कब्ज होने से क्या क्या नुकसान होता है? - kabj hone se kya kya nukasaan hota hai?

क्रोनिक कब्ज बने रहने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है.

Constipation Effects on Body: जब किसी को कब्ज की समस्या होती है, तो शरीर व्यर्थ या अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने में असमर्थ होता है. क्रोनिक कब्ज होने पर शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंच सकता है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 06, 2022, 06:00 IST

Side Effects of Constipation: कब्ज की समस्या से अधिकतर लोग परेशान रहते हैं. जब किसी को कब्ज की समस्या होती है, तो शरीर व्यर्थ या अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने में असमर्थ होता है. कई बार कब्ज एक या दो दिनों तक रहता है और फिर ठीक हो जाता है. यह काफी कॉमन है, जिसका सामना कई लोग करते हैं. वहीं, कछ लोगों को क्रोनिक कॉन्सटिपेशन या कब्ज की समस्या होती है. यह एक गंभीर कब्ज की समस्या है, जो लॉन्ग-टर्म तक चलती है. क्रोनिक कब्ज होने पर बाउल मूवमेंट बेहद कम हो जाता है, जो कई हफ्तों या उससे अधिक समय तक बना रहता है. किसी को जब एक सप्ताह में तीन से कम मल त्याग हो, तो उसे कब्ज की समस्या कहते हैं. आइए जानते हैं, क्रोनिक कब्ज होने पर शरीर पर क्या नकारात्मक असर हो सकता है.

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कब्ज के लक्षण

  • मल का सख्त होना
  • सप्ताह में तीन से कम बार मल त्याग करना
  • ढेलेदार या सख्त मल होना
  • मल त्याग करते समय जोर लगाना
  • ऐसा महसूस होना जैसे मलाशय में रुकावट हो, जो मल त्याग को रोकता हो
  • ऐसा महसूस होना कि मलाशय से मल खाली नहीं हुआ
  • मल त्याग करते समय हाथों से पेट पर दबाव डालना

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कब्ज से शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव

थकान महसूस करना
bellalindemann.com में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, कब्ज होने से आपको थकान की समस्या हो सकती है. कब्ज के कारण होने वाला डिस्बिओसिस कार्बोहाइड्रेट के फर्मेंटेशन और विभिन्न गैसों के उत्पादन को बढ़ा देता है, जिसमें बदबूदार हाइड्रोजन सल्फाइड भी शामिल है. यह माइटोकॉन्ड्रिया की शिथिलता का कारण बनता है. यह कोशिकाओं के भीतर ऊर्जा का निर्माण करता है. इससे शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है और आप थकान महसूस करते हैं.

कब्ज से बढ़ सकता है वजन
यदि आपको लगातार कब्ज की समस्या रहती है, तो यह वजन बढ़ने का कारण भी बन सकता है. जब आप मल त्याग करते हैं, तो शरीर में हार्मोन असंतुलन भी होता है. विशेष रूप से एस्ट्रोजन से संबंधित असंतुलन होने से लोगों में मोटापे से जोड़कर देखा गया है.

त्वचा को होता है नुकसान
कब्ज से जुड़े विषाक्तता के कारण त्वचा को भी नुकसान होता है. इससे मुंहासे और स्किन ब्रेकआउट की समस्या बढ़ सकती है. यह तब होता है, जब टॉक्सिन और अपशिष्ट पदार्थ समाप्त होने की बजाय कोलन के माध्यम से रक्त प्रवाह में वापस अवशोषित हो जाता है. रक्तप्रवाह से ये विषाक्त पदार्थ शरीर के सबसे बड़े डिटॉक्सिफिकेशन अंग त्वचा से बाहर निकल सकते हैं. अन्य मकैनिज्म जिसके द्वारा कब्ज त्वचा को प्रभावित कर सकता है, वह है आंत के बैक्टीरिया (गट बैक्टीरिया) में परिवर्तन होना.

रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है कमजोर
हमारी आंतों की वनस्पतियां यानी इंटेस्टाइनल फ्लोरा शरीर की अधिकांश प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिसमें व्यर्थ कोशिकाएं, वायरस, बैक्टीरिया और कैंसर कोशिकाओं को हटाना शामिल है. चूंकि, कब्ज के कारण इंटेस्टाइनल फ्लोरा या बैक्टीरिया क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, इसलिए प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी इसका प्रभाव होता है. कब्ज के कारण टॉक्सिक निर्माण और सूजन होता है, जिससे इम्यूनिटी प्रभावित होती है. इससे आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) भी हो सकता है.

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FIRST PUBLISHED : May 06, 2022, 06:00 IST

कब्ज से पैदा हो सकती हैं कई अन्य बीमारियां, योग और डाइट से दूर करें ये प्रॉब्लम

Author: Priyanka SinghPublish Date: Tue, 25 Jun 2019 09:24 AM (IST)Updated Date: Tue, 25 Jun 2019 09:24 AM (IST)

सुबह सही तरीके से पेट साफ न होने पर पूरा दिन पेट भरा-भरा सा फील होता है। न कुछ खाने का दिल करता है और न ही करने का। तो आइए जानते हैं कब्ज दूर करने के उपायों के बारे में।

जब पाचन तंत्र ठीक से काम न करे और मल त्याग करते समय कठिनाई हो या फिर जोर लगाना पड़े तो उस स्थिति को कब्ज कहते हैं। आयुर्वेद इसे विबंध कहता है। कब्ज की स्थिति में मल सख्त, सूखा और प्राय: दुर्गंधपूर्ण होता है। इसके अलावा मलत्याग करते समय पेट में दर्द होता है।

कारण

- भोजन में पर्याप्त मात्रा में रेशों (फाइबर्स)का सेवन न करना।

- अत्यधिक चिकनाईयुक्त या वसा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन।

- पानी और तरल पदार्थों का अपर्याप्त मात्रा में सेवन करना।

- नियमित रूप से व्यायाम न करना।

- दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करना।

- कई दिनों से रोग से ग्रस्त होना।

- कब्ज की समस्या आंत के रोग से भी उत्पन्न होती है। कब्ज का कारण कुछ भी हो, यदि आप इससे ग्रस्त हैं तो आपके शरीर और मन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

शारीरिक प्रभाव

कब्ज के कारण पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। इसके अलावा सिरदर्द होना, गैस बनना, पेट में गैस बनना, भूख कम होना, कमजोरी महसूस होना और जी-मिचलाना आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसी तरह चेहरे पर मुंहासे निकलना, काले दाग उत्पन्न होना, शौच के बाद भी ऐसा महसूस होना कि मानो पेट साफ नहीं हुआ हो। पेट में भारीपन महसूस होना और मरोड़ होना। इसके अलावा जीभ का रंग सफेद या मटमैला हो जाना, मुंह से बदबू आना, कमर दर्द होना, मुंह में बारबार छाले होना आदि भी कब्ज के सामान्य शारीरिक लक्षण हैं। शौच के समय अधिक जोर लगाने से हर्निया जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।

मानसिक प्रभाव

कब्ज पीडि़तों में प्राय: आलस्य, नींद न आना या पर्याप्त नींद न लेना। उदासी, बेवजह चिंता होना, निराशा, किसी भी काम में मन न लगना, भूख न लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। आधुनिक शोध से पता चला है कि सेरोटोनिन नामक हार्मोन हमारे मन को प्रसन्न रखता है। कब्ज के कारण उसके स्राव में कमी आ आती है। परिणामस्वरूप, मन अकारण उदास रहने लगता है। यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो बार-बार चिंता, तनाव, अवसाद और हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं।

इलाज

1. संतुलित भोजन लें और उसमें रेशेदार आहार को शामिल करें। फल,सब्जियां, फलियां और कई अनाज रेशेदार आहार के अच्छे स्रोत हैं।

2. रात को सोने से पहले 10 से 12 मुनक्का खाने से कब्ज में राहत मिलती है।

3. किशमिश या अंजीर को कुछ देर तक पानी में गलाने के बाद इसका सेवन करने से भी कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

4. प्रतिदिन रात में हरड़ के चूर्ण या त्रिफला को कुनकुने पानी के साथ पीना कब्ज में लाभकारी है।

5. नियमित रूप से व्यायाम और योगासन करना फायदेमंद है। 

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Edited By: Priyanka Singh

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पेट में कब्ज होने से कौन सी बीमारी होती है?

कब्ज के कारण पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। इसके अलावा सिरदर्द होना, गैस बनना, पेट में गैस बनना, भूख कम होना, कमजोरी महसूस होना और जी-मिचलाना आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसी तरह चेहरे पर मुंहासे निकलना, काले दाग उत्पन्न होना, शौच के बाद भी ऐसा महसूस होना कि मानो पेट साफ नहीं हुआ हो।

कब्ज से क्या परेशानी होती है?

कब्ज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मल (विष्ठा) सख्त हो जाता है, मल विसर्जन में मुश्किल होती है या पाचन तंत्र में से बहुत धीरे से निकलता है। यह मल विसर्जन को नियमित रूप से कम कर सकता है और दर्द, भूख न लगना, बवासीर और त्वचा में दरार पड़ना या फटना जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।

कब्ज की बीमारी कैसे होती है?

यह तब हो सकता है जब कोलन की मांसपेशियां धीरे-धीरे संक्रमित हो जाती हैं। इससे शरीर में पानी की कमी होती है और मल सूखने लगता है। जब रोगी को कब्ज होता है तो रोगी का मल बड़ी आंत तक पहुंचने से पहले ही कठोर हो जाता है और ये आंतों पर चिपक जाता है, जो कठोर होने के कारण बाहर नहीं निकल पाता है।

कब्ज से प्रभावित अंग?

जब अक्सर कब्ज रहने की शिकायत होती है तो पेट तो प्रभावित होता ही है, शरीर के कई अन्य अंग जैसे कि बड़ी आंत, बॉउल, एनस टिश्यूज भी प्रभावित होते हैं. कब्ज के दौरान जब आप मोशन पास करने के लिए अधिक प्रेशर लगाते हैं तो इससे भी कई तरह के नुकसान आपके शरीर को झेलने पड़ते हैं.

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