हनुमान जी की शादी कौन से हुई थी? - hanumaan jee kee shaadee kaun se huee thee?

Hanuman Jayanti 2022 : मान्यता है कि पवनपुत्र हनुमान ऐसे देवता हैं जो अमर हैं। हनुमानजी ने अपना सारा जीवन प्रभु राम की भक्ति में ही समर्पित कर दिया था। हनुमान जी के जीवन के बारे में हम में से अधिकतर लोगों ने पढ़ा या सुना तो होगा ही। ये हम सभी जानते हैं की हनुमान जी ने जिंदगी भर के लिए बाल ब्रह्मचारी का पालन किया था।लेकिन आपने किसी ग्रंथ में शायद ही उनकी शादी से जुड़ा कोई किस्सा पढ़ा हो। हनुमान जी की शादी का जिक्र पराशर संहिता में मिलता है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हनुमानजी अपनी पत्नी के साथ स्थापित हैं। हनुमान जयंती के मौके पर आज हम आपको इस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

सूर्य देव से शिक्षा हासिल करने पहुंचे हनुमानजी
मंदिर के बारे में जानने से पहले हनुमान जी की शादी से जुड़ी कथा के बारे में जानते हैं। पराशर संहिता के अनुसार, हनुमान जी सूर्य देव के पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए गए थे। हनुमान जी के गुरु सूर्य देव के पास 9 विद्याएं थी। जिनका ज्ञान हनुमान जी जानना चाहते थे। पांच विद्याएं तो हनुमानजी सिख चुके थे। लेकिन बाकी की चार विद्याओं के लिए हनुमानजी के शादीशुदा होना बेहद जरूरी था। हनुमान जी सारी विद्याओं का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे। इस समस्या का समाधान सूर्य देव ने निकाला और हनुमानजी को शादी करने के सुझाव दिया। सूर्य देव के इस प्रस्ताव पर पहले तो हनुमान जी राजी नहीं हुए। लेकिन बाद में उन्होंने हां कर दिया।

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ऐसे हुई थी हनुमान जी की शादी
इसके बाद सूर्य देव ने अपनी तपस्वी बेटी सुवर्चला के साथ शादी करने के प्रस्ताव हनुमानजी के सामने रखा। उन्होंने कहा की सुवर्चला से शादी करने के बाद भी वह ब्रह्मचारी ही रहेंगे। क्योंकि, शादी के बाद वह फिर से तपस्या में लीन हो जाएंगी।इसके बाद हनुमान जी ने सुर्वचला के साथ शादी कर ली और इस तरह उन्होंने शादी के बाद अपनी पूर्ण शिक्षा हासिल की और ब्रह्मचारी का पालन भी किया। इसके बाद सुर्वचला हमेशा के लिए अपनी तपस्या में लीन हो गई। इस तरह हनुमान जी शादीशुदा होने के बाद भी ब्रह्मचारी बने रहे।

तेलंगाना में स्थिति है ये खास मंदिर
हनुमान जी के विवाह के बारे में शायद ही ज्यादा लोगों को मालूम हो लेकिन, तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान जी और उनकी पत्नी सुर्वचला की पूजा की जाती है। इस मंदिर के बारे में खास मान्यता है की यहां जो भी पति पत्नी पूजा करता है उनका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है। इस मंदिर में ज्येष्ठ शुद्ध दशमी के दिन माता सुवर्चला और हनुमान जी की शादी का उत्सव मनाया जाता है।

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क्या आपको हनुमान जी की शादी के बारे में पता है? तेलंगाना के मंदिर में पत्नी के साथ हैं विराजमान

हनुमान चालीसा के पाठ से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं. Image- Shutterstock

Lord Hanuman: तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है जहां हनुमान जी गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चल ...अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 28, 2021, 11:07 IST

    Lord Hanuman: हनुमान जी (Hanuman Ji) अपने भक्तों पर आने वाले तमाम तरह के कष्टों और परेशानियों को दूर करते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं. उनकी पूजा पाठ में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती. मंगलवार (Tuesday) को उनकी पूजा के बाद अमृतवाणी और श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने से बजरंगबली खुश होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. ये तो सबको पता है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और उनका विवाह नहीं हुआ था लेकिन क्या आप जानते हैं कि पराशर संहिता में मिलने वाली कथा के अनुसार हनुमान जी का विवाह हुआ था लेकिन फिर भी वह हमेशा ब्रह्मचारी ही रहे. दरअसल, हनुमान जी ने विशेष परिस्थिति के कारण यह विवाह किया था. आपको बता दें कि तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है जहां हनुमान जी गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है. आइए आपको बताते हैं कि हनुमान जी का विवाह की कथा के बारे में.

    पराशर ऋषि द्वारा कही गई कथा के अनुसार हनुमान जी ने सूर्य देवता को अपना गुरु बनाया था और उन्होंने सूर्य देव से 9 विद्याएं प्राप्त करने का निश्चय किया था. सूर्य देवता ने 9 प्रमुख विद्याओं में से हनुमान जी को 5 विद्याएं सिखा दीं लेकिन बाकी 4 विद्याओं को सिखाने के समय एक बाधा उत्पन्न हो गई थी. हनुमान जी ने विवाह नहीं किया था और उन विद्याओं को सीखने के लिए विवाहित होना जरूरी था. तब हनुमानजी जी के गुरु सूर्य देव ने उनसे विवाह करने को कहा था. अपने गुरु की आज्ञा से हनुमान जी ने विवाह करने का निश्चय किया. हनुमान जी से किस कन्या का विवाह किया जाए, अब ये समस्या सामने आई. तब सूर्य देव ने अपनी ही परम तेजस्वी पुत्री सुवर्चला से हनुमान को शादी करने का प्रस्ताव दिया था.

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    इसके बाद हनुमान जी और सुवर्चला का विवाह संपन्न हुआ. सुवर्चला परम तपस्वी थी. विवाह के बाद सुवर्चला सदा के लिए तपस्या में लीन हो गई तो वहीं हनुमान जी भी अपनी बाकी चार विद्याओं के ज्ञान को प्राप्त करने में लग गए. इस प्रकार विवाहित होने के बाद भी हनुमान जी का ब्रह्मचर्य व्रत नहीं टूटा. आज भी तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है जहां हनुमान जी गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है. यहां दर्शन करने से शादीशुदा जिंदगी की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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    Tags: Lord Hanuman, Religion, धर्म

    FIRST PUBLISHED : September 28, 2021, 06:39 IST

    हनुमान जी की शादी किससे हुई और कब हुई?

    उन्होंने कहा की सुवर्चला से शादी करने के बाद भी वह ब्रह्मचारी ही रहेंगे। क्योंकि, शादी के बाद वह फिर से तपस्या में लीन हो जाएंगी। इसके बाद हनुमान जी ने सुर्वचला के साथ शादी कर ली और इस तरह उन्होंने शादी के बाद अपनी पूर्ण शिक्षा हासिल की और ब्रह्मचारी का पालन भी किया।

    हनुमान जी की कितनी बार शादी हुई है?

    आइए जानते हैं हनुमान जी के तीन विवाह के बारे में- सूर्य की पुत्री सुवर्चला के साथ विवाह: सूर्य की पुत्री सुवर्चला और हनुमान जी के विवाह का उल्लेख पराशर संहिता में मिलता है. पराशर संहिता में उल्लेख किया गया है कि हनुमान जी सूर्य देवता के शिष्य थे.

    हनुमान जी को शादी क्यों करनी पड़ी?

    4 विद्याओं की प्राप्ति के लिए करनी पड़ी थी बजरंबली को शादी इन सभी विद्याओं की प्राप्ति के लिए हनुमानजी ने सूर्य को गुरु बनाया था। सूर्य देव ने इन 9 में से 5 विद्याओं का ज्ञान तो हनुमानजी को दे दिया, लेकिन 4 विद्याएं वह उन्हें नहीं दे पा रहे थे क्योंकि ये चार विधाएं सिर्फ उन्हीं को प्राप्त हो सकती थीं जो विवाहित हों।

    हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई?

    उसी समय ग्रामदेवी की भेंट पवनपुत्र से हुई। उन्‍होंने पहचान लिया कि यह तो श्रीराम के सेवक है। इसके बाद ग्रामदेवी हनुमानजी के गले में बैठ गई जिससे हनुमानजी का गला प्यास से सूखने लगा। पवनपुत्र ने जलपान किया और जल ग्रहण करते ही उनके पूरे शरीर में विष फैल गया और उन्‍होंने अपने प्राण त्‍याग दिए।

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