चकोर पक्षी किसे एकटक देखता है - chakor pakshee kise ekatak dekhata hai

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चकोर

संरक्षण स्थिति

वैज्ञानिक वर्गीकरणद्विपद नामउपजातिपर्यायवाची


संकटमुक्त जाति (IUCN 3.1)[1]

जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी
वर्ग: पक्षी
गण: गॉलिफ़ॉर्मिस
कुल: फ़ॅसिअनिडी
वंश: अलॅक्टोरिस
जाति: ए. चुकर
अलॅक्टोरिस चुकर
ग्रे, १८३०
  • ए. सी. चुकर
  • ए. सी. सिप्रिओटिस
  • ए. सी. जंगॅरिका
  • ए. सी. फ़ल्की
  • ए. सी. क्लाइनी
  • ए. सी. कोरोविआकोवी
  • ए. सी. कुरदेस्तानिका
  • ए. सी. पॅलसॅन्स
  • ए. सी. पॅलिडा
  • ए. सी. पॉटानिनि
  • ए. सी. प्यूबसॅन्स
  • ए. सी. सिनइका
  • ए. सी. सबपॅलिडा
  • ए. सी. वरी
हरे में चकोर और अन्य सम्बन्धित बटेरनुमा पक्षियों का आवास क्षेत्र

कॅक्कबिस कॅकलिक

चकोर एक साहित्यिक पक्षी है, जिसके बारे में भारत के कवियों ने यह कल्पना कर रखी है कि यह सारी रात चंद्रमा की ओर ताका करता है और अग्निस्फुलिंगों को चंद्रमा के टुकड़े समझकर चुनता रहता है। इसमें वास्तविकता केवल इतनी है कि कीटभक्षी पक्षी होने के कारण, चकोर चिंगारियों को जुगनू आदि चमकनेवाले कीट समझकर उनपर भले ही चोंच चला दे। लेकिन न तो यह आग के टुकड़े ही खाता है और न निर्निमेष सारी रात चंद्रमा को ताकता ही रहता है। यह पाकिस्तान का राष्ट्रीय पक्षी है।

Birds of Hindustan luchas, called būqalamūn, and partridges

चकोर पक्षी (Aves) वर्ग के मयूर (Phasianidae) कुल का प्राणी है, जिसकी शिकार किया जाता है। इसका माँस स्वादिष्ट होता है। चकोर मैदान में न रहकर पहाड़ों पर रहना पसंद करता है। यह तीतर से स्वभाव और रहन सहन में बहुत मिलता जुलता है। पालतू हो जाने पर तीतर की भाँति ही अपने मालिक के पीछे-पीछे चलता है। इसके बच्चे अंडे से बाहर आते ही भागने लगते हैं।

चकोर- (साहित्य) परंपराप्राप्त लोकप्रसिद्धि के अनुसार तथा कविसमय को काल्पनिक मान्यताओं के अनुरूप, चकोर चंद्रकिरणों पीकर जीवित रहता है (शां‌र्गघरपद्धति, १.२३)। इसीलिये इसे "चंद्रिकाजीवन' और "चंद्रिकापायी' भी कहते हैं। प्रवाद है कि वह चंद्रमा का एकांत प्रेमी है और रात भर उसी को एकटक देखा करता है। अँधेरी रातों में चद्रमा और उसकी किरणों के अभाव में वह अंगारों को चंद्रकिरण समझकर चुगता है। चंद्रमा के प्रति उसकी इस प्रसिद्ध मान्यता के आधार पर कवियों द्वारा प्राचीन काल से, अनन्य प्रेम और निष्ठा के उदाहरण स्वरूप चकोर संबंधी उक्तियाँ बराबर की गई हैं। इसका एक नाम विषदशर्नमृत्युक है जिसका आधार यह विश्वास है कि विषयुक्त खाद्य सामाग्री देखते ही उसकी आँखें लाल हो जाती है और वह मर जाता है। कहते हैं, भोजन की परीक्षा के लिये राजा लोग उसे पालते थे।

चित्रदीर्घा[संपादित करें]

  • Eggs

  • Juvenile

  • Chukar in Indian heraldry

  • Taxidermy

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • USGS Patuxent Bird Identification InfoCenter - Chukar
  • South Dakota Birds and Birding - Chukar Information and Photos
  • eNature.com - Chukar
  • Alectoris Chukar in Greece
  • Photos, Videos

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. BirdLife International (2012). "'Alectoris chukar'". IUCN Red List of Threatened Species. Version 2012.2. International Union for Conservation of Nature. अभिगमन तिथि ०८ मई २०१३.

चकोर चाँद को क्यों देखता रहता है?

चकोर को हिंदी साहित्यकारों ने वियोगी प्रेमी के रूप में पेश किया है जो अपनी प्रेमिका चांद को देख रोता रहता है। चकोर पक्षी के जीवन में देखें तो ऐसा कुछ नजर नहीं आएगा। न वह चांद का दीवाना है और ही वह उसे बहुत ज्यादा चाहता है। वह तो बेचारा अपने भोजन के लिए कीट-पतंगों की खातिर चांद की रोशनी में अधिक सक्रिय नजर आता है।

चंद्र और चकोर का आपस में क्या संबंध है?

चकोर- (साहित्य) परंपराप्राप्त लोकप्रसिद्धि के अनुसार तथा कविसमय को काल्पनिक मान्यताओं के अनुरूप, चकोर चंद्रकिरणों पीकर जीवित रहता है (शां‌र्गघरपद्धति, १.२३)। इसीलिये इसे "चंद्रिकाजीवन' और "चंद्रिकापायी' भी कहते हैं। प्रवाद है कि वह चंद्रमा का एकांत प्रेमी है और रात भर उसी को एकटक देखा करता है।

चकोर पक्षी लगातार किसकी और देखता है?

चकोर पक्षी किसे देखता रहता है? उत्तर: चकोर पक्षी चाँद देखता रहता है।

चंद्रमा को एकटक कौन निहारता है *?

(ख) चकोर पक्षी अपने प्रिय चाँद को एकटक निहारता रहता है, उसी तरह कवि अपने प्रभु राम को भी एकटक निहारता रहता है।

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