substances) पर नियंत्रण हेतु एक सार्थक प्रयास था।

ओजोन परत के क्षरण की समस्या पर विश्व भर का ध्यान आकर्षण हेतु संयुक्त राष्ट्र ने 16 दिसम्बर का दिन “विश्व ओजोन दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

16 दिसम्बर, 1987 को सयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में ओजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण हेतु कनाडा के मांट्रियाल शहर में 33 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे “मांट्रियाल प्रोटोकाल” कहा जाता है। इस सम्मेलन में यह तय किया गया कि ओजोन परत का विनाश करने वाले पदार्थ क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सी.एफ.सी.) के उत्पादन एवं उपयोग को सीमित किया जाए। भारत ने भी इस प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर किए।

नीचे की तालिका में विभिन्न पदार्थों और उनके समाप्त करने हेतु समय सारिणी को दर्शाया गया है।

यौगिक (Compound)

ओजोन क्षरण क्षमता (Ozone Depleting Potantia)

पुर्ण फेज आउट (Complete Phase-out)

पूर्ण विकसित देशों द्वारा साल की जनवरी तक

विकासशील देशों द्वारा साल की जनवरी तक

ब्रोमो मीथेन

0.12

2002

N.A.

कार्बन टेट्रा क्लोराइड (C.T.C.)

1.1

1996

2010

क्लोरो फ्लोरो कार्बन्स (CFCs)

0.6-1.0

1996

2010

हैलोनस

3-10

1994

2010

हाइड्रो ब्रोमो फ्लोरो कार्बन्स (HBFC)

0.1-14

2005

2010

हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन्स (HCFC)

0.05

2010

2030

मिथाइल ब्रोमाइड

0.6

2005

2015

ट्राई क्लोरो ईथेन

0.1

1996

2015

ओजोन परत के क्षय को कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए है?

<br> ओज़ोन परत की क्षति कम करने के उपाय <br> (i) एरोसोल तथा क्लोरो-फ्लोरो कार्बन यौगिक का कम-से-कम उपयोग करना। <br> (ii) सुपर सोनिक विमानों का कम-से-कम उपयोग करना। <br> (iii) संसार में नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण करना

ओजोन परत के क्षरण के क्या कारण है इसे रोकने के उपाय बताइए?

वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी 20-25 किमी0 की ऊंचाई पर स्थित ओजोन परत की क्षति हो रही है। ओजोन परत को क्षीण करने वाले विभिन्न हानिकारक रसायनों की वायुमण्डल में निरंतर वृद्धि हो रही है। सुपर वायुयानों द्वारा अधिक ऊॅचाई पर जो प्रदूषण पदार्थ विसर्जित होते है, उससे भी ओजोन परत प्रभावित होती है।

ओजोन क्षरण के लिए दोषी मुख्य कैसे हैं?

ओजोन परत की कमी के कारण.
क्लोरोफ्लोरोकार्बन या सीएफसी ओजोन परत की कमी का मुख्य कारण हैं। ये साबुन, सॉल्वैंट्स, स्प्रे एरोसोल, रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर, आदि द्वारा जारी किए जाते हैं।.
समताप मंडल में क्लोरोफ्लोरोकार्बन के अणु पराबैंगनी विकिरणों से टूट जाते हैं और क्लोरीन परमाणुओं को छोड़ते हैं।.

ओजोन परत को कैसे नष्ट किया?

ओज़ोन परत में हो रहे क्षरण के लिये क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। इसके अलावा हैलोजन, मिथाइल क्लोरोफॉर्म, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि रासायनिक पदार्थ भी ओज़ोन को नष्ट करने में योगदान दे रहे हैं।

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