इस पाठ द्वारा हमारी शिक्षा पद्धति की कौन सी जानकारी मिलती है? - is paath dvaara hamaaree shiksha paddhati kee kaun see jaanakaaree milatee hai?

BADE BHAI SAHAB बड़े भाई साहब 5 MARKS QUESTIONS ANSWERS

5  Marks  Questions

1.   बड़े  भाई  साहब  पाठ  में  लेखक  ने  समूची  शिक्षा  के  किन  तौर-तरीकों  पर  व्यंग्य  किया  है?  क्या  आप  उनके  विचारों  से  सहमतहैं?

2.   बड़े  भाई  की  डाँट-फटकार  अगर    मिलती  तो  क्या  छोटा  भाई  कक्षा  में  अव्वल  आता?  अपने  विचार  प्रकट  कीजिए

3.   छोटे  भाई  के  मन  में  बड़े  भाईसाहब  के  प्रति  श्रद्धा  क्यों  उत्पन्न  हुई?

5  Marks  Answers

1.   बड़े  भाईसाहब  पाठ  में  लेखक  ने  समूची  शिक्षा  प्रणाली  पर  व्यंग्य  किया  है  उनके  अनुसार  वर्तमान  शिक्षा  प्रणाली  में  रटंत  विद्या  पर  बल  दिया  जाता  है,  व्यावहारिक  ज्ञान  पर  नहीं   अंग्रेजी  भाषा  पढ़ने  पर  बहुत  अधिक  बल  दिया  जाता  है  जबकि  मातृभाषा  हिंदी  है  इसके  अतिरिक्त  अलजबरा  और  ज्योमेट्री  के  तर्क  उनकी  समझ  से  परे  थे  इंग्लॅण्ड  का  इतिहास  तथा  वहाँ  के  बादशाहों  के  नाम  याद  करने  का  वास्तविक  जीवन  में  कोई  लाभ  नहीं  है   इसी  तरह  विचारों  की  अभिव्यक्ति  के  नाम  पर  चार-चार  पृष्ठों  के  निबंध  लिखवाने  के  औचित्य  पर  प्रश्न  चिह्न  लगाया  इस  प्रकार  यह  शिक्षा  सैद्धांतिक  है  व्यावहारिक  नहीं  इससे  बालकों  का  सर्वांगीण  विकास  नहीं  हो  सकता  तथा  मूल्यांकन  प्रणाली  के  दोषपूर्ण  होने  के  कारण  विद्यार्थी  की  योग्यता  का  भी  सही  आंकलन  नहीं  हो  सकता

2.   हम  लेखक  के  विचारों  से  सहमत  हैं  क्योंकि  इस  रटंत  विद्या  और  दोषपूर्ण  शिक्षा  प्रणाली  के  कारण  बालकों  का  स्वाभाविक  विकास  नहीं  हो  पाता  अपितु  उनका  व्यक्तित्व  दोषपूर्ण  हो  जाता  है  बड़े  भाई  की  डाँट  फटकार  के  बिना  छोटे  भाई  का  कक्षा  में  अव्वल  आना  बहुत  मुश्किल  था  क्योंकि  छोटा  भाई  मेधावी  तो  था  परंतु  अध्ययनशील  नहीं  था  उसका  मन  पढ़ने  में  नहीं  लगता  था  वह  स्वच्छंद  हो  जाता  जिससे  उसके  बिगड़ने  की  संभावना  बढ़  जाती  और  उसका  अध्ययन  कार्य  बीच  में  ही  छूट  जाता  उसको  प्रेरित  करने  के  लिए  बड़ा  भाई  सारा  दिन  किताबें  लेकर  बैठा  रहता  था  तथा  तथा  कोई  खेलकूद  भी  नहीं  खेलता  था  क्योंकि  बड़ा  भाई  जानता  था  कि  यदि  वह  स्वयं  खेलकूद  में  लगेगा  तो  छोटे  भाई  को    रोक  सकेगा  और  छोटा  भाई  सारा  दिन  खेल  में  लगा  रहेगा।वह  छोटे  भाई  को  सदैव  कठोर  नियंत्रण  के  कारण  ही  छोटा  भाई  कक्षा  में  अव्वल  आता  था

3.       छोटा  भाई  बड़े  भाई  को  केवल  उपदेशक  मानते  हुए  उनसे  भयभीत  रहता  था  तथा  उनसे  कन्नी  काटता  था  वार्षिक  परीक्षा  में  लगातार  दो  वर्ष  अव्वल  आने  तथा  भाई  साहब  के  फेल  हो  जाने  पर  वह  उनकी  उपेक्षा  करने  लगा   जब  बड़े  भाई  ने  स्नेह  और  रोष  भरे  शब्दों  में  फटकार  लगाई  कि  उसे  घमंड  नहीं  करना  चाहिए  आठवीं  कक्षा  पास  सफल  व्यक्तियों  का  उदाहरण  देकर  उसकी  सफलता  को  सामान्य  बताया  ,  आगे  की  पढाई  की  कठिनता  के  विषय  में  बताया  और  जीवन  में  अनुभव  की  महत्ता  का  गुणगान  किया,  उसे  डाँटने  के  अपने  अधिकार  के  विषय  में  बताया  तथा  इस  सब  के  पीछे  उसे  स्नेह  करना  तथा  सही  रास्ते  पर  चलाकर  सफल  बनाने  की  इच्छा  बताई  तो  छोटे  भाई  के  मन  में  बड़े  भाई  के  प्रति  श्रद्धा  उत्पन्न  हुई

इस पाठ के माध्यम से हमारी शिक्षा पद्धति की कौन सी कमी?

बड़े भाईसाहब' पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य किया है उनके अनुसार वर्तमान शिक्षा प्रणाली में रटंत विद्या पर बल दिया जाता है, व्यावहारिक ज्ञान पर नहीं । अंग्रेजी भाषा पढ़ने पर बहुत अधिक बल दिया जाता है जबकि मातृभाषा हिंदी है । इसके अतिरिक्त अलजबरा और ज्योमेट्री के तर्क उनकी समझ से परे थे ।

इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किनतौर तरीकों पर व्यंग्य किया है क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?

बड़े भाई साहब ने समूची शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि ये शिक्षा अंग्रेजी बोलने, लिखने, पढ़ने पर ज़ोर देती है। आए या न आए पर उस पर बल दिया जाता है। रटने की प्रणाली पर भी ज़ोर है। अर्थ समझ में आए न आए पर रटकर बच्चा विषय में पास हो जाता है।

२ लेखक बड़े भाई पर क्या व्यंग्य करना चाहता है?

[Imp.] लेखक का बड़ा भाई चाहता था कि लेखक खेलकूद, मटरगस्ती करना बंद करके अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दे। इसके लिए वह लेखक को खूब डाँटता-फटकारता, परंतु लेखक खेलकूद का मोह नहीं त्याग पाता था। वह मौका मिलते ही मैदान में होता था।

शिक्षा को लेकर बड़े भाई साहब का क्या मतलब था?

शिक्षा को लेकर बड़े भाई साहब का मत था, कि असली शिक्षा जिंदगी के अनुभवों से मिलती है, किताबों से नही। बड़े भाई साहब का मानना था, जो व्यक्ति अपने जीवन मेंं जो अनुभव प्राप्त करता है, उन अनुभवों से ही वह जीवन की समझ सीखता है। ये अनुभव ही उसे जीवन में असली शिक्षा देते हैं।

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