चादर देखकर पैर फैलाना बुद्‌धिमानी है - chaadar dekhakar pair phailaana bud‌dhimaanee hai

‘चादर देखकर पैर फैलाना बुद्‌धिमानी कहलाती है’, इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।

चादर देखकर पैर फैलाने का अर्थ है, जितनी अपनी क्षमता हो उतने में ही काम चलाना। यह अर्थशास्त्र का साधारण नियम है। सामान्य व्यक्तियों से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी इस नियम का पालन करती हैं। जो लोग इस नियम के आधार पर अपना कार्य करते हैं, उनके काम सुचारु रूप से चलते हैं। जो लोग बिना सोचे-विचारे किसी काम की शुरुआत कर देते हैं और अपनी क्षमता का ध्यान नहीं रखते, उनके सामने आगे चलकर आर्थिक संकट उपस्थित हो जाता है। इसके कारण काम ठप हो जाता है। इसलिए समझदारी इसी में है कि अपनी क्षमता का अंदाज लगाकर ही कोई कार्य शुरू किया जाए। इससे कार्य आसानी से पूरा हो जाता है। चादर देखकर पैर फैलाने में ही बुद्धिमानी होती है।

चादर देखकर पैर फैलाना इसका अर्थ क्या है *?

चादर देखकर पाँव पसारना मुहावरे का अर्थ – अपनी समर्थता के अनुसार खर्च करना।

चादर देखकर पांव फैलाना चाहिए इसके लिए कविता में कौन सी पंक्ति प्रस्तुत की है?

Solution. चादर देखकर पैर फैलाने का अर्थ है, जितनी अपनी क्षमता हो उतने में ही काम चलाना। यह अर्थशास्त्र का साधारण नियम है। सामान्य व्यक्तियों से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी इस नियम का पालन करती हैं।

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