मातृभूमि के सपूत कैसे होने चाहिए? - maatrbhoomi ke sapoot kaise hone chaahie?

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मातृभूमि के सपूत - ______

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Solution

मातृभूमि के सपूत - राम-कृष्ण

Concept: पद्य (8th Standard)

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Chapter 1.1: हे मातृभूमि ! - सूचना के अनुसार कृतियाँ करो [Page 2]

Q (३) ३.Q (३) २.Q (३) ४.

APPEARS IN

Balbharati Hindi - Sulabhbharati 8th Standard Maharashtra State Board [हिंदी - सुलभभारती ८ वीं कक्षा]

Chapter 1.1 हे मातृभूमि !
सूचना के अनुसार कृतियाँ करो | Q (३) ३. | Page 2

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संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

********************************************************************

देशभक्ति का अथाह सागर भर रखा था अपने सीने में
मातृभूमि ही केवल लक्ष्य था उनका ये जीवन जीने में,
वीर,कौशल,अभिमानी,प्रताप को शत-शत नमन-
कुछ अलग खास-सी बात है,इस मेवाड़ के नगीने में।

एकलिंग ने दिया आशीर्वाद हल्दी घाटी मुस्कुराई थी
देखा जब इस सपूत का गौरव,इनके लहू के बहने में,
दुश्मन तो नाम सुनकर ही,कंपकंपाने लग जाते थे-
अकबर की घबराहट दिखी थी उसके सर के पसीने में।

हजारों वीरों की टोली,लाखों की सेना से भिड़ती थी
प्रताप का जो जोश गूँजता,हर-हर महादेव कहने में,
उन्नत ललाट,विशाल कंधे,अदभुत थी वो कद-काठी-
भाला,शिरस्त्राण,कवच ही होते थे प्रताप के गहने में।

चेतक की वो बेमिसाल,महान,मूक स्वामी भक्ति थी
राणा प्रताप के संग याद करें,उसकी गाथा कहने में,
युगों और बरसों में भी,वर्णित नहीं होगी ये गाथाएं-
इन वीरों का तो सम्मान है,हर पल इनको भजने में।

हर माँ की अभिलाषा है,उसे प्रताप-सा पुत्र जन्म हो
ईश्वर से आराधना में भी और आँखों के भी सपने मेंl
प्रताप एक भविष्य है,नहीं इतिहास केवल पढ़ने में-

शब्द भी अमर हो जाते हैं,गौरव की रौ में बहने मेंll

परिचय-संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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मातृभूमि के लिए हमें क्या करना चाहिए?

जिससे हमारा जीवन बनता है। अपनी के कर्ज को चुकाना हमारा फर्ज है। गोमाता हमें जीवन भर दूध पिलाती है उसकी सेवा करना हमारा धर्म है। हमारी मातृभूमि की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

मातृभूमि के चरणों में कैसे बनाना है *?

* (३) मातृभूमि के चरणों में इसे नवाना है (४) मातृभूमि कवि के माथे पर यह है (२) - में भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ।। उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।। उत्तर नवाना - झुकाना। शीश - सिर ।

मातृभूमि की रक्षा के लिए आप क्या करना चाहेंगे?

Answer: हमारी मातृभूमि हमारे देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि मन, कर्म एवं वचन से राष्ट्रहित के कार्य करें। आधुनिकता की दौड़ में हम सब अपने दायित्वों का पालन सही तरीके से करने से भूल जाते हैं। राष्ट्र के जो भी संसाधन हैं, चाहे प्रकृतिक हो अथवा कृत्रिम सभी का उचित ध्यान रखें।

मातृभूमि कविता द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहता है?

Explanation: कवि मातृभूमि के लिए तन-मन-प्राण सब कुछ समर्पित करना चाहता है। वह अपने मस्तक, गीत तथा रक्त का एक-एक कण भी अपने देश की धरती के लिए अर्पित कर देना चाहता है। ... कवि अपने गाँव, द्वार-घर-आँगन आदि सभी के प्रति अपने लगाव को छोड़कर मातृभूमि के लिए सर्वस्व प्रदान करना चाहता है।

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