क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला॥
ईस जगत सराऐ में,
मुसाफीर रहना दो दिन का,
क्यों विर्था करे गुमान,
माया धन काया जोबन का,
नहि है भरोसा पल का,
जग माटी का ढेला,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
वो कहाँ गऐ बलवान,
तीन पग धरती तोलणियाँ,
जिनकी पड़ती धाक नहि,
कोई शामें बोलणियाँ,
निर्भय डोलणियाँ नर,
गया वो अकेला,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो
दिन का मेला ॥
तू छोड़ सके ना बंदे,
माया गिणी गिणाई ने,
गढ कोटा की निव छोड या चिणी चिणाई ने,
मिनी तो मनाई बन्दा यही छोड़ जाये गा
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
ईस काया का है भाग,
भाग बिन पाया नहीं जाता,
कर्मा बिना नसिब तोड़,
फल खाया नई जाता,
कहे सत्य नाम जग ये,
झूठा झमेला,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
दो दिन का जगत मे मेला,
सब चला चली का खेला।।
कोई चला गया कोई जावे,
कोई गठरी बाँध सिधारे,
कोई खड़ा तैयार अकेला,
कोई खड़ा तैयार अकेला,
सब
चला चली का खेला।।
कर पाप कपट छल माया,
धन लाख करोड़ु कमाया,
संग चले ना एक आढेला,
संग चले ना एक आढेला,
सब चला चली का खेला।।
सूत नारी मात पित भाई,
कोई अंत सहायक नही,
फिर क्यो भरता पाप का ढेला,
फिर क्यो भरता पाप का ढेला,
सब चला चली का खेला।।
ये तो है नश्वर सब संसारा,
करले भजन इश् का प्यारा,
ब्रह्मानंद कहे सुन चेला,
ब्रह्मानंद कहे सुन चेला,
सब चला चली का खेला।।
दो दिन का जगत मे मेला,
सब चला चली का खेला।।
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