जनहित याचिका के जनक कौन है? - janahit yaachika ke janak kaun hai?

भारत में जनहित याचिका की शुरुआत वर्ष 1977 में हुई। दिल्ली के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने 2 जुलाई 1977 को मेनका गांधी को भारतीय पासपोर्ट एक्ट की धारा 10(3) सी के तहत जनहित में एक सप्ताह के भीतर अपना पासपोर्ट जमा कराने के लिए कहा था। जनहित याचिका के साथ भारतीय न्यायिक व्यवस्था में उत्तरदायित्व की शुरूआत करने का श्रेय भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीएन भगवती को जाता है। जस्टिस भगवती भारत के 17वें मुख्य न्यायाधीश थे और वो जुलाई 1985 से दिसंबर 1986 तक भारते के सबसे बड़े न्यायिक पद पर रहे। जस्टिस भगवती का निधन 16 जून 2017 हो हुआ।....अगला सवाल पढ़े

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Web Title : Bharat Me Janhit Yachika Ki Shuruat Kab Hui

दोस्‍तो, क्‍या आप जानना चाहते है की, भारत में जनहित याचिका का जनक किसे कहा जाता है ?, Bharat Mein Janhit Yachika ka Janak Kise Kaha Jata Hai ?, जनहित याचिका का उद्देश्‍य क्‍या होता है ? जनहित याचिका किस लिए होती है ? तो इन सभी सवालों के जवाब और जानकारी आपको इस आर्टीकल में मिल जाएगी |

दोस्‍तो, जनहित याचिका आम जनता के अधिकारों के नजरीयें से बहोतही महत्‍वपूर्ण और लाभदायक है | जनहित याचिका के माध्‍यम से हम कोई भी सार्वजनिक विषय मा.उच्‍च न्‍यायालय या सर्वोच्‍च न्‍यायालय में याचिका के रूप में दायर कर सकते है | मा.न्‍यायालय को अगर उसमें तथ्‍य महसूस हुआ तो वह याचिका स्विकार कर ली जाती है |

भारत में जनहित याचिका का जनक किसे कहा जाता है ? | Bharat Mein Janhit Yachika ka Janak Kise Kaha Jata Hai ?

दोस्‍तो, भारत में जनहित याचिका का जनक न्‍यायमूर्ती श्री.पी.एन.भगवती को कहा जाता है | उन्‍होने जनहित याचिका दायर करना बहोतही आसान कर दिया था | उन्‍होने कहा था की अगर पोस्‍ट कार्ड पर भी लिखकर न्‍यायालय को भेजा जाएगा तब भी उसे याचिका माना जाएगा |

भारत में जनहित याचिका दाखिल करना सामान्‍य लोगो के लिए आसान करने में न्‍यायमूर्ती श्री.पी.एन.भगवती के साथ साथ न्‍यायमूर्ती श्री.वी.आर.कृष्‍णन अय्यर इनका भी योगदान है | क्‍योंकी दोनो न्‍यायमूर्ती की पहल की वजह से आम लोगो को जनहित याचिका कोर्ट में दाखिल करना आसान हो गया है |

जनहित याचिका एक ऐसा उत्‍तम पर्याय है जिससे हम भारत का कोई भी विषय कोर्ट के सामने रख सकते है | सिर्फ शर्त यह है की वह विषय या समस्‍या सार्वजनिक होनी चाहिए | अगर वह समस्‍या सामान्‍य लोगो के जीवन को प्रभावित करती है तो मा.न्‍यायालय इसपर फैसला दे सकता है जो की सभी पर लागू होता है |

दोस्‍तो, आशा करते है की, आपको भारत में जनहित याचिका का जनक किसे कहा जाता है ?, Bharat Mein Janhit Yachika ka Janak Kise Kaha Jata Hai ? जनहित याचिका क्‍या है ? इन सवालों के जवाब और जानकारी मिल गई होगी | इसी तरह की और भी महत्‍वूपर्ण जानकारी आपको इस ब्‍लॉग पर पढने को मिलेगी | धन्‍यवाद….

जनहित याचिका या Public Interest Litigation (PIL) न्यायालय द्वारा लाया गया एक ऐसा उपकरण है जिससे सरकार की गलत नीतियों या फैसलों से बढ़ रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा हो, उसके लिए जनहित याचिका दायर की जा सकती है।

सामाजिक रुप से ऐसे जागरूक नागरिक जो समाज को ठीक करना चाहते हैं या समाज में बदलाब लाना चाहते हैं PIL या जनहित याचिका के द्वारा इसे न्यायालय में ला सकते हैं।

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जनहित याचिका क्या है ?

जनहित याचिका भारतीय कानून में सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए मुकदमें का एक प्रावधान है अन्य सामान्य याचिकाओं से अलग इसमें जरूरी नहीं कि पीड़ित पक्ष खुद न्यायालय में मौजूद हो।

यह किसी भी व्यक्ति या न्यायालय द्वारा भी पीड़ित के पक्ष में दायर किया जा सकता हैं, जनहित याचिका का विवरण संविधान में नहीं मिलता यह सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक व्याख्या से निकला है, इसलिए इसे लागू करने का श्रेय सुप्रीम कोर्ट को जाता है।

जनहित याचिका कब लागू हुआ

जनहित याचिका की उत्पत्ति एवं विकास सर्वप्रथम अमेरिका में 1960 के दशक में हुआ वहां इसे प्रतिनिधित्वविहीन समुहों को कानूनी प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए न्यायपालिका द्वारा शुरू किया गया एक विधि है।

भारत में जनहित याचिका या PIL सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक सक्रियता का एक उत्पाद है जिसकी शुरुआत 1980 के दशक में हुई। जस्टिस पी. आर.कृष्णा और जस्टिस पी.एन. भगवती जनहित याचिका के जनक माने जाते है।

भारत के संदर्भ में

PIL यानी जनहित याचिका के अंतर्गत कोई भी जनभावना वाला व्यक्ति या सामाजिक संगठन किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के अधिकार को दिलाने के लिए न्यायालय जा सकता है अगर यह व्यक्ति या समूह निर्धनता, अज्ञानता अथवा अपनी सामाजिक आर्थिक दुर्बलता के कारण न्यायालय जाने में असमर्थ है।

PIL कानून के शासन के लिए बहुत जरूरी है इससे न्याय को आम लोगों तक पहुँचाया जा सकता है। तथा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के मौलिक अधिकारों तक उनकी पहुंच को बनाया जा सकता है।

PIL की स्वीकृति हेतु नियम

● जनहित याचिका के अंतर्गत कोई भी जनभवना वाला व्यक्ति या सामाजिक संगठन, व्यक्ति या समूहों के अधिकार दिलाने के लिए न्यायालय जा सकता है।

● न्यायालय को दिया गया पत्र या पोस्टकार्ड भी याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है।

● अगर न्यायालय चाहे तो याचिका हेतु सामान्य न्यायालय शुल्क भी माफ कर सकता है।

● यह सरकार तथा निजी दोनों तरह की संस्थाओं के विरुद्ध लायी जा सकती है।

जनहित याचिका की विशेषताएं

1.) जनहित याचिका कानूनी सहायता आंदोलन का अंग है और इसके माध्यम से जनता तक न्याय को पहुंचाना तथा न्यायालय की गरिमा को बनाये रखना।

2.) यह मौलिक अधिकारों को मज़बूती प्रदान करता है जिससे लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

3.) PIL कार्यपालिका एवं विधायिका को संवैधानिक कर्तव्य को निर्वहन करने की शक्ति देती है।

4.) PIL द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बुनियाद रखी जा सकती है।

5.) जनहित याचिका की मांग है कि उन लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए जिनकी संख्या बहुत बड़ी है, जो गरीब और अशिक्षित हैं और सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर है।

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PIL कौन दायर कर सकता है ?

कोई भी भारत का नागरिक PIL या जनहित याचिका दायर कर सकता है। यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि PIL निजी हित के लिए न होकर सार्वजनिक हित के लिए दायर करना चाहिए।

अगर न्यायालय को लगे कोई मामला जो अति आवश्यक है तो वह स्वयं भी मामले को स्वीकार कर सकती है इसके लिए वह वकील नियुक्ति का भी आदेश दे सकती है।

“जनहित याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में तथा अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट में दायर की जा सकती है।”

PIL कैसे दायर करें

● जनहित याचिका(PIL) दायर करने से पहले संबंधित मामले की पूरी जानकारी इकट्ठा कर ले, उससे जुड़े सारे दस्तावेज अपने पास सुरक्षित रख लेनी चाहिए।

● जनहित याचिका जिस व्यक्ति या संगठन से जुड़ा है दायर करने से पहले उस व्यक्ति या संगठन से अनुमति ले लेनी चाहिए।

● जनहित याचिका में उल्लेखित प्रत्येक प्रतिवादी 50 रुपये अदा करना पड़ता है।

जनहित याचिका की पैरवी खुद भी न्यायालय में की जा सकती है परंतु अगर आप इसके लिए वकील रखते है तो अच्छा होगा क्योंकि वकील को कानून की ज्यादा जानकारी होती है।

भारत में जनहित याचिका के जनक कौन थे?

ध्यातव्य है कि भारत के पूर्व न्यायाधीश पी. एन. भगवती को 'जनहित याचिका का जनक' माना जाता है।

जनहित याचिका की स्थापना कब हुई?

पीआईएल शब्द की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका में 1980 के दशक के मध्य में हुई। इसने जनहितकारी कानून में योगदान दिया था। यह कानूनी सहायता आंदोलन का हिस्सा था। पहला कानूनी सहायता कार्यालय न्यूयॉर्क में 1876 में स्थापित किया गया था।

जनहित याचिका संकल्पना कहाँ प्रारंभ हुई?

'जनहित याचिका (Public Interest Litigation-PIL)' की अवधारणा अमेरिकी न्यायशास्त्र से ली गई है। भारतीय कानून में PIL का मतलब जनहित की सुरक्षा के लिये याचिका या मुकदमा दर्ज करना है। यह पीड़ित पक्ष द्वारा नहीं बल्कि स्वयं न्यायालय या किसी अन्य निजी पक्ष द्वारा विधिक अदालत में पेश किया गया मुकदमा है।

जनहित याचिका क्या है दृष्टि आईएएस?

जनहित याचिका दायर करना यह कल्याणकारी मामलों जैसे कि खतरनाक (रिस्क) , पोल्यूशन और टेरोरिज़्म के प्रोटेक्शन के लिए कोर्ट में मुकदमा दायर किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में सीधे याचिका दायर करने के लिए भारत के लोगों को जनहित याचिका प्रदान की जाती है। कोई भी व्यक्ति जनहित याचिका दायर कर सकता है।

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