बैंक का क्या कार्य होता है? - baink ka kya kaary hota hai?

बैंक का परिचय ही बैंक के कार्यों से प्रतिबिम्बित होता है । अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ बैंक के कार्यों तथा सेवाओं में भी परिवर्तन हुए हैं । बैंक के कार्यों को अब विविध रूप में विश्लेषित किया जा सकता है । एक ओर बैंक लघु बचतों के संग्रहनकर्त्ता का कार्य करता है तो दूसरी ओर साख सृजन के माध्यम से मुद्रा निर्माण का व्यापक कार्य निष्पादित करता है । अपनी विविध सेवाओं के माध्यम से बैंक ने समाज के हर वर्ग के लिए अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी है । इस प्रकार बैंक के कार्यों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है । बैंक के कार्यों को अग्रलिखित चार्ट में दर्शाया गया है :-

( अ ) आधारभूत कार्य ( Basic Functions )

बैंकिंग संस्थाओं द्वारा किये जाने वाले आधारभूत कार्यों के अन्तगर्त निम्नलिखित कार्यों को सम्मिलित किया जा सकता है -

[ 1 ] निक्षेप संग्रहण करना ( Collection of Deposits ) :- बैंकों द्वारा निक्षेप संग्रहण करना बैंकिंग संस्थाओं का आधारभूत कार्य माना जाता है । इसके माध्यम से बैंकिंग संस्थाएँ जनसाधारण की छोटी-छोटी बचतों को संगृहीत कर अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं । यथा - बचत खाता ( Saving Account ), चालू खाता ( Current Account ), स्थाई जमा खाता ( Fixed Deposit Account ), गृह बचत खाता ( Home Safe Account ), सावधि जमा योजना ( Term Deposit Scheme ) ।

स्पष्ट है कि बैंक जमाएँ स्वीकार कर अर्थव्यवस्था में गति प्रदान करते हैं । जमाएँ स्वीकार करने हेतु हर वर्ग की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाता है । वेतनभोगी वर्ग जो एक मुश्त धन राशि अवधि जमा के रूप में जमा नहीं करा सकते हैं उनके लिए आवर्ती जमा खाता मासिक स्तर पर खोला जाता है जिसमें प्रतिमाह 10 ₹ के गुणक में निश्चित अवधि तक धन राशि जमा की जाती है । गरीब वर्ग के लिए गृह बचत योजना के रूप में दैनिक जमा संग्रहण का कार्य भी कुछ बैंकों द्वारा संचालित किया जाता है । इस प्रकार बैंक विभिन्न माध्यमों से विविध खाते खोलकर तथा तरह-तरह की जमा योजनाएँ कर अपना जमा सम्बन्धी आधारभूत कार्य सम्पन्न करते हैं ।

निक्षेप अथवा जमा स्वीकार करना ( Accepting of Deposits ) :- बैंकों द्वारा निक्षेप स्वीकार करना अथवा धन उधार लेना बैंकिंग संस्थाओं का प्राथमिक कार्य माना जाता है । इसके माध्यम से बैंकिंग संस्थाएँ जनसाधारण की छोटी-छोटी बचतों को संगृहीत कर अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण को बढ़ावा देते हैं । बैंकों द्वारा जमाएँ स्वीकार करने पर उनके तथा जमकर्त्ताओं के मध्य ऋणी एवं ऋणदाता ( Debtor and Creditor ) का सम्बन्ध स्थापित हो जाता है । बैंक जनसाधारण की बचतों को आकर्षित करने हेतु विभिन्न प्रकार के खाते खोलते हैं तथा संचालित करने की सुविधा प्रदान करते हैं । ये खाते साधारणतः निम्नलिखित होते हैं -

( अ ) बचत खाता ( Saving Account )

( ब ) चालू खाता ( Current Account )

( स ) स्थाई जमा खाता ( Fixed Deposit Account )

( द ) गृह बचत खाता ( Home Safe Account )

( य ) अनिश्चितकालीन जमा खाता ( Uncertain Deposit Account )

( र ) दीर्घकालीन जमा योजना ( Long-term Deposit Scheme )

( ल ) अन्य खातें ( Other Accounts ) ।

( अ ) बचत खाता ( Saving Account ) :- बचत खाता प्रायः मध्यवर्गीय नौकरी-पेशा वर्ग द्वारा खोला जाता है । यह पाँच ₹ की राशि से खोला जा सकता है । इन खातों पर धनराशि पर ब्याज दर कम होती है । ऐसे खातेदार को चैक की सुविधा भी प्रदान की जाती है । इस खाते में ग्राहक सप्ताह में राशि तो कई बार जमा करा सकता है लेकिन राशि आहरण करने पर कुछ रोक अवश्य लगा दी जाती है ।

( ब ) चालू खाता ( Current Account ) :- व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा पूँजीपतियों को सुविधा देने की दृष्टि से बैंक, चालू खाते में जमाएँ स्वीकार करते हैं । इस खाते से बैंकों के कार्य समय मे जमकर्त्ता चाहे जितनी बार जमा-पूँजी निकाल सकता है या रुपया जमा करा सकता है । सामान्यतः इस प्रकार के खाते में जमा-राशि पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता है, कभी-कभी कुछ बैंक तो जमाकर्त्ताओं से कुछ सेवा-शुल्क ( Service Charges ) भी वसूल करते हैं ।

( स ) स्थायी जमा खाता ( Fixed Deposit Account ) :- एक निश्चित अवधि हेतु रकम जमा करवाने के लिए बैंक में सावधि जमा खाता खोला जाता है । सामान्यतः इसकी अवधि तीन माह से 5 वर्ष की होती है । इस खाते में रकम जमा करवाने पर बैंक एक जाम रसीद देता है जिसमें पुनः लौटने पर ही जमकर्त्ताओं को राशि लौटायी जाती है । स्थायी जमा खाते में ग्राहक को अवधि समाप्त होने से पूर्व ही यदि रकम की आवश्यकता पड़ती है, तो बैंक ग्राहक को अवधि से पहले भी धन निकालने की सुविधा देता है, लेकिन ऐसी स्थिति में ग्राहक को देय ब्याज में कुछ कटौती कर देता है । इस प्रकार के खाते पर देय ब्याज दर अधिक होती है ।

( द ) गृह बचत खाता ( Home-Safe Saving Account ) :- घरेलू खाते, छोटी-छोटी बचतों को संगृहीत करने तथा बचत की भावना को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संचालित किये जाते हैं । इस खाते के अन्तगर्त बैंक ग्राहक को गुल्लक दे देते हैं जिसे ग्राहक घर ले जाकर सुविधानुसार थोड़ा-थोड़ा धन उसमें डालते हैं, कुछ समय बाद वे इस गुल्लक को बैंक में लाते हैं, जहाँ गुल्लक से जमा रकम निकालकर ग्राहक के खाते में जमा कर दी जाती है । इस रकम पर बैंक द्वारा ब्याज-दर कम होती है ।

( य ) अनिश्चितकालीन जमा खाता ( Uncertain Period Deposit Account ) :- इस खाते में अनिश्चितकालीन के लिए रकम जमा करवायी जाती है, जो विशेष परिस्थिति में ही निकाली जा सकती है । इस प्रकार की जमाओं पर ब्याज-दर सबसे अधिक होती है । इस प्रकार के खाते की सुविधा भारत में नहीं दी जा रही है । कुछ बैंकों द्वारा क्वांटम ओष्टीया अथवा सुपर सेविंग के नाम से यह सुविधा प्राप्त की गयी है ।

( र ) दीर्घकालीन जमा योजना ( Long-term Deposit Scheme ) :- दीर्घकालीन जमाएँ, विनियोग के लिए उद्देश्य से सात वर्ष या उससे लम्बी अवधि के लिए जमा करायी जाती हैं । इन जमा योजनाओं के अन्तगर्त पुनर्विनियोग की सुविधा भी प्रदान की जाती है ।

बैंकिंग संस्थाएँ इस प्रकार के खोले गये खातों में निरन्तर नवीनता लाती रहती हैं ताकि वे अधिक-से-अधिक जमाओं का संग्रह कर सकें । इस प्रकार बैंकिंग संस्थाएँ जनसाधारण की अलग बचतों को जमाओं के रूप में संगृहीत कर, वित्तीय कोषों के जलाशय के रूप में कार्य करती है । ये न केवल धन को सुरक्षित रखती हैं अपितु जमकर्त्ताओं को विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ भी प्रदान करती हैं ।

( ल ) अन्य खाते ( Other Accounts ) :- इसके अतिरिक्त अन्य कई प्रकार के खाते भी बैंक द्वारा खोले जाते हैं, जिसमें प्रमुख निम्न हैं -

(i) आवर्ती जमा खाता, (ii) कृषक जमा योजना, (iii) नाबालिग बचत योजना, (iv) गृह बचत योजना इत्यादि ।

[ 2 ] ऋण प्रदान करना ( Lending of Funds ) :- बैंकों का दूसरा आधारभूत कार्य ऋण प्रदान करना है । बैंकों व्यक्तियों से जो रकम जमा के रूप में प्राप्त करते हैं उसका एक निश्चित प्रतिशत नकद-कोष में रखने के पश्चात बाकी रकम जरूरतमंदों को ऋण के रूप में दे देते हैं । बैंक उत्पादक तथा उपभोग कार्यों के लिए ऋण प्रदान करते हैं । बैंक सामान्यतः निम्नांकित प्रकार से ऋण प्रदान करते हैं -

( 1 ) नकद-साख ( Cash Credit ) :- नकद-साख प्रणाली के अन्तगर्त बैंक, व्यापारियों को एक निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित मात्रा में ऋण प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करते हैं । जिन व्यापारियों को नकद-साख की सुविधा प्रदान की जाती है, वह पूर्ण निर्धारित सीमा तक राशि आवश्यकतानुसार निकाल सकते हैं । ग्राहक द्वारा निकाली गयी राशि पर ही बैंक ब्याज लेती है ।

( 2 ) अधिविकर्ष ( Overdraft ) :- इस व्यवस्था के अन्तगर्त बैंक एक समझौते के अनुसार चालू खाता संचालित करने वाले अपने ग्रहकों को उनकी जमा राशि से, एक निश्चित सीमा तक, अधिक रकम निकालने की सुविधा प्रदान करते हैं । इसे 'अधिविकर्ष' कहते हैं । अधिविकर्ष कि सुविधा अल्प अवधि के लिए ग्राहकों को उनकी व्यक्तिगत साख एवं जमानत के आधार पर प्रदान की जाती है ।

( 3 ) प्रत्यक्ष ऋण ( Direct Loan ) :- बैंक द्वारा प्रतिभूतियों की जमानत पर ऋण दिये जाते हैं । ये ऋण एक निश्चित रकम की निश्चित समयावधि हेतु प्रदान किये जाते हैं । ऋण की सम्पूर्ण राशि एक ही बार में ऋणी के खाते में जमा कर दी जाती है तथा ऋणी को सम्पूर्ण राशि पर निश्चित दर से ब्याज देना होता है । ब्याज दर का निर्धारण ऋणी के द्वारा ऋण लेने के उद्देश्य, अवधि एवं मात्रा पर निर्भर करता है ।

( 4 ) विनिमय बिलों में कटौती ( Discounting of Bills of Exchange ) :- वित्तीय सुविधा प्रदान करने का यह तरीका सर्वाधिक प्रचलित है । इस व्यवस्था के अन्तगर्त बैंकिंग संस्थाएँ, व्यापारियों को वास्तविक बिलों की कटौती कर साख-सुविधाएँ प्रदान करती हैं । सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह पद्धति अधिक उपयुक्त है कि बैंकों द्वारा प्रदत्त आर्थिक सहायता के सम्बन्ध में बिलों के दोनों ही पक्षकार अर्थात लेखक ( Drawer ) तथा स्वीकारकर्त्ता ( Acceptor ) उत्तरदायी होते हैं । इसके अतिरिक्त आवश्यकता पड़ने पर बैंक इन बिलों को केन्द्रीय बैंक से पुनर्कटौती करवा सकती है ।

बैंकों द्वारा विभिन्न प्रकार से ग्राहकों की आवश्यकता पूर्ति हेतु ऋण प्रदान किये जाते हैं । ऋण देने के बदले जब कोई धरोहर रखी जाती है तो यह सुरक्षित ऋण कहलाते हैं । जब बिना किसी धरोहर के मात्र जमानत के आधार पर ऋण दिये जाते हैं तो यह असुरक्षित ऋण कहलाते हैं । बैंकों द्वारा मुख्य रूप से उत्पादक कार्यों हेतु ही ऋण प्रदान करने का प्रावधान था किन्तु समय की माँग तथा अर्थव्यवस्था के विकास के फलस्वरूप बैंक उपभोग ऋणों को भी पर्याप्त महत्त्व देने लगे हैं । बैंकों द्वारा ऋण प्रदान करने की विधियों में भी कई परिवर्तन आये हैं । आज बैंक ऋण हर व्यक्ति के लिए सर्व सुलभ हैं ।

( ब ) जन सामान्य से सम्बन्धित कार्य ( Functions Related to General Public )

बैंक आज मात्र व्यावसायिक संस्थाओं को सुविधा पहुँचाने वाली संस्थाएँ नहीं रही हैं वरन जन-साधारण से जुड़कर उनके विकास में भागीदारी निभा रहे हैं । बैंकों से आम जनता को जोड़ने हेतु बैंक जन सामान्य उपयोगिता वाले कई कार्य सम्पन्न करते हैं, जैसे - आम जनता की बहुमूल्य वस्तुओं की सुरक्षा हेतु लॉकर्स सुविधाएँ, जनता द्वारा यात्रा में धन की सुरक्षा हेतु यात्री चैक, गश्ती साख-पत्र, क्रेडिट-कार्ड, डेबिट कार्ड आदि कई कार्य सम्पन्न किये जाते हैं । स्टॉक एक्सचेन्ज के अन्तगर्त क्रियाशील रहने वाले लोगों में व्यक्तिगत विनियोगकर्त्ता बड़ी संख्या में सक्रिय रहते हैं । अतः जन-सामान्य के लिए स्टॉक एक्सचेन्ज सम्बन्धी कार्यों में बैंक सहायता पहुँचाते हैं । इस प्रकार बैंक मात्र विशिष्ट वर्ग के लिए ही कार्य सम्पन्न नहीं करते वरन जन सामान्य की आवश्यकता पूर्ति हेतु भी कार्य सम्पन्न करते हैं ।

जनसाधारण को बैंकिंग व्यवसाय में सम्बन्ध करने तथा अधिकाधिक संख्या में ग्राहकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से बैंकिंग संस्थाओं द्वारा सामान्य उपयोगिता सम्बन्धी कार्य सम्पादित किये जाते हैं जिनका उल्लेख निम्नांकित प्रकार से किया जा सकता है -

(i) लॉकर्स सुविधा ( Locker's Facility ) :- बैंक अपने ग्राहकों को 'लॉकर्स' की सुविधा प्रदान करके उनके महत्त्वपूर्ण पत्रों, बहुमूल्य धातुओं तथा प्रतिभूतियों को सुरक्षा प्रदान करते हैं । इस सुविधा के बदले में बैंक, लॉकर्स का किराया या शुल्क ग्राहकों से वसूल करते हैं ।

(ii) साख सम्बन्धी सूचनाएँ प्रदान करना ( Information Related to Credit ) :- बैंक अपने ग्राहक को, अन्य व्यापारियों एवं व्यापारिक तथा औद्योगिक प्रतिष्ठानों की साख एवं प्रतिष्ठा के सम्बन्ध में सूचनाएँ उपलब्ध करते हैं । इसके अतिरिक्त बैंकों द्वारा अन्य व्यापारिक संस्थानों द्वारा माँगे जाने पर ग्राहकों की आर्थिक स्तिथि के सम्बन्ध में भी सूचनाएँ प्रदान की जाती है । व्यावसायिक क्षेत्र में इस प्रकार की सूचनाओं का आदान-प्रदान विशेष महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी होता है ।

(iii) साख-पत्रों का निर्गमन ( Issue of Letter of Credit ) :- बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों ले लिए विभिन्न प्रकार के साख-पत्रों का भी निर्गमन किया जाता है । साख-पत्रों, यात्री-चैकी आदि की व्यापारिक जगत में बहुत उपयोगिता होती है क्योंकि इनके माध्यम से धन प्रेषण का कार्य सरल एवं सुविधाजनक हो जाता है ।

(iv)।प्रतिभूतियों का अभिगोपन ( Underwriting of Securities ) :- बैंकिंग। संस्थाओं द्वारा निजी एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों, सरकार, स्वशासी निगमों इत्यादि के अंशों, ऋणपत्रों, प्रतिभूतियों आदि में अभिगोपन का कार्य भी किया जाता है । अभिगोपन सेवाओं के बदले में बैंकों को 'अभिगोपन कमीशन' ( Underwriting Commission ) प्राप्त होता है ।

(v) आर्थिक एवं वित्तीय समकों का संग्रहण एवं प्रकाशन ( Collection and Publication of Economics Financial Data ) :- बैंकिंग संस्थाएँ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्धित आर्थिक एवं वित्तीय समकों एवं सूचनाओं का संग्रहण एवं प्रकाशन का कार्य भी करती हैं । आर्थिक नीति के निर्धारण एवं आर्थिक क्रियाओं के नियोजन के सन्दर्भ में आर्थिक समंकों का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है ।

( स ) अभिकर्त्ता सम्बन्धी कार्य ( Agency Functions )

बैंक अपने ग्राहकों के लिए प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं । इन कार्यों में से कुछ कार्य तो नि:शुल्क किये जाते हैं तथा कुछ कार्य सशुल्क या कमीशन के बदले में किये जाते हैं । वर्तमान युग में बैंकों द्वारा सम्पन्न किये जा रहे अभिकर्त्ता सम्बन्धी कार्य निम्नलिखित हैं -

( 1 ) धन का हस्तान्तरण ( Transfer  of Money ) :- बैंक अपने ग्राहकों के धन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तान्तरण की सुविधा प्रदान करते हैं । इस कार्य में ड्राफ्ट तथा अन्य विलेखों का प्रयोग किया जाता है ।

( 2 ) चैक का संग्रहण ( Collection of Cheques ) :- बैंक अपने ग्राहकों की ओर से चैकों की राशि का संग्रह करते हैं । इन चैकों से प्राप्त राशि ग्राहक के खाते में जमा करते हैं । बैंक अपने ग्राहकों के आदेशानुसार उनके चैकों का भुगतान करते हैं ।

( 3 ) ग्राहकों के लिए भुगतान प्राप्त करना ( Payment Collection for Customers ) :- बैंक अपने ग्राहकों के निर्देशानुसार ग्राहक के खाते में उनकी प्राप्तियाँ, जैसे - मकान किराया, लाभांश तथा ब्याज आदि प्राप्त करके खातें में जमा करने तथा उनका हिसाब रखने सम्बन्धी कार्य भी करते हैं ।

( 4 ) ग्राहकों के दायित्वों का भुगतान करना ( To make Payment of Customers Liability ) :- बैंक अपने ग्राहकों के दायित्वों के भुगतान का कार्य ग्राहक की ओर से वहन करते हैं, जैसे - बीमा प्रीमियम, मकान किराया, ऋण पर ब्याज आदि का भुगतान ग्राहक की ओर से करते हैं ।

( 5 ) ट्रस्टी तथा प्रबन्धक का कार्य ( To Act as Trustee and Manager ) :- बैंक अपने ग्राहकों के आदेश पर उनकी सम्पत्ति की व्यवस्था, विभाजन या प्रबन्धक का उत्तरदायित्व भी स्वीकार करते हैं । बैंक ग्राहक के प्रबन्धकों एवं ट्रस्टियों के रूप में भी कार्य करते हैं ।

( 6 ) विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय ( Purchase & Sales of Foreign Exchange ) :- ग्राहकों की ओर से केन्द्रीय बैंक की अनुमति से बैंक विदेशी विनिमय के क्रय-विक्रय का कार्य भी करते हैं । बैंक अपने ग्राहकों को पास पोर्ट ( Pass Port ) के सम्बन्ध में भी सुविधा प्रदान करते हैं ।

( 7 ) आन्तरिक तथा विदेशी व्यापार का वित्त प्रबन्ध ( Financial Management of Internal & External Trade ) :-बैंकों द्वारा विनिमय बिलों का कार्य करके व्यापार हेतु वित्त का प्रबन्ध किया जाता है । हुण्डियों एवं विदेशी विनिमय बिलों की जमानत पर अल्पकालीन ऋण प्रदान करके आन्तरिक व्यापार हेतु वित्त प्रदान किया जाता है । इसके अतिरिक्त व्यापारियों द्वारा लिखे गये या स्वीकृत किये गये बिलों तथा प्रतिज्ञा-पत्रों को बट्टे पर भुनाकर वित्त का प्रबन्ध करते हैं ।

अन्य कार्य ( Other Functions ) :-

  • समाशोधन गृहों के सुचारू संचालन के सन्दर्भ में बैंकिंग संस्थाएँ विशेष योगदान प्रदान करती हैं । 
  • बैंकों के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा कोष, बाढ़, अकाली पीड़ितों अथवा अन्य किसी प्राकृतिक विपदा से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए धन राशि भी संगृहीत की जाती है ।
  • बैंक अपने ग्राहकों को उपभोग ऋण प्रदान करके अनेक टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ जैसे - टेलीविजन, फ्रिज, मोटर-साइकिल, स्कूटर, फर्नीचर इत्यादि खरीदने हेतु प्रोत्साहित करते हैं ।
  • बैंक ग्राहकों के वित्तीय कोषों के विनियोजन के सम्बन्ध में सलाह एवं मार्गदर्शन देने का कार्य भी करते हैं ।

( द ) व्यापक कार्य ( Extensive Functions )

बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था में व्यापक स्तर पर उपयोगिता रखने वाले कार्य भी सम्पन्न किये जाते हैं, जैसे - अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित विभिन्न वित्तीय समंकों का संग्रहण, रिजर्व बैंक द्वारा संचालित समाशोधन गृह में योगदान, प्राकृतिक आपदाओं तथा प्राकृतिक संकट के समय सुरक्षा कोषों के लिए सरकार की ओर से धन संग्रहण करना, जनसाधारण से लेकर स्थानीय निकाय, राज्य सरकारों, केन्द्र सरकार को वित्तीय सम्बन्धी सलाह प्रदान करना, बैंकों के व्यापक कार्य कहे जा सकते हैं ।

देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक वित्तीय संस्था के रूप में बैंकों द्वारा हर वर्ग के लिए कार्य सम्पन्न किये जाते हैं । अपने आधारभूत कार्य, निक्षेप संग्रहण करना तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त एक बैंकिंग संस्था समाज के हर वर्ग के लिए कोई-न-कोई कार्य सम्पन्न करती है चाहे वह बहुमूल्य वस्तुओं की सुरक्षा जैसा जन-सामान्य से सम्बन्धित कार्य हो या एजेन्सी सम्बन्धी कार्य अथवा व्यापक स्तर पर वित्तीय समंकों का संग्रहण एवं विश्लेषण का कार्य । बैंकिंग संस्थाएँ धन प्रेषण में चमत्कारी सुविधाएँ प्रदान करती हैं । हाई टैक बैंकिंग के अन्तगर्त एक स्थान पर जमा की गई धन राशि कुछ ही क्षणों में दूरस्थ स्थान पर निकलवाई जा सकती है । अर्थात कुछ ही क्षणों में धन प्रेषण कार्य सम्पन्न हो जाता है । इस प्रकार बैंक के कार्य अपने आधारभूत कार्यों तक ही सीमित न रहकर बहुत ही विस्तृत रूप ले चुका हैं । बैंकों द्वारा प्रदत्त कार्य ग्राहक सेवाओं के अन्तगर्त ही आते हैं क्योंकि बैंक के द्वारा जो कार्य सम्पन्न किये जाते हैं वे अपने ग्राहकों के लिए ही सम्पन्न किये जाते हैं अतः बैंक के कार्यों तथा बैंकों द्वारा प्रदत्त सेवाओं में कोई मूलभूत अन्तर प्रकट नहीं किया जा सकता है ।

बैंक के प्रमुख कार्य क्या है?

राशि जमा रखने तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त बैंक अन्य काम भी करते हैं जैसे, सुरक्षा के लिए लोगों से उनके आभूषणादि बहुमूल्य वस्तुएँ जमा रखना, अपने ग्राहकों के लिए उनके चेकों का संग्रहण करना, व्यापारिक बिलों की कटौती करना, एजेंसी का काम करना, गुप्त रीति से ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी लेना देना।

बैंक का क्या महत्व है?

बैंक (Bank) एक ऐसी संस्था है, जो लोगों से जमा (Deposits) स्वीकार करती है और इसके बदले साख निर्माण करके अग्रिम ऋण (Loans) देती है। अतः ऐसी संस्थाएँ जो किसी देश के वित्तीय व्यवहार में भागीदार होती है, बैंक कहलाती है। ये संस्थाएँ लोगों से जमा स्वीकार करती हैं तथा उन जमाओं पर व्याज (interest) देती हैं।

बैंक क्या है इसके प्रकार एवं कार्य?

बैंक वह संस्था है जो मुद्रा में लेन-देन करती है, जहां धन का जमा, संरक्षण तथा निर्गमन होता है, तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर धनराशि भेजने की व्यवस्था की जाती है। बैंक धन जमा एवं ऋण प्रदान करने के अलावा कई अन्य कार्य जैसे:- चैक का भुगतान, डिमॉड ड्राफ्ट, क्रेडिट कार्ड सेवाऐं, ए.टी.

बैंक कितने प्रकार के होते हैं?

ग्राहकों की विभिन्नवित्तीय आवश्कताओं को पूरा करने के लिए देश में विभिन्न प्रकार के बैंक कार्यरतहैं, जिन्हे इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है- (1) वाणिज्यिक बैंक (2) सहकारी बैंक (3) विकास बैंक (4) विशेष उद्धेश्य बैंक (5) केन्द्रीय बैंक

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग