निर्जला एकादशी का व्रत कैसे करें - nirjala ekaadashee ka vrat kaise karen

Nirjala Ekadashi Vrat katha: सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत विधि- विधान से करते हैं. उनके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती है. निर्जला एकादशी का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. यह व्रत बहुत कठिन होता है, क्योंकि इस व्रत के दौरान ना कुछ खाया जाता है और ना ही कुछ पीया जाता है. इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को है. आइए जानते हैं कैसे रहना है निर्जला एकादशी का व्रत और किन चीजों का करना है पालन.

निर्जला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का प्रारम्भ शुक्रवार यानी 10 जून को सुबह 7 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा. एकादशी तिथि का समापन 11 जून को सुबह 5 बजकर 45 मिनट पर होगा. जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत रखेंगे वो 11 जून को 5 बजकर 49 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक पारण करेंगे.

निर्जला एकादशी का महत्व
निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के उपासना का पर्व है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सालभर के एकादशी के व्रत का फल मिलता है. यह व्रत रखने के दौरान क्रोध नहीं करना चाहिए और न ही इस दिन झूठ बोलना चाहिए. 

निर्जला एकादशी व्रत पूजा
निर्जला एकादशी का व्रत रखने के दौरान आप प्रातः काल स्नान करने के पश्चात सूर्य देवता को अर्घ दें. इसके बाद पीताम्बर (पीले वस्त्र) धारण करके भगवान विष्णु की अराधना करते हुए विष्णु सहस्त्रानाम स्त्रोत का पाठ करें. भगवान विष्णु मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल, पंचामृत और तुलसी का पत्ता अर्पित करें. एकादशी का व्रत रखने वाले इस बात का विशेष ख्याल रखें कि यदि आप का स्वास्थ नहीं साथ दे रहा है और आप बिना पानी के नहीं रह सकते हैं तो पानी में नींबू मिलाकर पी लें. अगर आप इसके बाद भी व्रत नहीं रख पाते हैं तो फल भी खा सकते हैं.

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इन चीजों का करें दान
निर्जला एकादशी व्रत के दौरान गरीबों को अन्न, वस्त्र, बिस्तर, छाता और जल के पात्र का दान करें.
इस दिन ब्राम्हण को जूते का दान करना बहुत फलदायी होता है.
इस दिन पेड़ के नीचे पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें.
इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराएं.

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Nirjala Ekadashi pooja  |  तस्वीर साभार: Instagram

मुख्य बातें

  • निर्जला एकादशी का व्रत जेष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि को मनाया जाता है

  • हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा

  • मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को 24 एकादशियों का फल मिलता है

Nirjala Ekadashi Vrat 2022: हिंदू धर्म में एकादशी का काफी महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल भर में 24 एकादशी पड़ती है और इनमें से निर्जला एकादशी सबसे अहम होती है। निर्जला एकादशी का व्रत जेष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को 24 एकादशियों का फल मिलता है। यह व्रत बिना जल ग्रहण किए रखा जाता है। एकादशी भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं। मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की खास कृपा होती है। आइए जानते हैं कैसे रखा जाता है व्रत और इसके और इसे खोलने का क्या है नियम...

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जानिए कैसे रखा जाता है व्रत

निर्जला एकादशी का व्रत एक दिन पहले अर्थात दशमी तिथि की रात से ही शुरू हो जाता है। रात से ही अन्न व जल ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के व्रत में सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्य उदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई कर लें व उसके बाद स्नान कर लें। स्नान करते वक्त पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें। स्नान के बाद साफ पीले रंग का वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पीले चंदन पीले फल फूल से पूजा करें और पीली मिठाई भगवान विष्णु को अर्पण करें। एक आसन पर बैठकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। आम के फल का भोग भगवान विष्णु को लगाएं।

ऐसे खोले व्रत

निर्जला एकादशी के दिन पूरे समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का मानसिक जाप करते रहना चाहिए। द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन साधारण भोजन पूड़ी, हलवा, सब्जी के साथ आम का फल व जल रखकर भगवान विष्णु की अराधना करते हुए पहले जल ग्रहण करें, फिर भोजन शुरू करना चाहिए। इस दिन भोजन करने से पहले गरीबों को भोजन दान करना भी शुभ माना जाता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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निर्जला एकादशी व्रत कैसे शुरू करें?

निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर मन्दिर आदि की सफाई करें. उसके बाद स्नान करके साफ पीला वस्त्र पहनें और मंदिर या पूजा स्थल पर जाकर व्रत और पूजन का संकल्प लें. अब व्रत रखते हुए भगवान विष्णु को पीले चंदन पीले फल फूल से अर्पित करते हुए पूजा करें. भोग में पीली मिठाई भगवान विष्णु को चढ़ाएं.

निर्जला एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए?

इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए। नमक खाने से एकादशी और बृहस्पति का फल नष्ट हो जाता है। इसीलिए इस दिन सात्विक फलाहार ही खाना चाहिए। इस दिन मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोबी और सेम का सेवन भी नहीं करना चाहिए

निर्जला एकादशी के दिन पानी कब पीना चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग करना चाहिए और अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारण के समय जल ग्रहण करना चाहिए.

निर्जला एकादशी व्रत में क्या करते हैं?

निर्जला एकादशी के दिन खाने के साथ ही जल का संयम भी जरुरी है. इस व्रत में अन्न जल के साथ पानी का भी त्याग किया जाता है. इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें. साथ ही क्षमतानुसार गौदान, वस्त्रदान, छाता, फल, जल से भरा कलश और साथ में गुड़ मिठई का दान करना चाहिए.

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