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इसे सुनेंरोकेंबालगोबिन भगत साधु थे-साधु की सब परिभाषाओं में खरे उतरने वाले। कबीर को ‘साहब’ मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते, उन्हीं के आदेशों पर चलते। कभी झूठ नहीं बोलते, खरा व्यवहार रखते। किसी से भी दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करते, न किसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते।
बालगोबिन भगत जी पुत्र की मृत्यु के बाद अपनी पतोहू से क्या क्या कराते है और पतोहू के भाई से क्या करने को कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंउत्तरः बालगोबिन भगत ने पुत्र की मृत्यु के बाद अपनी पुत्रवधू को उसके भाई को बुलाकर उसकी दूसरी शादी कर देने के उद्देश्य से उसके साथ भेज दिया था।
लेखक ने बालगोबिन को साधु क्यों कहा है?
इसे सुनेंरोकेंबालगोबिन भगत घर-परिवार वाले आदमी थे। उनके परिवार में उनका बेटा और पतोहू थे। उनके पास खेतीबारी और साफ़ सुथरा मकान था। इसके बाद भी बालगोबिन भगत साधुओं की तरह रहते और साधु की सारी परिभाषाओं पर खरा उतरते थे, इसलिए लेखक ने भगत को गृहस्थ साधु माना है।
भगत जी द्वारा अपनी पुत्रवधू से बेटे की चिता को मुखाग्नि दिलवाना क्या सिद्ध करता है *?
इसे सुनेंरोकेंहिंदू सामाजिक मान्यता के अनुसार मृत शरीर को मुखाग्नि पुरुष के द्वारा दी जाती है और व्यक्ति की मृत्यु होने की स्थिति में व्यक्ति का पुत्र या पिता ही अग्नि देता है, परंतु भगत बाल गोविंद भगत ने अपने पुत्र को मुखाग्नि स्वयं ना देकर अपनी पुत्रवधू से दिलवाई।
बालगोबिन बेटे की मृत्यु पर पतोहू से क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंवे अपने बेटे के मृत शरीर के पास आसन पर बैठे मिलन के गीत गा रहे थे। उन्होंने अपने बेटे की बहू को भी रोने के लिए मना कर दिया था। उसे भी आत्मा के परमात्मा में मिलने की खुशी में आनंद मनाने को कहा। कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे।
बेटे की मृत्यु के बाद बालगोबिन भगत की पतोहू ने क्या किया?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: बेटे की मृत्यु होने पर बालगोबिन भगत ने अपनी बहू से बेटे की चिता को आग इसलिए दिलवाई क्योंकि वह सामाजिक रुढ़ियों के विरोधी थे। वह ये कार्य करके समाज में सुधार लाना चाहते। वह कबीर पंथ को मानने वाले थे और कबीर भी सामाजिक आडंबरों और कुरीतियों के विरोधी रहे हैं।
बालगोबिन भगत घर-परिवार वाले आदमी थे। उनके परिवार में उनका बेटा और पतोहू थे। उनके पास खेतीबारी और साफ़ सुथरा मकान था। इसके बाद भी बालगोबिन भगत साधुओं की तरह रहते और साधु की सारी परिभाषाओं पर खरा उतरते थे, इसलिए लेखक ने भगत को गृहस्थ साधु माना है।
बाल गोविंद भगत गृहस्थ थे फिर …
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बाल गोविंद भगत गृहस्थ थे फिर भी उन्हें साधु क्यों कहा गया है ?
Posted by Shobhit Raghuvanshi 1 year, 4 months ago
- 1 answers
बाल गोविंद भगत गृहस्थ थे। परंतु हम का समूचा व्यवहार वैराग्य भक्तों और साधु जैसा था। वे भक्तों की तरह अपने साहब असीम श्रद्धा रखते थे। इसीलिए उन्हें भगत साधु कहना बिल्कुल सही है।
Posted by Ashmit Kumar 1 week, 5 days ago
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Posted by Brijesh Maurya 7 hours ago
- 1 answers
Posted by Diya . 2 days, 6 hours ago
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Posted by Yash Gamer 1 week, 2 days ago
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Posted by Khushi Khushi 2 weeks, 2 days ago
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Posted by Sonam Pandey 2 weeks, 5 days ago
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Posted by Nirbhay Singh Jhala 6 days, 13 hours ago
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Posted by Nagappan Vanitha 1 week ago
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Posted by Ashdeep Singh 2 weeks, 3 days ago
- 0 answers
Posted by Surbhi Shrivastava 2 weeks, 2 days ago
- 1 answers
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