एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग की स्थापना कब हुई थी - eshiya prashaant aarthik sahayog kee sthaapana kab huee thee

संक्षेपाक्षरों की सूची

एबीएसी एपेक व्यापार सलाहकार परिषद्

एडीओसी एपेक डिजिटल सुविधा केंद्र

एएसईएएन दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ

डीडीए दोहा विकास कार्यसूची

ईडब्ल्यूजी ऊर्जा कार्य दल

एफटीएएपी -एशिया-प्रशांतका मुक्त व्यापार क्षेत्र

आईएफएपी निवेश सुविधा कार्य योजना

आईपीआर बौद्धिक संपदा अधिकार

एनटीबी  - टैरिफ–इतर  प्रतिबंध

ओएए - ओसाका कार्यसूची

आरसीईपी -क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी

एससीसीपी–सीमाशुल्क और प्रक्रिया उप-समिति

एसएमई छोटे और मंझोले उद्यम

टीपीपी  - परा-प्रशांत भागीदारी

डब्ल्यूटीओ विश्वव्यापार संगठन

परिचय

एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग(एपेक)के, जो एक क्षेत्रीय आर्थिक समूह है और जिसका गठन 1989 में हुआ था, अस्तित्व में आए ढाई दशक से अधिक का समय  बीत चुका है। इसने विविध देशों को एक मंच पर लाया है। सदस्य देशों की सूची से यह स्पष्ट हो जाता है जिसमें चिली, मैक्सिको और पेरू जैसे महत्वपूर्ण लैटिन अमेरिकी देशों के साथ चीनी ताइपे (ताइवान), हांगकांग, अमेरिका और चीन भी है। इस संगठन का विस्तार इस तथ्य से प्रदर्शित होता है कि इसके 21 सदस्य देश एशिया और प्रशांत क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्ष 1998 में रूस, वियतनाम और पेरू को एपेक में शामिल किया गया और उसके बाद नई सदस्यता पर रोक लगा दी गई जिसे 2010 में हटा लिया गया, लेकिन नए सदस्यों को शामिल करने पर रोक लगी रही।

एपेक अर्थव्यवस्थाएं पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हैं, जिनमें विश्व की जनसंख्या का 43 प्रतिशत, विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 57 प्रतिशत और विश्व व्यापार का 47 प्रतिशत है। मार्च 2015 में आयोजित वरिष्ठ अधिकारियों की संयुक्त बैठक में फिलीपींस द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद कि भारत को समूह में शामिल किया जा सकता है, भारत की अपेक्षाएं बढ़ गईं । भारत को संगठन की पिछली बैठकों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया लेकिन इसके सदस्यता के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया । अमेरिका ने 2011 में भारत को उस उस फोरम का सदस्य बनाए जाने की बात  का समर्थन किया जिसे जनवरी 2015 में राष्ट्रपति ओबामा के भारत के दौरे के समय पुन: दोहराया गया ।

चित्र 1-एपेक  क्षेत्र

तालिका 1 :एपेक सदस्य अर्थव्यवस्थाएं

संख्या

देश

शामिल होने की तारीख

1

ऑस्ट्रेलिया

6-7 नवंबर 1989

2

ब्रुनेई दारुस्सलाम

6-7 नवंबर 1989

3

कनाडा

6-7 नवंबर 1989

4

चिली

11-12 नवंबर 1994

5

चीनी जनवादी गणराज्य

12-14 नवंबर 1991

6

हांगकांग, चीन

12-14 नवंबर 1991

7

इंडोनेशिया

6-7 नवंबर 1989

8

जापान

6-7 नवंबर 1989

9

कोरिया गणराज्य

6-7 नवंबर 1989

10

मलेशिया

6-7 नवंबर 1989

11

मेक्सिको

17-19 नवंबर 1993

12

न्यूजीलैंड

6-7 नवंबर 1989

13

पापुआ न्यू गिनी

17-19 नवंबर 1993

14

पेरू

14-15 नवंबर 1998

15

फिलीपींस

6-7 नवंबर 1989

16

रूस

14-15 नवंबर 1998

17

सिंगापुर

6-7 नवंबर 1989

18

चीनी ताइपी

12-14 नवंबर 1991

19

थाईलैंड

6-7 नवंबर 1989

20

संयुक्त राज्यअमेरिका

6-7 नवंबर 1989

21

वियतनाम

14-15 नवंबर 1998

स्रोत: APEC आधिकारिक वेबसाइट //www.apec.org/About-Us/About-APEC/Member-Economies.aspx

एपेक की प्रासंगिकता

एपेकसंरचना में "नीचे-ऊपर" और "ऊपर-नीचे" दोनों दृष्टिकोण निहित हैं। इसकी चार मुख्य समितियां अपने संबंधित कार्य दल के साथ एपेक नेताओं और मंत्रियों को कार्यनीतिक नीतिगत सिफारिशें  करती हैं, जो  लक्ष्यों और पहल के परिप्रेक्ष्य में प्रतिवर्ष नीति निर्धारित करते हैं l   कार्य दल  को तब एपेक  वित्तपोषित परियोजनाओं में इन पहल को कार्यान्वित करने का काम सौंपा जाता है।सदस्यगण  भी एपेककी क्षमता निर्माण परियोजनाओं की सहायता से एपेक की पहल पर व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से कार्रवाई  करते हैं l3

एपेक व्यापार सलाहकार परिषद् (एबीएसी) के तहत निजी क्षेत्र के साथ नियमित रूप से बातचीत किया जाना भी सदस्य देशों के लिए परामर्श का एक अनूठा मंच साबित हुआ है जिससे उनको स्पष्ट लाभ मिलता है । ऐसे समय में जब दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ(एएसईएएन) के आर्थिक समुदाय, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी ) जैसे क्षेत्र-विशिष्ट आर्थिक संगठन आकार ले रहे हैं और परा-प्रशांत भागीदारी (टीपीपी) जैसे नए संगठन नए व्यापार मानदंड परिभाषित कर रहे हैं, वहां एक परा-क्षेत्रीय मंच एपेक की प्रासंगिकता बढ़ जाती है। अपनी गतिविधियों से परे: मूर्त आस्तियों से लेकर बौद्धिक संपदा तक  निवेश करने के प्रति दृढ़ अंतरराष्ट्रीय सहमति हुई है lइस तरह के निवेश से आर्थिक उत्पादकता बढ़ती है, रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलता  है, आय सृजन को बढ़ावा मिलता है, व्यापार का प्रबंधन होता है और अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकियों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के संचालन में मदद मिलती है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को समान रूप से आर्थिक विकास को समर्थन मिलता है। एपेक की सदस्य अर्थव्यवस्थाएं निवेश के महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ को पहचानती हैं और निवेश को बढ़ावा देने एवं  सीमा पार निवेश प्रवाह को सुविधाजनक बनाने में सक्रिय रही हैं। किसी देश के भीतर निवेश के माहौल को सुगम बनाने के लिए कार्य-निवेश के लिए सबसे अधिक सहायक वातावरण के निर्माण के लिए सम्मिलित  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासकी आवश्यकता होती है4

एपेक ने 1994 में गैर-बाध्यकारी निवेश सिद्धांतों  को अपनाने के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है l उन्हें निवेश व्यवस्था में सुधार लाने तथा उसे और आगे बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है और उनमें सहूलियत के लिए किए जाने वाले उपाय भी शामिल हैं। इस क्षेत्र में एपेक  के काम को सुदृढ़ करने के लिए, 2007 में सिडनी मे  एपेक के नेतागण एपेक सदस्य अर्थव्यवस्थाओं में निवेश को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक निवेश सुविधा कार्य योजना (आईएफएपी) बनाने  के लिए सहमत हुए। एपेक सदस्य अर्थव्यवस्थाओं द्वारा निवेश के लिए वातावरण का निर्माण करने में किए जानेवाले व्यापक प्रयास में प्रभावी निवेश सुगमता का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।5

इसके अतिरिक्त,  एपेक देशों के भीतर और वैश्विक व्यापार के संबंध में रुझान उत्साहजनक हैं। एपेक सदस्यों द्वारा दुनिया को निर्यात की जाने वाली वस्तुएं और सेवाएं 1992 के 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2013 में 10.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हो गईं। इसी प्रकार, एपेक सदस्यों द्वारा आयातित सामान और सेवाएं  2.0 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 11.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की  हो गईं l एपेक अर्थव्यवस्थाओं के बीच अंतर-क्षेत्रीय व्यापार,   निर्यातऔर आयात  मजबूत हुआ है, जो 1992 से क्रमशः 8.0 प्रतिशत प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। वर्ष 2013 में, अंतर-क्षेत्रीय व्यापार-निर्यात, एपेक के कुल व्यापार का 68.8 प्रतिशत था जबकि अंतर-क्षेत्रीय व्यापार- आयात 64.7 प्रतिशत थाl6वर्ष 2000- 2010 के दौरान एपेक अर्थव्यवस्थाओं में 4.8 ट्रिलियन अमेरिकीडॉलर का विदेशी निवेश आया, जो प्रत्येक एपेक नागरिक के लिए प्रतिवर्ष औसतन 179 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति के बराबर था। हालांकि, इन निधियों में से केवल 40 प्रतिशत अंतर-एपेक  निवेश थे।7एपेक  क्षेत्र के भीतर व्यापार, व्यवसाय और निवेश की सुविधा के अलावा, इस मंच के अन्य फायदे भी हैं।

क्षेत्रीय आर्थिक मंच से लाभ

इस मंच के प्राथमिक लाभ में से एक यह है कि यह अधिक स्वैच्छिक भागीदारी है और इसमें प्रत्येक प्रक्रिया को उचित चर्चा के बाद ही लागू किया गया है। एपेक,  क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के समन्वय और स्थिरता एवं  सामाजिक इक्विटी की समस्या को दूर करने का प्रयत्न करते हुए व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए कई तरह की पहल करता है। एपेक  द्वारा की गई कुछ पहल,जिसके द्वारा सदस्य अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार और निवेश की सुविधा प्रदान की गई है, इस प्रकार हैं: -

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और व्यापार को बढ़ावा देना

वर्ष 1989 के बाद से, क्षेत्रीय एकीकरण को सुविधाजनक बनाने में एपेक की भूमिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक साबित हुई है।8 उदाहरण के लिए, सदस्यों के बीच व्यापार बाधाओं को कम करने, मानकों और नियमों में सामंजस्य स्थापित करने,9और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने से माल को सीमा पार ले जाने में काफी आसानी हुई  है। वर्ष 1994 में, एपेक के नेताओं ने मुक्त और खुले व्यापार का 'बोगोर गोल्स प्राप्त करने,  और 2020 तक क्षेत्र में व्यापार बाधाओं को कम करके और एपेक अर्थव्यवस्थाओं के बीच माल, सेवाओं और पूंजी के मुक्त प्रवाह को बढ़ावा देकर निवेश का लक्ष्य प्राप्त करने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की। तब से, सदस्य देशों  ने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में औसत दर्जे की प्रगति की है।10वर्ष 1995 में,  इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एपेक कार्य हेतु  एक खाका प्रदान करने के लिए ओसाका एक्शन एजेंडा (ओएए) शुरू किया गया । वर्ष 2005 में, एपेक के नेताओं  ने विश्व  के बदलते परिवेश के परिप्रेक्ष्य में प्रगति में तेजी लाने के लिए एपेक द्वारा अपेक्षित महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए बुसान रोडमैप का समर्थन  कियाl  हनोई कार्य योजना का उद्देश्य बुसान रोडमैप को लागू करने में मदद करने के लिए विशिष्ट कार्यों को पूरा करना है।11 हनोई कार्य योजना के बुनियादी  सिद्धांत कार्यनीतिक (प्रत्यक्ष और वास्तविक महत्व) हैं, जो विभिन्न क्रिया क्षेत्रों की निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बहु-वार्षिक आधार पर निर्धारित किए गए हैं, ठोस और वास्तविक परिणाम देने के लिए कार्योन्मुख हैं, व्यावहारिक और यथार्थवादी रूप में डिजाइन और कार्यान्वित किए गए हैं,  विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए विभेदित समय के साथ निदर्शी  समय सीमा में कार्य करते हैंl12

एपेक ने अपनी कार्यसूची के एक मद  के रूप में व्यापार सुविधा पर जोर दिया है। व्यापार सुगमता का तात्पर्य सीमा शुल्क और उन अन्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं के सरलीकरण और युक्तिकरण से है जिनसे माल के अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार जाने में बाधा उत्पन्न होती है या माल की लागत में वृद्धि होती है।13 एपेक की व्यापार सुविधाकरण कार्य योजना, जिसमें सीमा शुल्क प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना शामिल है, 2004 से 2006 के बीच सीमा पर लागत में 5 प्रतिशत की क्षेत्रवार कमी के लक्ष्य तक पहुँच गई। 2007 और 2010 के बीच इसमें 5 प्रतिशत की और कमी हुई, जिससे  एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यवसाय में  कुल 58.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत हुईl14

एक आर्थिक मंच के रूप में एपेक की कुछ उपलब्धियाँ जून 2005 में  व्यापार के लिए जिम्मेदार एपेक मंत्रियों का सफल समझौता होना है जिसमें गैर-कृषि वस्तुओं पर टैरिफ में कटौती के लिए स्विस फार्मूले का समर्थन किया गया और नवंबर 2005 में एपेक आर्थिक नेताओं का दोहा विकास एजेंडा(डीडीए) पर एक सशक्त राजनीतिक  बयान देना है जिसमें,  अन्य बातों के साथ-साथ, कृषि वार्ता पर गतिरोध को भंग करने का आग्रह किया गया; और 2006 में व्यापार के लिए जिम्मेदार मंत्रियों द्वारा दोहा विकास एजेंडा पर बयान देना है जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि, अन्य बातों के साथ-साथ  कृषि और गैर-कृषि बाजार तक  पहुंच में एक सशक्त परिणामडीडीए के सफल समापन की एक पूर्व शर्त है और इसलिए एपेक अर्थव्यवस्थाओं ने वार्ता  को  एक महत्वाकांक्षी और संतुलित परिणाम के साथ समाप्त करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का आह्वान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त कीl15

व्यापार सुगमता संबंधी मुद्दों से निपटने और औपचारिक विश्व व्यापार संगठन एजेंडे से परे व्यापार एवं निवेश के लिए गैर-सीमा अवरोधों से निपटने में एपेक के प्रभावशाली रिकॉर्ड के परिणामस्वरूप इन मुद्दों में से कुछ को वैश्विक व्यापार वार्ता एजेंडा में रखा  गया है। इसने विश्व व्यापार संगठन के  सूचना प्रौद्योगिकी समझौता  जैसे विचारों और कार्यक्रमों को भी बढ़ावा दिया हैl16कालांतर में  एपेक के  एजेंडे का विस्तार किया गया और उसमें नियामक प्रथाओं और स्थानीय व्यापार परिवेश में सुधार लाने जैसे सीमा-अवरोधों को दूर करने पर ध्यान केन्द्रित किया गयाl17व्यापार सुविधा योजना-I की उपलब्धियां निम्नलिखित हैं: -

  1. 1. सीमा शुल्क प्रक्रिया
  • ऑनलाइन सीमा सेवाओं की जानकारी दर्ज करने सहित वेबसाइटों पर शीघ्र जानकारी

उपलब्ध कराना l

  • शुल्क, सीमा शुल्क और व्यापार से संबंधित दस्तावेज़ प्रसंस्करण सहित सभी सदस्य

अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किसी रूप में इलेक्ट्रॉनिक/पेपरलेस व्यवस्था लागू करना l

  1. 2. मानक और अनुरूपता
  • सदस्य अर्थव्यवस्थाओं द्वारा विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, खाद्य लेबलिंग,

मशीनरी और सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों की सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय

मानकों के अनुरूप राष्ट्रीय मानकबनाना ।

  1. 3. व्यापार गतिशीलता
  • टीएफएपी-I के समापन पर, 17 अर्थव्यवस्थाएँ एपेक व्यवसाय यात्रा कार्ड योजना में

भाग ले रही थीं।

  • अलग-अलग अर्थव्यवस्थाओं ने भागीदारों को वीजा मे छूट दिए जानेकी सूचना दी।
  1. 4. -कॉमर्स
  • सीमा शुल्क अनापत्ति और वित्तीय निपटान पर प्रलेखन सहित व्यापारिक लेनदेन

से संबंधित कागजी प्रलेखन को कम करने के लिए एक कार्य योजना लागू करनाl

  • गोपनीयता के मुद्दों पर एपेक अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसाय को मार्गदर्शन और दिशा

निर्देश प्रदान करने के लिए एपेक ई-कॉमर्स डेटा गोपनीयता ढांचे का विकास।18

प्रथम व्यापार सुविधा योजना के तहत इन उपलब्धियों के परिणामस्वरूप,  2005 में बुसान में द्वितीय व्यापार सुविधा योजना की परिकल्पना की गई , और 2010 में इसे अपनाया गया। टीएफएपी-II के तहत, व्यापार संबंधी मुद्दों  का हल ढूँढ़ने में अर्थव्यवस्थाओं द्वारा  सामूहिक रूप से कार्य किए जाने पर व्यापारी समुदाय को होने वाले लाभ को देखते हुए, सदस्य अर्थव्यवस्थाएं इस बात पर सहमत हुईं कि टीएफएपी-II में सामूहिक रूप से कार्य करने पर और अन्वेषकों पर अधिक जोर दिया जाएगाl जो अर्थव्यवस्थाएं पहल करने और सहयोगी क्रियाकलाप या उपाय करने के लिए तैयार हैं, उन्हें वैसा करने की अनुमति अन्वेषक देगा और जो अर्थव्यवस्थाएं अभी सहभागिता करने के लिए तैयार नहीं है, वे किसी बाद की तारीख़ को इसमें शामिल हो सकती हैंlएपेक ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि इस नई योजना में एपेक में की जा रही अन्य व्यावसायिक सुविधा गतिविधियों का भी उल्लेख होना चाहिए। इनमें घरेलू नियामक सुधार, व्यावसायिक नैतिकता और सुरक्षित व्यापार के क्षेत्र में किए गए कार्य शामिल हैं। व्यापार लेनदेन की लागत में और पांच प्रतिशत की कमी की मांग के अलावा, इसने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), भ्रष्टाचार-निरोध, निवेश और सुरक्षित व्यापार के क्षेत्रों में नई पहल करने का आह्वान किया।इस योजना में व्यवसाय सुविधा एजेंडा के कार्यान्वयन में हुई प्रगति के व्यापक निरीक्षण का प्रावधान किया गया हैl19

व्यापार के लिए आसान प्रक्रिया

एपेक ने इस क्षेत्र में व्यापार करना सस्ता, आसान और तेज बनाने के लक्ष्य के साथ 2009 में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ कार्य योजना  शुरू की । वर्ष 2009 और 2013 के बीच, सदस्य अर्थव्यवस्थाओं ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 11.3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हासिल की जिसमें कारोबार शुरू करना, ऋण प्राप्त करना या परमिट के लिए आवेदन करना शामिल है। उदाहरण के लिए, एपेक  ने किसी  कंपनी के लिए नया कारखाना या कार्यालय भवन बनाने में लगने वाले समय को कम  कर दिया है। आज, निर्माण परमिट तेज गति से जारी किए जाते हैं;  पिछले कुछ वर्षों में परमिट जारी करने  का समय 169 दिनों से  घटकर 134 दिन रह गया है और इसमें 18.7 प्रतिशत की कमी हुई है l इस तरह  विश्व में सबसे कम समय में परमिट जारी करने वालों में एपेक का नाम शीर्ष पर है l  वर्ष 2009 से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में किसी कंपनी को शुरू करने की  प्रक्रिया की संख्या में 20.2 प्रतिशत की कमी हुई हैl20

सीमा पर, एपेक अर्थव्यवस्थाओं ने निर्यात-आयात प्रक्रियाओं को ऑनलाइन केंद्रीकृत किया है, जिससे माल को सीमाओं के पार ले जाने में लगने वाले समय में कमी आई है। एकल  खिड़की  के रूप में व्यापक रूप से जाना जाने वाला, यह वर्चुअल सिस्टम निर्यात-आयात प्रक्रिया में शामिल सभी सरकारी एजेंसियों को जोड़ता है, जिससे कंपनियां कहीं से भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकती हैं। वे दिन लद गए जब बेशुमार फ़ार्म का उपयोग करना होता था , लम्बी कतारें लगती थीं, कई एजेंसियों के पास जाना पड़ता था और तबतक गोदाम में माल नष्ट हो जाते थे l  वर्ष  2007 में एपेक की सीमा -शुल्क एवं प्रक्रिया उप समिति (एससीसीपी) द्वारा एकल खिड़की की शुरुआत किए जाने पर एपेक क्षमता निर्माण कार्यशालाओं में साफ्टवेयर कोडिंग या कानूनी मुद्दों पर प्रशिक्षण दिया गया जिससे एपेक के सदस्यों को अपनी एकल खिड़की प्रणाली लागू करने में मदद मिली l वर्ष 2013 तक 14 एपेक अर्थव्यवस्थाओं ने एकल खिड़की प्रणाली के विभिन्न चरणों को अपनाया और लक्ष्य यह है कि 2020 तक  इसके सभी 21सदस्य इस प्रणाली को अपना लेंl21

संरचनात्मक सुधार

व्यापार के पीछे की सीमा बाधाओं का पता लगाने के लिए, एपेक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नियामक सुधार, कॉर्पोरेट प्रशासन, सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार करके और कानूनी नेटवर्क को मजबूत करके पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा और बेहतर कामकाजी बाजारों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। वर्ष 2004 से, एपेक ने पूरे क्षेत्र में अनुमानित और पारदर्शी विनियामक प्रथाओं का समर्थन किया है। उदाहरण के लिए, एपेक सदस्यों ने नए सरकारी कानूनों को सार्वजनिक रूप से संप्रेषित करने और उनकी लागत एवं लाभ का समुचित मूल्यांकन करने के क्षेत्र में काफी प्रगति की हैl इससे व्यवसायियों और उद्योगपतियों में भी जागरूकता बढ़ी है।22

क्षेत्रीय संयोजकता को बढ़ावा देना

एपेक,एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भौतिक अवसंरचना लिंकेज, लोगों की गतिशीलता और संस्थागत संबंधों में सुधार के जरिए पूरे क्षेत्र में संयोजकता को बढ़ावा दे रहा है। एपेक संयोजकता खाका में सूचना प्रौद्योगिकी और परिवहन अवसंरचना में सुधार की पहल की गई है जिससे छात्रों, व्यवसायी और पर्यटकों को इस क्षेत्र की यात्रा में सुविधा होती है।23

व्यापार यात्रा कार्ड

एपेक ने व्यापार से जुड़े लोगों के लिए यात्रा करने की प्रक्रिया को आसान बनाकर, लोगों को काफी आसानी से अपना व्यवसाय, व्यापार और निवेश का संचालन करने में सक्षम बनाया है। 160,000 से अधिक यात्रियों ने एपेक व्यापार यात्रा कार्ड का उपयोग किया है, जिसमें पूर्व-अनुमोदित अक्सर व्यापार के लिए यात्रा करने वाले लोगों को वीज़ा और फास्ट-ट्रैक प्रवेश की अनुमति मिलती है। क्षेत्र में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विशेष एपेक लेन के माध्यम से ऐसाकिया जाता है। एपेक के 21 सदस्यों में से 19 ने इस योजना का समर्थन किया है और इसमें भाग लिया है तथा संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा ने परिवर्ती सदस्य के रूप इसका समर्थन किया हैl

आपूर्ति श्रृंखला संयोजकता

एपेक,  पुर्जों और तैयार माल के कई सीमाओं के पार ले जाने में सहायता के रूप में लॉजिस्टिक्स एवं  ट्रांसपोर्ट नेटवर्क में सुधार कर रहा है और इस प्रकार अधिक कुशल क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला में योगदान कर रहा है। दक्षता विकसित करने के लिए, एपेक 2015 तक समय, लागत और अनिश्चितता के संदर्भ में आपूर्ति श्रृंखला निष्पादन  में एपेक-व्यापी 10 प्रतिशत सुधार के लक्ष्य के साथ सीमा शुल्क प्रक्रियाओं और बुनियादी ढांचे की नियामक बाधाओं में से आठ' बाधाओं को  दूर करने का प्रयत्न  कर रहा है। एपेक ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति की है। उदाहरण के लिए, 2009 और 2013 के बीच, एपेक पॉलिसी सपोर्ट यूनिट के आकलन के अनुसार, क्षेत्र में आयात  का प्रमुख समय औसतन 25 प्रतिशत घट गया, जबकि निर्यात का प्रमुख समय 21 प्रतिशत तक घटा।24

पर्यावरण सामग्री सूची

एक ऐतिहासिक समझौते में, एपेक ने पर्यावरणीय वस्तुओं पर टैरिफ को कम करके पूरे क्षेत्र में स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और हरियाली के विकास को प्रोत्साहित किया है। 2012 में, रूस के व्लादिवोस्तोक में,एपेक के नेताओं ने 2015 के अंत तक 54 पर्यावरणीय वस्तुओं पर लागू टैरिफ को घटाकर पांच प्रतिशत या उससे कम करने पर सहमति जताई। सोलर पैनल से लेकर पवन टर्बाइन तक एपेक सूची के 54 उत्पाद विश्व व्यापार में लगभग 600 बिलियन अमरीकी डालर के है। एपेक सदस्य अर्थव्यवस्थाएं वर्तमान में सूची को कार्यान्वित करने के लिए कार्रवाई कर रही हैं।25

ऊर्जा दक्षता बढ़ाना और नवीकरण

वर्ष 2011 में, सदस्य अर्थव्यवस्थाएं 2030 तक क्षेत्र में ऊर्जा की तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने के लिए दृढ़तापूर्वक प्रतिबद्ध थीं । 2014 में, सदस्यों ने बिजली उत्पादन सहित एपेक के ऊर्जा मिश्र में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को दोगुना करने की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की। सदस्यगण अप्रभावी जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने और चरणबद्ध तरीके से बंद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो बेकार की खपत को बढ़ावा देता है । एपेक ऊर्जा कार्य दल की कई परियोजनाएं सदस्यों को इन लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करती हैं l

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ग्रीन टाउन

यह एपेक ऊर्जा कार्य दल के तहत एक बहु-वर्षीय परियोजना द्वारा वित्तपोषित है, एपेक ने पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शहरों की श्रृंखला के लिए कम-कार्बन मॉडल टाउन प्लान विकसित करने में शहरी आयोजकों की मदद की। ये शहर सोलर पैनल से इलेक्ट्रिक वाहनों तक कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य और ऊर्जा कुशल पहल करके अपना  कार्बन फुटप्रिंट कम कर रहे हैं। एपेक परियोजनाएं स्मार्ट बिजली ग्रिड के विकास में भी सहायता करती हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत को मौजूदा संरचनाओं से मूल रूप से जोड़ने और ग्रामीण समुदाय को वितरित करने में सक्षम बनाती हैं।27

लघु व्यवसाय का पोषण

लघु और मंझोले उद्यमों (एसएमई) की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भाग लेने की उनकी क्षमता एपेक के एजेंडे के महत्वपूर्ण तत्व हैं। इन वर्षों में, एपेक  ने कई पहल शुरू की हैं, जिनसे  इस क्षेत्र में एसएमई विकास को बढ़ावा  देने  में मदद मिली है।

वर्ष 2005 में, कोरिया में एपेक एसएमई नवोन्मेष केंद्र की स्थापना की गई थी, ताकि व्यावहारिक व्यवसाय परामर्श के जरिए इस क्षेत्र में एसएमई की प्रतिस्पर्धा को बेहतर बनाने में मदद मिल सके। एपेक स्टार्ट-अप एक्सेलेरेटर नेटवर्क को 2013 में प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप को निधिकरण और प्रतिपालकों से जोड़कर उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। वर्ष 2014 में, स्टार्टअप एक्सलेरेटर ने इंटेल ग्लोबल चैलेंज और संयुक्त राज्य अमेरिका के सिलिकॉन वैली में सीमेंस न्यू वेंचर फोरम को टक्कर देने के लिए छह एशिया-प्रशांत स्टार्ट-अप को प्रायोजित किया तथा दोनों पुरस्कार और उद्यम पूंजी ब्याज पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया।28

वर्ष 2011से एपेक ने एसएमई व्यापार आचार नीति को, विशेषकर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, बढ़ाने के लिए काम किया है। वर्ष 2014 तक, एपेक की पहल के परिणामस्वरूप लगभग 60 बायोफार्मास्यूटिकल और मेडिकल डिवाइस उद्योग संघों और एशिया-प्रशांत में 19 अर्थव्यवस्थाओं की 14,000 से अधिक फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाली उनकी सदस्य कंपनियों द्वारा आचार संहिता को अपनाया गया और लागू किया गया। एसएमई भी आपदा के प्रति काफी संवेदनशील हैं और कई कंपनियां तो आपदा के बाद दिवालिया हो गईं  हैं और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर कहर बरपा रही है। एसएमई आपदा समुत्थान शक्ति  में सुधार करने के लिए, एपेक  ने 250 से अधिक क्षेत्रीय विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किया है ताकि वे आपदा के कारण विघटन को कम करने के लिए व्यवसाय को सतत जारी रखने की योजना में एसएमई की मदद कर सकेंl29

क्षेत्र में सामाजिक समदृष्टि बढ़ाना

छोटे व्यवसायों का समर्थन करने के अलावा एपेक  डिजिटल जागरूकता पैदा करने में शामिल रहा है। कमजोर ग्रामीण और शहरी समुदायों को कंप्यूटर कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 2004 में एपेक  डिजिटल अवसर केंद्र (एडीओसी ) की स्थापना की गई । सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) प्रशिक्षण देने वाले 10 एपेक अर्थव्यवस्थाओं में सौ से अधिक केंद्रों के साथ, एपेक  डिजिटल अवसर केंद्र (एडीओसी) का ध्यान  डिजिटल विभाजन को डिजिटल अवसरों में बदलने पर केंद्रित है। पिछले एक दशक में, इन केंद्रों ने पूरे एपेक  क्षेत्र में आधा मिलियन से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है जिनमें  लगभग आधी महिलाएं हैं। इस डिजिटल प्रशिक्षण को प्राप्त करने वाले कई पुरुषों और महिलाओं ने  रोजगार पाया या स्वयं का व्यवसाय शुरू किया तथा अपनी आजीविका और अपने परिवारों के लिए आय में वृद्धि की l30

इन उपलब्धियों के साथ-साथ एपेक को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

चुनौतियां

एपेक के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक क्षेत्र को एकीकृत करना और साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि सामान, सेवाएँ और लोग आसानी से सीमाओं के पार जा सकें । इसकी सदस्यता में विविधता है और आर्थिक उदारीकरण एवं शुल्क में कमी के विभिन्न चरण हैं।सदस्य देशों  को उदार व्यापार व्यवस्था अपनाने की सलाह देने का प्रयास किया गया है ताकि सीमाओं पर सीमा शुल्क प्रक्रियाओं के माध्यम से व्यापार सुगमता तेज गति से बढ़ाया जा सके। इसके अलावा, नए एजेंडा द्वारा सीमा के पीछे बेहतर कारोबारी माहौल तैयार करना और एपेक  क्षेत्र के भीतर समान नियमों और स्वीकार्य मानकों को अपनाना है । उदाहरण के लिए, विनियामक प्रणालियों को समक्रमिक बनाने की  एपेक  की पहल एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को एकीकृत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी अर्थव्यवस्थाओं में सामान्य मानकों के साथ किसी उत्पाद को अधिक आसानी से निर्यात किया जा सकता है।31 तथापि, प्रक्रियाओं और मानकों के संदर्भ में, एपेक  सदस्यों के बीच अभी भी चिरकालिक मुद्दे हैं।टीएफएपी-II के तहत, एकसमान सीमा शुल्क प्रक्रियाओं और कागज़विहीन क्रियाविधि पर जोर दिया गया है। कई देशों में, यह एक कठिन कार्य रहेगा और इसे लागू होने में लंबा समय लगेगा।

जिस दूसरे क्षेत्र में एपेक के भीतर चर्चा की जरूरत है, वह है  विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अंतर-एपेक निवेश को बढ़ावा देना। वर्ष 2000-2010 के दौरान किए गए एपेक  अध्ययन के अनुसार, 4.8  ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अंतर-एपेक  निवेश के उनसठ  प्रतिशत का प्रवाह औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में  हुआ। इससे इस बात की  पुष्टि होती है कि फर्म वहीं निवेश करते हैं जहां वे आईएफएपी के इस आधार-वाक्य को सत्यापित करते हुए लागत और जोखिम को कम कर सकते हैं कि ‘एफडीआई को आकर्षित करने और अर्थव्यवस्था की व्यापक प्रतिस्पर्धा के महत्व को उजागर करने के लिए केवल निवेश के माहौल में सुधार करना पर्याप्त नहीं है’। विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अंतर-एपेक  एफडीआई ने एक जवाबी चक्रीय प्रवृत्ति दिखाई और इन अर्थव्यवस्थाओं ने मजबूत क्षेत्रीय संयोजकता का  प्रमाण देकर अपने क्षेत्रीय समर्थन को उस समय बनाए रखा जब अन्य क्षेत्रों के  फर्मों ने इसमें रुचि दिखाई। इसलिए, निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ व्यवसाय सुगमता पर काम किया जाना चाहिए ताकि इनका तालमेल हो सके।

हालांकि, एपेक को एफटीएएपी और टीपीपी जैसे अन्य आर्थिक सहयोग और व्यापार सुविधा तंत्र से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

एफटीएएपी और टीपीपी

वर्ष 2006 में, एपेक अर्थव्यवस्थाओं ने एशिया-प्रशांत के मुक्त व्यापार क्षेत्र(एफटीएएपी)  की दीर्घकालिक संभावना की जांच करने के लिए सहमति व्यक्त की। वर्ष 2010 में, एपेक के नेताओं ने "एफटीएएपी के लिए दिशानिर्देश" जारी किए और एपेक के क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए एफटीएएपी को एक प्रमुख साधन के रूप में चिह्नित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने एवं  आसियान+3, आसियान+6 और ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी जैसे चालू क्षेत्रीय उपक्रमों का विकास करके एवं उनके आधार पर उसे  एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौता मानने का  निदेश दिया l  इस संबंध में, एपेक से यह अपेक्षित है कि वह एफटीएएपी के इनक्यूबेटर के रूप में महत्वपूर्ण और सार्थक योगदान दे।क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण की विकास प्रक्रिया में नेतृत्व और बौद्धिक इनपुट प्रदान करके एपेक,   एफटीएएपी की भविष्य की योजना को साकार करने  में महत्वपूर्ण  भूमिका निभा सकता है।एफटीएएपी को एपेक के बाहर किन्तु एपेक प्रक्रिया के समानांतर समझा जाएगा। एफटीएएपी की कार्यसिद्धि के प्रति योगदान में  एपेक को  अपना गैर-बाध्यकारी, स्वैच्छिक सहयोग सिद्धांत बनाए रखना चाहिए। एपेक अधिक एकतरफा व्यापार और निवेश उदारीकरण एवं सुधार को प्रोत्साहन देगा, एफटीएएपी के इनक्यूबेटर के रूप में अपनी  भूमिका निभाता रहेगा  और उसकी कार्यसिद्धि में  नेतृत्व एवं बौद्धिक इनपुट प्रदान करेगा ।33

दूसरी ओर, टीपीपी वार्ता अक्तूबर 2015 में संपन्न हुई और इसे डब्ल्यूटीओ प्लस व्यापार समूह के रूप में पेश किया गया जिसमें समूह के भीतर व्यापार मानदंड शामिल होंगे और जो गैर-सदस्यों के लिए हानिकारक होगा। इसे यार्न फैब्रिक नियम के एक उदाहरण के जरिए व्यक्त किया जा सकता है, जिसके तहत निर्यात के लिए वस्त्र का उत्पादन  करने वाले किसी टीपीपी सदस्य को टीपीपी क्षेत्र के भीतर निर्यात करने के लिए किसी टीपीपी देश से यार्न मंगाने की जरूरत पड़ती है l यह उस क्षेत्र को  क्षेत्रीय आपूर्ति और मांग श्रृंखला के रूप में एकीकृत करेगा। हालांकि, टीपीपी की कुछ कमियां भी हैं।अमेरिका इस प्रयास का पुरजोर समर्थन कर रहा है और उसने इसमें सशक्त  आईपीआर नियमों को शामिल किया है, जो एक तरह से घरेलू उद्योग, विशेषकर   फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग सामान के लिए हानिकारक होगा lइस तथ्य को देखते हुए कि चीन एफटीएएपी में अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है और व्यवहार्यता अध्ययन किए जा रहे हैं, भारत के लिए इस प्रक्रिया में संलग्न होना उचित होगा ताकि वह इसकी  बारीकियों को समझ सके और इस संरचना में अपने दीर्घकालिक हितों का पता लगा सके। इसके अलावा, इस प्रक्रिया के एक पर्यवेक्षक के रूप में, यह भारतीय उद्योग को भविष्य के व्यापार और निवेश मानदंडों के लिए खुद को तैयार करने में मदद करेगा। हालांकि, भविष्य के व्यापार और निवेश मानदंडों के लिए खुद को तैयार करने के लिए भारत को अपने मामले को लगातार आगे बढ़ाना होगा।

हाल ही हुए परिवर्तन

एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) के नेताओं की बैठक मनीला, फिलीपींस में 18-19 नवंबर, 2015 को आयोजित की गई l इस बैठक में, अन्य बातों के साथ-साथ, व्यापार, निवेश, संयुक्त सहयोग औरआर्थिक मुद्दों पर चर्चा हुई। पेरिस, फ्रांस में आतंकवादी हमलों के बाद, एपेक नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खतरे से लड़ने का आह्वान किया। नेताओं ने  बयान जारी करके आतंकवाद की निंदा की और आतंकवाद विरोधी प्रयास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आग्रह किया। बैठक के दौरान, इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि आर्थिक विकास में तेजी लाने और रोजगार के अवसर पैदा करने की तत्काल आवश्यकता है।नेताओं ने आगे कहा कि यह "आतंकवाद और अतिवाद  के मूल कारणों को दूर करने का सबसे शक्तिशाली साधन  है।" एपेक नेताओं की घोषणा में कहा गया है कि यह “एशिया-प्रशांत क्षेत्र में खुली अर्थव्यवस्था के निर्माण की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है जो अभिनव विकास, परस्पर विकास और साझा हितों पर आधारित है।34

हम नियमों पर आधारित, पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण, खुली और समावेशी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ... हम मौद्रिक और विनिमय दर नीतियों पर पिछली प्रतिबद्धताओं की पुष्टि करते हैं। हम प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन से बचेंगे और सभी प्रकार के संरक्षणवाद का विरोध करेंगे।

नेताओं ने कहा-“ हम 2020 तक मुक्त और खुले व्यापार और निवेश के बोगर लक्ष्यों को प्राप्त करने और एशिया-प्रशांतके मुक्त व्यापार क्षेत्र(एफटीटीएपी) के कार्यान्वयन  के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। हम अपने अधिकारियों द्वारा क्षेत्रीय व्यापार समझौते को बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का पूरक बनाने और उसे मजबूती प्रदान करने का जरिया बनाने के संबंध में किए गए कार्य की सराहना करते हैं। हम कई एपेक सदस्य देशों  द्वारा डब्ल्यूटीओ ट्रेड फैसिलिटेशन समझौते को स्वीकार करने संबंधी लिखत को प्रस्तुत करने से संबंधित प्रक्रियाओं को पूरा करने में की गई प्रगति का स्वागत करते हैं, जिससे सीमाओं के पार व्यापार करने की लागत में कमी आएगी ”।35

मनीला बैठक के दौरान, नई आर्थिक कार्यनीतियों पर भी चर्चा की गई, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. 1. समावेशी अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण
  2. 2. सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्यमों की भागीदारी को बढ़ावा देना
  3. 3. स्थायी और प्रतिस्कंदी समुदाय का विकास
  4. 4. क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण एजेंडा को बढ़ाना

संक्षेप में,एक्विनो ने कहा कि आर्थिक नेताओं के लिए मुख्य चुनौती "एपेक  के विकास के लिए वर्तमान घरेलू और बाहरी चुनौतियों का सामना करते हुए, विशेषकर समावेश को बढ़ावा देने वाली नीतिगत प्रतिक्रियाओं पर विचार करके गुणवत्ता विकास को बनाए रखने और मजबूत करने का तरीका ढूंढना है"।36

इसके बाद, एपेक ने मनीला बैठक के दौरान ओसाका एक्शन एजेंडा में उल्लिखित क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधि के लिए बाधाओं को कम करने हेतु  निर्धारित लक्ष्य की दिशा में  एपेक अर्थव्यवस्थाओं को मुक्त और खुले व्यापार एवं निवेश के बोगर गोल्स को पूरा करने में मदद करने के विचार से काम करना शुरू किया। एपेक की  सदस्य अर्थव्यवस्थाएं विकास को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही हैं, जिससे प्रशांत क्षेत्र  के दोनों किनारों पर के लोगों के लिए सामाजिक गतिशीलता और जीवन स्तर में सुधार होगा और  इसके लिए 2016 में पेरू की अध्यक्षता में होने वाली एपेक की  बैठक  के वर्ष के दौरान इस क्षेत्र में सहयोग पर ध्यान केन्द्रित होगा । आगे लिमा में की जाने वाली पहल में एशिया-प्रशांत के मुक्त व्यापार क्षेत्र (एफटीएएपी) के कार्यान्वयन, पर्यावरण सेवाओं के विकास, व्यापार करने की सहजता में सुधार के लिए विनियामक सुधार, और पूरे क्षेत्र में लोगों एवं माल के आने-जाने की गति तेज करने के लिए नीतियों को आसान एवं सुलभ बनाने से संबंधित मुद्दों पर एपेक का सामूहिक कार्यनीतिक अध्ययन शामिल है lइसमें इलेक्ट्रॉनिक, वाणिज्य को बढ़ावा देने, व्यापार में छोटे व्यवसाय की  भागीदारी, और भ्रष्टाचार से बचाव, जलवायु परिवर्तन के कारण आपदा जोखिम में वृद्धि और ज़ीका वायरस जैसे उभरते स्वास्थ्य खतरों पर जोर दिया जाएगा।37

एपेक पॉलिसी सपोर्ट यूनिट के अनुसार वर्ष 2016 में विश्व के जीडीपी में होने वाली वृद्धि के समान ही एपेक अर्थव्यवस्थाओं में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। यह 2015 में एपेक में होने वाली 3.1 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है, और यह कमी क्षेत्रीय व्यापार में होने वाले संकुचन के कारण हुई थी । व्यापार और निवेश बाधाओं पर नियंत्रण रखना  तथा अधिक लोगों और व्यवसाय को इसका लाभ उठाने में सक्षम बनाने के लिएआगे कार्रवाई करना भविष्य की समृद्धि का एक महत्वपूर्ण निर्धारक होगा। एपेक अर्थव्यवस्थाएं व्यवसाय शुरू करने,वित्तपोषण और परमिट प्राप्त करने में लगने वाले समय को कम करने एवं सीमाओं के पार व्यापार करने पर ध्यान केंद्रित करके क्षेत्र में व्यवसाय करने में सुगमता को बढ़ाने के लिए वर्ष 2016 में नए लक्ष्य का पीछा कर रही हैं l वे आव्रजन और सीमा शुल्क चौकियों पर लालफीताशाही को कम करने के साथ-साथ अपने उद्योग के विनियमों और मानकों के साथ तालमेल बनाने के लिए नीतिगत सहयोग को भी मजबूत कर रही हैंlइसका उद्देश्य, अन्य बातों के साथ-साथ,  खाद्य सुरक्षा, स्वच्छ और कुशल ऊर्जा के उपयोग, एवं  व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को चालू रखने एवं उसमें शामिल करने हेतु व्यवसाय की  प्रक्रिया को सरल बनाना हैl38

इसी समय, एपेक अर्थव्यवस्थाएं व्यापार समझौतों को सुविधाजनक बनाने के लिए सूचना साझाकरण और तकनीकी सहायता पर जोर दे रही हैं, जो नवाचार और डिजिटल विकास में बाधा जैसे उभरते मुद्दों का समाधान करने के लिए केवल टैरिफ में कमी करने से परे हैं l निजी क्षेत्र के साथ समन्वय करके  सीमा पार शिक्षा और कौशल विकास के अवसर उपलब्ध कराने पर भी समान जोर दिया गया है। इसमें नई छात्रवृत्ति और इंटर्नशिप, कौशल प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रम शामिल हैं ताकि संगत श्रम बल का निर्माण किया जा सके और इस क्षेत्र के जीवन स्तर में सुधार हो सके।सीमा-पार शिक्षा और कैरियर प्रशिक्षण लागू करने वाली नीतियां; क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्यम की भागीदारी; और महिलाओं की उद्यमिता ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर गुणवत्ता वृद्धि और मानव विकास के लिए एपेक के एजेंडा में ध्यान केन्द्रित किया गया हैl39

भारत और एपेक  - संभावित लाभ और चुनौतियां

भारत ने एपेक को किए गए आवेदन के समर्थन में निम्नलिखित पांच शर्त पूरी की हैं,  पहला : आवेदक अर्थव्यवस्था को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थित होना चाहिए; दूसरा, उसे एपेक सदस्यों के साथ पर्याप्त आर्थिक संबंधों का लाभ उठाना चाहिए, और उसके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एपेक की हिस्सेदारी काफी अधिक होनी चाहिए; तीसरा, उसे  बहिर्गामी  आर्थिक और मुक्त व्यापार नीति का अनुसरण करना चाहिए; चौथा, उसे एपेक बयानों में वर्णित विभिन्न उद्देश्यों को स्वीकार करना चाहिए; और अंतत:, उसे इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक व्यक्तिगत कार्य योजना तैयार करनी चाहिए तथा एपेक की   कार्य योजना के जरिए कार्रवाई की सामूहिक योजनाओं में भाग लेना शुरू करना चाहिए। नई दिल्ली ने भी एपेक की सदस्यता मानदंड को पूरा करने के लिए 2010 तक सभी व्यापार बाधाओं को दूर करने का वादा किया ।40

भारत ने सेवा क्षेत्र में, विशेष रूप से बीमा, हवाई और रेल परिवहन एवं निर्माण सेवाओं में उदारीकरण की कई पहल शुरू कर दी  है। भारत और एपेक के बीच सहयोग का एक और सशक्त क्षेत्र सरकारी खरीद और प्रतिस्पर्धा है, जहाँ भारत की प्रगति एपेक के विकासशील देशों की तुलना में काफी अधिक है। भारत ने सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में भी सुधार किए हैं, जिनकी प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है और पारदर्शिता मानक कई एपेक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लगभग सामान हैं। भारत और एपेक  के बीच एक औपचारिक जुड़ाव के अन्य लाभों में व्यापार में लेनदेन की लागत में कमी के साथ-साथ अधिक सामंजस्य और मानकों, पेशेवर योग्यता  एवं  अन्य आसान आधारिक संरचना  की पारस्परिक मान्यता शामिल है । भारतीय उद्यमियों को एपेक यात्रा कार्ड से निस्संदेह लाभ होगा जिससे सदस्य अर्थव्यवस्थाओं में वस्तुत: वीजा-मुक्त यात्रा की अनुमति है।भारत, क्रमश: क्षेत्र के आर्थिक एकीकरण को गति और मजबूती प्रदान कर सकता है।41

भारत के लिए इस मंच में शामिल होने के कई तात्कालिक लाभ होंगे जिन्हेंनीचे सूचीबद्ध किया गया है:

  1. 1. तत्काल लाभ यह होगा कि आंशिक रूप से उदारीकृत बाजार की भारत की छवि बदलेगी। यह एफडीआई आकर्षित करने के भारत के प्रयास में योगदान देगा और इस क्षेत्र के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाएगा l

2.एपेक खुली आंचलिकता सहित व्यापार का एक गुट है। कोई सख्त प्रतिबद्धता नहीं है, हालांकि, कुछ दिशानिर्देशों को पूरा करने की आवश्यकता है। सभी देश अपनी घरेलू आर्थिक समस्याओं को साझा करते हैं और चूँकि भारत कई देशों के साथ अपने द्विपक्षीय एफटीए की जांच कर रहा है, अत: एपेक अपने दृष्टिकोण में एकरूपता ला सकता है। चूंकि भारत पहले से आरसीईपी पर बातचीत कर रहा है, इसलिए एपेक से जुड़ना भारत के लिए स्वाभाविक प्रगति होगी।

3    एपेक, एफटीएएपी के लिए मसौदा  तैयार कर रहा है और भारत को उस  मसौदे पर गौर करने और अपनी नीतियों को उसी के अनुसार निर्धारित करने की आवश्यकता है ताकि वे फोरम  के लिए बेहतर रूप से तैयार हो सकें।

  1. यह कहा गया है कि भारत की संरचनाएं बहुत ही बोझिल हैं,42जबकिएपेक का सबसे बड़ा उद्देश्य व्यापार को, विशेष रूप से दो क्षेत्रों, व्यापार गतिशीलता (यानी व्यापार वीजा और सीमा शुल्क) और ई-कॉमर्स को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधा है। भारत में ई-कॉमर्स तेज गतिसे बढ़ने वाला क्षेत्र है, इसलिए, इसको संगठन की सदस्यता से लाभ होगा।
  2. एपेक की सदस्यता से भारत को व्यापार प्रलेखन के मानकीकरण और भेदभाव दूर करने तथा इसके टैरिफ की संरचना के निर्माण में मदद मिलेगी ।
  3. एपेक सीधे आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ा हुआ है जो क्षेत्र विशिष्ट और उत्पाद विशिष्ट हैं। उदाहरण के लिए, भारत अपने ऑटोमोबाइल पार्ट्स और पुरजों के निर्यात से लाभान्वित होगा। इससे बाजारों के विकास और पहचान में मदद मिलेगी। इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बड़े बाजारों में मांस और मांस उत्पादों के भारत के निर्यात में भी मदद मिलेगी। कई अन्य मूल्य श्रृंखलाएं चुनिंदा विनिर्माण क्षेत्रों में विकसित की जा सकती हैं, जो भारत में नहीं हैं।
  4. नियमित बाजार और निर्यात की स्थिर मात्रा से उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और तेजी से प्रसंस्करण होगा। इससे अर्थव्यवस्थाओं को वृद्धिशील बनाने में भी मदद मिलेगी।
  5. एक निश्चित सीमा तक, यह प्रतिक्रियाशील गैर-टैरिफ बाधाओं (एनटीबी) का भी ध्यान रखेगा जिसका सहारा भारत के कुछ साथी देश लेते हैं। एपेक सदस्यता के तहत, जबकि टैरिफ कम हो जाते हैं, लेकिन सदस्य देश कुछ शर्तों के तहत अपने बाजारों की सुरक्षा के लिए एनटीबी का उपयोग करने हेतु अपेक्षाकृत स्वतंत्र हैं। चीन आसान टैरिफ के लिए सहमत हो गया है लेकिन उसने अपने फायदे के लिए एनटीबी और पोर्ट प्रतिबंधों का इस्तेमाल किया है।

जहाँ तक भारत का प्रश्न है, उसे अपनी मंशा को स्पष्ट रूप से प्रकट करना होगा और आवश्यक राजनयिक एवंराजनीतिक पहल करनी होगी। भारत को भी व्यवसाय  और पर्यटन पर एपेक कार्यकारी एवं विशेषज्ञ दल में एक पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होने का प्रयास  करना चाहिए ताकि वह इसकी प्रक्रियाओं से अवगत हो सके l उसे  सेवाओं, बुनियादी ढांचे, विनिवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), श्रम सुधार, सरकारी खरीद और प्रतियोगिता जैसे कई क्षत्रों में संशोधन करना होगा, जिन्हें कई रिपोर्टों में उजागर किया गया है। सेवा व्यापार प्रतिबंध सूचकांक बताता है कि लेखांकन, वास्तुकला, विधि  हवाई परिवहन और बीमा जैसे क्षेत्रों में, भारत अन्य की तुलना में अधिक प्रतिबंधात्मक है। भारत की वर्तमान सेवा क्षेत्र उदारीकरण पहल, विशेष रूप से बीमा, हवाईऔर रेल परिवहन तथा विनिर्माण सेवाएं,जो इसके सकारात्मक पहलू हैं,  इसकी स्थिति को आगे बेहतर बना सकती हैंl44

निष्कर्ष

इस तथ्य को देखते हुए कि सदस्यों के बीच उदारीकृत व्यापार व्यवस्था और कैप्टिव बाजारों पर आस्था रखने वाले कई बहुपक्षीय संस्थान हैं, बाजार और निवेश के लिए संघर्ष अधिक तीव्र होने की संभावना है। जबकि अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं ने आर्थिक संकटों के दौरान अनुचित प्रथाओं और संरक्षणवादी व्यवस्थाओं का सहारा लिया है, यह देखने की जरूरत है कि कितना उदारीकरण भाग लेने वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिए आर्थिक भलाई  की सुविधा प्रदान करेगा।खाद्य भंडार पर भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक गतिरोध के समाधान के साथ, विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच अधिक जुड़ाव की संभावना है। भारत, जो धीरे-धीरे आरसीईपी में शामिल होने की ओर अग्रसर हो रहा है, एपेक और टीपीपी में  भी शामिल हो सकता है।

आर्थिक शेत्र में क्रमिक उन्नति के साथ-साथ वैश्विक राजनीतिक अर्थव्यवस्था के साथ बेहतर समन्वय से भारत को अपने आर्थिक विकास को बनाए रखने में मदद मिलेगी। भारत को और अधिक आर्थिक उदारीकरण का  संकल्प प्रदर्शित करने  की जरूरत है। इसके अलावा, भारत को एपेक  प्रक्रिया में शामिल होना होगा ताकि वह बाद में टीपीपी सदस्यता के लिए आवेदन कर सके।  सेवा क्षेत्र में व्यापार और वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत के समन्वय से देश की औसत वृद्धि दर को बेहतर बनाए रखने में काफी मदद मिलेगी, लेकिन टैरिफ में कमी और बाजार पहुंच में वृद्धि करनी होगी l  इस तथ्य को देखते हुए कि भारत एपेक  में शामिल होने का इच्छुक है, उसे विभिन्न संरचनाओं और आर्थिक संगठनों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना होगा ताकि वह भविष्य के व्यापार और निवेश मानदंडों को पूरा करने के लिए खुद को तैयार कर सके।

        (लेखक, श्री दामू रवि, संयुक्त सचिव (वाणिज्य मंत्रालय),भारत सरकार, प्रोफेसर विश्वजीत  नाग, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) और प्रोफेसर सरोज मोहंती, अनुसंधान सूचना प्रणाली (आरआईएस) को आईसीडब्ल्यू  शोध संकाय और इस विषय पर उनके मूल्यवान आदान पर साक्षात्कार देने के लिए सहमत होने पर  धन्यवाद अर्पित करता है । साक्षात्कारकर्ताओं द्वारा व्यक्त विचार उनके व्यक्तिगत विचार हैं)।

End Notes

__________________

1 V. S. Seshadri, India and APEC: An Appraisal, ASEAN-India Centre, RIS, 2015, p.1

2 Ministry of External Affairs Briefing Paper

3 About APEC at //www.apec.org/About-Us/About-APEC.aspx

4Options for Investment Liberalization and Business Facilitation to Strengthen the APEC Economies - For Voluntary Inclusion in Individual Action Plans at //www.apec.org/Home/Groups/Committee-on-Trade-and-Investment/~/media/Files/Groups/IEG/03_cti_ieg_optionbizlib.ashx

5 Ibid

6 The APEC Region Trade and Investment 2014, Economic Diplomacy, Trade Advocacy & Statistics Section Department of Foreign Affairs and Trade, Australia October 2014 at //dfat.gov.au/about-us/publications/Documents/APEC-2014.pdf

7 IFAP Implementation in Facilitating Investment for the Asia Pacific Region Part II: An Analysis of FDI Flows by Sector and Source Economy (2000-2010), APEC Policy Support Unit, March 2013,p.i

8 Achievements and Benefits, at //www.apec.org/About-Us/About-APEC/Achievements%20and%20Benefits.aspx

9 The Bogor Goals are a set of targeted goals for realizing free and open trade in the Asia-Pacific agreed by member economies in 1994 in Bogor, Indonesia. The Leaders had agreed to adopt the long-term goal of free and open trade and investment in the Asia-Pacific.

10 Ibid

11 Hanoi Action Plan to Implement the Busan Roadmap Towards The Bogor Goals, at //www.mofa.go.jp/policy/economy/apec/2006/action.pdf

12 Ibid

13 APEC’s Second Trade Facilitation Action Plan at www.apec.org

14 Ibid

15 Hanoi Action Plan to Implement the Busan Roadmap Towards The Bogor Goals, at //www.mofa.go.jp/policy/economy/apec/2006/action.pdf

16 Ibid

17 Achievements and Benefits, at //www.apec.org/About-Us/About-APEC/Achievements%20and%20Benefits.aspx

18 APEC’s Second Trade Facilitation Action Plan at www.apec.org

19 Ibid

20 Ibid

21 Ibid

22 Achievements and Benefits, at //www.apec.org/About-Us/About-APEC/Achievements%20and%20Benefits.aspx

23 Ibid

24 Achievements and Benefits, at //www.apec.org/About-Us/About-APEC/Achievements%20and%20Benefits.aspx

25 Ibid

26 Ibid

27 Ibid

28 Ibid

29 Ibid

30 Ibid

31 Regional Economic Integration Agenda, at //www.apec.org/About-Us/About-APEC/Fact-Sheets/Regional-Economic-Integration-Agenda.aspx

32 Annex A - The Beijing Roadmap for APEC’s Contribution to the Realization of the FTAAP at //www.apec.org/Meeting-Papers/Leaders-Declarations/2014/2014_aelm/2014_aelm_annexa.aspx

33 ibid

34 2015 Leaders Declaration at //www.apec.org/Meeting-Papers/Leaders-Declarations/2015/2015_aelm.aspx

35 2015 Leaders Declaration at //www.apec.org/Meeting-Papers/Leaders-Declarations/2015/2015_aelm.aspx

36President Aquino’s welcoming remarks during the APEC Economic Leaders’ Retreat November 19, 2015 at //www.gov.ph/2015/11/19/aquino-remarks-23rd-aelm/

37 APEC Embarks on New Regional Growth Push in Lima Lima, Peru , 23 February 2016, at //www.apec.org/Press/News-Releases/2016/0223_SOM1.aspx APEC Website

38 Bridges Key to Prosperity in Transitioning Asia-Pacific, Bangkok, Thailand, 23 March 2016 at //www.apec.org/Press/News-Releases/2016/0323_globalization.aspx

39Trade Raises Living Standards in APEC Region: Report, Singapore, 31 March 2016 at //www.apec.org/Press/News-Releases/2016/0331_development.aspx APEC Website

40 Regional Economic Integration Agenda, at //www.apec.org/About-Us/About-APEC/Fact-Sheets/Regional-Economic-Integration-Agenda.aspx

41 Ibid

42 This has been the common complaint from all the interviewees.

43V. S. Seshadri , India and APEC: An Appraisal, ASEAN-India Centre, RIS, 2015, p.4

44 Ibid

एपेक का फुल फॉर्म क्या है?

एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC), एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास, सहयोग, व्यापार और निवेश की सुविधा के लिए प्रमुख मंच है।

एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत के समक्ष सुरक्षा चुनौतियां क्या है?

भारत इंडो-पैसिफिक रणनीति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। वह पूर्वी एशियाई देशों के साथ व्यापार, आर्थिक विकास तथा समुद्री सुरक्षा में भागीदारी के लिये इच्छुक है। भारत महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहे चीन को कठिन प्रतिस्पर्द्धा पेश करना चाहता है और इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को प्रतिसंतुलित करने के लिये अमेरिका की मदद चाहता है।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग