एक खाद्य श्रृंखला में विभिन्न बिंदुओं पर ऊर्जा प्रवाह के अनुपात को क्या कहते हैं? - ek khaady shrrnkhala mein vibhinn binduon par oorja pravaah ke anupaat ko kya kahate hain?

खाद्य शृंखला को प्रदर्शित करता एक चित्र

खाद्य शृंखला में पारिस्थितिकी तन्त्र के विभिन्न जीवों की परस्पर भोज्य निर्भरता को प्रदर्शित करते हैं। किसी भी पारिस्थितिकी तन्त्र में कोई भी जीव भोजन के लिए सदैव किसी दूसरे जीव पर निर्भर होता है। भोजन के लिए सभी जीव वनस्पतियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं। वनस्पतियां अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा बनाती हैं। इस भोज्य क्रम में पहले स्तर पर शाकाहारी जीव आते हैं जो कि पौधों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं। इसलिए पौधों को उत्पादक या स्वपोषी और जन्तुओं को 'उपभोक्ता' की संज्ञा देते हैं।

उत्पादक[संपादित करें]

सभी प्रकाश संश्लेषण करने वाले पौधे उत्पादक की श्रेणी में आते हैं। ऐसे पौधे प्रकाश, कार्बन डाइ-ऑक्साइड और जल की सहायता से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया हेतु पौधों का क्लोरोफिल (हरित लवक) पाया जाता है। क्लोरोफिल पौधों के हरे रंग के लिए भी उत्तरदायी होता है।

उपभोक्ता[संपादित करें]

सभी जन्तु उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वनस्पतियों पर निर्भर होने के कारण इन्हें उपभोक्ता कहा जाता है। भोज्य निर्भरता के आधार पर इन्हें आगे श्रेणियों में बाँटा गया है।

प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता[संपादित करें]

सभी शाकाहारी जन्तु प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता होते हैं। शाकाहारी जन्तु वनस्पतियों का भोजन के रूप में प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए - खरगोश, गाय, भैस, बकरी, हिरण, चूहा, बन्दर, हाथी, जिराफ, नीलगाय आदि।

द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता[संपादित करें]

वे सभी जन्तु जो भोजन के लिए प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं पर निर्भर होते हैं उन्हें द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं के वर्ग में रखते हैं। ये मांसाहारी होते हैं। उदारण के लिए - मेढक, मछलियाँ, कीट पतंगों को खाने वाले पक्षी और जन्तु, छिपकली इत्यादि।

तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता[संपादित करें]

वे सभी जन्तु जो भोजन के लिए द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं पर निर्भर होते हैं उन्हें शीर्ष श्रेणी के उपभोक्ता कहते हैं। जैसे - बाज, गिद्ध, शेर, भालू इत्यादि।

अपघटक[संपादित करें]

अपघटक सूक्ष्म जीव होते हैं जो कि सभी मृत जीवों (वनस्पतियों और जन्तुओं) को उनके पार्थिव अवयवों में तोड़ देते हैं। अपघटन की प्रक्रिया मृत्यु के बाद शुरू हो जाती है जिसे सामान्य तौर पर सड़ने के तौर पर देखा जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  • भोजन शृंखला-एक परिचय
  • फूड चेन

वाह्य कड़ियाँ[संपादित करें]

  • खाद्य जाल

एक खाद्य श्रृंखला में विभिन्न बिंदुओं पर ऊर्जा प्रवाह के अनुपात को क्या कहा जाता है?

अपरद खाद्य श्रृंखला की तुलना में चारण खाद्य श्रृंखला के माध्यम से ऊर्जा एक छोटे अनुपात में प्रवाहित होती है। चारण खाद्य श्रृंखला की तुलना में अपरद खाद्य श्रृंखला के माध्यम से ऊर्जा एक छोटे अनुपात में प्रवाहित होती है। अपरद खाद्य श्रृंखला और चारण खाद्य श्रृंखला के माध्यम से समान अनुपात में ऊर्जा प्रवाहित होती है।

खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा का प्रवाह कैसे होता है?

Solution : खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा प्रवाह- <br> (i) पौधे सौर ऊर्जा को ग्रहण करते हैं तथा उसे रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं। पौधे उन तक आने वाली सौर ऊर्जा का केवल 1% भाग ही उपयोग में ला पाते हैं। <br> (ii) शाकाहारी जीव पौधे तथा उनके उत्पादों को खाते हैं तथा ऊर्जा प्रथम उपभोक्ताओं तक स्थानांतरित हो जाती है।

खाद्य श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी क्या कहलाती है?

खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक स्तर या कड़ी अथवा जीव की पोषण स्तर या ऊर्जा स्तर कहते है। इस श्रृंखला के एक किनारे पर हरे पौधे अर्थात् उत्पादक, जबक दूसरे अपघटक होते है।

खाद्य श्रृंखला क्या है उसके प्रकारों को समझाइए?

खाद्य शृंखला में पारिस्थितिकी तन्त्र के विभिन्न जीवों की परस्पर भोज्य निर्भरता को प्रदर्शित करते हैं। किसी भी पारिस्थितिकी तन्त्र में कोई भी जीव भोजन के लिए सदैव किसी दूसरे जीव पर निर्भर होता है। भोजन के लिए सभी जीव वनस्पतियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं।

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